30 अक्तूबर 2013

सर्प काट लेने पर आसान चिकित्सा

LAYS चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है । वह दरअसल सुअर की चर्बी है । कमाल है । शायद ही कोई भारतीय परिवार चिप्स आदि से बच पाया होगा । बात हो रही E631 की । जिस किसी भी पदार्थ पर लिखा दिखे - E631 तो समझ लीजिए कि उसमें सूअर की चर्बी है । गूगल से पता चला कि कुछ अरसे पहले यह हंगामा पाकिस्तान में हुआ था । जिस पर ढेरों आरोप और सफाईयां दस्तावेजों सहित मौजूद हैं । हैरत की बात यह दिखी कि इस पदार्थ को कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है । किन्तु अपने देश में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है । मूल तौर पर यह पदार्थ सूअर की चर्बी से प्राप्त होता है । और ज्यादातर नूडल्स, चिप्स में स्वाद बढाने के लिए किया जाता है । रसायन शास्त्र में इसे Disodium Inosinate कहा जाता है । जिसका सूत्र है - C10H11N4Na2O8P1 होता यह है कि अधिकतर ( ठंडे ) पश्चिमी देशों में सूअर का मांस बहुत पसंद किया जाता है । वहाँ तो बाकायदा इसके लिए हजारों की तादाद में सूअर फार्म हैं । सूअर ही ऐसा प्राणी है । जिसमें सभी जानवरों से अधिक चर्बी होती है । दिक्कत यह है कि - 

चर्बी से बचते हैं लोग । तो फिर इस बेकार चर्बी का क्या किया जाए ? पहले तो इसे जला दिया जाता था । लेकिन फिर दिमाग दौड़ाकर इसका उपयोग साबुन वगैरह में किया गया । और यह हिट रहा । फिर तो इसका व्यापारिक जाल बन गया । और तरह तरह के उपयोग होने लगे । नाम दिया गया - पिग फैट । 1857 का वर्ष तो याद होगा आपको ? उस समय काल में बंदूकों की गोलियां पश्चिमी देशों से भारतीय उप महाद्वीप में समुद्री राह से भेजी जाती थीं । और उस महीनों लम्बे सफ़र में समुद्री आबोहवा से गोलियां खराब हो जाती थीं । तब उन पर सूअर चर्बी की परत चढ़ाकर भेजा जाने लगा । लेकिन गोलियां भरने के पहले उस परत को दांतों से काटकर अलग किया जाना होता था । यह तथ्य सामने आते ही जो क्रोध फैला । उसकी परिणति 1857 की क्रांति में हुई बताई जाती है । इससे परेशान हो अब इसे नाम दिया गया -

एनिमल फैट । मुस्लिम देशों में इसे गाय या भेड़ की चर्बी कह प्रचारित किया गया । लेकिन इसके हलाल न होने से असंतोष थमा नहीं । और इसे प्रतिबंधित कर दिया गया । बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नींद उड़ गई । आखिर उनका 75% कमाई मारी जा रही थी । इन बातों से । हारकर 1 राह निकाली गई । अब गुप्त संकेतों वाली भाषा का उपयोग करने की सोची गई । जिसे केवल संबंधित विभाग ही जानें कि यह क्या है । आम उपभोक्ता अनजान रह सब हजम करता रहे । तब जनम हुआ E कोड का । तबसे यह E631 पदार्थ कई चीजों में उपयोग किया जाने लगा । जिसमें मुख्य हैं - टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, च्युंगगम, चाकलेट, मिठाई, बिस्कुट, कोर्न फ्लैक्स, टाफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि । सूची में और भी नाम हो सकते हैं । हाँ ! कुछ मल्टी विटामिन की गोलियों में भी यह पदार्थ होता है । शिशुओं, किशोरों सहित अस्थमा और गठिया के रोगियों 

को इस E631 पदार्थ मिश्रित सामग्री को उपयोग नहीं करने की सलाह है । लेकिन कम्पनियाँ कहती हैं कि इसकी कम मात्रा होने से कुछ नहीं होता । पिछले वर्ष खुशदीप सहगल जी ने 1 पोस्ट में बताया था कि - कुरकुरे में प्लास्टिक होने की खबर है । चाहें तो 1-2 टुकड़ों को जलाकर देख लें । मैंने वैसा किया । और पिघलते टपकते कुरकुरे को देख हैरान हो गया । अब लग रहा कि कहीं वह चर्बी का प्रभाव तो नहीं था ? अब बताया तो यही जा रहा है कि जहां भी किसी पदार्थ पर लिखा दिखे - E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904  तो समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है ।
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सर्पदंश का विष नष्ट करने हेतु सरल उपाय - 1 - तपाये हुए लोहे से डंक वाले भाग को जला देने से नाग का प्राण घातक जहर भी उतर जाता है । 2 - सर्पदंश की जगह पर तुरंत चीरा करके विष युक्त रक्त निकालकर पोटेशियम

