गिलोय - अमृत बेल Tinospora cordifolia - गिलोय को अमृता भी कहा जाता है । यह 1 झाडीदार लता है । इसकी बेल की मोटाई 1 अंगुली के बराबर होती है । इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं । बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये । नीचे आपको हरा, मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये । विभिन्न रोगों और मौसम के अनुसार गिलोय के अनुप्रयोग ।
- अगर platelets बहुत कम हो गए हैं । तो चिंता की बात नहीं । aloevera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं । - कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें । इसमें wheat grass का जूस । और 5-7 पत्ते तुलसी के । और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें । इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है ।
- गिलोय रस 10-20 मिग्रा गेहूँ का जवारा 10-20 मिग्रा तुलसी 7 पत्ते, नीम 2 पत्ते, सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में लाभ होता है । यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है । इसे रसायन के रूप में शुक्रहीनता दौर्बल्य में भी प्रयोग करते हैं । ऐसा कहा जाता है कि यह शुक्राणुओं के बनने की उनके सक्रिय होने की प्रक्रिया को बढ़ाती है । इस प्रकार यह औषधि 1 समग्र कायाकल्प योग है । शोधक भी तथा शक्तिवर्धक भी ।
निर्धारणानुसार प्रयोग - जीर्ण ज्वर या 6 दिन से भी अधिक समय से चले आ रहे न टूटने वाले ज्वरों में गिलोय 40 ग्राम अच्छी तरह कुचल कर मिट्टी के बर्तन में पाव भर पानी में मिलाकर रात भर ढककर रखते हैं । प्रातः
मसल कर छान लेते हैं । 80 ग्राम की मात्रा दिन में 3 बार पीने से जीर्ण ज्वर नष्ट हो जाता है । ऐसे असाध्य ज्वरों में, जिसके कारण का पता सारे प्रयोग परीक्षणों के बाद भी नहीं चल पाता ( पायरेक्सिया ऑफ अननोन ऑरीजन ) समूल नष्ट करने का बीड़ा गिलोय ही उठाती है ।
- 1 पाव गिलोय 8 सेर जल में पकाकर आधा अवशेष जल देने से पर ज्वर दूर होता है । व जीवन शक्ति बढ़ती है । पंचामृत - गिलोय रस 10 से 20 मिग्रा । घृतकुमारी रस 10 से 20 मिग्रा । गेहूं का ज्वारा 10 से 20 मिग्रा । तुलसी-7 पत्ते । सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में अत्यन्त लाभ होता है । यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यन्त लाभकारी है ।
- सर्दी जुकाम, बुखार आदि में 1 अंगुल मोटी व 4 से 6 लम्बी गिलोय लेकर 400 ग्राम पानी में उबालें । 100 ग्राम रहने पर पियें । यह रोग प्रतिरोधक क्षमता/इम्यून सिस्टम को मजबूत कर त्रिदोषों का शमन करती है । व सभी रोगों, बारबार होने वाले सर्दी, जुकाम बुखार आदि को ठीक करती है ।
घृतकुमारी - ताजा पत्ता लेकर छिलका उतारकर अन्दर के गूदेदार भाग या रस निकालकर 20 से 40 मिली ग्राम सेवन करें । यह सभी वात रोग, जोड़ों का दर्द, उदर रोग, अम्लपित्त, मधुमेह इत्यादि में लाभप्रद है । तुलसी - प्रातःकाल खाली पेट 5-10 ताजा तुलसी के पत्ते पानी के साथ लें । इसका काढ़ा यूं भी स्वादिष्ट लगता है । नहीं तो थोड़ी चीनी या शहद भी मिलाकर ले सकते हैं । इसकी डंडी गन्ने की तरह खडी करके बोई जाती है । इसकी लता अगर नीम के पेड़ पर फैली हो । तो सोने में सुहागा है । अन्यथा इसे अपने गमले में उगाकर रस्सी पर चढ़ा दीजिए । देखिए कितनी अधिक फैलती है यह बेल । और जब थोड़ी मोटी हो जाए । तो पत्ते तोडकर डंडी का काढ़ा बनाइये । या शरबत दोनों ही लाभकारी हैं । यह त्रिदोषघ्न है । अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं । गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है । इसे गिलोय
सत कहते हैं । इसका अरिष्ट भी मिलता है । जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं । अगर ताज़ी गिलोय न मिले । तो इन्हें भी ले सकते हैं । यदि गिलोय को घी के साथ दिया जाए । तो इसका विशेष लाभ होता है । शहद के साथ प्रयोग से कफ की समस्याओं से छुटकारा मिलता है । प्रमेह के रोगियों को भी यह स्वस्थ करने में सहायक है । ज्वर के बाद इसका उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है । यह शरीर के त्रिदोषों ( कफ वात और पित ) को संतुलित करती है । और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है । गिलोय का उल्टी । बेहोशी । कफ । पीलिया । धातु विकार । सिफलिस । एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार । चर्म रोग । झाईंयां । झुर्रियां । कमजोरी । गले के संक्रमण । खाँसी । छींक । विषम ज्वर नाशक । सुअर फ्लू । बर्ड फ्लू । टाइफायड । मलेरिया । कालाजार । डेंगू । पेट कृमि । पेट के रोग । सीने में जकड़न । शरीर का टूटना या दर्द । जोडों में दर्द । रक्त विकार । निम्न रक्तचाप । हृदय दौर्बल्य । क्षय ( टीबी ) लीवर । किडनी । मूत्र रोग ।
मधुमेह । रक्तशोधक । रोग पतिरोधक । गैस । बुढापा रोकने वाली । खांसी मिटाने वाली । भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है । गिलोय भूख बढ़ाती है । शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है । अमृता 1 बहुत अच्छी उपयोगी मूत्रवर्धक एजेंट है । जो कि गुर्दे की पथरी को दूर करने में मदद करता है । और रक्त से रक्त यूरिया कम करता है । गिलोय रक्त शोधन करके शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करती है । यह कफ को छांटता है । धातु को पुष्ट करता है । ह्रदय को मजबूत करती है । इसे चूर्ण, छाल, रस और काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जाता है । और इसके तने को कच्चा भी चबाया जा सकता है ।
गिलोय के कुछ अन्य अनुप्रयोग - गिलोय 1 रसायन है । यह रक्तशोधक । ओजवर्धक । ह्रदयरोग नाशक । शोथनाशक । और लीवर टोनिक भी है । यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है । अग्नि को तीव्र करती है । वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है । गिलोय के 6 तने को लेकर कुचल लें । उसमें 4-5 पत्तियां तुलसी की मिला लें । इसको 1 गिलास पानी में मिलाकर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये । और इसके साथ ही 3 चम्मच एलोवेरा का गूदा पानी में मिलाकर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर
कोई भी बीमारी नहीं आती । और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिलाकर लेने दिन में 3-4 लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है । प्लेटलेट बढ़ाने का इससे बढ़िया कोई इलाज नहीं है । यह चिकनगुनियां । डेंगू । स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है । गैस । जोडों का दर्द । शरीर का टूटना । असमय बुढापा । वात असंतुलित होने का लक्षण हैं । गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है । गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारियां ( गठिया ) रोग ठीक होता है । गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं । गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इसकी 1 कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा । गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5-7 पत्ते पीसकर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है । क्षय ( टीबी ) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है । गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा । 1 चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बीमारियों में सुधार आता है । और कब्ज दूर होती है । गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है । और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है । प्रतिदिन सुबह शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है । गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है । गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिक का काम करता है । शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । शरीर में खून की कमी ( एनीमिया ) को दूर करता है । फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें । इस तेल को फटी त्वचा पर लगाएं । वात रक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है । सुबह शाम गिलोय का 2-3 टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है । गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है । उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है । गिलोय याददाश्त को भी बढाती है । गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें । प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करें । इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है । मुंहासे फोड़े फुंसियां और झाईंयों पर गिलोय के फलों को पीसकर लगायें । मुंहासे फोड़े फुंसियां और झाईंयां दूर हो जाती हैं । गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सबको समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें । इसको सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वर ठीक होता है । गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें । इस चूर्ण के 1 चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी के साथ सेवन करने से ज्वर में लाभ मिलता है । गिलोय सोंठ धनियां चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर रोजाना दिन में 3 बार 1 चम्मच भर लेने से बुखार में आराम मिलता है । गिलोय कटेरी सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर ( बुखार ) में लाभ पहुंचाता है । गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है । और गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें । इससे बारबार होने वाला बुखार ठीक होता है । गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से जीर्ण ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है । गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है । गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से सेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है । गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है । और दिल के रोग ठीक होते हैं । गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है । और गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाईये । और इसमें शिलाजीत मिलाकर और पकाईए । इसके नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है । गिलोय और नागरमोथा, हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता है । बराबर मात्रा में गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें । इसका 1 चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति मजबूत होती है । अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें । और इसे गिलोय के रस तथा शहद के साथ हफ्ते 10 दिन तक सेवन करें । इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है । लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधा नमक ( 1-1 ग्राम ) मिलाकर इसे खूब उबालें । फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं । इससे नेत्र विकार ठीक हो जाते हैं । गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में आराम मिलता है । गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें । इसमें पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो जाते हैं । और आँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं । गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाईए । और सुबह शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है । गिलोय के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट की गैस ठीक होती है । श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है । गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने से प्रमेह के रोग में लाभ मिलता है । गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में 2 बार पीने से गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है । गिलोय रस में शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है । गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है । 