18 सितंबर 2012

मैं सबको विना शर्त प्रेम करता हूँ


कोई भी चीज सफलता की तरह सफल नहीं होती । आपको हर दिन कोई ऐसा कार्य करके सफलता की आदत डालनी होगी । जो आपको अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ाए । हर सुबह अपने लक्ष्यों की समीक्षा करनी होगी । पूरे दिन सिर्फ उसके बारे में सोचना होगा । आपको जितना भुगतान मिले । उससे हमेशा ज्यादा करें । ऐसा करने पर आपको भविष्य में वर्तमान से ज्यादा मिलेगा ।
हर सफलता की 2 बातें होती हैं -
1 आपको मनचाही चीज पाने के लिए । चाहे वह जो भी हो । पूरी कीमत चुकानी होगी । आपको फसल काटने से पहले बोना होगा । और फसल काटने से पहले । आपको लम्बे समय तक काम करना भी पड सकता है ।
2 पूरी कीमत पहले चुकानी होगी । सफलता किसी रेस्तरां में जाने की तरह नही है । जहाँ आप डिनर का आनंद लेने के बाद बिल चुका सकते हैं । अगर आप सफलता चाहते हैं । तो आपको हर बार पूरी कीमत चुकाने की जरूरत होती है ।
जब आप पूरी कीमत चुका देंगे । तो सफलता आपके सामने होगी । यह संयोग से नहीं । नियम से होता है । आज आप जो जिंदगी जी रहे हैं । वह आपके द्वारा अब तक चुकाई गयी कीमत का प्रतिबिम्ब है । आप भविष्य में जिस जीवन का आनंद लेंगे । वह उस कीमत का प्रतिबिम्ब होगा । जो आप इस समय से लेकर तब तक चुकायेंगे ।
आप गहरे विश्वास के साथ । जो भी अपेक्षा करते हैं । वह स्वयं पूरी होने वाली भविष्यवाणी बन जाती है । self fulfilling prophecy आपको जिंदगी में वही मिलता है । जिसकी आप अपेक्षा करते हैं ।

आपकी जो खुद से अपेक्षाएं होती हैं । आप उनसे ऊँचे कभी नही उठ सकते । चूँकि वे पूरी तरह से आपके नियंत्रण में होती हैं । इसलिए यह सुनिश्चित करना है कि - आपकी अपेक्षाएं उस जीवन के अनुरूप हों । जिसे आप भविष्य में सच होने की आशा रखते हैं । खुद से हमेशा सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा रखें ।
सिर्फ सकारात्मक अपेक्षाओं की शक्ति ही आपके पूरे व्यक्तित्व को बदल सकती है । साथ ही आपकी जिंदगी को भी ।
मानव जाति के पूरे इतिहास में आप जैसा व्यक्ति । न कभी हुआ था । न कभी होगा । आपके लक्षणों । गुणों के अनूठे तालमेल वाला दूसरा व्यक्ति होने की सम्भावना 50 बिलियन में से 1 हैं । आप में अपनी जिंदगी में कुछ खास । कुछ असाधारण करने की क्षमता है । ऐसी अनूठी चीज । जिसे कोई दूसरा नहीं कर सकता । आपको तो सिर्फ इस असली सवाल का जवाब देना हैं । आप क्या करेंगे ?

यह हकीकत है कि - कुछ लोगों में जन्मजात असाधारण प्रतिभा होती है । लेकिन हममें से ज्यादातर लोग तो कमोबेश औसत गुणों और योग्यताओं के साथ ही अपनी जिंदगी शुरू करते हैं । किसी भी क्षेत्र में महान सफलता हांसिल करने वाले स्त्री पुरुषों ने वो सफलता कैसे पायी ? उन्होंने अपनी रूचि के किसी खास क्षेत्र में अपने नैसर्गिक गुणों और योग्यताओं को बहुत ज्यादा बढ़ा लिया । जिसके परिणाम स्वरुप वे सफल हुए । आपके भीतर क्षमता तो मौजूद है । लेकिन उसे बाहर निकालने के लिए । आपको उसे पहचानना । और विकसित करना होगा ।
सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है । भगवान ने हमें मनुष्य जीवन इसलिए दिया है । ताकि हम अपनी सफलता हांसिल कर सकें । यदि हम अभी तक सफलता से दूर हैं । तो इसका कारण केवल इतना भर हैं कि - हमने अपनी आंतरिक शक्ति और उसकी अभिव्यक्ति के तौर तरीको को नही जाना हैं । किसी शायर ने कहा हैं - माना कि तेरी दीदार के काबिल नहीं हूँ मैं । मेरा शौक तो देख जरा इंतज़ार तो कर ।
अगर अपने लक्ष्य को हासिल करने में देरी हो रही है । तो इसका मतलब ये नहीं कि - हम हार गए । हारा हुआ व्यक्ति - वह है । जिसका आत्म विश्वास खो गया है । जैसे कैमरे से तस्वीर लेने के लिए फोकस करना पडता है । वैसे ही हमें सफल जीवन के लिए लक्ष्य पर फोकस करना चाहिये॥
मन की प्रार्थना - मैं हमेशा हर व्यक्ति या माहौल के सिर्फ सकारात्मक पहलू पर ध्यान रखता हूँ । मैं केवल अच्छे नतीजों के लिए कार्य करता हूँ । हर कार्य तुरन्त करता हूँ । अपनी सुविधाओं के लिए । धन संपदा के

लिए । यश के लिए । ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ । मैं जरुरी कार्यों को पसंद करता हूँ । मुझे पता है कि - शब्दों से अधिक किये गए कार्य बोलते हैं ।
मैं जिम्मेदारी स्वीकार करता हूँ । औरों की परवाह करता हूँ । सबकी जीत के बारे में सोचता हूँ । बोलते समय अपने शब्दों को सावधानी से चुनता हूँ । और दूसरों के व्यवहार का सही अर्थ लगाता हूँ । मैं ईमानदारी व सच्चाई से प्रशंसा करता हूँ । तर्क करता हूँ । तकरार नहीं । मैं अपने वादों को वचन बद्धता में बदलता हूँ । मैं भरोसे के काबिल और वफादार हूँ । मैं सबको विना शर्त प्रेम करता हूँ । व माफ कर देता हूँ । मैं सच्चा ईमानदार व निष्कपट हूँ । मैं सच्ची विनमृता प्रदर्शित करता हूँ । दूसरों को समझता हूँ । और ख्याल रखता हूँ । मैं हर रोज शिष्ट बनने का अभ्यास करता हूँ । शिष्टाचार अच्छे परवरिश की पहचान है । मैं 

हमेशा हँसता हंसाता रहता हूँ । और खुशमिजाज हूँ । मैं दूसरों की भावनाओं को महसूस कर सकता हूँ ।
मेरे अंदर अनंत शक्तियां हैं । मेरे भीतर की जिन शक्तियों ने मेरे शरीर को बनाया है । वे ही मेरे शरीर की हर कोशिका । स्नायु । ऊतक । मांसपेशी । और अस्थि को अवचेतन मन में समाहित आदर्श ब्लू प्रिंट के अनुसार रूपांतरित कर रही हैं ।
ब्रायन ट्रेसी के अनुसार - आम इंसान की सम्भावना उस महासागर की तरह है । जिसमें यात्रा नहीं की गयी है । उस नए महाद्वीप की तरह है । जिसे खोजा नहीं गया है । संभावनाओं की पूरी दुनिया मुक्त होने और महान कार्य करने के लिए मार्गदर्शन का इंतज़ार कर रही है ।
अगर मैं अपने लिए खुशी हासिल करने का संकल्प नही करूँगा । तो कोई दूसरा भी यह कष्ट नही करेगा । 

अगर जीवन में हमारा लक्ष्य दूसरों को ही खुशी देना है । तो हम हमेशा दूसरों के रहमो कर्म पर रहेंगे । और मैंने यह भी पाया है कि - अपने जीवन को दूसरों की खुशी पर केंद्रित करने की कोशिश कुंठा और निराशा के अंतहीन अभ्यास के सिवा कुछ भी नहीं है । क्योंकि यह संभव ही नहीं है ।
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अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकं । सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यंध एव सः ।
आचार्य चाणक्य कहते हैं - शास्त्र सब लोगों के लिए आँखों के समान होते हैं । वे हमारे मन में होने वाले अनेक प्रकार के संशयों को दूर करते हैं । वे हमें उन वस्तुओं का ज्ञान प्रदान करते हैं । जिनको हम अपनी इन्द्रियों के द्वारा नहीं जान सकते । सच में जिस व्यक्ति ने शास्त्र नहीं पढ़े हैं । वह अंधा ही है ।
The Shaastras are like eyes for every one. They clear the many doubts that arise in one’s mind. They bring us knowledge of things which cannot be known by our senses. One who has not studied the shaastras is indeed a blind person.
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फेफड़ों व आँतों के रोगों से बचाव -  5 दाने सूखे अंजीर एवं ताजा मुनक्कों के 15 दानों को पानी से साफ

करके रात में 150-200 ग्राम पानी में भिगो दें । प्रात:काल तक वे फूल जायेंगे । प्रात: मुनक्कों के बीज निकाल कर उन्हें एक एक करके खूब चबायें । साथ ही फूले हुये अंजीरों को भी चबाते जायें । बाद में बचे हुए पानी को भी पी लें । एक माह तक सेवन करने से फेफड़ों की कमजोरी खत्म हो जाती है । व आँतें भी सक्रिय । स्वस्थ एवं सशक्त हो जाती हैं । अगर ये सेवन रोजाना हमेशा के लिये किया जाये । तो अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक है । साथ ही साथ नित्य प्रातःकाल अमृत बेला में शौच आदि से निवृत्त होकर लंबी गहरी साँसों के साथ नियमित रूप से प्राणायाम भी अवश्य करें ।

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The universe is wired with the electricity of God, and each of us is a lamp…It doesn't matter the size or shape of the lamp; it only matters that the lamp is plugged in…With every prayer, every thought of forgiveness, every meditation, every act of love, we plug in…The more of us who plug in, to more the darkness of the world will be cast from our midst…Today, let's all increase love's wattage  - Marianne Williamson

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