10 पैसे किलो कोयला बेचने वाले शातिर 10 पैसा यूनिट बिजली भी बना सकते हैं । लेकिन यह विदेशी ईसाईयो के लिए घातक होगा । इसलिये कांग्रेस ने हर क्षेत्र के अनुसंधान को भी बंद करा रखा है ।
सौर ऊर्जा से बिजली बनाने में कुछ भी नहीं करना होता है । आप खाना खाना भूल सकते हैं । लेकिन आपका पैनल बिजली बनाना नहीं भूलेगा ।
सोलर पैनल की 25 साल की गारंटी होती है । और 40 साल तक की वारंटी । यानी यह काम करेगा । लेकिन 80% क्षमता पर । आंधी में टूट नहीं गया । तो 40 साल तक बिजली देगा ।
भारत में उपलब्ध तकनीक और संसाधनों का प्रयोग किया जाये । तो यह पैंनल 20/- प्रति वाट के हिसाब से
बाजार में सरकार लाकर हर घर को 11 घंटे अनिवार्य बिजली दे सकती है । क्योकि पैनल ऊष्मा से नहीं । प्रकाश से काम करते हैं ।
यही 1 000 वाट का पैनल 11 घंटे काम करे । तो 11 Unit बिजली बनेगी । और यह बिना रुके 365 दिन और 30 साल ( औसत ) काम करेगा । अपने जीवन काल में बिना कुछ खर्च किये ।
11 x 365 x 30 years x @ Rs.3.00 Unit = Rs.3 61 350/- की बिजली मिलेगी ।
1000 वाट पैनल लगाने पर 1000 x 20 = 20 000/- रुपये खर्च होंगे ।
30 साल में 30 x 365 x 11 यूनिट बिजली बनेगी । यानी 1 20 450 यूनिट ।
20 000/- के खर्चे को 1 20 450 यूनिट से भाग दीजिए । तो यह 16.60 पैसे प्रति यूनिट आएगा । और आप अपने पावर हाउस के स्वयं मालिक होंगे । और रोज गारंटेड बिजली मिलेगी । अब इसी खर्चे में सब जोडते जाईए । लेकिन यह 1.00 रुपये कभी भी नहीं हो पायेगा ।
चीन इस समय सोलर पैनलो का बेतहाशा उत्पादन कर रहा है । और उसका खर्च 25/- रुपये वाट पड रहा है । लेकिन भारी मात्र में उत्पादन से और ऊर्जा के लिए खुद सूर्य ऊर्जा ही प्रयोग किया जाये । तो यह खर्चा भारत के लिए 20/- रुपया ही आयेगा ।
सूर्य ऊर्जा और थोरियम भारत को फिर से विश्व की महा शक्ति बना देंगे । लेकिन बीच में लुटेरो की जमात आ जाती है । मोदी जी ने गुजरात में सौर ऊर्जा का भरपूर उपयोग किया है । तभी वहाँ कभी बिजली नहीं जाती । साभार - Sanjeev Dagar
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WARNING - पोस्ट पूरी पढ़े बिना कमेन्ट न करे । मुर्खता पूर्ण कमेन्ट न करे । पहले सवालों के जवाब दें । गाली गलौज करने वाले मुर्ख दूर ही रहें ।
NOTE - कोई भी मित्र ये पोस्ट कापी कर सकता है । इसे अधिक से अधिक प्रचारित करें । और साईं के पाखंड को दूर करने में सहायता करें ।
पूरी पोस्ट यहाँ पढ़े - http://hindurashtra.wordpress.com/2012/09/10/132/
1 पूर्व शिर्डी साईं भक्त ( मेरे मित्र ) का साईं के बारे में लिखा 1 पत्र ।
Posted by कुरआन और इस्लाम की असलियत on सितम्बर 10, 2012
मेरे 1 मित्र हैं - विक्रमादित्य दलवी ।
कुछ दिन पहले मैंने शिर्डी के साईं के पाखंड । और उनके द्वारा हिन्दुओं के मन को घोर इस्लामिक बनाने के षडयंत्र । और कुछ मुसलमानों द्वारा शिर्डी साईं के नाम का फायदा उठा कर हिन्दुओं को सेकुलर । और फिर सेकुलर से धर्मांतरण करने के षडयंत्र को जोर शोर से उठाया था । कुछ हद तक मैं उसमे सफल भी हुआ । पर इसी बीच 1 मित्र से बात हुई । उन्होंने मुझसे मेरा मेल एड्रेस माँगा । और कहा कि - उनके पास साईं के बारे
