अमेरिकी यूनिवर्सिटी में गीता पढ़ना हुआ जरूरी । जो काम भारत में होना था । वो अमेरिका में हो रहा है । अमेरिका की सेटन हॉल यूनिवर्सिटी Seton Hall University में सभी छात्रों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है । इस यूनिवर्सिटी का मानना है कि छात्रों को सामाजिक सरोकारों से रूबरू कराने के लिए गीता से बेहतर कोई और माध्यम नहीं हो सकता है । लिहाजा उसने सभी विषयों के छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम के तहत इसकी स्टडी को जरूरी बना दिया है । यूनिवर्सिटी केस्टिलमेन बिजनस स्कूल के प्रोफेसर ए. डी. अमर ने यह जानकारी दी । यह यूनिवर्सिटी 1856 में न्यूजर्सी में स्थापित हुई थी । और 1 स्वायत्त कैथलिक यूनिवर्सिटी है । यूनिवर्सिटी के 10,800 छात्रों में से एक तिहाई से ज्यादा गैर ईसाई हैं । इनमें भारतीय छात्रों की संख्या अच्छी खासी है । गीता की स्टडी अनिवार्य बनाने के इस फैसले के पीछे प्रोफेसर अमर की प्रमुख भूमिका रही । उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में कोर कोर्स के तहत सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होता है । जिसकी स्टडी सभी विषयों के छात्रों को करनी होती है । 2001 में यूनिवर्सिटी ने अलग पहचान कायम करने के लिए कोर कोर्स की शुरुआत की थी । इसमें छात्रों को सामाजिक सरोकारों और जिम्मेदारियों से रूबरू कराया जाता है । उन्होंने बताया कि इस मामले में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम साधन है । गीता की अहमियत को समझते हुए यूनिवर्सिटी ने इसकी स्टडी अनिवार्य की । हमारे संस्कार पाश्चत्य को पसंद आ गये । पर हमारे देश में कब गीता का पाठ नियमित होगा ।
जय श्री राम जय श्रीकृष्ण । Prakash Nayak
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आत्मा और काम का क्या सम्बन्ध है ? शायद विदेशी लोगों को ही बेहतर पता होगा । ये पेज का विज्ञापन मेरे ग्रुप पर दिखा । तो मैं ये शब्द पढकर चौंक गया । हालांकि इस पेज में कामुकता जैसा कुछ खास नहीं है । पर ये क्या कहना चाहते हैं । आप लोग ही जानें ।
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ये और भी बङे ज्ञानी हैं ।
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लगभग अल्पशिक्षित श्रेणी में आने वाले लोग जब कम्प्यूटर को कम्पूटर और कम्पाउंडर को कम्पोटर कहते हैं । तो पता नहीं क्यों मुझे अजीव सी अनुभूति होती है । जैसे मैंने अपना कम्प्यूटर कबाङे वाले से खरीदा हो । और जैसे कम्पाउंडर भैंसों का चरवाहा हो ।
क्या आप शुद्ध उच्चारण करते हैं ? डाकदर साब हैं का ?
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एक आलस्य शिरोमणि लङके के पिता ने उससे कहा - बेटे ! मैंने ऐसा प्रबन्ध किया है कि हरेक इच्छा आवश्यकता की पूर्ति हेतु सिर्फ़ एक बटन दबाना होगा । लङका झुंझलाकर बोला - लेकिन वो बटन दबायेगा कौन ? आपने इससे बङा आलसी कोई देखा है ?
