24 अक्टूबर 2013

थोडे गुस्से से काम नही बनेगा

गिनीपिग - आप कभी बीमार पडे । और डाक्टर की केबिन में बैठे हैं । तब कोई ब्लू शर्ट और टाई पहना हुआ आदमी आता है । और लाइन तोडते हुए डाक्टर की केबिन में घुस जाता है । आपको गुस्सा आता है । आप सोचते हो । उस दवाई की कंपनी के सेल्समेन ने आपका समय खराब किया । लेकिन आपका गुस्सा बहुत ज्यादा होना चाहिए । थोडे से गुस्से से काम नही बनेगा । क्योंकि उसने आपका समय ही नहीं । आपकी सेहत भी खराब की है । जेब की खराबी तो भूल जाओ । वो तो हर जगह होनी है । दानव समुदाय की मल्टीनेशनल दवाई कंपनियों के लिए भारत एक टेस्टिंग सेन्टर बन गया है । जहाँ गरीब जनता का अमानवीय नैदानिक परीक्षण हेतु एक गिनीपिग की तरह उपयोग किया जा रहा है । आखिर में सुप्रिम कोर्ट

ने भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि भारत में 162 वैश्विक नैदानिक परीक्षणों की स्वीकृति देने का औचित्य साबित करो । क्योंकि भारत एक उभरता हुआ देश है । और ढीले ढाले नियामक प्रोटोकॉल के कारण दुनियां की चिकित्सा प्रणालियों पर हावी होने की अपनी कभी न खत्म होने वाली दवा कार्टेल की नीति का एक प्राथमिक लक्ष्य भारत भी बन जायेगा । प्रमुख दवा कंपनियां भारत सरकार को मनाने में काफी हद तक सफल हो गई हैं । और जिन क्षेत्रों में स्वाथ्य सेवा का अभाव है । उन गरीब समुदायों में ग्रामीण भारतीयों पर परीक्षण किया गया है । जिनमें से कई NCEs , नई रासायनिक इकाई  New chemical entity शामिल हैं । और भी सभी प्रकार के परीक्षण के लिए मंजूरी पा ली है । परिस्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि मजबूरन मानवतावादी एक्टिविस्टों को आगे आना पडा है । और कानून का सहारा लेना पडा है । और सरकारी आफिसरों के खिलाफ शिकायत करनी पडी है । सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत को सुना । और हाल ही में एक सुनवाई में सरकार से इन परीक्षणों को दी गई मंजूरी के पीछे का वैज्ञानिक सबूत प्रदान करने के लिए कहा गया है । स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो सप्ताह है । कंपनियां गरीबों का लाभ उठाये बिना उचित प्रोटोकॉल के NCEs  के क्लीनिकल परीक्षण आयोजित किये जा रही हैं । स्वास्थ्य अधिकार मंच की कोर्डिनेटर अमूल्य निधि का कहना है - भारत में अवैध और अनैतिक दवा परीक्षणों को समाप्त करना जरूरी है । संगठन की वेबसाइट में कहा गया है कि भारत में नैदानिक परीक्षण बडी तेजी के साथ बढ रहे हैं । और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक जोखम कारक बना गया है । क्लिनिकल परीक्षण के दौरान सिर्फ 2010 और 2012 के वर्ष के बीच १५०० नागरिक को अपनी जान देनी पडी है । सरकार अगर बहुत मोटा वित्तीय लाभ पाने का

लालच नही छोडेगी । बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को नही रोकेगी । तो और भी हजारों नागरिक उन बदनसीब नागरिकों के पिछे चल देंगे । केमिस्ट्री वर्ल्ड  में दिन्शा साचन लिखते हैं - NCEs का परीक्षण विवादित हो गया है । क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में हुई मौत का आंकडा बहुत ऊँचा है । स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार - नैदानिक परीक्षणों में 1,542 लोगों की मृत्यु 2010 और 2012 के बीच हो गई है । Monthly Index of Medical Specialties के एडिटर सी. एम. गुलाटी ने अपने देश के आम लोगों की ओर से संवाददाताओं से कहा कि - भारत में NCEs का परीक्षण देश की मदद नहीं करता है । इसके विपरीत, यह केवल बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को ही मदद करता है । लागत में कटौती और मुआवजे के भुगतान से बचने के लिए भारत में किया जाता है । दूसरे देशों में दरदी ? की जान जाने पर बडा भारी मुआवजा चुकाना पडता है ।  