में कुछ लेख है । जिसे वे मुझे देना चाहते है । मेरे मन में उत्सुकता बढ़ी । और जब आज उन्होंने वो जानकारी मुझे दी । मैं भी उस जानकारी को आप सभी के सामने सार्वजनिक कर रहा हुँ । मेरा मत है कि - इसे पढ़ कर शायद शिर्डी साईं के अंध भक्तो में कुछ तो जागृति आये । और वो इस पाखंड को छोड़ कर धर्म के रास्ते पर आ जायें । वो जानकारी मैं आप सभी के सामने रख रहा हुँ ।
नमस्कार भाई ! मैने आपको साई बाबा के विषय में सूचना देने के बारे में पत्र लिखा था । जब मैने आपका ब्लाग देखा । जिसमें आपने साई के मुस्लिम होने के प्रमाण दिये हैं । उससे ये प्रमाणित तो हो जाता है कि - वह इस्लाम को मानने वाला था । किंतु बहुत से लोग ( जो ब्लाग में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे ) ऐसे थे । जिनको साई के मुस्लिम होने में कोई आपत्ति नहीं थी । इसका कारण ये है कि - भारत में गांधी नेहरू द्वारा चलाये हुये असत्य प्रचार के प्रभाव में ये सब लोग हैं । जो ये कहता है कि - सभी धर्म 1 समान ( जिसमें इस्लाम भी 1 है । ऐसा ये लोग मानते है )
इसलिये केवल साई मुस्लिम था । इतना कहना अधुरा कार्य होगा । हमें इन लोगों को बताना होगा कि - इस्लाम को मानने का अर्थ । मानवता का सबसे बडा द्रोह है । वो ऐसे कि - इस्लाम विश्व का विभाजन 2 युद्ध मान समूहो में करता है । 1 अल्ला के पक्ष से
लढने वाले मोमिन ( मुसलमान ) और 2 काफिर ( इस्लाम को न मानने वाले । जिसमें सारे अमुस्लिम NON MUSLIM आते हैं । इन काफिरों को बर्बरता से मारने पर स्वर्ग में सुंदर सुंदर 72 अप्सराओं का उपभोग मिलता है । ऐसी विकृत धारणा को मानने से वह व्यक्ति मुस्लिम बनता है । अब वाचक वर्ग को सोचना चाहिये कि - ऐसी सोच वाला ( इस्लाम की मानवता विरोधी धारणा ) व्यक्ति साधू पुरुष ( इसमें साईं आता है ) या पूजा योग्य कैसे हो सकता है ?
इस विषय को समझाने के लिये मैं स्वयं अपना उदाहरण देता हुँ । चाहे तो आप इस उदाहरण को वाचकों के समक्ष रख सकते हैं ।
1 समय मै भी साई बाबा का निस्सीम भक्त हुआ करता था । प्रति गुरुवार को साई का दर्शन करना । मेरी
दैनंदिनी का भाग था । ऐसे ही कुछ वर्ष बीत गये । और 1993 में मुस्लिम दंगे हुये । मैं मुंबई में जिस भाग में रहता था । वहाँ राधा बाई चाल नामक हिंदु बस्ती को जलते हुए मैंने देखा । मस्जिदों में से विद्वेष पूर्ण भाषण दिए जाते थे । हिंदु बस्ती पर हमला करने का मार्ग दर्शन खुले आम मस्जिद से किया जाता था । इस विद्वेष को फैलाने में मस्जिद का मुल्ला कुरान और हदीस जैसे इस्लामी साहित्य का संदर्भ देता था । जब ये सब मैंने अपने आखो से देखा । तो साईं बाबा की सीख ( जो कहती है - सभी धर्म 1 समान ) के प्रति मेरे मन में संदेह के प्रश्न उठने लगे ।
आगे चलकर जब इस्लामी साहित्य का अध्ययन ( कुरान । हदीस । सीरा ( मुहम्मद का आत्म चरित्र ) और सुन्ना ) किया । तब - सभी धर्म 1 समान.. का असत्य बुलबुला मेरे मन से फुट गया ।
मेरे प्रिय साईं भक्तो ! क्या आप जानते हैं कि - इस्लाम में हर 1 मुस्लिम को श्रेष्ठ मुस्लिम बनने के लिए इस्लामी जीवन शैली का अनुसरण करना पड़ता है । जिससे वह स्वर्ग पहुँचता है । इस व्याख्या को इस्लाम ने बहुत सहज बनाया है । मुहम्मद का आचरण 1 आदर्श आचरण है । हर 1 व्यक्ति जो मुस्लिम है । वह मुस्लिम बने रहने के लिए अपने जीवन में मुहम्मद का आचरण करता है । इस आचरण करने को सुन्ना पालना कहते है । और वैसे आचरण करने वाले सुन्नी ।
