19 सितंबर 2013

भारत 1 इस्लामी देश प्रतीत होता है

क्या भारत सच में 1 सेकुलर देश है ?  दरअसल हमारे राजनेताओं द्वारा अक्सर यह दावा किया जाता है कि भारत 1 सेकुलर देश है । परन्तु  यहाँ के हालत देखकर तो लगता नहीं है कि भारत 1 धर्म निरपेक्ष देश है । बल्कि भारत 1 इस्लामी देश प्रतीत होता है । जिसने सेकुलरिज्म की खाल ओढ़ी हुई हो । यह चौंकने नहीं बल्कि समझने की बात है । ताकि समय रहते इसमें परिवर्तन किया जा सके । आश्चर्य है कि 1 तरफ तो सरकार भारत को सेक्यूलर राज्य कहती है । और  दूसरी तरफ धर्म के आधार पर मुसलमानों व ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ देती हैं । जो पूर्णतया असंवैधानिक है । सिर्फ इतना ही नहीं । बल्कि 15-17%  भारतीय मुसलमान किसी भी मापदण्ड में अल्पसंखयक नहीं हैं । फिर भी कांग्रेस व अन्य सेक्यूलर राजनैतिक दल राज्यों एवं केन्द्र सरकार में मुसलमानों के लिए अनेकों असंवैधानिक सुविधाएं स्वीकार की जा रही हैं । जैसे कि विश्व के 57 इस्लामी देशों में से कही भी मुसलमानों को हज यात्रा के लिए आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है । क्योंकि हज के लिए आर्थिक सहायता लेना गैर इस्लामी है ।  परन्तु फिर भी बेहद निर्लज्जता से भारत सरकार प्रत्येक हज यात्री को हवाई यात्रा के लिए लगभग 60 000 रुपये की आर्थिक सहायता देती है । इतना ही नहीं । बल्कि हाजियों के लिए राज्यों में हज हाउस बनाए गये हैं । और जिद्‌दा में हाजियों की सुविधाएँ देखने के 

लिए 1 विशेष दल जाता है । मानों वहाँ की एम्बेसी काफी नहीं है ।  और तो और मुस्लिमों वक्फ बोर्डों के पास 12 लाख करोड़ की सम्पत्ति है । जिसकी वार्षिक आय लगभग 12 000 करोड़ है । मगर फिर भी सरकार वक्फ बोर्डों को आर्थिक सहायता देती है । लेकिन यह जानकर आपका मुंह खुला का खुला रह जाएगा कि सरकार हम हिन्दुओं के टैक्स का जो भी रूपया इन वक्फ बोर्डों को मदद के तौर पर देती है । उसका हिसाब किताब कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है । क्योंकि इसी रुपये से जिहादी हथियार और विस्फोटक खरीदते हैं ।
जबकि सरकार बाबा रामदेव के देशभक्ति के काम की हमेशा CBI जाँच करवाती रहती है । और उनके ट्रस्ट पर पर अक्सर छापे पड़ते रहते हैं । अगर सरकार इतना भी करके रुक जाती । तो भी गनीमत थी । लेकिन इसके आगे भी दास्तान जानिए । आज विश्व के लगभग सभी देश यह मान चुके हैं कि मदरसे आतंकवादियों को तैयार करने

वाले कारखाने हैं । क्योंकि जितने भी आतंकी पकडे जाते हैं । वे सभी के सभी कभी मदरसा में पढ़े हुए होते हैं । फिर भी हमारी सरकार ने धार्मिक कट्‌टरवाद एवं अलगावदवाद को बढावा देने वाली मदरसा शिक्षा को न केवल दोष मुक्त बताया । बल्कि उसके आधुनिकीकरण के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपए आर्थिक सहायता देती है । फिर भी मुसलमान अपने इन मदरसों को केन्द्रीय मदरसा बोर्ड या आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जुड़ने देना नहीं चाहते । यहाँ तक कि मुस्लिम पाठ्‌यक्रम में सुझाव व अन्य किसी प्रकार का नियंत्रण तक नहीं मानते हैं । फिर भी हर चीज जानने समझने के बावजूद पश्चिमी बंगाल सरकार ने 2010 तक 300 अंग्रेजी माध्यम के मदरसा स्थापित करने का निर्णय लिया है ( पायो. 23.12.2009 ) 
सरकार ने अल्पसंखयकों के संस्थानों को उच्च शिक्षा में ओबीसी विद्यार्थियों के लिए आरक्षण से मुक्त रखा हुआ है । इलाहाबाद हाईकोर्ट के विरोध के बावजूद अलीगढ़ विश्व विद्यालय को अल्पसंख्यक स्वरूप बनाए रखने पर 