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कटु सत्य - भारत में हिन्दुत्व को कोई नहीं बचा सकता । और ये संभव भी नहीं है । क्योंकि 70% हिन्दू
सेक्युलर हैं । और बाकी के 30% कट्टर होते हुए खुद के मतभेदों में उलझे हुए हैं । सबके अपने अपने मुद्दे हैं । वो दिन दूर नहीं । जब हिन्दुत्व के बजाय नास्तिक हिन्दू हर जगह दिखने शुरू हो जायेंगे । और हमें ही वनमानुष वाली थ्योरी पढाना शुरु करेंगे । क्योंकि आज के समय हिन्दू न अपने धर्म का पक्का है । न ही अपनी बातों का । कोशिश जारी रहेगी हिन्दुत्व को बचाने की । और खुद को मिटाने की । प्रदीप सोनी विद्रोही
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काम वाली बाई । 1 दिन अचानक । काम पर नहीं आई ।
पत्नी ने फोन पर डांट लगाईं । अगर तुझे नहीं आना था ।
तो पहले बताना था ।
बोली । मैंने तो परसों ही । फेसबुक पर लिख दिया था ।
1 सप्ताह के लिए गोवा जा रही हूँ । पहले अपडेट रहो ।
फिर भी पता न चले तो कहो ।
पत्नी बोली । तू फेसबुक पर भी है ?
जवाब दिया । मैं तो बहुत पहले से फेसबुक पर हूँ ।
साहब मेरे फ्रेंड हैं । बिलकुल नहीं झिझकते हैं ।
मेरे प्रत्येक अपडेट पर । बिंदास कमेन्ट लिखते हैं ।
मेरे इस अपडेट पर । उन्होंने कमेन्ट लिखा । हैप्पी जर्नी, टेक केयर ।
आई मिस यू ! जल्दी आना । मुझे नहीं भाएगा पत्नी के हाथ का खाना ।
इतना सुनते ही मुसीबत बढ़ गयी । पत्नी ने फोन बंद किया ।
और मेरी छाती पर चढ़ गयी ।
गब्बर सिंह के अंदाज़ में बोली । तेरा क्या होगा रे कालिया ।
मैंने कहा - देवी ! मैंने तेरे साथ फेरे खाए हैं ।
वह बोली - तो अब मेरे हाथ का खाना भी खा ।
अचानक दोबारा फोन करके ।
पत्नी ने काम वाली बाई से । पूछा घबराये घबराए ।
तेरे पास गोवा जाने के लिए । पैसे कहाँ से आये ?
वह बोली - सक्सेना जी के साथ । एलटीसी पर आई हूँ ।
पिछले साल वर्माजी के साथ । उनकी काम वाली बाई गयी थी ।
तब मै नई नई थी । जब मैंने रोते हुए ।
उन्हें अपनी जलन का कारण बताया । तब उन्होंने ही समझाया ।
क़ि वर्माजी की कामवाली बाई के । भाग्य से बिलकुल नहीं जलना ।
अगले साल दिसम्बर में । मैडम जब मायके जायगी ।
तब तू मेरे साथ चलना ।
पहले लोग कैश बुक खोलते थे । आजकल फेसबुक खोलते हैं ।
हर कोई फेसबुक में बिजी है ।
कैश बुक खोलने के लिए कमाना पड़ता है । इसलिए फेसबुक इजी है ।
आदमी कंप्यूटर के सामने बैठकर । रात रात भर जागता है ।
बिंदास बातें करने के लिए । पराई औरतों के पीछे भागता है ।
लेकिन इस प्रकरण से । मेरी समझ में यह बात आई है ।
क़ि जिसे वह बिंदास मॉडल समझ रहा है ।
वह तो किसी की काम वाली बाई है । जिसने कन्फ्यूज़ करने के लिए ।
किसी जवान सुन्दर लड़की की फोटो लगाईं है ।
सारा का सारा मामला लुक पर है । अब तो मेरा कुत्ता भी फेसबुक पर है ।
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ईसाई धर्म में - 1 मसीह । 1 बाइबल । और 1 ही धर्म है । लेकिन मजे कि बात ये कि लैटिन कैथोलिक, सीरियाई कैथोलिक चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये दोनों मर्थोमा चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये तीनों Pentecost के चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । और ये चारों साल्वेशन आर्मी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । इतना ही नहीं । ये पांचों सातवें दिन Adventist चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये 6 के 6 रूढ़िवादी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । अब ये सातों जैकोबाइट चर्च में प्रवेश नहीं करेगा ।
और इसी तरह से ईसाई धर्म की 146 जातियां सिर्फ केरल में ही मौजूद हैं । इतना शर्मनाक होने पर भी ये चिल्लाते रहेंगे कि 1 मसीह 1 बाइबिल 1 धर्म ??