जैसे कि - मुल्ले दाढ़ी रखते हैं ( मुहम्मद दाढ़ी धारी था । और 1 विशिष्ट प्रकार से उस पर हाथ घुमाता था । मुस्लिम भी ठीक वैसे ही अपनी दाढ़ी पर हाथ घुमाते हैं )
उस दाढ़ी को लाल रंग में रंगते हैं ( क्योंके मुहम्मद लाल डाई का उपयोग करता था ) इस्लामिक टू्थ ब्रश का उपयोग करते हैं । जिसे मिस्वाक कहते हैं ( मुहम्मद इसका उपयोग करता था )
बड़े भाई का कुरता ( घुटनों के नीचे तक आने वाला लंबा झब्बा ) और छोटे भाई का पजामा ( छोटा पजामा जिसमे पैरों की ऐडियाँ दिखती हैं ) पहनते हैं ( बिलकुल मुहम्मद जैसा )
बैठ कर मूतते हैं । और ईट को अपने लूली पर विक्षिप रूप से घुमाते हैं । जैसे मुहम्मद करता था ।
नदी के तट पर घर हो । फिर भी ये मुल्ले जुम्मे से जुम्मे क्यों नहाते हैं ? ये भी आप समझ चुके होंगे ।
इतना भी नही सोचते कि - रेगिस्तान में रहने वाला मुहम्मद चाहकर भी प्रतिदिन नहा नही सकता था ।
मुसलमान कहते हैं - हम वंदे मातरम नही कहेंगे । क्योंकि हम मातृभूमि को नहीं मानते । तो फिर ये मुहम्मद की अरब भूमि के आगे दिन में 5 बार माथा क्यों रगड़ते हैं ( ये भी मुहम्मद का सुन्ना है । जिसके आधार पर मुहम्मद सारे विश्व को उसकी मातृभूमि के आगे झुकाता है )
ये मुल्ले अपने बच्चो के नाम सारे अरबस्तान से आयात Import करते हैं । क्यों ? मुहम्मद ने कहा - इसलिये । ये तो इस्लाम जैसे धर्म की आड में अरब श्रेष्ठता का विषैला साम्राज्यवाद ही हो । ऐसा प्रतीत होता है ।
इतना ही नहीं । ये मुस्लिम अपनी कमाई में से कम से कम 10% जकात के रूप में मुहम्मद की मातृभूमि अरब देशों को भेजते हैं । यह भी इस्लामी सुन्ना है ।
अपना घर बार बेचकर हज की यात्रा करने वाले कई मुस्लिम आपको भारत पाकिस्तान और अफ्रीका के अनेक भागो में मिलेंगे । इससे अरब राष्ट्रों को इतना पैसा मिलता है कि - कोई भी काम किये बिना वे राजा के समान जीवन बिता सकते हैं । यदि उनका तेल समाप्त हो जा्ये । तो भी ।
मुहम्मद का इस्लाम उसके देश बंधूओ ( अरबो ) के लिए 1 वरदान सिद्ध हुआ है । और अरबेतर ( जो मुस्लिम अरब नही हैं । वे ) अरब राष्ट्र के गुलाम । जिन्हें अपने आप में कोई अस्तित्व नहीं ।
इसी मुहम्मद की सीख है कि - उसे न मानने वाले काफिर हैं । जिन्हें कत्ल करना भी मुहम्मद का सुन्ना ( आचरण ) है । काफ़िर वे हैं । जो मुहम्मद का आचरण नहीं करते । इसलिये वे सबके सब नर्क में सड़ेंगे । क्या ये विचार धारा का पाठ पढा के शांति और सुखी जीवन संभव है ?
यदि कोई मुस्लिम इस सुन्ना को नही पालता । तो वह नर्क भागी काफ़िर हो जायेगा । यही इस्लामी साहित्य बताता है ।
यहाँ मैं साईं भक्तों से पूछना चाहता हूँ कि - क्या दाढ़ी बढ़ाना । या किसी विशिष्ठ रंग से उसे रंगना । मोक्ष प्राप्ति का साधन आप मान सकते है ?
आप मानते हो - सभी धर्म 1 समान । तो क्या आप मानते हैं कि - बैठ कर मूतने में । और फिर किसी सड़ी हुई ईट को अपनी लूली पर घुमाने में । कोई महान आध्यात्मिक रहस्य छुपा है ?
क्या इस्लाम कोई धर्म है ? या लोगों को 1 व्यक्ति की कार्बन कापी बनाने की प्रकिया ? जिस प्रक्रिया में धर्म के सम्मोहन सें उन्हें अरब श्रेष्ठता का दास बनाया जाये ?
