उनमनि मुद्रा धार । इस शब्द " उनमनि " को समझना । क्योंकि यही भक्त की साधना का सार सूत्र है । रहस्यों का रहस्य । महामंत्र । मूल बीज । उनमनि मुद्रा । उनमन का अर्थ होता है वही । जो झेन फकीर NO MIND से कहते हैं । उनमन का अर्थ होता है - जहाँ मन नहीं । मन के पार । मनातीत ।
उनमनि मुद्रा धार फकीरी मैं लई ।
जिन्होंने फकीरी ले ली है । और उनमनि मुद्रा नहीं धारी है । उनकी फकीरी पाखंड है । इसलिए मुझसे जब कोई संन्यासी पूछता है । हमारे संन्यास का नियम क्या ? तो 1 ही नियम है । मन के पार हो जाओ । ध्यान करो । उनमनि मुद्रा धारो । मन को पोंछो । और मिटा दो ।
मन क्या है ? विचारों का सतत प्रवाह । जैसे राह चलती है ! दिन भर चलती है । चलती ही रहती है । भीड़ भाड़ गुजरती ही रहती है । कोई इधर जा रहा है । कोई उधर जा रहा है । कोई पूरब । कोई पश्चिम । कोई दक्षिण । कोई उत्तर । ऐसा मन 1 चौराहा है । जिस पर विचारों के यात्री चलते हैं । वासनाओं के
यात्री चलते हैं । कल्पनाओं, आकांक्षाओं के यात्री चलते हैं । स्मृतियों, योजनाओं के यात्री चलते हैं ।
तुम मन नहीं हो । तुम चौराहे पर खड़े दृष्टा हो । जो इन यात्रियों को आते जाते देखता है । लेकिन इस चौराहे पर तुम इतने लंबे समय से खड़े हो । सदियों सदियों से कि तुम्हें अपना विस्मरण हो गया है । तुम्हें अपनी ही याद नहीं रही है । तुमने मान लिया है कि तुम भी इसी भीड़ के हिस्से हो । जो मन में से गुजरती है । तुम मन के साथ 1 हो गए हो । तादात्म्य हो गया है । तुम मन की भीड़ में अपने को डुबा दिए हो । भूल गए हो । विस्मरण कर दिए हो । और यही मन तुम्हें भरमाए है । इसी मन का नाम संसार है ।
संसार से तुम अर्थ मत समझना । ये निर्दोष हरे वृक्ष संसार नहीं हैं । इन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है । कभी
छाया दे दी होगी भला । और कभी फल दे दिए होंगे । और कभी तुम पर फूल बरसा दिए होंगे । इन वृक्षों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? इन चांद तारों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? दिया है खूब । लिया तो तुमसे कुछ भी नहीं है । संसार से तुम अर्थ यह जो विस्तार है अस्तित्व का । ऐसा मत समझ लेना । इस संसार से तुम्हारी क्या हानि हुई है ? क्या हानि हो सकती है ? यही संसार तो तुम्हें जीवन दे रहा है ।
नहीं । जिस संसार से भक्त कहते हैं - मुक्त हो जाओ । वह है - तुम्हारे मन का संसार । मन का विस्तार । तुम्हारे मन में जो ऊहापोह चलता है । वह जो भीड़ तुम्हारे मन में सदा मौजूद रहती है । वह जो तरंगें बनी रहती हैं विचार की । और जिनके कारण तुम कभी शांत नहीं हो पाते । और जिनके कारण तुम सदा ही बिगूचन और विडंबना में उलझे रहते हो । जिनके कारण तुम सदा
किंकर्तव्यविमूढ़ हो । क्या करूं । क्या न करूं ? यह करूं । वह करूं ? और मन हजार योजनाएं देता है। कोई योजना न कभी पूरी होती । न पूरी हो सकती है । और मन तुम्हें कितने सब्जबाग दिखलाता है । कितने मरूद्यान । कितने सुंदर सुंदर सपने देता है । और उलझाता है । और भरमाता है । और अटकाता है । मन माया है । संसार माया नहीं है । मन का संसार ही माया है ।