- अब देखिए मुस्लिमों को 1 अल्लाह 1 कुरान 1 नबी । और महान एकता बतलाते हैं ? जबकि मुसलमानों के बीच शिया और सुन्नी सभी मुस्लिम देशों में एक दूसरे को मार रहे हैं । और अधिकांश मुस्लिम देशों में इन दो
संप्रदायों के बीच हमेशा धार्मिक दंगा होता रहता है । इतना ही नहीं शिया को सुन्नी मस्जिद में जाना माना है । इन दोनों को अहमदिया मस्जिद में नहीं जाना है । और ये तीनों सूफी मस्जिद में कभी नहीं जाएँगे । फिर इन चारों का मुजाहिद्दीन मस्जिद में प्रवेश वर्जित है । और इसी प्रकार से मुस्लिमों में भी 13 तरह के मुस्लिम हैं । जो एक दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं । और आपस में बमबारी और मारकाट वगैरह मचाते रहते हैं । लेकिन फिर भी भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए ये दिन भर लाउडस्पीकर पर गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते रहेंगे कि अल्लाह 1 है । हमारा 1 कुरान है । 1 नबी है । हम अच्छे हैं । और ना जाने क्या अंट शंट बोलते रहते हैं ?
अब आईये । जरा हम अपने हिन्दू/सनातन धर्म को भी देखते हैं ।
हमारी 1280 धार्मिक पुस्तकें हैं । जिसकी 10,000 से भी ज्यादा टिप्पणियां और १,00.000 से भी अधिक उप टिप्पणियों मौजूद हैं । 1 भगवान के अनगिनत प्रस्तुतियों की विविधता, अनेकों आचार्य तथा हजारों ऋषि मुनि हैं । जिन्होंने अनेक भाषाओँ में उपदेश दिया है ।
फिर भी हम सभी मंदिरों में जाते हैं । इतना ही नहीं । हम इतने शांति पूर्ण और सहिष्णु लोग हैं कि सब लोग 1 साथ मिलकर सभी मंदिरों और सभी भगवानों की पूजा करते हैं । और तो और पिछले 10 000 साल में धर्म के नाम पर हिंदुओं में कभी झगड़ा नहीं हुआ । Sachinder Verma
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चलो आपका Mind Test करते हैं । देखते हैं । कितने टैलेंटेड लोग हैं ? तो बताओ मित्रो ! एक पीपल के पेड़ के नीचे 5 लोग बैठे थे ।
1 पहला ब्यक्ति बोल नहीं सकता l
2 दूसरा ब्यक्ति आँखों से देख नहीं सकता l
3 तीसरा ब्यक्ति कानों से सुन नहीं सकता l
4 चौथे ब्यक्ति के दोनों हाथ नहीं थे l
5 पाँचवें ब्यक्ति के दोनों पैर नहीं थे l
ऊपर से एक आम गिरा । तो बताओ पहले किसने उठाया होगा ? कुमार दीपू
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अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ।
कोई अक्षर ऐसा नहीं है । जिससे ( कोई ) मन्त्र न शुरु होता हो । कोई ऐसा मूल ( जड़ ) नही है । जिससे कोई औषधि न बनती हो । और कोई भी आदमी अयोग्य नहीं होता । उसको काम में लेने वाले ( मैनेजर ) ही दुर्लभ हैं । शुक्राचार्य
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तेरी नेकी का लिबास ही । तेरा बदन ढकेगा बंदे ।
सुना है ऊपर वाले के घर । कपड़ों की दुकान नहीं होती ।
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शूद्रो: ब्राह्मण तामेति ब्राह्मण श्चेति शुद्रानाम ।
क्षत्रियअज्जात्मेवनतु विधयाद वैश्य: तथैवच । मनुस्मृति ।
कोई भी व्यक्ति शूद्र कुल में जन्म लेकर ब्राह्मण व्यापारी अथवा क्षत्रिय के समान ( अर्जित किये गए गुण विद्या एवं शास्त्र शस्त्र या व्यापारिक शिक्षा उपरान्त ) गुण कर्म स्वभाव रखता हो । तो वह शूद्र कुल में जन्मा व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य माना जाता है ( हो जाता है )