6 इंच गिलोय का तना लेकर कूटकर काढ़ा बनाकर इसमें काली मिर्च का चूर्ण डालकर गरम गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा । पित्त ज्वर के लिए गिलोय, धनियां, नीम की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है । यह कफ के लिए भी फायदेमंद है । नजला, जुकाम खांसी, बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर 2-3 बार सेवन करने से लाभ होगा । 1 लीटर उबलते हुये पानी मे 1 कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें । इसका 1 कप प्रतिदिन दिन में 3 बार सेवन करें । इससे खून साफ होता हैं । और कोढ़ ठीक होने लगता है । गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है । और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है । 1 टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है । गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है । खून साफ होता है । और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है । गिलोय चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है । गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है । या गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है । गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है । मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है । गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाईए । एक डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा । गिलोय 1 चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का 1 चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है । गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है । गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है । गिलोय के पत्तों को पीसकर 1 गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है । गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है । और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है । गिलोय रस पीने से या गिलोय रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है । या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें । फिर 1 गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं । जब काढ़ा आधा रह जाये । इसे सुबह शाम पियें । प्रदर रोग ठीक हो जाता है । गिलोय रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें । और यह कुर्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें । इससे बच्चे का सूखा रोग जल्द ठीक होगा । मात्रा - गिलोय चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत के रूप में 2 ग्राम तक । क्वाथ के रूप में 50 से 100 मिली. की मात्रा ही लें । साभार - स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ ।
- अगर platelets बहुत कम हो गए हैं । तो चिंता की बात नहीं । aloevera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं । - कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें । इसमें wheat grass का जूस । और 5-7 पत्ते तुलसी के । और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें । इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है ।
- गिलोय रस 10-20 मिग्रा गेहूँ का जवारा 10-20 मिग्रा तुलसी 7 पत्ते, नीम 2 पत्ते, सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में लाभ होता है । यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत लाभकारी है । इसे रसायन के रूप में शुक्रहीनता दौर्बल्य में भी प्रयोग करते हैं । ऐसा कहा जाता है कि यह शुक्राणुओं के बनने की उनके सक्रिय होने की प्रक्रिया को बढ़ाती है । इस प्रकार यह औषधि 1 समग्र कायाकल्प योग है । शोधक भी तथा शक्तिवर्धक भी ।
निर्धारणानुसार प्रयोग - जीर्ण ज्वर या 6 दिन से भी अधिक समय से चले आ रहे न टूटने वाले ज्वरों में गिलोय 40 ग्राम अच्छी तरह कुचल कर मिट्टी के बर्तन में पाव भर पानी में मिलाकर रात भर ढककर रखते हैं । प्रातः
मसल कर छान लेते हैं । 80 ग्राम की मात्रा दिन में 3 बार पीने से जीर्ण ज्वर नष्ट हो जाता है । ऐसे असाध्य ज्वरों में, जिसके कारण का पता सारे प्रयोग परीक्षणों के बाद भी नहीं चल पाता ( पायरेक्सिया ऑफ अननोन ऑरीजन ) समूल नष्ट करने का बीड़ा गिलोय ही उठाती है ।
- 1 पाव गिलोय 8 सेर जल में पकाकर आधा अवशेष जल देने से पर ज्वर दूर होता है । व जीवन शक्ति बढ़ती है । पंचामृत - गिलोय रस 10 से 20 मिग्रा । घृतकुमारी रस 10 से 20 मिग्रा । गेहूं का ज्वारा 10 से 20 मिग्रा । तुलसी-7 पत्ते । सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कैंसर से लेकर सभी असाध्य रोगों में अत्यन्त लाभ होता है । यह पंचामृत शरीर की शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यन्त लाभकारी है ।
- सर्दी जुकाम, बुखार आदि में 1 अंगुल मोटी व 4 से 6 लम्बी गिलोय लेकर 400 ग्राम पानी में उबालें । 100 ग्राम रहने पर पियें । यह रोग प्रतिरोधक क्षमता/इम्यून सिस्टम को मजबूत कर त्रिदोषों का शमन करती है । व सभी रोगों, बारबार होने वाले सर्दी, जुकाम बुखार आदि को ठीक करती है ।
घृतकुमारी - ताजा पत्ता लेकर छिलका उतारकर अन्दर के गूदेदार भाग या रस निकालकर 20 से 40 मिली ग्राम सेवन करें । यह सभी वात रोग, जोड़ों का दर्द, उदर रोग, अम्लपित्त, मधुमेह इत्यादि में लाभप्रद है । तुलसी - प्रातःकाल खाली पेट 5-10 ताजा तुलसी के पत्ते पानी के साथ लें । इसका काढ़ा यूं भी स्वादिष्ट लगता है । नहीं तो थोड़ी चीनी या शहद भी मिलाकर ले सकते हैं । इसकी डंडी गन्ने की तरह खडी करके बोई जाती है । इसकी लता अगर नीम के पेड़ पर फैली हो । तो सोने में सुहागा है । अन्यथा इसे अपने गमले में उगाकर रस्सी पर चढ़ा दीजिए । देखिए कितनी अधिक फैलती है यह बेल । और जब थोड़ी मोटी हो जाए । तो पत्ते तोडकर डंडी का काढ़ा बनाइये । या शरबत दोनों ही लाभकारी हैं । यह त्रिदोषघ्न है । अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं । गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है । इसे गिलोय
