भारत में जीवन को चलाने के लिए जितनी जरूरत की चीजें होती हैं । वो हर समान हर जगह होती हैं । Indian Council for Agricultural Research ( ICAR ) के दस्तावेज के अनुसार भारत में 14 785 वस्तुएं होती हैं । ये भारत की सभी राज्यों में एक समान होती हैं । और भारत के उन शहरों या गाँव को बाहर से केवल नमक मंगाना पड़ता है । बाकी हर जरूरत की चीज उसी राज्य में हो जाती हैं ।
ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे । कुछ तो ऐसे भी है । जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नहीं खाते । अब मैं अगर आपसे बोलूँ कि - आज रोटी बनाकर उसको पालिथीन में पैक कर देता हूँ । उसको 4 दिन बाद खाने को कौन राजी होगा ?
आप सोच रहे होंगे कि - क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ । अब जरा सोचो कि - आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाव रोटी । जो पता नहीं ? कितने दिन पहले की बनी हुई है । उसको इतना मजे लेकर क्यों खाते हो ? क्यों बर्गर और ब्रेड पकौड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ?
अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को दकियानुसी मान कर 4-5 दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है । तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही हैं । यूरोप के गधों के पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल को हमें छोड़ना ही होगा । यूरोप और अमेरिका में चूँकि मौसम की अनुकूलता नहीं है । साल में 9 महीने ठण्ड पड़ती है । और उनके यहाँ कभी भी बारिश हो जाती है । और बर्फ भी बहुत पड़ती है
। धुप का दर्शन तो साल में 300 दिन होता ही नहीं है । इसके अलावा उनके कृषि क्षेत्र में कुछ होता नहीं है । कुल मिलाकर 2 ही चीजें होती हैं - आलू और प्याज । और थोडा बहुत गेंहू । यूरोप में ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है । वहाँ का तापमान इतना कम रहता है कि - रोटी बनाना संभव ही नही है । आटा गूँथने के लिए पानी चाहिए । लेकिन वहाँ 6 महीने तो बर्फ जमी रहती है । इसीलिए वहाँ ब्रेड बनाई जाती है । जिसमें आटा गूँथने की जरुरत नहीं होती है । आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है । और अत्यंत कम तापमान की वजह से वो 4-5 दिनों तक खराब नही होती है । भारतीय जलवायु के हिसाब से ब्रेड उचित नहीं है । भारतीय जलवायु में ब्रेड जैसे नमी युक्त खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं । तापमान बहुत कम होने के कारण उनके शरीर में मैदे से बनी ब्रेड पच जाती है । पर भारत में तापमान बहुत अधिक होता है । जो भारतीयों के लिये सही नहीं । इससे कब्ज की
शिकायत होती है । और कब्ज होने से सैंकडों बीमारियां लगती है । हजारों सालों से भारत में ताजे आटे को गूंथकर ही रोटी बनाई और खाई जाती है । हमारे पूर्वज इतने तो समझदार थे । जो उन्होने ब्रेड आदि खाना शुरू नहीं किया । तो आप भी समझदार बनिये ।
यही हाल टमाटर की चटनी का है । इसीलिए सभी राष्ट्र भक्त भाई बहनों से निवेदन है कि - ब्रेड । पाव रोटी । सौस जैसी चीजों से बने खाद्य पदार्थ का पूरी तरह से बहिष्कार करें । और अन्य को भी प्रेरित करें ।
- भाई राजीव दीक्षित जी
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5 Spices That Help, Heal For better Digestion ~
1.Black Pepper 2.Cardamon 3.Coriander 4.Cumin 5.Turmeric
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पेट एवं छाती में जलन होना । अर्थात खट्टी डकारें आना । अर्थात एसिडिटी से छुटकारा पाने के निम्नलिखित बिंदुओं पर अमल करें ।
1- 4-5 गिलास गरम कुनकुना पानी ( खड़े खड़े नहीं बैठकर ) जल्दी जल्दी पियें । फिर सीधे हाथ की ऊँगलियों से जिह्वा ( जीभ ) को रगड़ रगड़ कर उल्टी वमन करें । यह क्रिया पानी पी पीकर तब तक दोहराएँ । जब तक कि वमन के पानी में खट्टापन समाप्त न हो जाये ।
