नमस्ते राजीव जी ! मैं सुशील कुमार अभी उठकर सुबह की चाय पी रहा था । और आपको याद कर रहा था । मैं आपको इस समय ई-मेल करने लगा हूँ । आप जब भी वापिस आयेंगे । तो इसका जवाब ब्लोग में लेख के रुप में दे देना । उत्तर भारत में साधु महात्माओं की भरमार है ( हरियाणा । हिमाचल प्रदेश । उत्तराखन्ड आदि ) कितने असली हैं ? और कितने नकली ? ये तो भगवान ही जाने । मैं आपसे ये जानना चाहता हूँ कि अक्सर सुनने में आता है कि - फ़लाँ जगह पर १ महात्मा हैं । ( या थे ) उनको उनके पिछ्ले ६ या ७ जनम याद है ।
तो राजीव जी ! ऐसे महात्मा अपनी साधना के बल पर लगातार मानव जनम ले रहे होते हैं । कबीर ने भी कहा है कि - हमने ऐसे घर बहुत बसाए । अब ये जनम तेरे लेखे । ( मतलब मैंने पता नहीं । कितने अलग अलग जनमों में कितने माँ । बाप । पत्नी और बच्चे बनाए । लेकिन ये जनम अब परमात्मा की भक्ती को ही समर्पित कर दिया है )
राजीव जी ! ये भी बताईए । जो साधना के बल पर अपने पिछ्ले जनम देख सकता है । ( बेशक १ ही देख सके ) तो क्या वो किसी दुसरे का पिछ्ला जनम भी देख सकता है ? राजीव जी ! जो अपना या किसी दुसरे का पिछ्ला जनम देख सकता है ? तो क्या वो अपना अगला जनम भी देख सकता है ? ( कि आगे उसकी मुक्ती होनी है । या मुक्त ही हो जाना है । या अगला जनम किस दुनिया में ? और कौन सी जगह मतलब किस देश ? कुल ? घर या किस आदमी और औरत के यहाँ होने जा रहा है । ) क्या ये सब साधना की अलौकिक दुनिया में सम्भव है ? आपके वापिस आने तक इन सवालो के जवाबों का इंतजार रहेगा । धन्यवाद । आपका मित्र । सुशील कुमार ( हरियाणा से )
Q 1 अक्सर सुनने में आता है कि - फ़लाँ जगह पर १ महात्मा हैं । ( या थे ) उनको उनके पिछ्ले ६ या ७ जनम याद है । तो राजीव जी ! ऐसे महात्मा अपनी साधना के बल पर लगातार मानव जनम ले रहे होते हैं ।
ANS - ये एक ऐसा सवाल है । जो हमारे मंडल से दीक्षा प्राप्त सभी साधक बार बार ही पूछते हैं । और प्रसंगवश मेरे लेखों में इसका उत्तर भी है ।.. सच्चे सतगुरु से महामन्त्र की दीक्षा प्राप्त साधक हर हाल में मनुष्य जन्म का अधिकारी हो जाता है । किसी साधक को ये महामन्त्र दीक्षा द्वारा प्राप्त हो गया हो । और फ़िर भले ही उसने एक दिन भी नाम का सुमरन न किया हो । फ़िर भी नियमानुसार उसका मनुष्य जन्म ही होगा ।
ग्यान बीज बिनसे नही । होवे जन्म अनन्त । ऊँच नीच घर ऊपजे । होये सन्त का सन्त ।
अतः आपके प्रश्न भाव के अनुसार जो लोग साधना को पूरा नहीं कर पाते । वे अपने एकत्र कर्म संस्कार में मनुष्य संस्कारी जन्म लेकर । संस्कार को भोगने के साथ साथ योग यात्रा नाम भक्ति द्वारा पूर्ण करते हैं । फ़िर भले ही उनके हजार जन्म मनुष्य ( वैसे ऐसा होता नहीं है ) के हो जायँ ।
इस सम्बन्ध में रामकृष्ण परमहँस की एक बात मुझे याद आ गयी । अद्वैत के पूर्ण सन्त हो जाने के बाद एक रात उन्होंने सपना देखा कि वे शाही अन्दाज में गाव तकिये के सहारे आलीशान पलंग पर लेटे हुये ( कई लोग उनके पास नीचे बैठे हुये हैं ) हुक्का पी रहे हैं ।