The non-profit organization  Low Cost Standard Therapeutics  के चीनु श्रीनिवासन इस बात से सहमत हैं । उन्होंने संवाददाताओं से कहा - NCEs के नैदानिक परीक्षण के फेज-२ और फेज-३ की भी अनुमति भारत में मिली हुई है । अपने देश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना के साथ अनुकुल नही हैं । कई अन्य लोगों की तरह, श्रीनिवासन को भी भारत का मौजूदा नियामक ढांचा गंभीर रूप से कमजोर लगता है । जो नैतिक रूप से दिवालिया बनी हुई दवा कंपनियों को सिस्टम का व्यापक दुरुपयोग करने देने की सुविधा देता है । अपने संगठन के अभियान के उद्देश्य के बारे में निधि कहती हैं - हम जानते हैं । चिंतित हैं । और लोगों के हितों के लिए

प्रतिबद्ध हैं । ध्यान देने योग्य बात है कि  एक बेहतर विनियामक ढांचे के परिणाम से नागरिकों की जान बचती है । तो बड़ी बड़ी फार्मा कंपनियों को कितना भी नुकसान उठाना पडे । हमें कोई परवाह नही । डाक्टर की केबिन में घुसकर दवा सेल्समेन डाक्टर से क्या क्या व्यापारिक परीक्षण करवाता है । और उस से दरदी ? को क्या नुकसान जाता है । उस पर भी थोडा बता दिया होता । तो अच्छा था । निधि जी ! हमें तो अंदाजित नुकसान का पता है । जरूरत ना होने पर भी दवा लिख दी जाती है । या जरूरत की दवा के बदले दूसरी दवा लिख दी जाती है । Siddharth Bharodiya
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विश्व में अनेकों धर्म और संप्रदाय प्रचलित हैं । लेकिन इस्लाम केवल अपनी मान्यताओं और विश्वास को ही 

प्रमाण मानता है । और दूसरों को मनवाने का प्रयास करता रहता है । इस्लामी परिभाषा में इस विश्वास को ही ईमान कहा जाता है । भले ही ऐसा विश्वास या मान्यता तर्क सम्मत नहीं हो । मुसलमान उसे सही मानते हैं । साधारण लोग इस्लाम के सुन्नी और शिया समुदाय के बारे में जानते हैं । और उनकी अधिक संख्या होने के कारण उन्हीं को इस्लाम का सही रूप समझ लेते हैं । क्योंकि इन दोनों फिरकों का मुख्य आधार अल्लाह और कुरआन ही है । और बाकी मान्यताएं जैसे - रसूल, जन्नत जहन्नम, कयामत, कलमा और नमाज आदि इन दोनों से सम्बंधित है । मुसलमान अल्लाह को साबित करने के लिए तर्क देते हैं कि - ऐसा कुरआन में लिखा है । और जब कुरआन की प्रमाणिकता की बात आती है । तो कहते हैं । यह अल्लाह की किताब है । जबकि यह दोनों बातें एक दूसरे पर आधारित हैं । लेकिन बहुत लोगों को नहीं पता होगा कि मुसलमानों का एक ऐसा काफी बड़ा फिरका भी है । जो अल्लाह और कुरआन के अलावा अन्य बातों के बारे में बिलकुल विपरीत विचार रखता है । इस इस्लामी समुदाय को " अलवी  علوية ” मुसलमान कहा जाता है । इनके बारे में इसलिए बताना जरुरी है । क्योंकि इन्हीं के साथ अल्लाह की मौत का रहस्य भी जुड़ा हुआ है । इसलिए इस लेख को ध्यान से पढ़िए । http://hindurashtra.wordpress.com/2012/08/06/133/
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पति  पत्नी रात में बिस्तर पर खामोशी से लेटे हुए । आपस में कोई बात नहीं । पत्नी के मन की चिंताएं - 1 ये मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे ?
2 क्या अब मैं पहले जैसी खूबसूरत नहीं रही ?
3 कहीं मेरा वजन तो नही बढ़ गया ?
4 कहीं मेरे चेहरे की झुर्रियों पर इनका ध्यान ना गया हो ?
5 कहीं इनके जीवन में कोई और तो नहीं आ गई ?
6 कहीं ये मेरी रोज की कच कच से तंग तो नहीं आ गये ? 
