राजीव कुमार ! आज रविवार है । सोचा तुम्हारे ब्लोग का थोडा सा मनोरंजन कर दूँ । आज मैंने कोई सवाल नही पूछ्ना । बस जो लिखकर भेजूँगा । उसको आज का आज ही छाप देना । भूलना मत ।
तो लीजिए हाजिर है । हमारे आज के 21वीं सदी के नये जमाने के आधुनिक विद्वान " श्री विनोद त्रिपाठी जी " की तरफ़ से आज के महानगरों में बसे अति आधुनिक पढे लिखे एकाकी मध्यवर्गीय परिवारों का आखों देखा हाल । ( लेकिन कल्पना के आधार पर )
किसी बङे महानगर में भीड भडक्के से थोडा सा अलग बहुमन्जिला फ़्लैट बने हैं । वहाँ 20वीं मन्जिल पर एक 43 वर्षीय व्यक्ति नीले रंग के बंगाली कुर्ते और दूधिया रंग का पजामा पहने सजे हुए ड्राइंग रूम में बैठा टीवी पर शेयर मार्किट की खबरें देख रहा था । उसकी 40 वर्षीय खूबसूरत पत्नी अपनी शानदार फ़िगर पर कसी हुई जीन्स पहने एक साफ़ और सजी हुई रसोईघर में कोफ़ी बना रही थी । उनका 16 वर्षीय लडका कहीं गया हुआ था ।
( 1 जरूरी बात जिस व्यक्ति की हम बात कर रहे हैं । वो आज से सिर्फ़ 1 दिन पहले 1 अजीब सी मशीन खरीद कर लाया है । उस मशीन की खासियत ये है कि अगर उसके सामने कोई भी इंसान झूठ बोले । तो उस मशीन में से अपने आप आवाज आती है कि फ़लाँ इंसान झूठ बोल रहा है । )
खैर ! अब आगे चलिये । जहाँ पर रूके थे । अब जनाब तो टीवी देख रहे हैं । और मेमसाहब कोफ़ी बना रही है । तभी उनका 16 वर्षीय बेटा घर आता है । ( जो कहीं गया हुआ था ) उसके आने पर बाप उससे पूछ्ता है , " कहाँ से आ रहा है ? "
तब लडका बोला , " लाईब्रेरी से आ रहा हूँ । "
तभी मशीन में से आवाज आती है । ये लडका झूठ बोल रहा है ।
ये सुनकर लडका सकपका जाता है । और उसका बाप उसकी तरफ़ हैरानी और गुस्से से देखता है । लडका घबराया हुआ है ।
बाप फ़िर पूछ्ता है , " बता कहाँ गया था ? "
लडका बोला , " फ़िल्म देखने । "
बाप ने फ़िर पूछा , " कौन सी फ़िल्म देखी ? "
तब लडका बोला , " वीर हनुमान । "
तभी फ़िर से मशीन में से आवाज आती है । ये लडका झूठ बोल रहा है । ये सुनकर लडका चौंक जाता है । तभी उसका बाप पूछ्ता है , " सच बता कौन सी फ़िल्म देखी ? "
तब लडका घबराकर बोलता है , " पडोसी की बीवी । "
बाप सुनकर चुप कर जाता है । फ़िर बाप साथ की साथ अपने लडके को समझाने के अन्दाज में बोलता है , " देखो ये उमर पढने लिखने की है । जब मैं तेरी उमर का था । तब मैं अपना फ़र्ज समझता था । और सिर्फ़ पढने लिखने पर ही ध्यान देता था । "
इतने में ही मशीन में से फ़िर आवाज आती है । ये आदमी झूठ बोल रहा है । ये सुनकर लडके का बाप चौंक जाता है । और लडका मन्द मन्द मुस्कराता है । इतने में लडके की फ़ैशनेबल मम्मी किसी माडल की भाँति शान से मटकती हुई आती है ।
और अपने पति से कहती है , " ये झूठ क्युँ नही बोलेगा ? आपका बेटा है । इसलिए आप पर ही तो जाएगा । " तभी मशीन में से फ़िर आवाज आती है । ये औरत झूठ बोल रही है..!