उन्होंने अगली सुबह ही वही सब कुछ आलीशान पलंग हुक्का तकिया आदि मंगाकर अपने शिष्यों को बैठाकर आधा घन्टा हुक्का पिया । और फ़िर शिष्यों से कहा । इस सबको ले जाकर नदी में फ़ेंक आओ । शिष्यों ने चकित होकर कारण पूछा । तो बोले । ये संस्कार ( राजसी अन्दाज में हुक्का पीना ) मन की परतों में छुपा हुआ था । खामखाँ हुक्का पीने के लिये एक जन्म और लेना पङता ।
Q 2 राजीव जी ! ये भी बताईए । जो साधना के बल पर अपने पिछ्ले जनम देख सकता है । ( बेशक १ ही देख सके ) तो क्या वो किसी दुसरे का पिछ्ला जनम भी देख सकता है ? राजीव जी ! जो अपना या किसी दुसरे का पिछ्ला जनम देख सकता है ? तो क्या वो अपना अगला जनम भी देख सकता है ? ( कि आगे उसकी मुक्ती होनी है । या मुक्त ही हो जाना है । या अगला जनम किस दुनिया में ? और कौन सी जगह मतलब किस देश ? कुल ? घर या किस आदमी और औरत के यहाँ होने जा रहा है । ) क्या ये सब साधना की अलौकिक दुनिया में सम्भव है ?
ANS - सुशील जी ! आप मेरे नियमित पाठक होकर कैसी बातें कर रहें हैं । तीसरे कारण शरीर में जाने पर एक नहीं अपने अगले पिछले सभी ( जितनी गहराई से योग में डूबने की क्षमता हो ) जन्म देखे जा सकते हैं । स्थान । देश । घर । आदमी आदि जानने के लिये साधक उच्च स्तर का होना चाहिये ।
दूसरे के जन्म आदि के बारे में जानने के लिये सुरति उससे जोङनी पङती है ।
महाकारण में देश विश्व आदि में घटने वाली अगली या पूर्व घटनाओं को जाना जा सकता है । यह सब बहुत सरल है । कठिन है । तो इस विध्या के गुरु या सतगुरु मिलना ।
प्रभु कृपा से मैं सौभाग्यशाली हूँ कि उन्होंने मुझे श्री महाराज जी से मुझे मिलवाया । इसीलिये तो आज आपको उत्तर दे पा रहा हूँ ।
तो राजीव जी ! ऐसे महात्मा अपनी साधना के बल पर लगातार मानव जनम ले रहे होते हैं । कबीर ने भी कहा है कि - हमने ऐसे घर बहुत बसाए । अब ये जनम तेरे लेखे । ( मतलब मैंने पता नहीं । कितने अलग अलग जनमों में कितने माँ । बाप । पत्नी और बच्चे बनाए । लेकिन ये जनम अब परमात्मा की भक्ती को ही समर्पित कर दिया है )
राजीव जी ! ये भी बताईए । जो साधना के बल पर अपने पिछ्ले जनम देख सकता है । ( बेशक १ ही देख सके ) तो क्या वो किसी दुसरे का पिछ्ला जनम भी देख सकता है ? राजीव जी ! जो अपना या किसी दुसरे का पिछ्ला जनम देख सकता है ? तो क्या वो अपना अगला जनम भी देख सकता है ? ( कि आगे उसकी मुक्ती होनी है । या मुक्त ही हो जाना है । या अगला जनम किस दुनिया में ? और कौन सी जगह मतलब किस देश ? कुल ? घर या किस आदमी और औरत के यहाँ होने जा रहा है । ) क्या ये सब साधना की अलौकिक दुनिया में सम्भव है ? आपके वापिस आने तक इन सवालो के जवाबों का इंतजार रहेगा । धन्यवाद । आपका मित्र । सुशील कुमार ( हरियाणा से )
Q 1 अक्सर सुनने में आता है कि - फ़लाँ जगह पर १ महात्मा हैं । ( या थे ) उनको उनके पिछ्ले ६ या ७ जनम याद है । तो राजीव जी ! ऐसे महात्मा अपनी साधना के बल पर लगातार मानव जनम ले रहे होते हैं ।