उनमनि का अर्थ है - जागो । यह जो मन का जाल है । इसके दृष्टा बनो । भोक्ता न रहो । कर्ता न रहो । इससे जरा दूर हटो । इसके जरा पार हटो । रास्ते की भीड़ में अपने को 1 न मानकर रास्ते के किनारे खड़े हो जाओ । रास्ते के किनारे खड़े हो जाना । और रास्ते को चलते देखना । ऐसे जैसे हमें रास्ते से कुछ लेना देना नहीं है - निरपेक्ष । निष्पक्ष । उदासीन । तटस्थ । साक्षी मात्र । और उनमनि दशा फलेगी । क्योंकि जैसे ही तुम मन से अलग हुए कि मन मरा । ओशो शरनम गच्छामि
●°●°●°●°●°●
मेरी दुनिया में तुम आईं । क्या क्या अपने साथ लिए ।
तन की चाँदी मन का सोना । सपनों वाली रात लिए ।
तन्हा तन्हा खोया खोया । मन में दिल की बात लिए ।
कब से यूँ ही फिरता था मैं । अरमाँ की बारात लिए ।
ढलका आँचल फैला काजल । आँखों में ये रात लिए ।
कैसे जाऊँ सखियों में अब । तेरी ये सौग़ात लिए ।
दिल में कितनी कलियाँ महकी । कैसे कैसे फूल खिले ।
ना जाओ ना जाओ हटो । होठों की ख़ैरात लिए ।
पायल छनके कँगना ख़नके । बदली जाए चाल मेरी ।
मंज़िल मंज़िल चलना होगा । हाथों में अब हाथ लिए ।
Kaushal Kshatri -
●°●°●°●°●°●
श्रीकृष्ण के भांजे अभिमन्यु की कथा की विज्ञान ने की पुष्टि - महाभारत आदि को मिथ्या मानने वालों के मुँह पर 1 और थाप ।
महाभारत के इस प्रसंग को सभी जानते है कि 1 समय जब श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा गर्भ धारण किये हुए थी । तब श्रीकृष्ण उन्हें चक्रव्यूह का तोड़ बता रहे थे । असल में श्रीकृष्ण तो ठहरे सर्वज्ञ । वे बता तो उसी शिशु ( अर्जुन पुत्र - अभिमन्यु ) को रहे थे । जो सुभद्रा के गर्भ में था । क्योंकि वे जानते थे कि इस शिशु को आगे जाकर इस रणनीति की परम आवश्यकता पड़ेगी । परन्तु नियति कुछ और ही थी । चक्रव्यूह का वर्णन सुनते सुनते सुभद्रा की आंख लग गई । और वर्णन केवल चक्रव्यूह में घुसने ( तोड़ने ) तक ही हो पाया था । निकलने का सुनने से पूर्व ही सुभद्रा सो गई । और इसी कारण अभिमन्यु चक्रव्यूह में घिर कर ही वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
इस प्रसंग को व्यास जी ने इस प्रकार लिखा है ।
श्रीकृष्णेन सुभद्राये गर्भवत्येनिरुपितम । चक्रव्यूह प्रवेशस्य रहस्यम चातुदम्भितत ।
अभिमन्यु स्तिथो गर्भे द्विवेद्यनानयुतो श्रुणो । रहस्यम चक्रव्यूहस्य सम्पूर्णम असत्यातवा ।
यदार्जुनो गतोदुरम योदूं सम्शप्तदैसः । अभिमन्यु.म बिनानान्यः समर्द्योव्यूहभेदने
भेदितेचक्रव्यूहेपि अतएव विबिणेवा । पार्थपुत्रस्य एकाकी कौरवे निगुर्णेवतः ।
हाल ही में हुए एक प्रयोग ( 2 JAN 2013 को ) में वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है कि गर्भ के शिशु भाषण की ध्वनि सीखता है । तथा वैज्ञानिकों ने महाभारत के इस प्रसंग पर भी मुहर लगाई । नवीनतम वैज्ञानिक सबूत से पता चला है कि बच्चे उनके गर्भ के समय से ही सुनते हैं । और भाषा कौशल सीखते हैं । फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भ के बच्चे अपने जन्म के 3 महीने पहले ही भाषण ध्वनियों में अंतर करना सीख जाता है । ( vedicbharat.com ) अमेरिका में Pacific Lutheran University के शोधकर्ताओं ने 1 नए अध्ययन में पता लगाया है कि बच्चे गर्भाशय में भी मातृभाषा की विशिष्ट ध्वनियों को चुन सकते हैं । अध्ययन ने इस अनुमान को नकार दिया है कि बच्चे पैदा होने के बाद ही भाषा सीखते है । यह पहला अध्ययन है । जिससे पता चलता है कि हम पैदा होने से पहले ही अपनी मातृभाषा की भाषण ध्वनियों को सीखते हैं । क्रिस्टीन मुन जो अध्ययन का नेतृत्व कर रहे हैं । उन्होंने कहा - ज्यादातर वैज्ञानिक अब आश्वस्त है कि अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने युद्ध के चक्रव्यूह गठन को भेदने की कला माँ सुभद्रा के गर्भ में सीखी ।
http://www.shrinews.com/DetailNews.aspx?NID=8237
http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-2256312/Tale-Abhimanyu-true-scientists-babies-pick-language-skills-womb.html
http://www.abc.net.au/news/2013-02-26/unborn-babies-learn-sounds-of-speech3a-study/4541788
http://ilabs.uw.edu/
http://www.washington.edu/news/2013/01/02/while-in-womb-babies-begin-learning-language-from-their-mothers/
सनातनसपूत कट्टरहिंदू रामसेवक भारत
●°●°●°●°●°●
भारत में 2 तरह के हिन्दू पाए जाते हैं । पहले वो जो अपनी मातृभूमि के लिए अपना शीश कटवा लेते हैं । और
दूसरे वो जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी माँ को भी बेच देते हैं । पहले प्रकार के हिन्दू " कट्टर हिन्दू " कहलाते हैं । और दूसरे प्रकार के हिन्दू " सेक्युलर " के नाम से जाने जाते हैं । आप कौन से हिन्दू हैं ?
●°●°●°●°●°●
- 1 शराबी दारू पी पीकर मर गया । लेकिन उसकी दारू के प्रति श्रद्धा तो देखो । वो मर के भी यह कह गया - शराब तो ठीक थी । पर मेरा लिवर ही कमज़ोर निकला ।
- 1 शराबी साधू से टकरा गया । तो साधू बोला - अरे मूर्ख ! मैं तुझे श्राप देता हूँ ।
शराबी - बाबाजी रुको । मुझे गिलास ले आने दो ।
- उपदेशक - अगर गधे को शराब और पानी दोनों पीने को दिये जायें । तो गधा क्या पियेगा ? शराबी - जाहिर है । पानी पियेगा ।
उपदेशक - क्यों ? शराबी - क्योंकि वो गधा है ।
- शराबी को दारू पीता देख अमेरिकन बोला - पानी तो मिला लो ।
शराबी - हम इंडियन हैं । इतना पानी तो दारू देख के ही मुंह में आ जाता है ।
- पुलिस ( शराबी से ) रात के 1 बजे तुम कहाँ जा रहे हो ?
शराबी ( पुलिस से ) मैं शराब पीने के दुष्परिणाम पर भाषण सुनने जा रहा हूँ ।
पुलिस ( शराबी से ) इतनी रात मैं तुम्हे कौन भाषण देगा ?
शराबी ( पुलिस से ) मेरी बीवी ।
- 1 शराबी एयरपोर्ट के बाहर खड़ा था । 1 वर्दीधारी युवक उधर से गुजरा । शराबी ने उससे कहा - 1 टैक्सी ले आओ ।
युवक - मैं पायलट हूँ । टैक्सी ड्राइवर नहीं ।
शराबी - नाराज क्यों होते हो भाई ? तो 1 हवाई जहाज ले आओ ।
- शराबी - गरम क्या है ? वेटर - चाउमीन ।
शराबी - और गरम ? वेटर - सूप ।
शराबी - और गरम ? वेटर - उबलता पानी ।
शराबी - और गरम । वेटर - आग का गोला है साले ।
शराबी - लेकर आओ । बीड़ी जलानी है ।
- पंजाबी शादी की पार्टी में डीजे ने पूछा - कब तक बजाना है ?
