28 मई 2016

सन्तोषी सदा सुखी

एक कौआ अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था । एक बार वह तालाब पर पानी पीने रुका । वहां पर उसने सफ़ेद रंग के पक्षी हंस को देखा । उसने सोचा मैं बहुत काला हूँ और हंस इतना सुन्दर हैं इसलिए शायद हंस इस दुनियां का सबसे खुश पक्षी होगा ।
कौआ हंस के पास गया और बोला - क्या आप दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ?
हंस बोला - मैं भी यही सोचा करता था कि मैं दुनियां का सबसे खुश पक्षी हूँ । जब तक कि मैंने तोते को न देखा था । तोते को देखने के बाद मुझे लगता हैं कि तोता ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी हैं । क्योंकि तोते के दो खूबसूरत रंग होते हैं । इसलिए वही दुनियां का सबसे खुश पक्षी है ।
कौआ तोते के पास गया और बोला - क्या आप ही इस दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो ?
तोता ने कहा - मैं पहले बहुत खुश था और सोचा करता था कि मैं ही दुनियां का सबसे खुबसूरत पक्षी हूँ । लेकिन जबसे मैंने मोर को देखा है । मुझे लगता है कि वो ही दुनियां का सबसे खुश पक्षी है । क्योंकि उसके कई तरह के रंग हैं और वह मुझसे भी खूबसूरत है ।
कौआ चिड़ियाघर में मोर के पास गया और देखा कि सैकड़ों लोग मोर को देखने के लिए आए हैं । कौआ मोर के पास गया और बोला - क्या आप दुनियां के सबसे सुन्दर पक्षी हो ?
हजारों लोग आपको देखने के लिए आते हैं । इसलिए आप ही दुनियां के सबसे खुश पक्षी हो सकते हो ।
मोर ने कहा - मैं हमेशा सोचता था कि मैं दुनियां का सबसे खूबसूरत और खुश पक्षी हूँ लेकिन मेरी खूबसूरती के कारण मुझे यहाँ पिंजरे में कैद कर लिया गया है । मैं खुश नहीं हूँ और मैं अब यह चाहता हूँ कि काश मैं भी कौआ होता तो मैं आज आसमान में आजाद उड़ता ।
चिड़ियाघर में आने के बाद मुझे यही लगता हैं कि कौआ ही सबसे खुश पक्षी होता है ।
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हम लोगों की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है । हम अपनी तुलना दूसरों से करते हैं और दूसरों को देखकर हमें लगता है कि वो शायद हमसे अधिक खुश या सुख में है । इस कारण हम दुखी हो जाते हैं ।
हम उनका आनंद नहीं उठा पाते । जो हमारे पास पहले से है । और उन वस्तुओं के पीछे भागने लगते हैं । जो हमारे पास नहीं है । और इसी चक्कर में समय निकलता जाता है । और बाद में हम सोचते हैं कि पहले हम अधिक खुश थे ।
दुनियां में हर व्यक्ति के पास अन्य व्यक्तियों से कुछ वस्तुएँ अधिक और कुछ वस्तुएँ कम होगी ही ।
इसलिए दुनियां में सबसे अधिक खुश वह है । जो अपने आप से सन्तुष्ट हैं ।
कहा भी गया है - सन्तुष्टम परम सुखम । सन्तोषी सदा सुखी । 

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