07 सितंबर 2012

रता रक्खी रूप संबाल कूड़े


1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन चल रहा था । विवेकानंद भी उसमें बोलने के लिए गये हुये थे । 11 सितंबर को स्वामी जी का व्याखान होना था । मंच पर ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ था - हिन्दू धर्म । मुर्दा धर्म । कोई साधारण व्यक्ति इसे देखकर क्रोधित हो सकता था । पर विवेकानंद भला ऐसा कैसे कर सकते थे । वह बोलने के लिये खङे हुये । और उन्होने सबसे पहले - अमेरिकावासी बहिनों और भाईयों.. शब्दों के साथ श्रोताओं को संबोधित किया । विवेकानंद के शब्द ने जादू कर दिया । पूरी सभा ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया ।
इस हर्ष का कारण था । स्त्रियों को पहला स्थान देना । विवेकानंद ने सारी वसुधा को अपना कुटुबं मानकर सबका स्वागत किया था । भारतीय संस्कृति में निहित शिष्टाचार का यह तरीका किसी को न सूझा था । इस बात का अच्छा प्रभाव पङा । श्रोता मंत्र मुग्ध उनको सुनते रहे । निर्धारित 5 मिनट कब बीत गया । पता ही न चला । अध्यक्ष कार्डिनल

गिबसन ने और आगे बोलने का अनुरोध किया । विवेकानंद 20 मिनट से भी अधिक देर तक बोलते रहे ।
विवेकानंद  की धूम सारे अमेरिका में मच गई । देखते ही देखते हजारों लोग उनके शिष्य बन गए । और तो और सम्मेलन में कभी शोर मचता । तो यह कहकर श्रोताओं को शान्त कराया जाता कि - यदि आप चुप रहेंगे । तो स्वामी विवेकानंद का व्याख्यान सुनने का अवसर दिया जायेगा । सुनते ही सारी जनता शान्त होकर बैठ जाती ।
अपने व्याख्यान से विवेकानंद  ने यह सिद्ध कर दिया कि - हिन्दू धर्म भी श्रेष्ठ है । जिसमें सभी धर्मो को अपने अंदर समाहित करने की क्षमता है । भारतीय संस्कृति किसी की अवमानना या निंदा नही करती । इस तरह

विवेकानंद जी ने सात समंदर पार भारतीय संस्कृति की ध्वजा फहराई ।
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Why You Should Drink Warm Water & Lemon -
1 Boosts you're immune system -  Lemons are high in Vitamin C and potassium. Vitamin C is great for fighting colds and potassium stimulates brain & nerve function and helps control blood pressure.
2 Balances pH - Lemons are an incredibly alkaline food, believe it or not. Yes, they are acidic on their own, but inside our bodies they're alkaline (the citric acid does not create acidity in the body once metabolized). As you wellness warriors know, an alkaline body is really the key to good health.

3 Helps with weight loss - Lemons are high in pectin fiber, which helps fight hunger cravings. It also has been shown that people who maintain a more alkaline diet lose weight faster. And, my experience is that when I start the day off right, it's easier to make the best choices for myself the rest of the day.
4 Aids digestion - The warm water serves to stimulate the gastrointestinal tract and peristalsis - the waves of muscle contractions within the intestinal walls that keep things moving. Lemons and limes are also high in minerals and vitamins and help loosen ama, or toxins, in the digestive tract.
5 Acts as a gentle, natural diuretic - Lemon juice helps flush out unwanted materials because lemons increase the rate of urination in the body. Toxins are, therefore, released at a faster rate which helps keep your urinary tract healthy.
6 Clears skin - The vitamin C helps decrease wrinkles and blemishes. Lemon water purges toxins from the blood which helps keep skin clear as well.
7 Hydrates the lymph system - This cup of goodness helps start the day on a hydrated note, which helps prevent dehydration (obviously) and adrenal fatigue. When your body is dehydrated, or deeply 

dehydrated (adrenal fatigue) it can't perform all of it's proper functions, which leads to toxic buildup, stress, constipation, and the list goes on. Your adrenals happen to be two small glands that sit on top of your kidneys, and along with your thyroid, create energy. They also secrete important hormones, including aldosterone. Aldosterone is a hormone secreted by your adrenals that regulates water levels and the concentration of minerals, like sodium, in your body, helping you stay hydrated. Your adrenals are also responsible for regulating your stress response. So, the bottom line is that you really don't want to mess with a deep state of dehydration !
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Often it is our imperfections and even our pain that draws others close to us…Just as often, our own experience of pain enables others who hurt to be open with us without

feeling small .Our wounds make us trustworthy  - Rachel Remen
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वो मेंहदी लगे हाथ दिखा के रोई । मैं किसी और की हुयी । ये बता के रोई ।
मैं बोला - कौन है वो खुशनसीब ? वो मेंहदी से लिखा नाम दिखा के रोई ।
कहीं गम से फ़ट न जाये जिगर मेरा । वो हँसते हँसते मुझे हँसा के रोई ।
दिल ना टूटे उसका गम ए हिज्र में । मैं भी रोया वो भी मेरी आँख से आँख मिला के रोई ।
उसने जाना जब मेरे रोने का सबब । अपने आँसू मेरी हथेली पे सजा के रोई ।
जब भी देखा उसे हँसते हुये देखा । वक्त ए हिना वो हर खुशी को भुला के रोई । 
कैसे उसकी मुहब्बत पर शक करें हम । भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा के रोई ।
पीयूष मा्हेश्वरी ।
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Life Becomes Romantic . When Eyes Start Looking At Some 1 Silently .. But Life Becomes M0re R0mantic . When Some 1 Starts Reading