मेजबान - 8-10 पैग तक बजा लो । उसके बाद तो ये सब जनरेटर की आवाज पर भी नाच लेंगे ।
- शराबी दरवाजे पे दस्तक देता है ? उसकी बीबी दरवाजे खोलती है । शराबी - कौन है आप ? बीवी - मुझे भूल गए । शराबी - नशा हर गम को भुला देता है ।
- 3 पियक्कङों ने दारू पी के 1 टैक्सी रोकी । टैक्सी चालक ने गाङी शूरू की । और फ़िर बंद कर दी । बोला - ये लो साब हम पहुँच गए ।
पहले ने उसे पैसे दे दिये । दूसरे ने बोला - धन्यवाद । तीसरे ने 1 थप्पड दिया । और बोला - आराम से चलाया कर । मरवा देता आज ।
- 1 शराबी लेटकर गाने गा रहा था । 2-3 गाने गाकर वो उलटा लेटकर गाने लगा ।
दूसरा शराबी - यार उलटा लेटकर गाने क्यों गाने लगा ।
शराबी - पहले साइड A थी । अब B बी साइड है ।
- 1 शराबी आंखें दान करने गया । काउंटर क्लर्क ने कहा - कुछ कहना चाहते हो ? शराबी जिसे लगाओ । उसे बता देना कि 2 घूँट बाद खुलती है ।
- शराबी - डॉक्टर जी क्या आप मेरी शराब छुडा सकते हैं ? डॉक्टर - हाँ हाँ क्यों नहीं । शराबी - पुलिस ने मेरी 500 बोतल शराब की पकड ली हैं । जल्दी से उन्हें छुडवा लीजिये ।
- 1 शराबी दूसरे शराबी से बोलता है - मरने के बाद तुम स्वर्ग जाना पसंद करोगे । या नरक ? दूसरा शराबी - तुम्हें जहाँ अच्छा लगे चले जाना । पहला शराबी - मुझे दारू पीने के बाद कहीं आना जाना अच्छा नहीं लगता ।
- 1 शराबी ने 1 दिन कुछ ज्यादा ही पी ली । लडखडाते कदमों से वह किसी तरह अपने घर पहुंचा । और जेब से चाबी निकालकर ताला खोलने लगा । नशा ज्यादा होने पर वह चाबी को ताले में डाल नही पा रहा था । चाबी कभी इधर हो जाती । कभी उधर । उसे परेशान देखकर 1 सज्जन ने उसकी मदद करनी चाही । पास आकर सज्जन बोला - लाओ ताला मैं खोल देता हूँ ।
शराबी ने कहा - नहीं ताला तो मैं खुद ही खोल लूँगा । तुम केवल दरवाजे को पकडकर खडे रहो ।
- पत्नी ( पति से ) रात को आप शराब पीकर गटर में गिर गए थे ।
पति ( पत्नी से ) क्या बताऊँ । सब गलत संगत का असर है । हम 4 दोस्त और 1 बोतल । और वो तीनों कम्बख्त पीते नहीं ।
- नानू - अंग्रेजों ने चाँद पर पानी और बरफ की खोज कर ली है ।
निनू - अच्छा ! इसका मतलब अब हमें सिर्फ दारू और नमकीन ले के जाना है ।
- 1 शराबी ने अपने दोस्त को बड़े उदास स्वर में बताया – मेरी बीबी ने मुझे नोटिस दिया है कि अगर मैंने शराब पीनी नहीं छोड़ी । तो वह मुझे छोड़कर चली जायेगी ।
ये तो सचमुच बहुत अफ़सोस की बात है - दोस्त ने हमदर्दी जताते हुए कहा ।
हाँ भली औरत है । बहुत याद आया करेगी उसकी ।
पियो सिर उठा के । जियो लड़खड़ा के । कैडबरी में कीड़े । दूध में मिलावट । पानी में वाइरस । कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक । साफ बची है तो सिर्फ - शराब । तो पियो सिर उठा के । जियो लड़खड़ा के ।
https://www.facebook.com/murkhistaan/posts/654253094599151
*******************
संत सताए तीनो जाये तेज बल और वंश ।
एडा केडा कई गया रावन कौरव कंस ।
उनमनि मुद्रा धार फकीरी मैं लई ।