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हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता । गावहिं वेद पुरान श्रुति सन्ता ।
नाना भांति राम अवतारा । रामायन सत कोटि अपारा ।
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और ये हैं - फ़ेसबुक पर पूछे गये प्रश्नों के टिप्पणी रूप उत्तर ।
नौ द्वारों से आशय दो आँखें दो कान दो नासिका छिद्र एक मुँह और मल मूत्र द्वारों से है । ये बहिर्मुख हैं । जबकि
दसवां द्वार अंतर्मुख है । ये लगभग मस्तिष्क के मध्य ध्वनि रूप है । अजपा जाप से सुरति जब सूक्ष्म और लगभग निर्विकारी सी हो जाती है । तब ये ध्वनि रूपी द्वार चुम्बकत्व द्वारा खींचता है । और फ़िर सुरति इसमें से प्रवेश होकर बृह्मांड में निकल जाती है । लेकिन यह सब सिद्धांत समझने से नहीं होता । किसी समर्थ गुरु के शरणागति होने से यह आसानी से हो जाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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गो गोचर जहाँ लगि मन जाई । सो सब माया जानों भाई ।
गो - इन्द्रियां और गोचर - इन्द्रियों के विचरने का स्थान, यह सब माया ही है । अतः अमन स्थिति का बोध और स्थायित्व जब तक नहीं होता । तब तक कोई भी अपने " अहम रूप " से वशीभूत स्वाभाविक ही अनर्गल या असत्य बोलने को बाध्य सा ही है । क्योंकि नमक ( माया ) और मिश्री ( ज्ञान ) में बेहद अन्तर है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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कोमा कई तरह का होता है । भले ही डाक्टर उसे सुविधा हेतु अलग अलग शब्द दे देते हैं । जैसे याददाश्त खो जाना भी कोमा है । और सदमा की स्थिति भी कोमा ही है । किसी ऊँचाई आदि विशेष स्थिति से डर भी कोमा ही है । दरअसल किसी एक या दो तीन चीजों के प्रति शून्यता या कोई विशेष प्रतिक्रिया कोमा ही है ।
एक योगी का कोमा से कोई लेना देना नहीं होता । समाधि जङ और चेतन दो प्रकार की होती है । लेकिन आपने
उनमनी अवस्था में जिस अटकाव की बात कही है । वैसा कभी नहीं होता । ये विस्तार का विषय है । अन्यथा मैं उनमनी को स्पष्ट कर देता । राजीव कुलश्रेष्ठ
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दरअसल सैद्धांतिक ज्ञान और व्यवहारिक प्रयोगात्मक ज्ञान में जमीन आसमान का अन्तर है । क्योंकि जङ, चेतन दोनों समाधि मेरे प्रयोग विषय रह चुके हैं । अतः मैं इसे आसानी से समझ सकता हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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डाक्टर या वैज्ञानिक अभौतिक को लगभग नहीं जानते हैं । वे तो ये भी नहीं जानते । कोमा क्यों ? और उसका निदान क्या ? जबकि आध्यात्म ज्ञानी ऐसी चीजों को सिर्फ़ दूरस्थ चेतना और गुण से ठीक कर सकते हैं । परन्तु अक्सर मनुष्य डाक्टर के सामने बकरा और सन्तों के सामने सयानापन दिखाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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इंटरनेट के बङे बङे ज्ञानियों की ऐसे सार्थक मुद्दों पर बोलती क्यों बन्द हो जाती है । मेरी समझ में नहीं आता । क्या ज्ञान का अर्थ लगभग अशिक्षित औरतों जैसी व्यर्थ विषयों पर तू तू मैं मैं ही होता है ? राजीव कुलश्रेष्ठ
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एक बार किसी ने मुझसे पूछा - आप क्रिकेट के बारे में क्या जानते हैं ।