पति के मन की चिंता - ये स्साला धोनी ने इशांत शर्मा को ओवर क्यों दिया...Bs Pabla
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वो सोच रहा है मैं जागूं तो वो कुछ कहे ।  मैं सोचता हूँ कि मैं सोया ही कब हूँ ।
Rajeev Thepra
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This is the most meaningful msg Man asked God - Give me everything to enjoy life . God replied - I have given you life to enjoy everything.Prem Lohana
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आज करवा चौथ है । भूखी प्यासी रहेगी पत्नी । और उम्र लंबी होगी पति की । ये तो वही बात हो गई कि मोबाइल चार्जिंग पर लगा है पत्नी का । और बैटरी फुल हो रही है पति की । Naresh Lokwani
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यजुर्वेद में वृत की बहुत सुन्दर परिभाषा दी गई है - अग्ने वृतपते वृतं चरिष्यामि, तच्छकेयं तन्मे राध्यताम । इदं अहं अनृतात सत्यम उपैमि । यजु. 1/5 अर्थात - हे अग्नि स्वरूप वृतपते सत्यवृत पारायण साधक पुरूषों के पालन पोषक परम पिता परमेश्वर ! मैं भी व्रत धारण करना चाहता हूँ । आपकी कृपा से मैं अपने उस व्रत का पालन कर सकूँ । मेरा यह व्रत सफल सिद्ध हो । मेरा व्रत है कि मैं मिथ्याचारों को छोड़कर सत्य को प्राप्त करता हूँ । इस वेद मंत्र में परम पिता परमेश्वर को व्रतपते कहा गया । अर्थात सत्याचरण करने वाले सदाचारियों का पालक पोषक रक्षक कहा गया । सत्य स्वरूप ईश्वर सत्य के व्रत को धारण करने वाले साधकों व्रतियों का अर्थात ईश्वर के सत्य स्वरूप को जान मानकर पालन करने वालों का पालक पोषक रक्षक है । अतः व्रत धारण करने वाला मनुष्य असत्य को छोड़कर सत्य को धारण करने का संकल्प ले । इसी का नाम व्रत है ।
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निकाह के बाद दूल्हा मौलवी साहब से बोला - मौलवी साहब ! आपकी फीस ? मौलवी - जनाब ! बेगम की ख़ूबसूरती के मुताबिक दे दो ।
मौलवी की बात सुनकर दूल्हे ने अपनी जेब में हाथ डाला । और चुपचाप 10 रूपए का नोट मौलवी साहब के हाथ में थमाकर उठकर जाने लगा । तभी अचानक हवा से दुल्हन का घूँघट उठ गया । मौलवी - अमां मियाँ ! बाकी के पैसे तो लेते जाओ ।
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1378 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - ईरान । 1761 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - अफगानिस्तान । 1947 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - पाकिस्तान । 1971 में 1 नया इस्लामिक मुल्क बना । जो कभी भारत का हिस्सा था । नाम हुआ - बांग्लादेश । 1952 से 1990 के बीच भारत का 1 राज्य इस्लामिक हो गया । नाम है - कश्मीर । और अब उत्तर प्रदेश, असम और केरल इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर हैं । और यदि हम हिंदुओं को जगाने का काम करते हैं । सच्चाई बताते हैं । तो कुछ लोग हमें RSS  और VHP वाला कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं । कितना बदनाम कर दिया है । काँग्रेस ने इन राष्ट्रवादी संगठनो को । मर जाओ चिल्ला चिल्लाकर । लेकिन हिंदू नहीं जागेंगे । Hindurashtra
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भाई लोग ! फटाफट पहले ये वीडियो सुन लो l फिर मेरी बात समझ आएगी l फोटो में दिख रहा होगा कि लड़ाई किसके किसके बीच की है ? एक तरफ इलुमिनाटी के दानव हैं । दूसरी तरफ हमारे संत l
https://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=lvkq75IBuiw 
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एक पिता अपने बेटे के साथ पहाड़ों की सैर पर निकला । अचानक बेटा गिर गया । चोट लगने पर उसके मुंह से निकला - आह !
तुरंत पहाड़ों में से कहीं - से आवाज आई -  आह !  बेटा अचरज में रह गया । उसने फौरन पूछा - तुम कौन हो ? 