जिन्होंने फकीरी ले ली है । और उनमनि मुद्रा नहीं धारी है । उनकी फकीरी पाखंड है । इसलिए मुझसे जब कोई संन्यासी पूछता है । हमारे संन्यास का नियम क्या ? तो 1 ही नियम है । मन के पार हो जाओ । ध्यान करो । उनमनि मुद्रा धारो । मन को पोंछो । और मिटा दो ।
मन क्या है ? विचारों का सतत प्रवाह । जैसे राह चलती है ! दिन भर चलती है । चलती ही रहती है । भीड़ भाड़ गुजरती ही रहती है । कोई इधर जा रहा है । कोई उधर जा रहा है । कोई पूरब । कोई पश्चिम । कोई दक्षिण । कोई उत्तर । ऐसा मन 1 चौराहा है । जिस पर विचारों के यात्री चलते हैं । वासनाओं के
यात्री चलते हैं । कल्पनाओं, आकांक्षाओं के यात्री चलते हैं । स्मृतियों, योजनाओं के यात्री चलते हैं ।
तुम मन नहीं हो । तुम चौराहे पर खड़े दृष्टा हो । जो इन यात्रियों को आते जाते देखता है । लेकिन इस चौराहे पर तुम इतने लंबे समय से खड़े हो । सदियों सदियों से कि तुम्हें अपना विस्मरण हो गया है । तुम्हें अपनी ही याद नहीं रही है । तुमने मान लिया है कि तुम भी इसी भीड़ के हिस्से हो । जो मन में से गुजरती है । तुम मन के साथ 1 हो गए हो । तादात्म्य हो गया है । तुम मन की भीड़ में अपने को डुबा दिए हो । भूल गए हो । विस्मरण कर दिए हो । और यही मन तुम्हें भरमाए है । इसी मन का नाम संसार है ।
संसार से तुम अर्थ मत समझना । ये निर्दोष हरे वृक्ष संसार नहीं हैं । इन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है । कभी
छाया दे दी होगी भला । और कभी फल दे दिए होंगे । और कभी तुम पर फूल बरसा दिए होंगे । इन वृक्षों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? इन चांद तारों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? दिया है खूब । लिया तो तुमसे कुछ भी नहीं है । संसार से तुम अर्थ यह जो विस्तार है अस्तित्व का । ऐसा मत समझ लेना । इस संसार से तुम्हारी क्या हानि हुई है ? क्या हानि हो सकती है ? यही संसार तो तुम्हें जीवन दे रहा है ।
नहीं । जिस संसार से भक्त कहते हैं - मुक्त हो जाओ । वह है - तुम्हारे मन का संसार । मन का विस्तार । तुम्हारे मन में जो ऊहापोह चलता है । वह जो भीड़ तुम्हारे मन में सदा मौजूद रहती है । वह जो तरंगें बनी रहती हैं विचार की । और जिनके कारण तुम कभी शांत नहीं हो पाते । और जिनके कारण तुम सदा ही बिगूचन और विडंबना में उलझे रहते हो । जिनके कारण तुम सदा
किंकर्तव्यविमूढ़ हो । क्या करूं । क्या न करूं ? यह करूं । वह करूं ? और मन हजार योजनाएं देता है। कोई योजना न कभी पूरी होती । न पूरी हो सकती है । और मन तुम्हें कितने सब्जबाग दिखलाता है । कितने मरूद्यान । कितने सुंदर सुंदर सपने देता है । और उलझाता है । और भरमाता है । और अटकाता है । मन माया है । संसार माया नहीं है । मन का संसार ही माया है ।