मैंने कहा - सब कुछ । उसमें होता ही क्या है । एक ओवर में छह गेंद फ़ेंकी जाती हैं । बस - राजीव कुलश्रेष्ठ
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इस M का तो मुझे पता नहीं । पर बचपन में एक M नाम वाले को जानता था । M नाम का लङका था । ९० रुपये कमाता था । ४४ अपने पिता को ४४ अपनी माँ को देता था । और २ रुपये खुद के खर्चे हेतु रखता था । उसका फ़ोटो मेरे पास है । लगा रहा हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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लेकिन ये ( विदेशी ) लोग नारी ( प्रकृति ) और पुरुष ( चेतन ) के वास्तविक स्वरूप को समझने की कोशिश करें । तो भी बहुत कुछ उद्धार हो जाये । राजीव कुलश्रेष्ठ
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बङे भाग मानुष तन पावा । सुर दुर्लभ सद ग्रन्थन गावा ।
साधन धाम मोक्ष करि द्वारा । जेहि न पाय परलोक संवारा ।
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रोहन - मैं ट को हमेशा ट बोलता हूँ ।
श्याम - अरे ! तो ट को सभी ट ही बोलते हैं । ठ कौन बोलता है ?
रोहन - श्याम जी ! लगटा है । बाट टुम्हारी समझ में नहीं आयी ।
जय श्री राम जय श्रीकृष्ण । Prakash Nayak
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क्या आप शुद्ध उच्चारण करते हैं ? डाकदर साब हैं का ?
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एक आलस्य शिरोमणि लङके के पिता ने उससे कहा - बेटे ! मैंने ऐसा प्रबन्ध किया है कि हरेक इच्छा आवश्यकता की पूर्ति हेतु सिर्फ़ एक बटन दबाना होगा । लङका झुंझलाकर बोला - लेकिन वो बटन दबायेगा कौन ? आपने इससे बङा आलसी कोई देखा है ?
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कटु सत्य - भारत में हिन्दुत्व को कोई नहीं बचा सकता । और ये संभव भी नहीं है । क्योंकि 70% हिन्दू
सेक्युलर हैं । और बाकी के 30% कट्टर होते हुए खुद के मतभेदों में उलझे हुए हैं । सबके अपने अपने मुद्दे हैं । वो दिन दूर नहीं । जब हिन्दुत्व के बजाय नास्तिक हिन्दू हर जगह दिखने शुरू हो जायेंगे । और हमें ही वनमानुष वाली थ्योरी पढाना शुरु करेंगे । क्योंकि आज के समय हिन्दू न अपने धर्म का पक्का है । न ही अपनी बातों का । कोशिश जारी रहेगी हिन्दुत्व को बचाने की । और खुद को मिटाने की । प्रदीप सोनी विद्रोही
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काम वाली बाई । 1 दिन अचानक । काम पर नहीं आई ।
पत्नी ने फोन पर डांट लगाईं । अगर तुझे नहीं आना था ।
तो पहले बताना था ।
बोली । मैंने तो परसों ही । फेसबुक पर लिख दिया था ।
1 सप्ताह के लिए गोवा जा रही हूँ । पहले अपडेट रहो ।
फिर भी पता न चले तो कहो ।
पत्नी बोली । तू फेसबुक पर भी है ?
जवाब दिया । मैं तो बहुत पहले से फेसबुक पर हूँ ।
साहब मेरे फ्रेंड हैं । बिलकुल नहीं झिझकते हैं ।
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आई मिस यू ! जल्दी आना । मुझे नहीं भाएगा पत्नी के हाथ का खाना ।
इतना सुनते ही मुसीबत बढ़ गयी । पत्नी ने फोन बंद किया ।
और मेरी छाती पर चढ़ गयी ।
गब्बर सिंह के अंदाज़ में बोली । तेरा क्या होगा रे कालिया ।
मैंने कहा - देवी ! मैंने तेरे साथ फेरे खाए हैं ।
वह बोली - तो अब मेरे हाथ का खाना भी खा ।
अचानक दोबारा फोन करके ।
पत्नी ने काम वाली बाई से । पूछा घबराये घबराए ।
तेरे पास गोवा जाने के लिए । पैसे कहाँ से आये ?
