उठो मेरे शेरो । इस भृम को मिटा दो कि - तुम निर्बल हो । तुम एक अमर आत्मा हो । स्वच्छंद जीव हो । धन्य हो । सनातन हो । तुम तत्व नहीं हो । न ही शरीर हो । तत्व तुम्हारा सेवक है । तुम तत्व के सेवक नहीं हो - स्वामी विवेकानंद
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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला तथा अति प्राचीन - सोमनाथ गुजरात राज्य में सिन्धु सागर के तट पर स्थित है । इस पवित्र स्थल को " प्रभास तीर्थ " के नाम से जाना जाता है । यह तीर्थ स्थल देश के प्राचीनतम तीर्थ स्थानों में से एक है । एवं इसका उल्लेख स्कंद पुराण । श्रीमदभागवत गीता । शिव पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में है । यहीं प्रसिद्ध व दर्शनीय सोमनाथ मंदिर है । इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है । यहां सुबह और शाम अलग अलग रूपों में सोमनाथ के भाव भक्ति और श्रद्धा पूर्वक दर्शन होते हैं । यहाँ समुद्र अपनी गूंज और ऊंची ऊंची लहरों के साथ सदैव शिव के चरण वंदन करता प्रतीत होता है । सोमनाथ का शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में प्रमुख स्थान है ।
भाव बृहस्पति द्वारा लिखी गई प्रशस्ति के अनुसार सोमनाथ का प्रथम मंदिर सोम ( चन्द्रमा ) ने बनवाया था । दूसरे युग में लंकापति रावण ने उसे चाँदी का बनवाया । श्रीकृष्ण ने उसे काष्ठ ( चन्दन ) का बनवाया । भीमनाथ सोलंकी ने उसे शिला का बनवाया । और आखिर में राजा कुमार पाल के काल में सोमनाथ के तत्कालीन महाधिपति भाव बृहस्तपति द्वारा मंदिर को बडे पैमाने पर नव सृजित करवाया गया ।
ऋग्वेद में उल्लेख मिलता है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण चन्द्र देव ( सोमराज ) ने किया था । पुराणों में सोमराज द्वारा मंदिर निर्माण की कथा इस प्रकार है - बृह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्र देव से किया था । चंद्रमा का अनुराग उनमें से मात्र रोहिणी के प्रति था । अन्य 26 कन्याओं को इस बात से बड़ा कष्ट रहता था । कन्याओं का कष्ट देखकर दक्ष ने चंद्रमा को शाप दिया । जिससे चंद्रमा क्षय
ग्रस्त हो गया । और वे कांतिहीन होने लगे । इससे जग में त्राहि त्राहि मच गयी । जब सच में चन्द्र देव का तेज धूमिल होने लगा । तब दक्ष प्रजापति की पुत्रियों ने अपने पिता से प्रार्थना की कि - वे अपना शाप वापिस ले लें । राजा दक्ष ने कहा - सरस्वती नदी के मुहाने पर सिन्धु सागर में स्नान करने और शिव की आराधना से शाप के प्रकोप को रोका जा सकता है । तब सोमराज ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित सिन्धु ( अब अरब ) सागर में स्नान करके शिव की आराधना की । जिससे शिव यहाँ पर अवतरित हुए । और उनका उद्धार किया । शिव भक्त चन्द्र देव ने यहां शिव का मन्दिर बनवाया । यहाँ जो ज्योर्तिलिंग प्रकट हुआ । उसका नाम सोमनाथ ( चन्द्र के स्वामी ) पड़ गया । यहाँ पर चन्द्रमा द्वारा अपनी कान्ति वापस पाये जाने के कारण इस क्षेत्र को " प्रभास
तीर्थ " कहते हैं । शिव भक्त रावण ने इस मन्दिर को चांदी का बनवाया । और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका पर अपने शासन के समय इसे चन्दन का बनवाया ।
मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है । उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भू भाग नहीं है । यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अदभुत साक्ष्य माना जाता है ।
सोमनाथ मन्दिर का इतिहास बताता है कि इसका बार बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा । गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर दूर तक फैली थी । अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका जो
भव्य विवरण लिखा । उससे प्रभावित होकर महमूद ग़ज़नवी ने सन 1026 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया । उसकी सम्पत्ति लूटी । और शिवलिंग को खंडित किया । इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका शिला में पुनर्निर्माण कराया । जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया । तो दोबारा प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया । सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और लूट का सिलसिला यूं ही जारी रहा । औरंगजेब ने भी उसमें लूट की थी । कुल मिलाकर 17 बार इस मंदिर को तोड़ा व लूटा गया ।
सोमनाथ मंदिर पुनःनिर्माण में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का बडा योगदान रहा । नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया था । मंदिर के प्रांगण में रात साढे 7 से साढे 8 बजे तक 1 घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है । जिसमें सोमनाथ मंदिर के पूरे इतिहास का बडा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है ।
ऐसी मान्यता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने देह त्याग किया था । इस कारण इस क्षेत्र का महत्त्व और भी बढ गया । श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे । एक शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पदम चिन्ह को हिरण
की आंख जानकर धोखे में तीर चला दिया । श्रीकृष्ण ने देह त्याग कर यहीं से वैकुंठ गमन किया । इस स्थान पर बडा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है । समुद्र तट पर होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में यहां शीतलता रहती है ।
सोमनाथ से करीब 200 किमी दूरी पर प्रमुख तीर्थ द्वारिका है । जहाँ प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं ।
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3 करोड का शो करके आमिर नेशनल हीरो बने । तो देश आगे कैसे बढे ?
जब विदेशी status symbol हो । और स्वदेशी cheap लगे ।
तो देश आगे कैसे बढे ?
जब नहाने के बाद deo लगाना जरुरी । और भगवान के सामने सर झुकाना boring लगे ।
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जब dirty picture को नेशनल अवार्ड मिले । और पान सिंह तोमर फ्लॉप रहे ।
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राजेश खन्ना की मृत्यु पर विधवा अलाप मीडिया करे । क्रांतिकारी शहादत दिवस पर एक दीपक न जले ।
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जब देश का युवा malls में जेब कटवाए । और बाहर ठेले पे मोल भाव करे ।
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जब युवाओं को हिंदी बोलने में घिन हो । और प्रधानमन्त्री अंग्रेजी को सर्वश्रेष्ठ भाषा कहे ।
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गर्लफ्रेंड के लिए कविताएं लिखने वाला युवा । अगर देश की स्थिति पे मौन रहे ।
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अनगिनत ग्रंथो के बाद भी । अगर हिंदू चरित्र पतन करे ।
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