उनमनि का अर्थ है - जागो । यह जो मन का जाल है । इसके दृष्टा बनो । भोक्ता न रहो । कर्ता न रहो । इससे जरा दूर हटो । इसके जरा पार हटो । रास्ते की भीड़ में अपने को 1 न मानकर रास्ते के किनारे खड़े हो जाओ । रास्ते के किनारे खड़े हो जाना । और रास्ते को चलते देखना । ऐसे जैसे हमें रास्ते से कुछ लेना देना नहीं है - निरपेक्ष । निष्पक्ष । उदासीन । तटस्थ । साक्षी मात्र । और उनमनि दशा फलेगी । क्योंकि जैसे ही तुम मन से अलग हुए कि मन मरा । ओशो शरनम गच्छामि
●°●°●°●°●°●
मेरी दुनिया में तुम आईं । क्या क्या अपने साथ लिए ।
तन की चाँदी मन का सोना । सपनों वाली रात लिए ।
तन्हा तन्हा खोया खोया । मन में दिल की बात लिए ।
कब से यूँ ही फिरता था मैं । अरमाँ की बारात लिए ।
ढलका आँचल फैला काजल । आँखों में ये रात लिए ।
कैसे जाऊँ सखियों में अब । तेरी ये सौग़ात लिए ।
दिल में कितनी कलियाँ महकी । कैसे कैसे फूल खिले ।
ना जाओ ना जाओ हटो । होठों की ख़ैरात लिए ।
पायल छनके कँगना ख़नके । बदली जाए चाल मेरी ।
मंज़िल मंज़िल चलना होगा । हाथों में अब हाथ लिए ।
Kaushal Kshatri -
●°●°●°●°●°●
श्रीकृष्ण के भांजे अभिमन्यु की कथा की विज्ञान ने की पुष्टि - महाभारत आदि को मिथ्या मानने वालों के मुँह पर 1 और थाप ।
महाभारत के इस प्रसंग को सभी जानते है कि 1 समय जब श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा गर्भ धारण किये हुए थी । तब श्रीकृष्ण उन्हें चक्रव्यूह का तोड़ बता रहे थे । असल में श्रीकृष्ण तो ठहरे सर्वज्ञ । वे बता तो उसी शिशु ( अर्जुन पुत्र - अभिमन्यु ) को रहे थे । जो सुभद्रा के गर्भ में था । क्योंकि वे जानते थे कि इस शिशु को आगे जाकर इस रणनीति की परम आवश्यकता पड़ेगी । परन्तु नियति कुछ और ही थी । चक्रव्यूह का वर्णन सुनते सुनते सुभद्रा की आंख लग गई । और वर्णन केवल चक्रव्यूह में घुसने ( तोड़ने ) तक ही हो पाया था । निकलने का सुनने से पूर्व ही सुभद्रा सो गई । और इसी कारण अभिमन्यु चक्रव्यूह में घिर कर ही वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
इस प्रसंग को व्यास जी ने इस प्रकार लिखा है ।
श्रीकृष्णेन सुभद्राये गर्भवत्येनिरुपितम । चक्रव्यूह प्रवेशस्य रहस्यम चातुदम्भितत ।
अभिमन्यु स्तिथो गर्भे द्विवेद्यनानयुतो श्रुणो । रहस्यम चक्रव्यूहस्य सम्पूर्णम असत्यातवा ।
यदार्जुनो गतोदुरम योदूं सम्शप्तदैसः । अभिमन्यु.म बिनानान्यः समर्द्योव्यूहभेदने
भेदितेचक्रव्यूहेपि अतएव विबिणेवा । पार्थपुत्रस्य एकाकी कौरवे निगुर्णेवतः ।
हाल ही में हुए एक प्रयोग ( 2 JAN 2013 को ) में वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है कि गर्भ के शिशु भाषण की ध्वनि सीखता है । तथा वैज्ञानिकों ने महाभारत के इस प्रसंग पर भी मुहर लगाई । नवीनतम वैज्ञानिक सबूत से पता चला है कि बच्चे उनके गर्भ के समय से ही सुनते हैं । और भाषा कौशल सीखते हैं । फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भ के बच्चे अपने जन्म के 3 महीने पहले ही भाषण ध्वनियों में अंतर करना सीख जाता है । ( vedicbharat.com ) अमेरिका में Pacific Lutheran University के शोधकर्ताओं ने 1 नए अध्ययन में पता लगाया है कि बच्चे