बल दिया । अल्पसंख्यकों के कक्षा 1 से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 25 लाख बजीफे दिए । जबकि सवर्णों को नहीं हैं । केरल सरकार ने मदरसों के मौलवियों के लिए पेंशन देने का निर्णय किया है । बिहार में 10वीं की परीक्षा पास करने वाले मुस्लिम छात्र को 10000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा । राजस्थान में मुस्लिम विद्यार्थी निजी विद्यालयों में पढ़ते समय भी छात्रवृत्ति ले सकते हैं ( शिक्षा बचाओ आन्दोलन, बुले. 48 पृ. 32) (8)
और तो और समिति की सिफारिशें के अनुरुप 1 से 12 कक्षा तक की पुस्तकें मदरसे में ही तैयार होंगी । और अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी उर्दू में संचालित करने की योजना है ( राजस्थान पत्रिका 9..7.2007 )
यहाँ तक कि मदरसों के पाठ्‌य पुस्तकों में पिछली ( 1998-2003 ) सरकार द्वारा निकाले गए हिन्दू विरोधी और मुस्लिम उन्मुख अंशों को दुबारा पुस्तकों में डाल दिया गया । सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र भोपाल, पुरी, किशनगंज ( बिहार ) मुर्शिदाबाद ( पं. बगांल ) व मुल्लूपुरम ( केरल ) में खोलने के लिए 2 000  करोड़ का अनुदान दिया ( वही. बुल. 48, पृ. 31 )
अल्पसंखयकों के एम फिल और PhD. करने वाले 756 विद्यार्थियों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा या राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा के बिना ही 12 से 14 हजार रुपये महीना रिसर्च फैलोशिप मिलेगी । ( दैनिक जाग. 23.12.2009 )
जबकि अन्यों को सरकारी रिसर्च फैलोशिप पाने के लिए ये परीक्षाएँ पास करना अनिवार्य है । उच्च प्रोफेशनल 

कोर्सों में पढ़ने वाले अल्ससंखयक विद्यार्थियों की फीस सरकार देगी । स्पर्धा वाली सरकारी परीक्षाओं के कोचिंग के लिए भी फीस सरकार ही देगी । जबकि ये सुविधाएँ भारत के सामान्य नागरिकों को नहीं हैं । हद तो यह है कि जिनके पूर्वजों ने भारत के लिए सर्वस्व लुटा दिया । और आज भी भारत को अपनी माता मानते हैं । ये तथाकथित सेकुलर सरकार उनके अधिकार छीनकर मुसलमानों को देती रहती है । जबकि मुसलमान हमेशा भारत विरोधी कामों में लगे रहते हैं । फिर भी सरकारों को वोट बैंक का ऐसा चस्का लगा है कि सरकारें मुसलमानों के लिए खजाने खोल देती हैं । जैसे कि -
1 अल्पसंखयकों के नाम पर विशेषकर मुसलमानों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है । और उनके लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में 15 % बजट रखा गया है ।
2 - 2004 में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने आतंकवाद में फंसे मुसलमानों को बचाने के लिए पोटा कानून को निरस्त कर दिया । जिसके फलस्वरूप देश के आतंकवादी घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हो गयी ।
3 सरकार ने मुस्लिम पर्सनल कानूनों और शरियत कोर्टों का समर्थन किया ।
4 - 13 Dec 2001 में संसद पर हमले के दोषी अफजल खां को फांसी की सजा मिल जाने पर भी वर्षों तक उसमे टाल मटोल किया गया ।

5 - 17 Dec 2006 को नेशनल डवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यहाँ तक कह दिया कि - भारतीय संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है ।
शायद इसीलिए उन्हें रोजगार, ऋण, शिक्षा आदि में विशेष सुविधाऐं दी जा रही हैं ।
6 सरकार बंगला देशी मुस्लिमों घुसपैठियों को निकालने में उत्साह हीन है । जबकि वे बेहद सुनियोजित ढंग से भारत के इस्लामीकरण एवं यहाँ आतंकवाद फ़ैलाने के लिए यहाँ बस रहे हैं ।
ध्यान रखें कि 1 तरफ तो मुसलमान आबादी बढ़ाने में लगे रहते हैं । और दूसरी तरफ अपनी गरीबी का बहाना बनाकर सरकार से आर्थिक मदद माँगते रहते हैं ।  परन्तु इनकी मांगे कम होने की जगह और बढती जाती हैं । और ऐसा तब तक होता रहेगा । जब तक भारत पूर्णतः 1 इस्लामी देश नहीं बन जाता । इसलिए मुसलमान अपनी गरीबी और पिछड़ेपन का ढोंग करके सदा रोते रहते हैं । और सरकार ने उनकी इसी राक्षसी भूख को मिटाने के लिए कई कमेटियां बना रखी हैं । जैसे -
1 सच्चर कमेटी द्वारा  मुस्लिमों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 5460 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है ।
2 उनके लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने के लिए 1 कारपोरेशन बनाया गया ।
3 सार्वजनिक क्षेत्र में उदारता बरतें । इस अभियान की निगरानी के लिए 1 मोनीटरिंग कमेटी' काम करेगी ।  ( दैनिक नव ज्योति, 4/1/2006) 
4 अल्पसंखयक विद्यार्थियों को माइनोरिटी डवलपमेंट एण्ड फाइनेंस कारपो. से 3% पर ऋण दिया जाता है।
5 पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रत्येक विभाग के बजट में से 30% आवंटन मुसलमानों के लिए किया गया ( वही. बृ. पृ. 32 )