वह बोली - सक्सेना जी के साथ । एलटीसी पर आई हूँ ।
पिछले साल वर्माजी के साथ । उनकी काम वाली बाई गयी थी ।
तब मै नई नई थी । जब मैंने रोते हुए ।
उन्हें अपनी जलन का कारण बताया । तब उन्होंने ही समझाया ।
क़ि वर्माजी की कामवाली बाई के । भाग्य से बिलकुल नहीं जलना ।
अगले साल दिसम्बर में । मैडम जब मायके जायगी ।
तब तू मेरे साथ चलना ।
पहले लोग कैश बुक खोलते थे । आजकल फेसबुक खोलते हैं ।
हर कोई फेसबुक में बिजी है ।
कैश बुक खोलने के लिए कमाना पड़ता है । इसलिए फेसबुक इजी है ।
आदमी कंप्यूटर के सामने बैठकर । रात रात भर जागता है ।
बिंदास बातें करने के लिए । पराई औरतों के पीछे भागता है ।
लेकिन इस प्रकरण से । मेरी समझ में यह बात आई है ।
क़ि जिसे वह बिंदास मॉडल समझ रहा है ।
वह तो किसी की काम वाली बाई है । जिसने कन्फ्यूज़ करने के लिए ।
किसी जवान सुन्दर लड़की की फोटो लगाईं है ।
सारा का सारा मामला लुक पर है । अब तो मेरा कुत्ता भी फेसबुक पर है ।
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ईसाई धर्म में - 1 मसीह । 1 बाइबल । और 1 ही धर्म है । लेकिन मजे कि बात ये कि लैटिन कैथोलिक, सीरियाई कैथोलिक चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये दोनों मर्थोमा चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये तीनों Pentecost के चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । और ये चारों साल्वेशन आर्मी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । इतना ही नहीं । ये पांचों सातवें दिन Adventist चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये 6 के 6 रूढ़िवादी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । अब ये सातों जैकोबाइट चर्च में प्रवेश नहीं करेगा ।
और इसी तरह से ईसाई धर्म की 146 जातियां सिर्फ केरल में ही मौजूद हैं । इतना शर्मनाक होने पर भी ये चिल्लाते रहेंगे कि 1 मसीह 1 बाइबिल 1 धर्म ??
- अब देखिए मुस्लिमों को 1 अल्लाह 1 कुरान 1 नबी । और महान एकता बतलाते हैं ? जबकि मुसलमानों के बीच शिया और सुन्नी सभी मुस्लिम देशों में एक दूसरे को मार रहे हैं । और अधिकांश मुस्लिम देशों में इन दो
संप्रदायों के बीच हमेशा धार्मिक दंगा होता रहता है । इतना ही नहीं शिया को सुन्नी मस्जिद में जाना माना है । इन दोनों को अहमदिया मस्जिद में नहीं जाना है । और ये तीनों सूफी मस्जिद में कभी नहीं जाएँगे । फिर इन चारों का मुजाहिद्दीन मस्जिद में प्रवेश वर्जित है । और इसी प्रकार से मुस्लिमों में भी 13 तरह के मुस्लिम हैं । जो एक दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं । और आपस में बमबारी और मारकाट वगैरह मचाते रहते हैं । लेकिन फिर भी भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए ये दिन भर लाउडस्पीकर पर गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते रहेंगे कि अल्लाह 1 है । हमारा 1 कुरान है । 1 नबी है । हम अच्छे हैं । और ना जाने क्या अंट शंट बोलते रहते हैं ?