Those Eyes Silently .
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Holding your hand  I won't fear tomorrow...As long as your by my side forever....♥
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पंजाबी - मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । गायक -  आशा सिंह मस्ताना ( पंजाबी )
अज सारे छड जंजाल कूड़े । अज सारे छड जंजाल कूड़े ।
मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
अज सारे छड जंजाल कूड़े । मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
कर बूहा सांम्ब श्ताबी  नी । एह पकड  संदूक दी चाबी नी ।
कोई सूट तू कढ गुलाबी नी । पा तिल्ले दी गुरगाबी नी ।
ले बूटियां वाला रुमाल कूड़े । मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
नी विसाखी अज मनावांगे । नी विसाखी अज मनावांगे । मेले ते भंगरे पावंगे ।
कोई रल के पींग चडावागे । ते बह के उत्थे खावंगे । लडुआ दा भर के थाल कूड़े ।
मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
कनका दियां फसला पकियां ने । कनका दियां फसला पकियां ने । घर साड्डे बरकता वसियाँ ने ।

मेरा प्यार तेरे नाल गुढा नी । सोने डा कढ़ा दवां चुड्डा नी ।
रब्ब कित्ता । रब्ब कित्ता माला माल कूड़े । मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
तेरे नैन जू पीती भंग कूड़े । तेरे नैन जू पीती भंग कूड़े ।
तेरा वांग टमाटर रंग  कूड़े । कोई नज़र न तेनु ला देवे । जादू न अख डा पा देवे ।
रता रक्खी । रता रक्खी रूप संबाल कूड़े । मेले नु । मेले नु चल मेरे नाल कूड़े । हो हो हो हो ।
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ईश्वर जो कुछ करता है । अच्छा ही करता है । मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है ।
जब से दुनिया बनी है । तब से रोज बदलती है । जो शय आज यहाँ है । वो कल आगे चलती है ।
देख के अदला बदली तू आहें क्यों भरता है । मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है ।
सुख दुःख आते जाते रहते सबके जीवन  में । पतझड़ और बहारें दोनों जैसे गुलशन में ।

चढ़ता है तूफ़ान कभी । और कभी उतरता है । मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है ।
कितनी लम्बी रात हो चाहे । दिन तो आयेगा । जल में कमल खिलेगा । फिर से वो मुस्कायेगा ।
देता है जो कष्ट । वही कष्टों को हरता है । मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है ।
वो ही दाना फलता है । जो मिट्टी में मिल जाये । सहे पथिक जो कांटे । वो ही मंजिल अपनी पाये ।
भट्टी में पड़ कर सोने का रंग निखरता है । मानव तू परिवर्तन से काहे को डरता है ।
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बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये । यह मीठा ज़हर होता है । इसे खाना नहीं चाहिये ।
बुरी संगत जहाँ देखो । वहाँ जाने से शरमाओ । जहाँ सतसंग होता हो । तो शरमाना नहीं चाहिये ।
बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये । लगे पेड़ों पे फल ज्यों ही । झुके सब डालियाँ उनकी ।

यहाँ ऐश्चर्य को पाकर के । इतराना नहीं चाहिये । बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये ।
निरादर से मिले दौलत । ज़माने की तो ठुकरा दो । मिले जो प्रेम से तिल भी । तो ठुकराना नहीं चाहिये ।
बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये । कोई कितना भी क्यों ना हो । बड़े घर बार धन वाला ।
जहाँ स्वागत नहीं  होता । वहां जाना नहीं चाहिये । बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये ।
अगर कुछ दे नहीं सकते । तो कह दो माफ़ कर बाबा । मगर दुत्कार कर मंगते को । ठुकराना नहीं चाहिये ।
बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये । पड़ा भट्टी में जब सोना पथिक वह बन गया कुंदन ।
प्रभु जब कष्ट देता है तो घबराना नहीं चाहिये । बुराइयों को कभी जीवन में अपनाना नहीं चाहिये ।

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कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
कभी गिरते हुये को उठाया नहीं । बाद आंसू बहाने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
- मैं तो मंदिर गया । पूजा आरती की । पूजा करते हुये ये ख्याल आ गया ।
कभी माँ बाप की सेवा की ही नहीं । सिर्फ पूजा के करने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा
- मैं तो सतसंग गया गुरुवाणी सुनी । गुरुवाणी को सुनकर ख्याल आ गया ।
जन्म मानव का लेके दया न करी । फिर मानव कहलाने से क्या फ़ायदा ।

कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
- मैंने दान किया मैंने जप तप किया । दान करते हुवे ये ख्याल आ गया ।
कभी भूखे को भोजन खिलाया नहीं । दान लाखों का करने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
- गंगा नहाने हरिद्वार काशी गया । गंगा नहाते ही मन में ख्याल आ गया ।
तन को धोया मगर मन को धोया नहीं । फिर गंगा नहाने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
- मैंने वेद पढ़े मैंने शास्त्र पढ़े । शास्त्र पढ़ते हुये ये ख्याल आ गया । 
मैंने ज्ञान किसी को बांटा नहीं । फिर ज्ञानी कहलाने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
- मात पिता के ही चरणों में चारों धाम हैं । आजा आजा यही मुक्ति का धाम है ।

पिता माता की सेवा की ही नहीं । फिर तीर्थो में जाने से क्या फ़ायदा ।
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं । बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा ।
कभी गिरते हुये को उठाया नहीं । बाद आंसू बहाने से क्या फ़ायदा ।
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