2 रोजाना प्रातःकाल सोकर उठते ही शौच निवृत्ति के पूर्व बिना मंजन कुल्ला किये 1 से 4 गिलास गरम कुनकुना पानी पीना चाहिये ।
3 एरिएटेड ठंडे पेय । चाय एवं काफी से पूर्णतया परहेज रखें । इनके स्थान पर - हर्बल टी । हर्बल पेय का सेवन करें ।
4 तीखे मिर्च मसाले । सिरका । चटनी । अचार । तले भुंजे । रिफाइंड अर्थात बारीक पिसे हुये भोज्य पदार्थों के सेवन से बचें । इनके स्थान पर दरदरा भोजन । चित्तीदार केला । ककड़ी का नियमित रूप से सेवन करें ।
5 एसिडिटी से बचने के लिये नारियल पानी पीना भी अति उत्तम है ।
6 रोजाना 1 गिलास ताजे दुहे हुये अथवा ठंडे दूध का सेवन करना भी एसिडिटी में काफी लाभप्रद होता है ।
7 दिन भर में ग्रहण की जाने वाली भोजन की कुल मात्रा । जो कि दिन में 1-2 या 3 बार में ग्रहण की जाती हो । ऐसी कुल मात्रा को घटाकर आधा या तीन चौथाई करें । व साथ ही साथ इस घटी हुई मात्रा को 3-3 अथवा 4-4 घंटे के अन्तर से दिन भर में 4 से 5 बार में । छोटी छोटी किश्तों में । ग्रहण करें । रात का अंतिम भोजन हल्का सुपाच्य । व सोने के कम से कम 2-3 घंटे पूर्व कर लेना चाहिये ।
8 भोजन करने के बाद 4-5 पोदीने की पत्तियों के उबले हुये 1 गिलास पानी का सेवन करें ।
9 भोजन के बाद 1 लौंग मुँह में रखकर चूसें ।
10 गुड़ । शहद । नींबू । पानी । व रात भर के गले हुये 4-5 बादाम आदि का सेवन भी लाभप्रद होता है ।
11 तंबाखू । गुटखा । बीड़ी । सिगरेट । धूमृपान । गाँजा । भांग । शराब आदि किसी भी प्रकार का नशा एवं किसी भी प्रकार का माँसाहार । मछली । अंडे आदि का घातक सिद्ध होता है ।
12 ठोस अथवा तरल किसी भी प्रकार के भोज्य पदार्थ को अच्छी तरह चबा चबा कर ग्रहण करें । अर्थात Eat the liquids & drink the solids .
13 भोजन में जिस रूप में भी हो सके । अदरक का सेवन अवश्य करें ।
14 किसी भी प्रकार के गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचें । तथा इनके स्थान पर हरी साक भाजी । ताजे फल व सब्जियों व हल्के सुपाच्य भोजन का सेवन करें । भोजन के साथ किसी भी
प्रकार के फल एवं शक्कर की मिठाई का सेवन न करें ।
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चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के CID ऑफिस 9 गोखले मार्ग में रखी है । उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया । इतना ही नहीं नेहरु ने U P के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था । लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे । इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी कि उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है ।
स्वतन्त्रता के समय यदि भारतीय जनता को ये पता होता है कि शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की हत्या के लिए किसने ? मुखबरी की है । भगत
सिंह को फांसी पर लटकवा दिया है । और भविष्य में सुभाष चन्द्र बोस जी को पाठय पुस्तकों में इसके वंशज उग्रवादी के रूप में पढ़ायेंगे । तो शायद भारतीय जनता उसको सड़क पर दौड़ा दौड़ा कर मारती ।
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A great experiment to illustrate soil erosion! This simple experiment shows the importance of trees as a part of our environment. The water that runs through soil with vegetation (left corner), comes out clear, while the other two without vegetation is muddy. Yet, why do we keep cutting the trees in our forests and complaining why the water in our rivers are so muddy and dirty ?
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