अब आईये । जरा हम अपने हिन्दू/सनातन धर्म को भी देखते हैं ।
हमारी 1280 धार्मिक पुस्तकें हैं । जिसकी 10,000 से भी ज्यादा टिप्पणियां और १,00.000 से भी अधिक उप टिप्पणियों मौजूद हैं । 1 भगवान के अनगिनत प्रस्तुतियों की विविधता, अनेकों आचार्य तथा हजारों ऋषि मुनि हैं । जिन्होंने अनेक भाषाओँ में उपदेश दिया है ।
फिर भी हम सभी मंदिरों में जाते हैं । इतना ही नहीं । हम इतने शांति पूर्ण और सहिष्णु लोग हैं कि सब लोग 1 साथ मिलकर सभी मंदिरों और सभी भगवानों की पूजा करते हैं । और तो और पिछले 10 000 साल में धर्म के नाम पर हिंदुओं में कभी झगड़ा नहीं हुआ । Sachinder Verma
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चलो आपका Mind Test करते हैं । देखते हैं । कितने टैलेंटेड लोग हैं ? तो बताओ मित्रो ! एक पीपल के पेड़ के नीचे 5 लोग बैठे थे ।
1 पहला ब्यक्ति बोल नहीं सकता l
2 दूसरा ब्यक्ति आँखों से देख नहीं सकता l
3 तीसरा ब्यक्ति कानों से सुन नहीं सकता l
4 चौथे ब्यक्ति के दोनों हाथ नहीं थे l
5 पाँचवें ब्यक्ति के दोनों पैर नहीं थे l
ऊपर से एक आम गिरा । तो बताओ पहले किसने उठाया होगा ? कुमार दीपू
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अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ।
कोई अक्षर ऐसा नहीं है । जिससे ( कोई ) मन्त्र न शुरु होता हो । कोई ऐसा मूल ( जड़ ) नही है । जिससे कोई औषधि न बनती हो । और कोई भी आदमी अयोग्य नहीं होता । उसको काम में लेने वाले ( मैनेजर ) ही दुर्लभ हैं । शुक्राचार्य
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तेरी नेकी का लिबास ही । तेरा बदन ढकेगा बंदे ।
सुना है ऊपर वाले के घर । कपड़ों की दुकान नहीं होती ।
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शूद्रो: ब्राह्मण तामेति ब्राह्मण श्चेति शुद्रानाम ।
क्षत्रियअज्जात्मेवनतु विधयाद वैश्य: तथैवच । मनुस्मृति ।
कोई भी व्यक्ति शूद्र कुल में जन्म लेकर ब्राह्मण व्यापारी अथवा क्षत्रिय के समान ( अर्जित किये गए गुण विद्या एवं शास्त्र शस्त्र या व्यापारिक शिक्षा उपरान्त ) गुण कर्म स्वभाव रखता हो । तो वह शूद्र कुल में जन्मा व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य माना जाता है ( हो जाता है )
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हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता । गावहिं वेद पुरान श्रुति सन्ता ।
नाना भांति राम अवतारा । रामायन सत कोटि अपारा ।
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और ये हैं - फ़ेसबुक पर पूछे गये प्रश्नों के टिप्पणी रूप उत्तर ।
नौ द्वारों से आशय दो आँखें दो कान दो नासिका छिद्र एक मुँह और मल मूत्र द्वारों से है । ये बहिर्मुख हैं । जबकि
दसवां द्वार अंतर्मुख है । ये लगभग मस्तिष्क के मध्य ध्वनि रूप है । अजपा जाप से सुरति जब सूक्ष्म और लगभग निर्विकारी सी हो जाती है । तब ये ध्वनि रूपी द्वार चुम्बकत्व द्वारा खींचता है । और फ़िर सुरति इसमें से प्रवेश होकर बृह्मांड में निकल जाती है । लेकिन यह सब सिद्धांत समझने से नहीं होता । किसी समर्थ गुरु के शरणागति होने से यह आसानी से हो जाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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गो गोचर जहाँ लगि मन जाई । सो सब माया जानों भाई ।