गर्भाशय में भी मातृभाषा की विशिष्ट ध्वनियों को चुन सकते हैं । अध्ययन ने इस अनुमान को नकार दिया है कि बच्चे पैदा होने के बाद ही भाषा सीखते है । यह पहला अध्ययन है । जिससे पता चलता है कि हम पैदा होने से पहले ही अपनी मातृभाषा की भाषण ध्वनियों को सीखते हैं । क्रिस्टीन मुन जो अध्ययन का नेतृत्व कर रहे हैं । उन्होंने कहा - ज्यादातर वैज्ञानिक अब आश्वस्त है कि अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने युद्ध के चक्रव्यूह गठन को भेदने की कला माँ सुभद्रा के गर्भ में सीखी ।
http://www.shrinews.com/DetailNews.aspx?NID=8237
http://www.dailymail.co.uk/indiahome/indianews/article-2256312/Tale-Abhimanyu-true-scientists-babies-pick-language-skills-womb.html
http://www.abc.net.au/news/2013-02-26/unborn-babies-learn-sounds-of-speech3a-study/4541788
http://ilabs.uw.edu/
http://www.washington.edu/news/2013/01/02/while-in-womb-babies-begin-learning-language-from-their-mothers/
सनातनसपूत कट्टरहिंदू रामसेवक भारत
●°●°●°●°●°●
भारत में 2 तरह के हिन्दू पाए जाते हैं । पहले वो जो अपनी मातृभूमि के लिए अपना शीश कटवा लेते हैं । और
दूसरे वो जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी माँ को भी बेच देते हैं । पहले प्रकार के हिन्दू " कट्टर हिन्दू " कहलाते हैं । और दूसरे प्रकार के हिन्दू " सेक्युलर " के नाम से जाने जाते हैं । आप कौन से हिन्दू हैं ?
●°●°●°●°●°●
- 1 शराबी दारू पी पीकर मर गया । लेकिन उसकी दारू के प्रति श्रद्धा तो देखो । वो मर के भी यह कह गया - शराब तो ठीक थी । पर मेरा लिवर ही कमज़ोर निकला ।
- 1 शराबी साधू से टकरा गया । तो साधू बोला - अरे मूर्ख ! मैं तुझे श्राप देता हूँ ।
शराबी - बाबाजी रुको । मुझे गिलास ले आने दो ।
- उपदेशक - अगर गधे को शराब और पानी दोनों पीने को दिये जायें । तो गधा क्या पियेगा ? शराबी - जाहिर है । पानी पियेगा ।
उपदेशक - क्यों ? शराबी - क्योंकि वो गधा है ।
- शराबी को दारू पीता देख अमेरिकन बोला - पानी तो मिला लो ।
शराबी - हम इंडियन हैं । इतना पानी तो दारू देख के ही मुंह में आ जाता है ।
- पुलिस ( शराबी से ) रात के 1 बजे तुम कहाँ जा रहे हो ?
शराबी ( पुलिस से ) मैं शराब पीने के दुष्परिणाम पर भाषण सुनने जा रहा हूँ ।
पुलिस ( शराबी से ) इतनी रात मैं तुम्हे कौन भाषण देगा ?
शराबी ( पुलिस से ) मेरी बीवी ।
- 1 शराबी एयरपोर्ट के बाहर खड़ा था । 1 वर्दीधारी युवक उधर से गुजरा । शराबी ने उससे कहा - 1 टैक्सी ले आओ ।
युवक - मैं पायलट हूँ । टैक्सी ड्राइवर नहीं ।
शराबी - नाराज क्यों होते हो भाई ? तो 1 हवाई जहाज ले आओ ।
- शराबी - गरम क्या है ? वेटर - चाउमीन ।
शराबी - और गरम ? वेटर - सूप ।
शराबी - और गरम ? वेटर - उबलता पानी ।
शराबी - और गरम । वेटर - आग का गोला है साले ।
शराबी - लेकर आओ । बीड़ी जलानी है ।
- पंजाबी शादी की पार्टी में डीजे ने पूछा - कब तक बजाना है ?
