If you surrender the ego, You come in a harmony with the law Osho - Buddha says if you surrender the ego, if you surrender yourself, you come in a harmony with the law and everything starts happening on its own. You have but to surrender. If you are ready to disappear, you will be full of the law and the law will take care.
Have you watched it ? If you trust the river you can float. The moment you lose the trust you start drowning. If you trust, the river takes you in her hands. If you become afraid you start drowning. That's why dead bodies start floating on the surface of the river, because dead bodies cannot doubt. Dead bodies cannot be afraid.
Alive, the same persons went down into the river and drowned. When dead, they surface, they start floating on the surface. Now it is very difficult for the river to drown them - no river has been able to up to now. No river can drown a dead body. Alive, what happens ? What happens ? The dead man must be knowing some secret. The secret is, he cannot doubt.
You must have heard the beautiful parable in Jesus' life - that his disciples are crossing the lake of Galilee and he is left behind and he says, I will be coming soon. I have to say my prayers.' And then the disciples are very much puzzled - he is coming walking on the lake. They are afraid, frightened, scared.
They think it must be some evil force. How can he walk ?
And then one disciple says - Master, is it really you ? Jesus says - Yes. Then the disciple says - Then if you can walk, why can't I, your disciple ? Jesus says - You can also walk - come ! And the disciple comes and he walks a few steps, and he's surprised that he is walking - but then doubt arises. He says - What is happening ? This is unbelievable.'
The moment he thinks - This is unbelievable. Am I in a dream, or some trick of the devil, or what is happening ? he starts drowning. And Jesus says - You, you of little faith ! Why did you doubt ? And you have walked a few steps and you know that it has happened; then too you doubt it ?
Whether this story happened in this way or not is not the point. But I also know; you can try. If you trust
the river, just relax in the river and you will float. Then the doubt will arise, the same doubt that came to Jesus' disciple - What is happening ? How is it possible ? I'm not drowning - and immediately you will start drowning.
The difference between a swimmer and a non-swimmer is not much. The swimmer has learned how to trust; the non-swimmer has not yet learned how to trust. Both are the same. When the non-swimmer falls into the river, doubt arises. He starts feeling afraid - the river is going to drown him. And of course then the river drowns him. But he is drowning himself in his own doubt. The river is not doing anything. The swimmer knows the river, the ways of the river, and he has been with the river many times and he trusts; he simply floats, he is not afraid. Life is exactly the same.
Source - Osho Book - The Discipline of Transcendence VOl 4
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जब बृह्मा ने सृष्टि की रचना की । तो उन्होंने अपनी शक्ति से मानस पुत्र पैदा किए । पर बार बार सृष्टि की वृद्धि करने के बाद भी उन्हें संतोष नहीं हुआ । तब उन्होंने मैथुनी सृष्टि आरंभ करने का प्रयास किया । पर बिना नारी के यह संभव नहीं था । तब बृह्मा ने शिव का ध्यान किया । बृह्मा की प्रार्थना सुनकर शिव प्रसन्न हुए । और बृह्मा को दर्शन दिए । इस बार शिव का रूप देखकर बृह्मा चकित हो गए । यह रूप था - अर्धनारीश्वर । यानी आधा शरीर पुरुष । और आधा स्त्री का । तब शिव ने बृह्मा का मंतव्य जानकर उन्हें मैथुनी सृष्टि प्रारम्भ करने का वरदान दिया । और स्त्री रूप को अपने आपसे अलग कर दिया । बृह्मा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए । और उन्होंने शिव से भी प्रार्थना की कि वे उनके मानस पुत्र दक्ष की पुत्री के रूप में अवतरित हों । शिव ने बृह्मा का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया । और उन्हें मैथुनी सृष्टि का वरदान दिया । शिव का यह रूप अर्धनारीश्वर कहलाया । उनका यह रूप अवतारों की श्रेणी में आया । भगवान शंकर ने जगत कल्याण के लिए कई अवतार लिए । अर्धनारीश्वर अवतार उन्हीं में से एक है । स्त्री पुरुष की समानता का पर्याय है - अर्धनारीश्वर ।
भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम देखते हैं कि भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है । यह अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है । समाज, परिवार व सृष्टि के संचालन में पुरुष की भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है । उतनी ही स्त्री की भी है । स्त्री तथा पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं । एक दूसरे के बिना इनका जीवन निरर्थक है । अर्धनारीश्वर रूप लेकर भगवान ने यह संदेश दिया है कि समाज
तथा परिवार में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही आदर व प्रतिष्ठा मिले । उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए । क्यों हुआ यह अवतार ?
शिव पुराण के अनुसार सृष्टि में प्रजा की वृद्धि न होने पर बृह्माजी चिंतित हो उठे । तब आकाशवाणी के अनुसार बृह्मा ने मैथुनी सृष्टि उत्पन्न करने का संकल्प किया । परंतु तब तक शिव से नारियों का कुल उत्पन्न नहीं हुआ था । तब बृह्माजी ने शक्ति के साथ शिव को संतुष्ट करने के लिए तपस्या की । बृह्माजी की तपस्या से परमात्मा शिव संतुष्ट हो अर्द्धनारीश्वर का रूप धारण कर उनके समीप गए । तथा अपने शरीर में स्थित देवी शक्ति के अंश को पृथक कर दिया । तब बृह्माजी ने उस परम शक्ति की स्तुति की । बृह्मा की स्तुति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की । जिसने दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया । साभार कापी पेस्ट
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1 बूढी औरत ने अपनी बीमारी का गुहार प्रधानमंत्री से लगाया । प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 5 लाख रूपया दिया । उसने असंतोष व्यक्त कर लौटा दिया । तो रकम 10 लाख कर दिया गया । इस पर भी नहीं मानीं । तो प्रधानमंत्री ने उसका इलाज विदेश से कराने का आश्वासन दिया । इस पर वह भड़क गयी । मेरे पति ने देश के लिए जान दी थी । और मैं अपनी बीमारी के लिए विदेश जाऊँ ? तब प्रधामंत्री ने रकम 20 लाख कर दिया । वह फिर भी नहीं मानीं । तब उसने मनमोहन सिंह से मिलने की इच्छा जतायी । उसे बुलाया गया । मनमोहन सिंह ने कारण जानना चाहा कि वह सहायता लेने से मना क्यों कर रही है । इस पर बूढी ने कहा - बेटा ! जब इलाज मुफ्त में हो सकता है । तो मैं देश का पैसा क्यों खर्च करूँ ? मनमोहन समझ नहीं पाए । तो बूढी ने कहा - बङे बङे ज्ञानी अपने आपको नहीं समझ पाते हैं । उसने कहा - मुझे कमर में दर्द है । इसलिए झुकती जा रही हूँ । तुम सिर्फ 1 मेहरबानी कर दो । मेरे कमर पर अपना हाथ रख दो । मनमोहन सिंह ने पूछा - इससे क्या होगा ? तो बूढी ने कहा - तुमने कोयले पर हाथ रखा । कोयला गायब हो गया । कोयले के फाइल पर हाथ रखा । फाइल गायब हो गया । प्याज पर हाथ रखा । प्याज गायब हो गया । कमर पर हाथ रख दो । तो दर्द भी गायब हो जाएगा ।
साभार - 1 ही विकल्प मोदी 1 Hi Vikalp Modi
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कुछ भी कहो । कांग्रेस की हताशा दिख रही है । किसी 1 की नहीं । सभी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है । कांग्रेस पार्टी नरेंद्र मोदी से भय ग्रस्त है । BJP पार्टी ने जब से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया है । तब से कांग्रेस में 1 बौखलाहट है । जो साफ दिखाई दे रही है । जिस तरह के वक्तव्य कांग्रेसी नेता दे रहे हैं । जो उनकी हताशा और कुंठा को दर्शाती है । अब तो ये हाल हो गया है कि जो भी कांग्रेस के बारे में बुरा बोलेगा । उसे जेल की हवा खानी पड़ेगी । बापू आशाराम तो नप गए । बाबा रामदेव पर तलवार लटक रही है । पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे । तो देखना है - सोनिया की अगली चाल क्या होती है ? श्याम विश्वकर्मा
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सुखी वैवाहिक जीवन का राज - 1 दंपत्ति ने जब अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ मनायीं । तो 1 पत्रकार उनका साक्षात्कार लेने पहुंचा । वो दंपत्ति अपने शांति पूर्ण और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिये प्रसिद्ध थे । उनके बीच कभी नाम मात्र का भी तकरार नहीं हुआ था । लोग उनके इस सुखमय वैवाहिक जीवन का राज जानने को उत्सुक थे । पति ने बताया - हमारी शादी के फ़ौरन बाद हम हनीमून मनाने शिमला गये । वहाँ हम लोगों ने घुड़सवारी की । मेरा घोड़ा बिल्कुल ठीक था । लेकिन मेरी पत्नी का घोड़ा थोड़ा नखरैल था । उसने दौड़ते दौड़ते अचानक मेरी पत्नी को गिरा दिया । मेरी पत्नी उठी । और घोड़े के पीठ पर हाथ फ़ेरकर कहा - यह पहली बार है ।
और फ़िर उस पर सवार हो गयी । थोड़े दूर चलने के बाद घोड़े ने फ़िर उसे गिरा दिया । पत्नी ने घोड़े से फ़िर कहा - यह दूसरी बार है । और फ़िर उस पर सवार हो गयी । लेकिन थोड़े दूर जाकर घोड़े ने फ़िर उसे गिरा दिया । अबकी पत्नी ने कुछ नहीं कहा । चुपचाप अपना पर्स खोला । पिस्तौल निकाली । और घोड़े को गोली मार दी । मुझे ये देखकर
काफ़ी गुस्सा आया । और मैं जोर से पत्नी पर चिल्लाया - ये तुमने क्या किया । पागल हो गयी हो ? पत्नी ने मेरी तरफ़ देखा । और कहा - ये पहली बार है । और बस उसके बाद से हमारी ज़िंदगी सुख और शांति से चल रही है । ♥♥Rawat.G♥♥
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Alive, the same persons went down into the river and drowned. When dead, they surface, they start floating on the surface. Now it is very difficult for the river to drown them - no river has been able to up to now. No river can drown a dead body. Alive, what happens ? What happens ? The dead man must be knowing some secret. The secret is, he cannot doubt.
You must have heard the beautiful parable in Jesus' life - that his disciples are crossing the lake of Galilee and he is left behind and he says, I will be coming soon. I have to say my prayers.' And then the disciples are very much puzzled - he is coming walking on the lake. They are afraid, frightened, scared.
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Whether this story happened in this way or not is not the point. But I also know; you can try. If you trust
the river, just relax in the river and you will float. Then the doubt will arise, the same doubt that came to Jesus' disciple - What is happening ? How is it possible ? I'm not drowning - and immediately you will start drowning.
The difference between a swimmer and a non-swimmer is not much. The swimmer has learned how to trust; the non-swimmer has not yet learned how to trust. Both are the same. When the non-swimmer falls into the river, doubt arises. He starts feeling afraid - the river is going to drown him. And of course then the river drowns him. But he is drowning himself in his own doubt. The river is not doing anything. The swimmer knows the river, the ways of the river, and he has been with the river many times and he trusts; he simply floats, he is not afraid. Life is exactly the same.
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जब बृह्मा ने सृष्टि की रचना की । तो उन्होंने अपनी शक्ति से मानस पुत्र पैदा किए । पर बार बार सृष्टि की वृद्धि करने के बाद भी उन्हें संतोष नहीं हुआ । तब उन्होंने मैथुनी सृष्टि आरंभ करने का प्रयास किया । पर बिना नारी के यह संभव नहीं था । तब बृह्मा ने शिव का ध्यान किया । बृह्मा की प्रार्थना सुनकर शिव प्रसन्न हुए । और बृह्मा को दर्शन दिए । इस बार शिव का रूप देखकर बृह्मा चकित हो गए । यह रूप था - अर्धनारीश्वर । यानी आधा शरीर पुरुष । और आधा स्त्री का । तब शिव ने बृह्मा का मंतव्य जानकर उन्हें मैथुनी सृष्टि प्रारम्भ करने का वरदान दिया । और स्त्री रूप को अपने आपसे अलग कर दिया । बृह्मा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए । और उन्होंने शिव से भी प्रार्थना की कि वे उनके मानस पुत्र दक्ष की पुत्री के रूप में अवतरित हों । शिव ने बृह्मा का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया । और उन्हें मैथुनी सृष्टि का वरदान दिया । शिव का यह रूप अर्धनारीश्वर कहलाया । उनका यह रूप अवतारों की श्रेणी में आया । भगवान शंकर ने जगत कल्याण के लिए कई अवतार लिए । अर्धनारीश्वर अवतार उन्हीं में से एक है । स्त्री पुरुष की समानता का पर्याय है - अर्धनारीश्वर ।
भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में हम देखते हैं कि भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है । यह अवतार महिला व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है । समाज, परिवार व सृष्टि के संचालन में पुरुष की भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है । उतनी ही स्त्री की भी है । स्त्री तथा पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं । एक दूसरे के बिना इनका जीवन निरर्थक है । अर्धनारीश्वर रूप लेकर भगवान ने यह संदेश दिया है कि समाज
तथा परिवार में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही आदर व प्रतिष्ठा मिले । उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए । क्यों हुआ यह अवतार ?
शिव पुराण के अनुसार सृष्टि में प्रजा की वृद्धि न होने पर बृह्माजी चिंतित हो उठे । तब आकाशवाणी के अनुसार बृह्मा ने मैथुनी सृष्टि उत्पन्न करने का संकल्प किया । परंतु तब तक शिव से नारियों का कुल उत्पन्न नहीं हुआ था । तब बृह्माजी ने शक्ति के साथ शिव को संतुष्ट करने के लिए तपस्या की । बृह्माजी की तपस्या से परमात्मा शिव संतुष्ट हो अर्द्धनारीश्वर का रूप धारण कर उनके समीप गए । तथा अपने शरीर में स्थित देवी शक्ति के अंश को पृथक कर दिया । तब बृह्माजी ने उस परम शक्ति की स्तुति की । बृह्मा की स्तुति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भृकुटि के मध्य से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति की सृष्टि की । जिसने दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया । साभार कापी पेस्ट
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1 बूढी औरत ने अपनी बीमारी का गुहार प्रधानमंत्री से लगाया । प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 5 लाख रूपया दिया । उसने असंतोष व्यक्त कर लौटा दिया । तो रकम 10 लाख कर दिया गया । इस पर भी नहीं मानीं । तो प्रधानमंत्री ने उसका इलाज विदेश से कराने का आश्वासन दिया । इस पर वह भड़क गयी । मेरे पति ने देश के लिए जान दी थी । और मैं अपनी बीमारी के लिए विदेश जाऊँ ? तब प्रधामंत्री ने रकम 20 लाख कर दिया । वह फिर भी नहीं मानीं । तब उसने मनमोहन सिंह से मिलने की इच्छा जतायी । उसे बुलाया गया । मनमोहन सिंह ने कारण जानना चाहा कि वह सहायता लेने से मना क्यों कर रही है । इस पर बूढी ने कहा - बेटा ! जब इलाज मुफ्त में हो सकता है । तो मैं देश का पैसा क्यों खर्च करूँ ? मनमोहन समझ नहीं पाए । तो बूढी ने कहा - बङे बङे ज्ञानी अपने आपको नहीं समझ पाते हैं । उसने कहा - मुझे कमर में दर्द है । इसलिए झुकती जा रही हूँ । तुम सिर्फ 1 मेहरबानी कर दो । मेरे कमर पर अपना हाथ रख दो । मनमोहन सिंह ने पूछा - इससे क्या होगा ? तो बूढी ने कहा - तुमने कोयले पर हाथ रखा । कोयला गायब हो गया । कोयले के फाइल पर हाथ रखा । फाइल गायब हो गया । प्याज पर हाथ रखा । प्याज गायब हो गया । कमर पर हाथ रख दो । तो दर्द भी गायब हो जाएगा ।
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सुखी वैवाहिक जीवन का राज - 1 दंपत्ति ने जब अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ मनायीं । तो 1 पत्रकार उनका साक्षात्कार लेने पहुंचा । वो दंपत्ति अपने शांति पूर्ण और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिये प्रसिद्ध थे । उनके बीच कभी नाम मात्र का भी तकरार नहीं हुआ था । लोग उनके इस सुखमय वैवाहिक जीवन का राज जानने को उत्सुक थे । पति ने बताया - हमारी शादी के फ़ौरन बाद हम हनीमून मनाने शिमला गये । वहाँ हम लोगों ने घुड़सवारी की । मेरा घोड़ा बिल्कुल ठीक था । लेकिन मेरी पत्नी का घोड़ा थोड़ा नखरैल था । उसने दौड़ते दौड़ते अचानक मेरी पत्नी को गिरा दिया । मेरी पत्नी उठी । और घोड़े के पीठ पर हाथ फ़ेरकर कहा - यह पहली बार है ।
और फ़िर उस पर सवार हो गयी । थोड़े दूर चलने के बाद घोड़े ने फ़िर उसे गिरा दिया । पत्नी ने घोड़े से फ़िर कहा - यह दूसरी बार है । और फ़िर उस पर सवार हो गयी । लेकिन थोड़े दूर जाकर घोड़े ने फ़िर उसे गिरा दिया । अबकी पत्नी ने कुछ नहीं कहा । चुपचाप अपना पर्स खोला । पिस्तौल निकाली । और घोड़े को गोली मार दी । मुझे ये देखकर
काफ़ी गुस्सा आया । और मैं जोर से पत्नी पर चिल्लाया - ये तुमने क्या किया । पागल हो गयी हो ? पत्नी ने मेरी तरफ़ देखा । और कहा - ये पहली बार है । और बस उसके बाद से हमारी ज़िंदगी सुख और शांति से चल रही है । ♥♥Rawat.G♥♥
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