ANS - ये एक ऐसा सवाल है । जो हमारे मंडल से दीक्षा प्राप्त सभी साधक बार बार ही पूछते हैं । और प्रसंगवश मेरे लेखों में इसका उत्तर भी है ।.. सच्चे सतगुरु से महामन्त्र की दीक्षा प्राप्त साधक हर हाल में मनुष्य जन्म का अधिकारी हो जाता है । किसी साधक को ये महामन्त्र दीक्षा द्वारा प्राप्त हो गया हो । और फ़िर भले ही उसने एक दिन भी नाम का सुमरन न किया हो । फ़िर भी नियमानुसार उसका मनुष्य जन्म ही होगा ।
ग्यान बीज बिनसे नही । होवे जन्म अनन्त । ऊँच नीच घर ऊपजे । होये सन्त का सन्त ।
अतः आपके प्रश्न भाव के अनुसार जो लोग साधना को पूरा नहीं कर पाते । वे अपने एकत्र कर्म संस्कार में मनुष्य संस्कारी जन्म लेकर । संस्कार को भोगने के साथ साथ योग यात्रा नाम भक्ति द्वारा पूर्ण करते हैं । फ़िर भले ही उनके हजार जन्म मनुष्य ( वैसे ऐसा होता नहीं है ) के हो जायँ ।
इस सम्बन्ध में रामकृष्ण परमहँस की एक बात मुझे याद आ गयी । अद्वैत के पूर्ण सन्त हो जाने के बाद एक रात उन्होंने सपना देखा कि वे शाही अन्दाज में गाव तकिये के सहारे आलीशान पलंग पर लेटे हुये ( कई लोग उनके पास नीचे बैठे हुये हैं ) हुक्का पी रहे हैं ।
उन्होंने अगली सुबह ही वही सब कुछ आलीशान पलंग हुक्का तकिया आदि मंगाकर अपने शिष्यों को बैठाकर आधा घन्टा हुक्का पिया । और फ़िर शिष्यों से कहा । इस सबको ले जाकर नदी में फ़ेंक आओ । शिष्यों ने चकित होकर कारण पूछा । तो बोले । ये संस्कार ( राजसी अन्दाज में हुक्का पीना ) मन की परतों में छुपा हुआ था । खामखाँ हुक्का पीने के लिये एक जन्म और लेना पङता ।
Q 2 राजीव जी ! ये भी बताईए । जो साधना के बल पर अपने पिछ्ले जनम देख सकता है । ( बेशक १ ही देख सके ) तो क्या वो किसी दुसरे का पिछ्ला जनम भी देख सकता है ? राजीव जी ! जो अपना या किसी दुसरे का पिछ्ला जनम देख सकता है ? तो क्या वो अपना अगला जनम भी देख सकता है ? ( कि आगे उसकी मुक्ती होनी है । या मुक्त ही हो जाना है । या अगला जनम किस दुनिया में ? और कौन सी जगह मतलब किस देश ? कुल ? घर या किस आदमी और औरत के यहाँ होने जा रहा है । ) क्या ये सब साधना की अलौकिक दुनिया में सम्भव है ?
ANS - सुशील जी ! आप मेरे नियमित पाठक होकर कैसी बातें कर रहें हैं । तीसरे कारण शरीर में जाने पर एक नहीं अपने अगले पिछले सभी ( जितनी गहराई से योग में डूबने की क्षमता हो ) जन्म देखे जा सकते हैं । स्थान । देश । घर । आदमी आदि जानने के लिये साधक उच्च स्तर का होना चाहिये ।
दूसरे के जन्म आदि के बारे में जानने के लिये सुरति उससे जोङनी पङती है ।
महाकारण में देश विश्व आदि में घटने वाली अगली या पूर्व घटनाओं को जाना जा सकता है । यह सब बहुत सरल है । कठिन है । तो इस विध्या के गुरु या सतगुरु मिलना ।
प्रभु कृपा से मैं सौभाग्यशाली हूँ कि उन्होंने मुझे श्री महाराज जी से मुझे मिलवाया । इसीलिये तो आज आपको उत्तर दे पा रहा हूँ ।
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