तो लीजिए हाजिर है । हमारे आज के 21वीं सदी के नये जमाने के आधुनिक विद्वान " श्री विनोद त्रिपाठी जी " की तरफ़ से आज के महानगरों में बसे अति आधुनिक पढे लिखे एकाकी मध्यवर्गीय परिवारों का आखों देखा हाल । ( लेकिन कल्पना के आधार पर )
किसी बङे महानगर में भीड भडक्के से थोडा सा अलग बहुमन्जिला फ़्लैट बने हैं । वहाँ 20वीं मन्जिल पर एक 43 वर्षीय व्यक्ति नीले रंग के बंगाली कुर्ते और दूधिया रंग का पजामा पहने सजे हुए ड्राइंग रूम में बैठा टीवी पर शेयर मार्किट की खबरें देख रहा था । उसकी 40 वर्षीय खूबसूरत पत्नी अपनी शानदार फ़िगर पर कसी हुई जीन्स पहने एक साफ़ और सजी हुई रसोईघर में कोफ़ी बना रही थी । उनका 16 वर्षीय लडका कहीं गया हुआ था ।
( 1 जरूरी बात जिस व्यक्ति की हम बात कर रहे हैं । वो आज से सिर्फ़ 1 दिन पहले 1 अजीब सी मशीन खरीद कर लाया है । उस मशीन की खासियत ये है कि अगर उसके सामने कोई भी इंसान झूठ बोले । तो उस मशीन में से अपने आप आवाज आती है कि फ़लाँ इंसान झूठ बोल रहा है । )
खैर ! अब आगे चलिये । जहाँ पर रूके थे । अब जनाब तो टीवी देख रहे हैं । और मेमसाहब कोफ़ी बना रही है । तभी उनका 16 वर्षीय बेटा घर आता है । ( जो कहीं गया हुआ था ) उसके आने पर बाप उससे पूछ्ता है , " कहाँ से आ रहा है ? "
तब लडका बोला , " लाईब्रेरी से आ रहा हूँ । "
तभी मशीन में से आवाज आती है । ये लडका झूठ बोल रहा है ।
ये सुनकर लडका सकपका जाता है । और उसका बाप उसकी तरफ़ हैरानी और गुस्से से देखता है । लडका घबराया हुआ है ।
बाप फ़िर पूछ्ता है , " बता कहाँ गया था ? "
लडका बोला , " फ़िल्म देखने । "
बाप ने फ़िर पूछा , " कौन सी फ़िल्म देखी ? "
तब लडका बोला , " वीर हनुमान । "
तभी फ़िर से मशीन में से आवाज आती है । ये लडका झूठ बोल रहा है । ये सुनकर लडका चौंक जाता है । तभी उसका बाप पूछ्ता है , " सच बता कौन सी फ़िल्म देखी ? "
तब लडका घबराकर बोलता है , " पडोसी की बीवी । "
बाप सुनकर चुप कर जाता है । फ़िर बाप साथ की साथ अपने लडके को समझाने के अन्दाज में बोलता है , " देखो ये उमर पढने लिखने की है । जब मैं तेरी उमर का था । तब मैं अपना फ़र्ज समझता था । और सिर्फ़ पढने लिखने पर ही ध्यान देता था । "
इतने में ही मशीन में से फ़िर आवाज आती है । ये आदमी झूठ बोल रहा है । ये सुनकर लडके का बाप चौंक जाता है । और लडका मन्द मन्द मुस्कराता है । इतने में लडके की फ़ैशनेबल मम्मी किसी माडल की भाँति शान से मटकती हुई आती है ।
और अपने पति से कहती है , " ये झूठ क्युँ नही बोलेगा ? आपका बेटा है । इसलिए आप पर ही तो जाएगा । " तभी मशीन में से फ़िर आवाज आती है । ये औरत झूठ बोल रही है..!
1 टिप्पणी:
क्या बात है..अगर ऐसी मशीन का आविष्कार हो जाए तो या तो सभी सत्यवादी हो जायेंगे या सभी घर बिखर जायेंगे..बहुत रोचक पोस्ट...आभार
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