मेजबान - 8-10 पैग तक बजा लो । उसके बाद तो ये सब जनरेटर की आवाज पर भी नाच लेंगे ।
- शराबी दरवाजे पे दस्तक देता है ? उसकी बीबी दरवाजे खोलती है । शराबी - कौन है आप ? बीवी - मुझे भूल गए । शराबी - नशा हर गम को भुला देता है ।
- 3 पियक्कङों ने दारू पी के 1 टैक्सी रोकी । टैक्सी चालक ने गाङी शूरू की । और फ़िर बंद कर दी । बोला - ये लो साब हम पहुँच गए ।
पहले ने उसे पैसे दे दिये । दूसरे ने बोला - धन्यवाद । तीसरे ने 1 थप्पड दिया । और बोला - आराम से चलाया कर । मरवा देता आज ।
- 1 शराबी लेटकर गाने गा रहा था । 2-3 गाने गाकर वो उलटा लेटकर गाने लगा ।
दूसरा शराबी - यार उलटा लेटकर गाने क्यों गाने लगा ।
शराबी - पहले साइड A थी । अब B बी साइड है ।
- 1 शराबी आंखें दान करने गया । काउंटर क्लर्क ने कहा - कुछ कहना चाहते हो ? शराबी जिसे लगाओ । उसे बता देना कि 2 घूँट बाद खुलती है ।
- शराबी - डॉक्टर जी क्या आप मेरी शराब छुडा सकते हैं ? डॉक्टर - हाँ हाँ क्यों नहीं । शराबी - पुलिस ने मेरी 500 बोतल शराब की पकड ली हैं । जल्दी से उन्हें छुडवा लीजिये ।
- 1 शराबी दूसरे शराबी से बोलता है - मरने के बाद तुम स्वर्ग जाना पसंद करोगे । या नरक ? दूसरा शराबी - तुम्हें जहाँ अच्छा लगे चले जाना । पहला शराबी - मुझे दारू पीने के बाद कहीं आना जाना अच्छा नहीं लगता ।
- 1 शराबी ने 1 दिन कुछ ज्यादा ही पी ली । लडखडाते कदमों से वह किसी तरह अपने घर पहुंचा । और जेब से चाबी निकालकर ताला खोलने लगा । नशा ज्यादा होने पर वह चाबी को ताले में डाल नही पा रहा था । चाबी कभी इधर हो जाती । कभी उधर । उसे परेशान देखकर 1 सज्जन ने उसकी मदद करनी चाही । पास आकर सज्जन बोला - लाओ ताला मैं खोल देता हूँ ।
शराबी ने कहा - नहीं ताला तो मैं खुद ही खोल लूँगा । तुम केवल दरवाजे को पकडकर खडे रहो ।
- पत्नी ( पति से ) रात को आप शराब पीकर गटर में गिर गए थे ।
पति ( पत्नी से ) क्या बताऊँ । सब गलत संगत का असर है । हम 4 दोस्त और 1 बोतल । और वो तीनों कम्बख्त पीते नहीं ।
- नानू - अंग्रेजों ने चाँद पर पानी और बरफ की खोज कर ली है ।
निनू - अच्छा ! इसका मतलब अब हमें सिर्फ दारू और नमकीन ले के जाना है ।
- 1 शराबी ने अपने दोस्त को बड़े उदास स्वर में बताया – मेरी बीबी ने मुझे नोटिस दिया है कि अगर मैंने शराब पीनी नहीं छोड़ी । तो वह मुझे छोड़कर चली जायेगी ।
ये तो सचमुच बहुत अफ़सोस की बात है - दोस्त ने हमदर्दी जताते हुए कहा ।
हाँ भली औरत है । बहुत याद आया करेगी उसकी ।
पियो सिर उठा के । जियो लड़खड़ा के । कैडबरी में कीड़े । दूध में मिलावट । पानी में वाइरस । कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक । साफ बची है तो सिर्फ - शराब । तो पियो सिर उठा के । जियो लड़खड़ा के ।
https://www.facebook.com/murkhistaan/posts/654253094599151
*******************
संत सताए तीनो जाये तेज बल और वंश ।
एडा केडा कई गया रावन कौरव कंस ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें