नमस्ते सर ! मेरा नाम नूनी थापा है । मैं नेपाल की रहने वाली हूँ । भारत भी कई बार आ चुकी हूँ । मुझे आपके ब्लाग के बारे में कुन्दन कुमार जी ने बताया था । जो वैसे तो भारत से हैं । लेकिन आजकल नेपाल में काम करते हैं ।
मेरे पति इंजीनियर हैं । और मैं यहाँ आर्मी स्कूल में गणित की अध्यापिका हूँ । मेरे दो बच्चे हैं । 1 बेटा और 1 बेटी । दोनों स्कूल में पढते हैं । मुझे अंग्रेजी । नेपाली और हिन्दी भाषायें आती हैं ।
मुझे असल में कुन्दन कुमार जी की पत्नी जी ने आपके बारे में बताया था । तो मैं कुछ दिन से आपका ब्लाग पढ रही हूँ । बेहद नयी जानकारी मिली ।
सन्त । साधु । साधक । सिद्ध । योगी । महात्मा आदि सबकी जानकारी एक ही जगह पर कमाल की बात है । साथ में आम जन जीवन के साथ जुडी हुई । लेकिन आम जन जीवन से अलग अलौकिक रहस्य की जानकारी भी ।
यहाँ नेपाल में ठन्ड रहती है । शाम को सूरज ढलते समय गरम गरम चाकलेट काफ़ी पीते हुय़े आपके ब्लाग पर छपी प्रेत कहानियों को पढने का भी एक अलग ही मजा है । क्युँ कि आपके ब्लाग पर लिखी प्रेत कहानियाँ सिर्फ़ मनोरंजन ही नही देती । साथ में दृश्य और अदृश्य जीवन की जानकारी भी देती हैं ।
पता चलता है कि अभी भी बहुत कुछ ऐसा है । जिसको हम लोग बिल्कुल नहीं जानते । शायद अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है ।
नेपाल मे 2 समुदाय के लोग अधिक हैं । हिन्दू उसके बाद बौद्ध । हिन्दू लोग माता की या शिवलिंग की पूजा करते हैं । मुझे भारत से उतना ही प्यार है । जितना नेपाल से । नेपाल का कुदरती वातावरण । पहाड । हरियाली । ठंडा मौसम मुझे बहुत प्रिय है ।
लेकिन भारत की विशालता अनेकता में एकता और सभ्यता । संस्कृति अमूल्य है । भारत तो पता नहीं क्युँ मुझे अपने ननिहाल जैसा लगता है । कभी कभी एक अजीब सी अनसुलझी कशिश सी महसूस होती है । भारत के प्रति । मन की सारी भावना को एकत्रित करके मैं सिर्फ़ ये कहना चाहती हूँ कि आपके ब्लाग पर आना मुझे बहुत ही अच्छा लगा । आपके ब्लाग पर आना मेरी इस जिन्दगी का यादगार समय है ।
जो शायद इस जिन्दगी में भुलाया न जा सके । मैं आपसे आने वाले समय में और अधिक अलौकिक रहस्यो की जानकारी की उम्मीद रखती हूँ । खास कर प्रेत कहानियों के बारे में ।
क्युँ कि नेपाल मे जो भूत प्रेत पीडा का इलाज करने वाले छोटे मोटे ओझा किस्म के लोग हैं । ये तो बस जगत की भेड चाल का ही हिस्सा है । इनके पास न तो कोई असली जानकारी होती है । और न ही कोई पक्का अनुभव । मैं आपसे ये जरूर कहना चाहूँगी कि आपने ये ब्लाग बनाकर बहुत अच्छा काम किया । भगवान करे । आपका ब्लाग दिन पर दिन तरक्की करे । नूनी थापा । नेपाल ।
********
नमस्ते नूनी थापा जी ! सत्यकीखोज पर आपका हार्दिक स्वागत है । आपसे मिलकर दिली और जजबाती सी भावनात्मक खुशी हुयी । आप अगली बार कभी भी भारत आईये । आपका हमारे घर हार्दिक स्वागत है । पहले से बताकर आईयेगा । तो आपको अपने श्री महाराज जी से भी मिलवा सकूँ ।
हो सकता है । आपका ये जीवन 84 लाख योनियों का अंतिम जीवन ही हो जाय । और आप अविनाशी सत्यलोक में आनन्द पूर्वक निवास करो ।
दूसरे मैं आप जैसे शिक्षित और शिक्षक लोगों से उम्मीद करता हूँ कि आप लोग अपने अपने क्षेत्र में " सत्यनाम " के बारे में लोगों को बताकर उनको वास्तविक ग्यान की तरफ़ ले जाओ । सच कहता हूँ । ये चर्चा ही आपका जीवन बदल देगी ।
मेरा यही मानना हैं कि हम न हिन्दू हैं । न मुसलमान । न सिख । न ईसाई । न नेपाली । न अफ़गानी । न अमेरिकन । ये सब हम नहीं हैं । बल्कि हम इंसान है । और एक ही परमपिता की संतान है ।
वास्तव में नेपाल के लोगों में बलि प्रथा को लेकर जिस कदर अँधविश्वास है । वहाँ ऐसे ग्यान की सख्त आवश्यकता है । कभी कभी भूत प्रेत दूर दूर तक नहीं होता । और पाखंडी ओझा शारीरिक मानसिक और धन से व्यक्ति को निचोङ देते हैं । अतः अग्यान में भृमित जीव को जगाने की सख्त आवश्यकता है ।
** भाई कुंदन कुमार जी और उनकी पत्नी का बहुत बहुत आभार । जो आपने हमारे पाठकों और मुझे सुश्री नूनी थापा जी से मिलाया ।
अपने सभी पाठकों से - पिछले आठ दिनों से भयंकर गर्मी और किसी पावर प्लांट में आयी खराबी के चलते विधुत
कटौती के कारण सब दिनचर्या ही डिस्टर्ब हो गयी । यहाँ तक कि ठीक से सो भी नहीं सका ।
सोचा था कि इतने दिनों में " डायन " को पूरा कर दूँगा । पर नहीं हो सका ।
कल से मौसम और बिजली दोनों ही सही हो गये । अभी पिछले दिनों ( सो न पाने ) की थकान सी है । जल्द ही कार्य होने लगेगा ।
*** भगवत गीता विश्व में बहुत प्रसिद्ध है । मैं आपको गीता एक नये अन्दाज में बताऊँगा । फ़िर देखिये गीता आपको कितनी सरल लगे ।
**** क्योंकि सुश्री नूनी जी प्रेत विषय का जिक्र किया है । अतः अपने अनुभव की बात शेयर करना चाहूँगा । पिछले 8 साल में प्रेत सम्बन्धी सिर्फ़ 5 मामले मेरे सामने आये ।
सबसे पहला - मैंनपुरी के पास के एक व्यक्ति का । इसने लालच के चलते एक जिन्न को सिद्ध किया था । जिन्न सिद्ध हो गया । और ये व्यक्ति उससे लाभ लेने लगा । बाद में जिन्न इस पर हावी हो गया । और हमारे ( महाराज जी के ) पास एक व्यक्ति द्वारा लाने तक । ये बिलकुल मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया था ।
इसको सत्यनाम की दीक्षा इस तरह पकङ कर दी गयी । जैसे किसी बलबान तगङे पशु को काटने के लिये जकङा पकङा जाता है । ( बाद का खेल मत पूछो ? ) खैर ..इसकी हालत में सुधार हो गया । पर जिन्न ने इसकी पत्नी को भी प्रभाव में ले लिया था । और दोनों शहर छोङकर ही भाग गये ।
दूसरा मामला - कोलकाता के ब्लागर श्री मनोज कुमार जी का था । पर ये प्रेत न होकर एक दुरात्मा ( बुरी आत्मा ) थी । जिसका मनोज जी से पूर्व जन्म का संस्कारी झगङा था । इसका दूरस्थ उपचार मनोज जी को दिया था ।
तीसरा मामला - पटियाला के हैप्पी जी का था । पर ये भी प्रेत नहीं था । बल्कि ठीक मनोज कुमार जी की तरह पूर्व जन्म का पैशाचिक भाव दुरात्मा का संस्कारी झगङा था । ये भी मानों तो खास था । न मानों तो कोई खास नहीं था ।
चौथा मामला - अम्बाला के पास एक गाँव में रहने वाले मदनलाल जी का था । ये भी जिन्न का मामला था । जो अधिक प्रभावी नहीं था । बस इसकी वजह से उनके एक पैर में दर्द और सांस घुटने जैसी स्थिति बनती थी । मेडिकल चेकअप में सब नार्मल रिपोर्ट आती थी ।
मदनलाल जी एक दिन " सदगुरु कैसे मिले " गूगल में सर्च कर रहे थे । और बाबा ( राजीव ) से मिल गये ।
केवल 20 दिन के अंदर मदनलाल जी ने हँसदीक्षा ले ली । जब श्री महाराज जी दूसरी बार पटियाला गये थे । आज मदनलाल जी बेहद खुश खिलखिलाते हुये बात करते हैं ।
पर कुछ दिन तक इन्होंने फ़ोन पर बहुत सवाल पूछ पूछकर - मुझे । प्रीत इंदर जी ( पटियाला ) को । कुलदीप जी ( जीरकपुर - चंडीगढ ) को । राधारमण जी ( आगरा ) को । श्री निर्मल बंसल जी ( भिलाई - छत्तीसगढ ) को ( सभी गुरुभाई ) बहुत तंग किया । और काल एण्ड.. करने से पहले बोल देते हैं । आगे भी तंग करूँगा । सवाल पूछकर.. भाई ! और कैसे । जिन्न तो भाग गया ।
अब उसकी जगह मदनलाल जी कहते हैं - बस एक सवाल और है.. मेरे आका !
पाँचवा मामला - अभी दिल्ली की एक विडो महिला का आया । ये भी जिन्न था । यह अभिशप्त जगह का मामला था । जिस स्थान पर उनकी कोठी बनी । वो जगह अभिशप्त थी । या वो कोठी ही किसी वजह से अभिशप्त थी । ये जिन्न कहता है - मैं सबको मार डालूँगा । और प्रभावित महिला से कहता है - मैं तुमसे शादी करूँगा । तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा । इस घर के परिवार के लोग मानों एक दूसरे के दुश्मन हो गये हों । अभी इसका उपचार नहीं हुआ ।
अन्त में - तो देखा आपने । 8 साल के अन्दर सिर्फ़ 5 मामलों से यह सिद्ध नहीं होता कि भूत प्रेत के नाम पर अधिकांश मामले झूठे अधिक होते हैं ।
- हाँ ! घर में छुपी अग्यात माया ( धन जेवर आदि । ) वशीकरण सीखने वाले । ओझागीरी सीखने वाले बहुत आये । बट - नो एंट्री । ये सब नहीं होता यहाँ । सिर्फ़ आत्मग्यान की बात कीजिये । किसी पीङित का इलाज करना अलग बात है ।
धन्यबाद ! आप सबका बहुत बहुत आभार । जय गुरुदेव की ।
मेरे पति इंजीनियर हैं । और मैं यहाँ आर्मी स्कूल में गणित की अध्यापिका हूँ । मेरे दो बच्चे हैं । 1 बेटा और 1 बेटी । दोनों स्कूल में पढते हैं । मुझे अंग्रेजी । नेपाली और हिन्दी भाषायें आती हैं ।
मुझे असल में कुन्दन कुमार जी की पत्नी जी ने आपके बारे में बताया था । तो मैं कुछ दिन से आपका ब्लाग पढ रही हूँ । बेहद नयी जानकारी मिली ।
सन्त । साधु । साधक । सिद्ध । योगी । महात्मा आदि सबकी जानकारी एक ही जगह पर कमाल की बात है । साथ में आम जन जीवन के साथ जुडी हुई । लेकिन आम जन जीवन से अलग अलौकिक रहस्य की जानकारी भी ।
यहाँ नेपाल में ठन्ड रहती है । शाम को सूरज ढलते समय गरम गरम चाकलेट काफ़ी पीते हुय़े आपके ब्लाग पर छपी प्रेत कहानियों को पढने का भी एक अलग ही मजा है । क्युँ कि आपके ब्लाग पर लिखी प्रेत कहानियाँ सिर्फ़ मनोरंजन ही नही देती । साथ में दृश्य और अदृश्य जीवन की जानकारी भी देती हैं ।
पता चलता है कि अभी भी बहुत कुछ ऐसा है । जिसको हम लोग बिल्कुल नहीं जानते । शायद अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है ।
नेपाल मे 2 समुदाय के लोग अधिक हैं । हिन्दू उसके बाद बौद्ध । हिन्दू लोग माता की या शिवलिंग की पूजा करते हैं । मुझे भारत से उतना ही प्यार है । जितना नेपाल से । नेपाल का कुदरती वातावरण । पहाड । हरियाली । ठंडा मौसम मुझे बहुत प्रिय है ।
लेकिन भारत की विशालता अनेकता में एकता और सभ्यता । संस्कृति अमूल्य है । भारत तो पता नहीं क्युँ मुझे अपने ननिहाल जैसा लगता है । कभी कभी एक अजीब सी अनसुलझी कशिश सी महसूस होती है । भारत के प्रति । मन की सारी भावना को एकत्रित करके मैं सिर्फ़ ये कहना चाहती हूँ कि आपके ब्लाग पर आना मुझे बहुत ही अच्छा लगा । आपके ब्लाग पर आना मेरी इस जिन्दगी का यादगार समय है ।
जो शायद इस जिन्दगी में भुलाया न जा सके । मैं आपसे आने वाले समय में और अधिक अलौकिक रहस्यो की जानकारी की उम्मीद रखती हूँ । खास कर प्रेत कहानियों के बारे में ।
क्युँ कि नेपाल मे जो भूत प्रेत पीडा का इलाज करने वाले छोटे मोटे ओझा किस्म के लोग हैं । ये तो बस जगत की भेड चाल का ही हिस्सा है । इनके पास न तो कोई असली जानकारी होती है । और न ही कोई पक्का अनुभव । मैं आपसे ये जरूर कहना चाहूँगी कि आपने ये ब्लाग बनाकर बहुत अच्छा काम किया । भगवान करे । आपका ब्लाग दिन पर दिन तरक्की करे । नूनी थापा । नेपाल ।
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नमस्ते नूनी थापा जी ! सत्यकीखोज पर आपका हार्दिक स्वागत है । आपसे मिलकर दिली और जजबाती सी भावनात्मक खुशी हुयी । आप अगली बार कभी भी भारत आईये । आपका हमारे घर हार्दिक स्वागत है । पहले से बताकर आईयेगा । तो आपको अपने श्री महाराज जी से भी मिलवा सकूँ ।
हो सकता है । आपका ये जीवन 84 लाख योनियों का अंतिम जीवन ही हो जाय । और आप अविनाशी सत्यलोक में आनन्द पूर्वक निवास करो ।
दूसरे मैं आप जैसे शिक्षित और शिक्षक लोगों से उम्मीद करता हूँ कि आप लोग अपने अपने क्षेत्र में " सत्यनाम " के बारे में लोगों को बताकर उनको वास्तविक ग्यान की तरफ़ ले जाओ । सच कहता हूँ । ये चर्चा ही आपका जीवन बदल देगी ।
मेरा यही मानना हैं कि हम न हिन्दू हैं । न मुसलमान । न सिख । न ईसाई । न नेपाली । न अफ़गानी । न अमेरिकन । ये सब हम नहीं हैं । बल्कि हम इंसान है । और एक ही परमपिता की संतान है ।
वास्तव में नेपाल के लोगों में बलि प्रथा को लेकर जिस कदर अँधविश्वास है । वहाँ ऐसे ग्यान की सख्त आवश्यकता है । कभी कभी भूत प्रेत दूर दूर तक नहीं होता । और पाखंडी ओझा शारीरिक मानसिक और धन से व्यक्ति को निचोङ देते हैं । अतः अग्यान में भृमित जीव को जगाने की सख्त आवश्यकता है ।
** भाई कुंदन कुमार जी और उनकी पत्नी का बहुत बहुत आभार । जो आपने हमारे पाठकों और मुझे सुश्री नूनी थापा जी से मिलाया ।
अपने सभी पाठकों से - पिछले आठ दिनों से भयंकर गर्मी और किसी पावर प्लांट में आयी खराबी के चलते विधुत
कटौती के कारण सब दिनचर्या ही डिस्टर्ब हो गयी । यहाँ तक कि ठीक से सो भी नहीं सका ।
सोचा था कि इतने दिनों में " डायन " को पूरा कर दूँगा । पर नहीं हो सका ।
कल से मौसम और बिजली दोनों ही सही हो गये । अभी पिछले दिनों ( सो न पाने ) की थकान सी है । जल्द ही कार्य होने लगेगा ।
*** भगवत गीता विश्व में बहुत प्रसिद्ध है । मैं आपको गीता एक नये अन्दाज में बताऊँगा । फ़िर देखिये गीता आपको कितनी सरल लगे ।
**** क्योंकि सुश्री नूनी जी प्रेत विषय का जिक्र किया है । अतः अपने अनुभव की बात शेयर करना चाहूँगा । पिछले 8 साल में प्रेत सम्बन्धी सिर्फ़ 5 मामले मेरे सामने आये ।
सबसे पहला - मैंनपुरी के पास के एक व्यक्ति का । इसने लालच के चलते एक जिन्न को सिद्ध किया था । जिन्न सिद्ध हो गया । और ये व्यक्ति उससे लाभ लेने लगा । बाद में जिन्न इस पर हावी हो गया । और हमारे ( महाराज जी के ) पास एक व्यक्ति द्वारा लाने तक । ये बिलकुल मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया था ।
इसको सत्यनाम की दीक्षा इस तरह पकङ कर दी गयी । जैसे किसी बलबान तगङे पशु को काटने के लिये जकङा पकङा जाता है । ( बाद का खेल मत पूछो ? ) खैर ..इसकी हालत में सुधार हो गया । पर जिन्न ने इसकी पत्नी को भी प्रभाव में ले लिया था । और दोनों शहर छोङकर ही भाग गये ।
दूसरा मामला - कोलकाता के ब्लागर श्री मनोज कुमार जी का था । पर ये प्रेत न होकर एक दुरात्मा ( बुरी आत्मा ) थी । जिसका मनोज जी से पूर्व जन्म का संस्कारी झगङा था । इसका दूरस्थ उपचार मनोज जी को दिया था ।
तीसरा मामला - पटियाला के हैप्पी जी का था । पर ये भी प्रेत नहीं था । बल्कि ठीक मनोज कुमार जी की तरह पूर्व जन्म का पैशाचिक भाव दुरात्मा का संस्कारी झगङा था । ये भी मानों तो खास था । न मानों तो कोई खास नहीं था ।
चौथा मामला - अम्बाला के पास एक गाँव में रहने वाले मदनलाल जी का था । ये भी जिन्न का मामला था । जो अधिक प्रभावी नहीं था । बस इसकी वजह से उनके एक पैर में दर्द और सांस घुटने जैसी स्थिति बनती थी । मेडिकल चेकअप में सब नार्मल रिपोर्ट आती थी ।
मदनलाल जी एक दिन " सदगुरु कैसे मिले " गूगल में सर्च कर रहे थे । और बाबा ( राजीव ) से मिल गये ।
केवल 20 दिन के अंदर मदनलाल जी ने हँसदीक्षा ले ली । जब श्री महाराज जी दूसरी बार पटियाला गये थे । आज मदनलाल जी बेहद खुश खिलखिलाते हुये बात करते हैं ।
पर कुछ दिन तक इन्होंने फ़ोन पर बहुत सवाल पूछ पूछकर - मुझे । प्रीत इंदर जी ( पटियाला ) को । कुलदीप जी ( जीरकपुर - चंडीगढ ) को । राधारमण जी ( आगरा ) को । श्री निर्मल बंसल जी ( भिलाई - छत्तीसगढ ) को ( सभी गुरुभाई ) बहुत तंग किया । और काल एण्ड.. करने से पहले बोल देते हैं । आगे भी तंग करूँगा । सवाल पूछकर.. भाई ! और कैसे । जिन्न तो भाग गया ।
अब उसकी जगह मदनलाल जी कहते हैं - बस एक सवाल और है.. मेरे आका !
पाँचवा मामला - अभी दिल्ली की एक विडो महिला का आया । ये भी जिन्न था । यह अभिशप्त जगह का मामला था । जिस स्थान पर उनकी कोठी बनी । वो जगह अभिशप्त थी । या वो कोठी ही किसी वजह से अभिशप्त थी । ये जिन्न कहता है - मैं सबको मार डालूँगा । और प्रभावित महिला से कहता है - मैं तुमसे शादी करूँगा । तुम्हें अपने साथ ले जाऊँगा । इस घर के परिवार के लोग मानों एक दूसरे के दुश्मन हो गये हों । अभी इसका उपचार नहीं हुआ ।
अन्त में - तो देखा आपने । 8 साल के अन्दर सिर्फ़ 5 मामलों से यह सिद्ध नहीं होता कि भूत प्रेत के नाम पर अधिकांश मामले झूठे अधिक होते हैं ।
- हाँ ! घर में छुपी अग्यात माया ( धन जेवर आदि । ) वशीकरण सीखने वाले । ओझागीरी सीखने वाले बहुत आये । बट - नो एंट्री । ये सब नहीं होता यहाँ । सिर्फ़ आत्मग्यान की बात कीजिये । किसी पीङित का इलाज करना अलग बात है ।
धन्यबाद ! आप सबका बहुत बहुत आभार । जय गुरुदेव की ।
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