सत कहते हैं । इसका अरिष्ट भी मिलता है । जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं । अगर ताज़ी गिलोय न मिले । तो इन्हें भी ले सकते हैं । यदि गिलोय को घी के साथ दिया जाए । तो इसका विशेष लाभ होता है । शहद के साथ प्रयोग से कफ की समस्याओं से छुटकारा मिलता है । प्रमेह के रोगियों को भी यह स्वस्थ करने में सहायक है । ज्वर के बाद इसका उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है । यह शरीर के त्रिदोषों ( कफ वात और पित ) को संतुलित करती है । और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है । गिलोय का उल्टी । बेहोशी । कफ । पीलिया । धातु विकार । सिफलिस । एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार । चर्म रोग । झाईंयां । झुर्रियां । कमजोरी । गले के संक्रमण । खाँसी । छींक । विषम ज्वर नाशक । सुअर फ्लू । बर्ड फ्लू । टाइफायड । मलेरिया । कालाजार । डेंगू । पेट कृमि । पेट के रोग । सीने में जकड़न । शरीर का टूटना या दर्द । जोडों में दर्द । रक्त विकार । निम्न रक्तचाप । हृदय दौर्बल्य । क्षय ( टीबी ) लीवर । किडनी । मूत्र रोग ।
मधुमेह । रक्तशोधक । रोग पतिरोधक । गैस । बुढापा रोकने वाली । खांसी मिटाने वाली । भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है । गिलोय भूख बढ़ाती है । शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है । अमृता 1 बहुत अच्छी उपयोगी मूत्रवर्धक एजेंट है । जो कि गुर्दे की पथरी को दूर करने में मदद करता है । और रक्त से रक्त यूरिया कम करता है । गिलोय रक्त शोधन करके शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करती है । यह कफ को छांटता है । धातु को पुष्ट करता है । ह्रदय को मजबूत करती है । इसे चूर्ण, छाल, रस और काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जाता है । और इसके तने को कच्चा भी चबाया जा सकता है ।
गिलोय के कुछ अन्य अनुप्रयोग - गिलोय 1 रसायन है । यह रक्तशोधक । ओजवर्धक । ह्रदयरोग नाशक । शोथनाशक । और लीवर टोनिक भी है । यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है । अग्नि को तीव्र करती है । वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है । गिलोय के 6 तने को लेकर कुचल लें । उसमें 4-5 पत्तियां तुलसी की मिला लें । इसको 1 गिलास पानी में मिलाकर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये । और इसके साथ ही 3 चम्मच एलोवेरा का गूदा पानी में मिलाकर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर
कोई भी बीमारी नहीं आती । और इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिलाकर लेने दिन में 3-4 लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है । प्लेटलेट बढ़ाने का इससे बढ़िया कोई इलाज नहीं है । यह चिकनगुनियां । डेंगू । स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है । गैस । जोडों का दर्द । शरीर का टूटना । असमय बुढापा । वात असंतुलित होने का लक्षण हैं । गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है । गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारियां ( गठिया ) रोग ठीक होता है । गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं । गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इसकी 1 कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा । गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5-7 पत्ते पीसकर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है । क्षय ( टीबी ) रोग में गिलोय सत्व, इलायची तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है । गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बनाकर सेवन करने से कुछ दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा । 1 चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से पित्त की बीमारियों में सुधार आता है । और कब्ज दूर होती है । गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक होता है । और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना रुकता है । प्रतिदिन सुबह शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़ या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है । गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है । गिलोय का सेवन ज्वर के बाद टॉनिक का काम करता है । शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । शरीर में खून की कमी ( एनीमिया ) को दूर करता है । फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके ठंडा करें । इस तेल को फटी त्वचा पर लगाएं । वात रक्त दोष दूर होकर त्वचा कोमल और साफ होती है । सुबह शाम गिलोय का 2-3 टेबल स्पून शर्बत पानी में मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है । गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत होता है । उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है । गिलोय याददाश्त को भी बढाती है । गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें । प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करें । इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है । मुंहासे फोड़े फुंसियां और झाईंयों पर गिलोय के फलों को पीसकर लगायें । मुंहासे फोड़े फुंसियां और झाईंयां दूर हो जाती हैं । गिलोय, धनिया, नीम की छाल, पद्याख और लाल चंदन इन सबको समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें । इसको सुबह शाम सेवन करने से सब प्रकार का ज्वर ठीक होता है । गिलोय, पीपल की जड़, नीम की छाल, सफेद चंदन, पीपल, बड़ी हरड़, लौंग, सौंफ, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें । इस चूर्ण के 1 चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी के साथ सेवन करने से ज्वर में लाभ मिलता है । गिलोय सोंठ धनियां चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर रोजाना दिन में 3 बार 1 चम्मच भर लेने से बुखार में आराम मिलता है । गिलोय कटेरी सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पीने से वात के ज्वर ( बुखार ) में लाभ पहुंचाता है । गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है । और गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें । इससे बारबार होने वाला बुखार ठीक होता है । गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और शहद को मिलाकर लेने से जीर्ण ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है । गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो जाता है । गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से सेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है । गिलोय के रस का सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है । और दिल के रोग ठीक होते हैं । गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है । और गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाईये । और इसमें शिलाजीत मिलाकर और पकाईए । इसके नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है । गिलोय और नागरमोथा, हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता है । बराबर मात्रा में गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें । इसका 1 चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ सेवन करने से संभोग शक्ति मजबूत होती है । अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें । और इसे गिलोय के रस तथा शहद के साथ हफ्ते 10 दिन तक सेवन करें । इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है । लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधा नमक ( 1-1 ग्राम ) मिलाकर इसे खूब उबालें । फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं । इससे नेत्र विकार ठीक हो जाते हैं । गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में आराम मिलता है । गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें । इसमें पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो जाते हैं । और आँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं । गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाईए । और सुबह शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है । गिलोय के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट की गैस ठीक होती है । श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है । गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने से प्रमेह के रोग में लाभ मिलता है । गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में 2 बार पीने से गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है । गिलोय रस में शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है । गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी बंद हो जाती है । 6 इंच गिलोय का तना लेकर कूटकर काढ़ा बनाकर इसमें काली मिर्च का चूर्ण डालकर गरम गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा । पित्त ज्वर के लिए गिलोय, धनियां, नीम की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है । यह कफ के लिए भी फायदेमंद है । नजला, जुकाम खांसी, बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर 2-3 बार सेवन करने से लाभ होगा । 1 लीटर उबलते हुये पानी मे 1 कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें । इसका 1 कप प्रतिदिन दिन में 3 बार सेवन करें । इससे खून साफ होता हैं । और कोढ़ ठीक होने लगता है । गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में 2 बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है । और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है । 1 टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है । गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है । खून साफ होता है । और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है । गिलोय चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है । गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है । या गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है । गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है । मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है । गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाईए । एक डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा । गिलोय 1 चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का 1 चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है । गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है । गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है । गिलोय के पत्तों को पीसकर 1 गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है । गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है । और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है । गिलोय रस पीने से या गिलोय रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है । या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें । फिर 1 गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं । जब काढ़ा आधा रह जाये । इसे सुबह शाम पियें । प्रदर रोग ठीक हो जाता है । गिलोय रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें । और यह कुर्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें । इससे बच्चे का सूखा रोग जल्द ठीक होगा । मात्रा - गिलोय चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत के रूप में 2 ग्राम तक । क्वाथ के रूप में 50 से 100 मिली. की मात्रा ही लें । साभार - स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ ।
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