सामने से वही सवाल आया - तुम कौन हो ? बेटा चिल्लाया - मैं तुम्हारी तारीफ करता हूँ ।
पहाड़ों से जवाब आया - मैं तुम्हारी तारीफ करता हूँ ।
अपनी बात की नकल करते देखकर बेटा गुस्से में चिल्लाया - डरपोक ।
जवाब मिला - डरपोक । उसने पिता की ओर देखा । और पूछा - यह क्या हो रहा है ? पिता ने मुस्कुराते हुए कहा - बेटा ! जरा ध्यान दो ।
इसके बाद पिता चिल्लाया - तुम चैंपियन हो । जवाब मिला - तुम चैंपियन हो । बेटे को हैरानी हुई । लेकिन वह कुछ समझ नहीं सका ।
इस पर पिता ने उसे समझाया - लोग इसे गूंज ( इको ) कहते हैं । लेकिन वास्तव में यह जिंदगी है ।
यह आपको हर चीज़ वापस लौटाती है । जो आप कहते हैं । या करते हैं । हमारी जिंदगी हमारे कामों का ही प्रतिबिंब है । अगर आप दुनिया में
ज्यादा प्यार पाना चाहते हैं । तो अपने दिल में ज्यादा प्यार पैदा करें ।
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आपने कभी सोचा है कि आपको मानसिक या सही अर्थों में आत्मिक उर्जा किससे मिलती है ? गहरी निद्रा में हुये चेतना संयोग से । इसका थोङा ही गहन परीक्षण करने पर आपको पता चलेगा । शरीर के लिये उर्जा भोजन से तथा चेतन उर्जा किसी अज्ञात स्रोत से मिलती है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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यदि आप अष्टांग योग में कंठ, तत्व आदि पर संयम के बारे में जानेंगे । तो जल तत्व ( से पानी की पूर्ति ) और खेचरी आदि को सिद्ध करने से कई चीजों की पूर्ति होती है । कहने का अर्थ शरीर से किये परिश्रम के आधार पर ही तदनुसार भोजन की आवश्कयता है । और अच्छे योगी को इसके विकल्प कई योगों से प्राप्त हो जाते हैं । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अपामार्ग के एक मुठ्ठी से भी कम बीजों की खीर खाने से एक सप्ताह भूख और शौच की समस्या खत्म हो जाती है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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प्रह्लाद जानी जैसे केसों को ऐसी ही यौगिक दुर्घटना कहा जा सकता है । जिसके बारे में व्यक्ति को खुद भी नही मालूम होता है । मेरे कहने का अर्थ है । योग में कर्मशील रहते हुये इससे अच्छी स्थितियां होती हैं । वह व्यक्ति भरपूर श्रम भी करता है । और बिना खाये भी उसकी उर्जा का जरा भी हास नहीं होता । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अगर आप अपनी मर्जी से ध्यान की सही खुराक लेने की स्थिति में आ जायें । तो आपको आराम हेतु सोने की आवश्यकता नहीं होगी । जबकि स्फ़ूर्ति सामान्य से कई गुना अधिक होगी । भोजन और पानी की भी विशेष आवश्यकता नहीं होगी । और ये तो मैं ही सिखा दूँगा । राजीव कुलश्रेष्ठ
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21 oct  के बारे में आप देख सकते हैं । वह मेरा लिखा नहीं है । नेट का लिंक है । जहाँ तक मेरे तथ्यों में किसी तारीख का जिक्र है । वह सिर्फ़ आगामी अगस्त माह में विस्फ़ोट को लेकर है । जहाँ तक 2012 की बात है । वह मेरे अनुभव के बजाय विभिन्न सन्तों की भविष्यवाणियों पर अधिक आधारित था । फ़िर भी कुछ साक्षात भी थे । वास्तव में उनमें से कई ( 2012 ) संकेत रूप हुये भी । जैसे सागर का जल खौलना । भूगर्भीय ज्वलनशील तेलों का एकदम सतह पर आ जाना आदि । यह प्रलय जो वहीं से शुरूआत थी । कुछ समय के लिये विभिन्न शक्तियों के हस्तक्षेप से टल गयी । कारण ऊपरी प्रशासन में नियुक्त अधिपतियों में बदलाव भी होना था । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अभी के अनुभव संकेत रूप थे । ये स्व चेष्टित ध्यान की अवस्था कम विभिन्न योगियों को समाचार रूप अधिक भेजे गये थे । अगर आप देश विदेश और वैज्ञानिक स्तर पर गतिविधियों की जानकारी रखते हैं । तो सभी कुछ अभी प्रारम्भिक स्तर पर निरन्तर हो रहा है । सूर्य और चन्द्रमा में निरन्तर कुछ न कुछ घट रहा है । कई धूमकेतु कृमशः आ रहे हैं । डेंगू ( हड्डी तोङ ज्वर ) कई जगह फ़ैल रहा है । फ़ैल चुका है । गृहयुद्ध और देशों में युद्ध का माहौल बनता ही जा रहा है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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ये संकेत इतनी तेजी से आ रहे थे कि मैं इन सबको भूल जाता । अतः मैंने मध्य प्रदेश अपने शिष्य को बीसियों बार फ़ोन कर बीच बीच में नोट करने को कहा । जिसमें डिस्टर्बेंस फ़ोन न लगना आदि रुकावटें भी आयीं । यदि मैं फ़ोन लगातार कनेक्ट रखता । तो उस दशा में संकेत नहीं आते । अतः कह सकते हैं । संकेत पूर्ण रूपेण स्थिति में ग्रहण न हो सके । राजीव कुलश्रेष्ठ
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यह संकेत पहेलियों की तरह हैं । जिनको मैं काफ़ी हद तक स्पष्ट कर सकता था । पर मैंने इसको आप सभी के चिन्तन हेतु छोङ दिया ।
- फ़ेसबुक ग्रुप पर कई लोग सवाल कर देते हैं । जिसकी वजह से उन्हें ही उत्तर दे पा रहा हूँ । कुछ अन्य रुकावटें भी बन जाती हैं । राजीव कुलश्रेष्ठ   
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कुल मिलाकर मेरी नजर में न यह चमत्कार है । न कोई उपलब्धि । बल्कि एक विशेष दुर्घटना की खास स्थिति है । जो बहुतों के साथ विभिन्न प्रकारों से घटती है । प्रह्लाद का यौगिक इलाज न कराकर एक शापित सा निष्क्रिय जीवन बिता देना मेरे नजरिये से पागलपन से अधिक नहीं । हाँ ऐसा किन कारणों परिस्थितियों में हुआ । वो मैं नहीं जानता । क्योंकि कभी कभी मनुष्य हालात से मजबूर भी हो जाता है
राजीव कुलश्रेष्ठ  
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इस प्रश्न का भी बहुत कुछ सम्बन्ध आपके भूकंप और आध्यात्म में क्या सम्बन्ध ? से जुङा है । जब कोई योगी प्रथ्वी जल आकाश जैसे तत्व भी सिद्ध करता है । तो इस सिद्ध योग के समय यह उन्हें मटर के दाने से भी छोटे नजर आते हैं । उन्हीं पर चेतना की निरन्तर एकाग्रता सम्बन्धित तत्व को सिद्ध कर देती । सिद्ध होने पर यही प्रथ्वी किसी आडियो विजुअल माध्यम की भांति पूर्ण या मनचाहे आंशिक रूप में दिखाई देगी । तब हम प्राप्त सिद्धि के अनुसार नियम के अंतर्गत उसी आडियो विजुअल में जो क्रिया आदि करेंगे । वही इस स्थूल प्रथ्वी में भी हो जायेगी । राजीव कुलश्रेष्ठ  
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हा हा हा हा हा हा हा - मच्छरों की गिनती भी कर ली हा हा हा हा हा हा - जेड सुरक्षा क्या कर रही थी पप्पू भैया ? धर्मवीर शर्मा
25 हजार मच्छरों ने काटा राहुल गांधी को । हम मजाक नहीं कर रहे । ये उन्होंने खुद कहा है । जानें । और क्या क्या बोले राहुल । और कहां काटा उन्हें मच्छरों ने । #rahul25000 #rahulmachcharstory
http://aajtak.intoday.in/story/rahul-said-in-2009-i-toured-budelkhand.-i-was-bitten-by-25000-mosquitoes-1-745408.html
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राहुल को भी पता चल गया कि मोदी ही असली हीरो हैं । रैली उनकी और ज़िंदाबाद के नारे मोदी के । कितना अच्छा और फिल्मी लग रहा होगा । बहुत बडिया ।
http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/pro-modi-slogans-at-rahul-gandhi-rally-in-rajasthan/articleshow/24643048.cms
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Rama Setu ( Bridge ) An Engineering Marvel of 5076 BCE ( Hindi )
http://www.youtube.com/watch?v=RlhGEvkBD-Y

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