मुहम्मद का सुन्ना मुसलमानों को ये भी सिखाता है कि - जब बल से काफिरों को मुस्लिम बनाना संभव न हो । तो तुम झूठ बोल कर इस्लाम को फैला सकते हो ।
Qur’an ( 16:106 ) http://www.cmje.org/religious-texts/quran/verses/016-qmt.php#016.106
Qur’an ( 2:225 ) http://www.cmje.org/religious-texts/quran/verses/002-qmt.php#002.225
यह झूठ बोलना । जो इस्लाम का प्रसार करने हेतु है । उसे अल तकिया कहा जाता है ।
संदर्भ - http://wikiislam.net/wiki/Lying_and_Deception_in_Islam
http://en.wikipedia.org/wiki/Taqiyya
अब इस्लाम की इस पार्श्व भूमि को जानकर हम साईं बाबा की कहानी को देखते हैं । मै स्वयं 1 समय साईं
भक्त था । इसलिए कई बार साईं सत चरित पढ़ चूका हूँ । और आपने भी पढा होगा ? चलो हम उसकी घटनाओ को फिर से देखेंगे ।
साईं बाबा नियमित रूप से नमाज पढते थे । और कुरआन का अध्ययन करते थे । जिसकी शुरुआत अल फातिया ( कुरआन का पहला अध्याय ) से करते थे ।
मित्रों ! कुरआन का अध्ययन और पठन साईं बाबा नियमित रूप से करते थे । और उपदेश करते थे कि - सभी धर्म और धर्म ग्रन्थ ( जिसमें वे इस्लाम को भी 1 मानते थे ) मानवता की सीख देते हैं ।
चलो आज हम देखते हैं । उस कुरआन में क्या दिया है ? कुछ आयतें आप स्वयं पढ़िये । और निर्णय कीजिये ।
- O ye who believe ! Murder those of the disbelievers ( kafirs ) and let them find harshness in you. ( Repentance: 123 ) कुरआन सूरा 9 आयत 123
http://quranhindi.com/
- Humiliate the non-Muslims to such an extent that they surrender and pay tribute. ( Repentance: 29 ) कुरआन सूरा 9 आयत 29
- Certainly, God is an enemy to the unbelievers. ( The Cow: 90 ) कुरआन सूरा 2 आयत 90
- God has cursed the unbelievers, and prepared for them a blazing hell. ( The Confederates 60 )
- Do not let non-Muslims enter mosques. They will go to hell. ( Repentance: 17 )
- O ye who believe! The non-Muslims are unclean. So let them not come near the Inviolable Place of Worship. ( Repentance: 28 ) कुरआन सूरा 17 आयात 17
- I ( Allah ) shall cast terror into the hearts of the unbelievers. Strike them above the necks, smite their finger tips . ( Qur’an 8.12 )
काफिरों के प्रति इतनी क्रूरता । और घृणा करने वाला कुरआन शांति और प्रेम का संदेश कहाँ दे रहा है ? सामान्य द्वेषान्ध मुस्लिम कुरआन के इस सीख का जीता जागता प्रमाण हैं ।
फिर साईं भक्तों से मेरा प्रश्न है कि - साईं बाबा ने कुरआन शांति का संदेश देता है । ऐसा झूठ क्यों बोला ?
यदि तुम ऐसा कहोगे कि - साईं बाबा कुरआन ठीक से पढ़ नही पाये । तो भी ठीक नहीं । क्योंकि तुम मानते
हो कि - वे तो अनंत कोटि बृह्मांड नायक और अंतर्यामी हैं ।
इसका उत्तर तुम नही दे सकते । क्योंकि तुम साईं के अल तकिया का शिकार हो ( जैसे 1 समय मै भी था ) उसके सम्मोहन में तुम इतने अंधे हो चुके हो कि - सत्य को भी नही देख सकते ।
आज लव जिहाद में फँसकर इस्लाम के चंगुल में अटकने वाली लड़कियाँ अपने इस्लाम पूर्व जीवन में इसी साईं के - सभी धर्म 1 समान.. के अल तकिया का शिकार होती हैं । अर्थात लोगों को इस्लाम के जाल में फाँसने के लिए इन जिहादियों की साईं बाबा मरणोपरांत बहुत सहायता कर रहे हैं ।
तुम कहते हो कि - ईश्वर को हम किसी भी नाम से कहें । तो क्या फर्क पड़ता है । फिर हम उसे अल्ला्ह ही क्यों न कहें । अब आपने देखा कि - कुरआन का अल्लाह काफिरों को नर्क की आग में झोक देता है । केवल इसलिये कि - वे मुहम्मद को नहीं मानते । क्या ऐसे दुरात्मा को भी तुम भगवान कह सकते हो ?
यदि हाँ ! तो ईश्वर और शैतान में अंतर ही क्या है ?
साईं के सम्मोहन से निकलो । जो तुम्हें अज्ञान के अंधकार में डूबो कर इस्लाम की अरब काल कोठरी में डाल देगा । समय है । इस अंधकार से जाग कर सत्य के प्रकाश की और चलने का । एक भूतपूर्व साईं भक्त ।
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