6 - 13 AUG 2006 को सरकार ने लोक सभा में बतलाया कि मुस्लिम प्रभाव वाले 90 जिलों और 338 शहरों में मुसलमानों के लिए विशेष विकास फण्ड का प्रावधान किया गया है । ( वही, बृ. 48, पृ. 33 )
इस तरह 1 धर्म निरपेक्ष देश की सरकार धर्म के आधार पर 1 वर्ग विशेष के वोट पाने के लिए सभी उचित व अनुचित तरीके अपना रही हैं । इसीलिए उच्चतम न्यायालय ने भी सरकार को सावधान करते हुए 18 AUG 2005 को कहा - राजनैतिक या सामाजिक अधिकारों में कमी को आधार बनाकर भारतीय समाज में अल्पसंखयक समूहों को निर्धारित करने और उसे मानने की प्रवृत्ति पांथिक हुई । तो भारत जैसे बहुभाषी, बहुपांथिक देश में इसका कोई अन्त होने वाली नहीं है । क्योंकि 1 समुदाय द्वारा विशेषाधिकारों की मांग दूसरे समुदाय को ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करेगी । जिससे परस्पर संघर्ष और झगड़े बढ़ेगें ।
परन्तु वोटों की लालची और सत्ता की प्यासी सेक्यूलर सरकारें इन चेतावनियों की परवाह नहीं करती हैं । सबसे अधिक पीड़ा की बात तो यह है कि जिस भारत की स्वाधीनता व अखंडता के लिए हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों तक संघर्ष किया । लाखों योद्धाओं ने अपने प्राण न्यौछावर किए । और देश को इस्लामीकरण से बचाया । तथा आज जिन नेताओं को देश की रक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया है । वे ही स्वार्थवश कुछ दिन राज करने के लिए भारत के इस्लामीकरण में निर्लज्जता के साथ सहयोग दे रहे हैं । वे उन करोड़ों देशभक्तों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं । जिन्होंने देश के लिए बलिदान किए ।
कांग्रेस एवं अन्य सेक्यूलर पार्टियों का मुस्लिमों के सामने आत्म समर्पण एवं वोट बैंक की राजनीति करना । देश की भावी स्वाधीनता के लिए बेहद चिन्ता का विषय है । क्योंकि सरकार की इन्हीं मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के कारण आज सारा देश इस्लामी जिहाद और आतंकवाद से पीड़ित है । क्या देश की सेक्यूलर पार्टियों को दिखाई नहीं देता कि पाकिस्तान एवं भारत के मुसलमान शेष भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करना चाहते हैं ?
क्या हमारी सरकारें सेकुलरता का ढोंग करके अपने स्वार्थ के लिए हमारे हिंदुस्तान को मुगलिस्तान में बदल देना चाहती है ?
आज के सरकारी क्रियाकलापों से तो ऐसा ही कुछ आभास हो रहा है । इसीलिए मित्रो ! यदि आप भी उपरोक्त बातों से सहमत हैं । और अपने हिंदुस्तान को 1 इस्लामी देश में परिवर्तित होने से बचाना चाहते हैं । तो सेकुलरिज्म के पाखण्ड का त्याग कर देश भक्त बनिए । एवं हमारे अभियान का साथ दीजिये । जय महाकाल ।  Kumar Satish 
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20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में 2 बार इंसुलिन लेने को विवश थीं । आज इस रोग से पूर्णतः मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं । जी हाँ मिठाई भी ।
डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड सुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह दी है ।
और 1 ख़ास बात । चूंकि केवल 2 सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णतः प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा । अतः इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है ।
मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं । तथा इसे आश्चर्यजनक माना है । अतः आग्रह है कि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें । जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें ।
देखिये कितना आसान है । इस औषधि को घर में ही निर्मित करना ।
आवश्यक वस्तुएं -
1 - गेंहू का आटा 100 gm    2 - वृक्ष से निकली गोंद 100 gm
3 - जौ 100 gm     4 - कलुन्जी 100 gm
निर्माण विधि - उपरोक्त सभी सामग्री को 5 कप पानी में रखें । आग पर इन्हें 10 मिनट उबालें । इसे स्वयं ठंडा होने दें । ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें ।
उपयोग विधि -  7 दिन तक 1 छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना । अगले सप्ताह 1 दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना । मात्र 2 सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं । और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं ।
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संत सताए तीनों जायें तेज बल और वंश । 
एडा केडा कई गया रावन कौरव कंस ।
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राहुल गाँधी ने कल राजस्थान में कहा - वे चाहते हैं कि 1 सड़क बनाने वाले मजदूर का बेटा भी हवाई जहाज़ में उड़े ।
बस इतना ही राहुल जी । अरे हम तो चाहते हैं कि 1 चाय बेचने वाले
का बेटा प्रधानमंत्री बने ।

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