21वीं सदी में शकुन की बात करना पिछड़ापन सा अवश्य लगता है । किन्तु जो परम्परा और रिवाज हमारे समाज में शताब्दियों से चली आ रही है । वे वैज्ञानिक मान्यता के बिना भी अपना वजूद कायम रखे हैं । हमारे देश में ज्योतिष को बहुत महत्व दिया जाता है । किन्तु महिलाओं में ‘सूण-सायण’ एक अलग ही महत्व का शास्त्र है । त्यौहार की पूर्व सन्ध्या को मेहंदी लगाना । जिस दिन कन्या ससुराल जाए । उस दिन विदा करने के बाद कोई स्त्री सिर नहीं धोयेगी । ऐसे अनेक रिवाज हैं । जिनके पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है । किन्तु फिर भी वे प्रचलित हैं । इन रिवाजों-परम्पराओं की भाँति ही शगुन भी एक ऐसा ही शास्त्र है । जो ज्योतिष के सामुद्रिक शास्त्र का समवर्ती माना गया है । हम शगुन का शास्त्रीय स्वरुप ही जान पाते हैं । अशास्त्रीय अथवा ग्राम्य सिद्धान्त हमारे लिए सुलभ नहीं है । जबकि ये असंस्कृत सिद्धान्त भी व्यवहार सिद्ध हैं और निरन्तर के परीक्षण से प्रमाणित हैं ।
शकुन-शास्त्र के ज्ञाता ऋषियों ने लोक-ज्ञान को भी सम्मान देते हुए कहा है -
यं बुध्यते योऽस्ति च यत्र देशे यत्रानुरागो नुमवो थवा स्यात ।
अर्थात जिसे लोग जानते समझते हैं । जो जिस देश में हैं । जिसमें व्यक्ति या समाज का अनुराग है अथवा उसके निरन्तर परीक्षण अनुभव से किसी निश्चित परिणाम पर पहुँच सकते हैं । वे भी शकुन सार्थक रहते हैं । शकुन शास्त्री कहते हैं कि इस शास्त्र का उपदेश स्वयं त्रिनेत्र शंकर ने किया है । अतः शिव शकुन शास्त्र के उपदेष्टा रहे हैं और यह ज्ञान ऋषि परम्परा द्वारा पोषित परिवर्धित-परिमार्जित होता रहा है । इसके प्रवर्तकों में अत्रि, गर्ग, बृहस्पति, व्यास, शुक्राचार्य, वशिष्ठ, कौत्स, भृगु, गौतम आदि ऋषि प्रमुख रहे हैं । भविष्य का संसूचक होने के कारण यह शास्त्र ज्योतिष का ही उपांग बन गया है ।
शकुन शास्त्र हमारे समाज एवं क्रियाकलापों पर आधारित होता है । सामाजिक स्थिति, पशु-पक्षी आदि सभी इसके माध्यम हैं । कुत्ता सभी पालतू पशुओं में महत्वपूर्ण माना जाता है । वफादारी में इसका कोई सानी संसार में दूसरा नहीं है । कुत्ते का शकुन-शास्त्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है ।
यहाँ प्रस्तुत है कुत्ते से जुड़े कुछ शकुन -
- बलि ग्रहण करने के बाद यदि कुत्ता दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है । तो उसका फल उत्तम रहता है । किन्तु यदि बाँये पैर से दाहिना अथवा बाँया अंग खुजलाता है । तो वह विपरीत फलदायक होता है ।
- यदि कुत्ता दाहिना पैर उठाकर किसी घड़े अथवा गागर पर पेशाब करता है । तो शकुनार्थी का अथवा उसके घर-परिवार में शीघ्र ही कोई विवाह होता है और दोनों का जीवन सुखी रहता है साथ ही उत्तम संतान का योग भी बनता है ।
- कन्या के विवाह अथवा विवाह की बात करते समय यदि कुत्ता बाँये अंग को फड़फड़ाता हुआ अंदर आता है । तो उस कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए । क्योंकि वह दुराचारी होने के कारण परिवार को नष्ट करने वाली होती है ।
- यदि कुत्ता अपनी दाहिनी आँख खोलकर नाभि चाटता है और छत पर जाकर सोता है तो वर्षा आने की सम्भावना होती है ।
- वर्षा ऋतु में कुत्ता यदि वर्षा के जल में चक्कर लगाता है । तो तीव्र वृष्टि का सूचक है । किन्तु यदि अपने शरीर को कंपाकर सारा पानी झाड़ देता है । तो वर्षा अन्यत्र कहीं होती है ।
- ऊँची जगह पर चढ़कर सूरज को देखते हुए कुत्ता भौंकता है । तो अत्यन्त तीव्र वर्षा होती है ।
- कुत्ता यदि दाहिने अंग चाटता है, तो शुभ-सिद्धि की सूचना देता है ।
- यदि व्यक्ति परेशानी में कुत्ते का शकुन लेता है और कुत्ता उसके सामने विष्ठा कर देता है अथवा जम्हाई लेता है । तो उसका संकट टल जाता है । किन्तु शुभ परिस्थिति में ऐसा होता है । तो उसके लिए अशुभ होता है ।
- गर्भवती के दाहिने जाकर यदि कुत्ता अच्छे स्थान पर पेशाब करता है । तो पुत्र तथा बाँये पेशाब करता है । तो पुत्री होने के योग होते हैं ।
- व्यवसायी के दाहिने जाकर दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है । तो धन लाभ होता है ।
- नौकरी के लिए जाते व्यक्ति के दाहिने ओर यदि कुत्ता प्रसन्नता से खेलता मिले या पलंग, आसन, छाता आदि पर कुत्ता पेशाब करता है । तो नौकरी अवश्य मिलती है ।
- अपने ही स्थान पर बैठा रहकर यदि जाने वाले व्यक्ति को कुत्ता गर्दन उठाकर देखता है । तो शुभ होता है । किन्तु कान फड़फड़ाता है या गर्दन हिलाता है तो अशुभ होता है ।
- यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने मुँह में हड्डी दबाकर आता कुत्ता और भौंकता कुत्ता घोर अशुभ की सूचना देता है ।
- कान या पूँछ कटा कुत्ता यदि बहुत कमजोर है और जाते हुए व्यक्ति को बारबार देखता है । तो बहुत अशुभ होता है ।
- कुत्ता पानी में नहाकर यदि अपने शरीर को फड़फड़ाता है । तो चोट की सूचना देता है ।
- यदि अनेक कुत्ते एक स्थान पर एकत्र होकर सूर्य की ओर देखकर भौंकते हैं । सिर हिलाते हैं । रोते हैं या वमन करते हैं । तो उस स्थान पर घोर विपदा आने वाली है ।
- कुत्ता पंजों से दरवाजा खुजाए अथवा दरवाजे पर बैठ जाए । तो कोई प्रियजन आता है ।
- कुत्ता दौड़कर आकर यदि खम्बे से लिपटता हो या चूल्हे पर चढ़ जाता है । तो कोई प्रियजन अवश्य आता है ।
- रहस्य ज्ञाताओं का मत है कि यदि कुत्ता धरती पर अपना सिर रगड़ता है । तो वहाँ धन गड़ा हो सकता है ।
- गोबर से लिपे-पुते चौक पर यदि कुत्ता जोड़ा केली करता है या रति-क्रिया करता है । तो विपुल धन की प्राप्ति होती है । इसके विपरीत यदि वह पैरों से गढ्ढा खोदता है । तो अनर्थ की सूचना देता है ।
- बीमार व्यक्ति के हाथ के पृष्ठ भाग को यदि कुत्ता चाटता है । तो उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है ।
- रोगी के स्वस्थ होने के सम्बन्ध में प्रश्न करने पर यदि कुत्ता कानों को फड़फड़ाकर शरीर को फेर कर सोने जैसी मुद्रा बनाता है । तो रोगी की मृत्यु निश्चित है ।
- यात्रा पर जा रहे व्यक्ति के सामने कुत्ता हरी दूब, फल लेकर आता हो । तो मनोरथ पूर्ण हुआ मानना चाहिए ।
- यात्रा के समय ताजी खून से सनी हड्डी मुँह में लेकर कुत्ता सामने आता है । तो शुभ होता है । पुरानी हड्डी लेकर आता है । तो अशुभ होता है ।
- कुत्ता जूता मुँह में लेकर सामने आकर खड़ा हो जाता है । तो धन प्राप्ति होती है ।
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साभार - कापी पेस्ट ( अज्ञात )
शकुन-शास्त्र के ज्ञाता ऋषियों ने लोक-ज्ञान को भी सम्मान देते हुए कहा है -
यं बुध्यते योऽस्ति च यत्र देशे यत्रानुरागो नुमवो थवा स्यात ।
अर्थात जिसे लोग जानते समझते हैं । जो जिस देश में हैं । जिसमें व्यक्ति या समाज का अनुराग है अथवा उसके निरन्तर परीक्षण अनुभव से किसी निश्चित परिणाम पर पहुँच सकते हैं । वे भी शकुन सार्थक रहते हैं । शकुन शास्त्री कहते हैं कि इस शास्त्र का उपदेश स्वयं त्रिनेत्र शंकर ने किया है । अतः शिव शकुन शास्त्र के उपदेष्टा रहे हैं और यह ज्ञान ऋषि परम्परा द्वारा पोषित परिवर्धित-परिमार्जित होता रहा है । इसके प्रवर्तकों में अत्रि, गर्ग, बृहस्पति, व्यास, शुक्राचार्य, वशिष्ठ, कौत्स, भृगु, गौतम आदि ऋषि प्रमुख रहे हैं । भविष्य का संसूचक होने के कारण यह शास्त्र ज्योतिष का ही उपांग बन गया है ।
शकुन शास्त्र हमारे समाज एवं क्रियाकलापों पर आधारित होता है । सामाजिक स्थिति, पशु-पक्षी आदि सभी इसके माध्यम हैं । कुत्ता सभी पालतू पशुओं में महत्वपूर्ण माना जाता है । वफादारी में इसका कोई सानी संसार में दूसरा नहीं है । कुत्ते का शकुन-शास्त्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है ।
यहाँ प्रस्तुत है कुत्ते से जुड़े कुछ शकुन -
- बलि ग्रहण करने के बाद यदि कुत्ता दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है । तो उसका फल उत्तम रहता है । किन्तु यदि बाँये पैर से दाहिना अथवा बाँया अंग खुजलाता है । तो वह विपरीत फलदायक होता है ।
- यदि कुत्ता दाहिना पैर उठाकर किसी घड़े अथवा गागर पर पेशाब करता है । तो शकुनार्थी का अथवा उसके घर-परिवार में शीघ्र ही कोई विवाह होता है और दोनों का जीवन सुखी रहता है साथ ही उत्तम संतान का योग भी बनता है ।
- कन्या के विवाह अथवा विवाह की बात करते समय यदि कुत्ता बाँये अंग को फड़फड़ाता हुआ अंदर आता है । तो उस कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए । क्योंकि वह दुराचारी होने के कारण परिवार को नष्ट करने वाली होती है ।
- यदि कुत्ता अपनी दाहिनी आँख खोलकर नाभि चाटता है और छत पर जाकर सोता है तो वर्षा आने की सम्भावना होती है ।
- वर्षा ऋतु में कुत्ता यदि वर्षा के जल में चक्कर लगाता है । तो तीव्र वृष्टि का सूचक है । किन्तु यदि अपने शरीर को कंपाकर सारा पानी झाड़ देता है । तो वर्षा अन्यत्र कहीं होती है ।
- ऊँची जगह पर चढ़कर सूरज को देखते हुए कुत्ता भौंकता है । तो अत्यन्त तीव्र वर्षा होती है ।
- कुत्ता यदि दाहिने अंग चाटता है, तो शुभ-सिद्धि की सूचना देता है ।
- यदि व्यक्ति परेशानी में कुत्ते का शकुन लेता है और कुत्ता उसके सामने विष्ठा कर देता है अथवा जम्हाई लेता है । तो उसका संकट टल जाता है । किन्तु शुभ परिस्थिति में ऐसा होता है । तो उसके लिए अशुभ होता है ।
- गर्भवती के दाहिने जाकर यदि कुत्ता अच्छे स्थान पर पेशाब करता है । तो पुत्र तथा बाँये पेशाब करता है । तो पुत्री होने के योग होते हैं ।
- व्यवसायी के दाहिने जाकर दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है । तो धन लाभ होता है ।
- नौकरी के लिए जाते व्यक्ति के दाहिने ओर यदि कुत्ता प्रसन्नता से खेलता मिले या पलंग, आसन, छाता आदि पर कुत्ता पेशाब करता है । तो नौकरी अवश्य मिलती है ।
- अपने ही स्थान पर बैठा रहकर यदि जाने वाले व्यक्ति को कुत्ता गर्दन उठाकर देखता है । तो शुभ होता है । किन्तु कान फड़फड़ाता है या गर्दन हिलाता है तो अशुभ होता है ।
- यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने मुँह में हड्डी दबाकर आता कुत्ता और भौंकता कुत्ता घोर अशुभ की सूचना देता है ।
- कान या पूँछ कटा कुत्ता यदि बहुत कमजोर है और जाते हुए व्यक्ति को बारबार देखता है । तो बहुत अशुभ होता है ।
- कुत्ता पानी में नहाकर यदि अपने शरीर को फड़फड़ाता है । तो चोट की सूचना देता है ।
- यदि अनेक कुत्ते एक स्थान पर एकत्र होकर सूर्य की ओर देखकर भौंकते हैं । सिर हिलाते हैं । रोते हैं या वमन करते हैं । तो उस स्थान पर घोर विपदा आने वाली है ।
- कुत्ता पंजों से दरवाजा खुजाए अथवा दरवाजे पर बैठ जाए । तो कोई प्रियजन आता है ।
- कुत्ता दौड़कर आकर यदि खम्बे से लिपटता हो या चूल्हे पर चढ़ जाता है । तो कोई प्रियजन अवश्य आता है ।
- रहस्य ज्ञाताओं का मत है कि यदि कुत्ता धरती पर अपना सिर रगड़ता है । तो वहाँ धन गड़ा हो सकता है ।
- गोबर से लिपे-पुते चौक पर यदि कुत्ता जोड़ा केली करता है या रति-क्रिया करता है । तो विपुल धन की प्राप्ति होती है । इसके विपरीत यदि वह पैरों से गढ्ढा खोदता है । तो अनर्थ की सूचना देता है ।
- बीमार व्यक्ति के हाथ के पृष्ठ भाग को यदि कुत्ता चाटता है । तो उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है ।
- रोगी के स्वस्थ होने के सम्बन्ध में प्रश्न करने पर यदि कुत्ता कानों को फड़फड़ाकर शरीर को फेर कर सोने जैसी मुद्रा बनाता है । तो रोगी की मृत्यु निश्चित है ।
- यात्रा पर जा रहे व्यक्ति के सामने कुत्ता हरी दूब, फल लेकर आता हो । तो मनोरथ पूर्ण हुआ मानना चाहिए ।
- यात्रा के समय ताजी खून से सनी हड्डी मुँह में लेकर कुत्ता सामने आता है । तो शुभ होता है । पुरानी हड्डी लेकर आता है । तो अशुभ होता है ।
- कुत्ता जूता मुँह में लेकर सामने आकर खड़ा हो जाता है । तो धन प्राप्ति होती है ।
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साभार - कापी पेस्ट ( अज्ञात )
1 टिप्पणी:
Mai subah park ja raha tha jaise hi park ke gate ke karib pahucha ek kutta mere right side se aage nikal kar gate ke right side me chink( छींक) kar andar chala gaya.iska kya matlab hai jyotish sastra me.
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