गो - इन्द्रियां और गोचर - इन्द्रियों के विचरने का स्थान, यह सब माया ही है । अतः अमन स्थिति का बोध और स्थायित्व जब तक नहीं होता । तब तक कोई भी अपने " अहम रूप " से वशीभूत स्वाभाविक ही अनर्गल या असत्य बोलने को बाध्य सा ही है । क्योंकि नमक ( माया ) और मिश्री ( ज्ञान ) में बेहद अन्तर है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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कोमा कई तरह का होता है । भले ही डाक्टर उसे सुविधा हेतु अलग अलग शब्द दे देते हैं । जैसे याददाश्त खो जाना भी कोमा है । और सदमा की स्थिति भी कोमा ही है । किसी ऊँचाई आदि विशेष स्थिति से डर भी कोमा ही है । दरअसल किसी एक या दो तीन चीजों के प्रति शून्यता या कोई विशेष प्रतिक्रिया कोमा ही है ।
एक योगी का कोमा से कोई लेना देना नहीं होता । समाधि जङ और चेतन दो प्रकार की होती है । लेकिन आपने
उनमनी अवस्था में जिस अटकाव की बात कही है । वैसा कभी नहीं होता । ये विस्तार का विषय है । अन्यथा मैं उनमनी को स्पष्ट कर देता । राजीव कुलश्रेष्ठ
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दरअसल सैद्धांतिक ज्ञान और व्यवहारिक प्रयोगात्मक ज्ञान में जमीन आसमान का अन्तर है । क्योंकि जङ, चेतन दोनों समाधि मेरे प्रयोग विषय रह चुके हैं । अतः मैं इसे आसानी से समझ सकता हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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डाक्टर या वैज्ञानिक अभौतिक को लगभग नहीं जानते हैं । वे तो ये भी नहीं जानते । कोमा क्यों ? और उसका निदान क्या ? जबकि आध्यात्म ज्ञानी ऐसी चीजों को सिर्फ़ दूरस्थ चेतना और गुण से ठीक कर सकते हैं । परन्तु अक्सर मनुष्य डाक्टर के सामने बकरा और सन्तों के सामने सयानापन दिखाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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इंटरनेट के बङे बङे ज्ञानियों की ऐसे सार्थक मुद्दों पर बोलती क्यों बन्द हो जाती है । मेरी समझ में नहीं आता । क्या ज्ञान का अर्थ लगभग अशिक्षित औरतों जैसी व्यर्थ विषयों पर तू तू मैं मैं ही होता है ? राजीव कुलश्रेष्ठ
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एक बार किसी ने मुझसे पूछा - आप क्रिकेट के बारे में क्या जानते हैं ।
मैंने कहा - सब कुछ । उसमें होता ही क्या है । एक ओवर में छह गेंद फ़ेंकी जाती हैं । बस - राजीव कुलश्रेष्ठ
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इस M का तो मुझे पता नहीं । पर बचपन में एक M नाम वाले को जानता था । M नाम का लङका था । ९० रुपये कमाता था । ४४ अपने पिता को ४४ अपनी माँ को देता था । और २ रुपये खुद के खर्चे हेतु रखता था । उसका फ़ोटो मेरे पास है । लगा रहा हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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लेकिन ये ( विदेशी ) लोग नारी ( प्रकृति ) और पुरुष ( चेतन ) के वास्तविक स्वरूप को समझने की कोशिश करें । तो भी बहुत कुछ उद्धार हो जाये । राजीव कुलश्रेष्ठ
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बङे भाग मानुष तन पावा । सुर दुर्लभ सद ग्रन्थन गावा ।
साधन धाम मोक्ष करि द्वारा । जेहि न पाय परलोक संवारा ।
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रोहन - मैं ट को हमेशा ट बोलता हूँ ।
श्याम - अरे ! तो ट को सभी ट ही बोलते हैं । ठ कौन बोलता है ?
रोहन - श्याम जी ! लगटा है । बाट टुम्हारी समझ में नहीं आयी ।
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