परमैंगनेट भर देने से जहर फैलना । एवं चढ़ना बंद हो जाता है । साथ में मदनफल ( मिंडल ) का 1 तोला चूर्ण गरम या ठण्डे पानी में पिला देने से वमन होकर सर्प विष निकल जाता है । मिचाईकंद का टुकड़ा 2 ग्राम मात्रा में घिसकर पिलाना तथा दंशस्थल पर लेप करना सर्प विष की अक्सीर दवा है । 4 - मेष राशि का सूर्य होने पर नीम के 2 पत्तों के साथ 1 मसूर का दाना चबाकर खा जाने से उस दिन से लेकर 1 वर्ष तक साँप काटे । तो उसका जहर नहीं चढ़ता । साँप के काटने पर शीघ्र ही तुलसी का सेवन करने से जहर उतर जाता है । एवं प्राणों की रक्षा होती है ।
जहर पी लेने पर - कितना भी खतरनाक विष पान किया हो । नीम का रस अधिक मात्रा में पिलाकर या घोड़ावज ( वच ) का चूर्ण या मदनफल का चूर्ण या मुलहठी का चूर्ण या कड़वी तुम्बी के गर्भ का चूर्ण 1 तोला मात्रा में पिलाकर वमन ( उलटी ) कराने से लाभ होगा । जब तक नीला नीला पित्त बाहर न निकले । तब तक वमन कराते रहें ।

अनुभूत प्रयोग - जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो । उसे कड़वे नीम के पत्ते खिलायें । यदि पत्ते कड़वे न लगें । तो समझें कि सर्प विष चढ़ा है । 6 सशक्त व्यक्तियों को बुलाकर - 2 व्यक्ति मरीज के 2 हाथ । 2 व्यक्ति 2 पैर । एवं 1 व्यक्ति पीछे बैठकर । उसके सिर को पकड़े रखे । उसे सीधा सुला दें । एवं इस प्रकार पकड़ें कि वह जरा भी हिल न सके । इसके बाद पीपल के हरे चमकदार 20-25 पत्तों की डाली मँगवाकर उसके 2 पत्ते लें । फ़िर - सुपर्णा पक्षपातेन भूमिं गच्छ महाविष । मंत्र जपते हुए पत्तों के डंठल को दूध निकलने वाले सिरे से धीरे धीरे मरीज के कानों में इस प्रकार डालें कि डंठल का उँगली के तीसरे हिस्से जितना भाग ही अंदर जाय । अन्यथा कान के परदे को हानि पहुँच सकती है । जैसे ही डंठल का सिरा कान में डालेंगे । वह अंदर खिंचने लगेगा । व मरीज पीडा से खूब चिल्लाने लगेगा । उठकर पत्तों को निकालने की कोशिश करेगा । सशक्त व्यक्ति उसे कसकर पकड़े रहें । एवं हिलने न दें । डंठल को भी कसकर पकड़े रहें । खिंचने पर ज्यादा अंदर न जानें दें । जब तक मरीज चिल्लाना बंद न कर दे । तब तक 2-2 मिनट के अंतर से पत्ते बदलकर इसी प्रकार कान में डालते रहें । सारा जहर पत्तें खींच लेंगे । धीरे धीरे पूरा जहर उतर जायेगा । तब मरीज शांत हो जायेगा । यदि डंठल डालने पर भी मरीज शांत रहे । तो जहर उतर गया है । ऐसा समझें । जहर उतर जाने पर नमक खिलाने से खारा लगे । तो समझें कि पूरा जहर उतर गया है । मरीज को राहत होने पर 100 से 150 ग्राम शुद्ध घी में 10-12 काली मिर्च पीसकर वह मिश्रण पिला दें । एवं कानों में बिल्वादि तेल की बूँदे डाल दें । ताकि कान न पकें । कम से कम 12 घण्टे तक मरीज को सोने न दें । उपयोग में आये पत्तों को या तो जला दें । या जमीन में गाड़ दें । क्योंकि उन्हें कोई जानवर खाये । तो मर जायेगा । इस प्रयोग के द्वारा बहुत मनुष्यों को मौत को मुख में से वापस लाया गया है । भले ही व्यक्ति बेहोश हो गया हो । या नाक बैठ गयी हो । फिर भी जब तक जीवित हो । तब तक यह प्रयोग चमत्कारिक रूप से काम करता है । सनातन सपूत कट्टर हिन्दू रामसेवक भारत
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कुछ दिन पहले इरान के परमाणु कार्यक्रम से जुङे 1 वैज्ञानिक की मौत ने पूरे विश्व को अपनी और खीँचा था । परन्तु ये बहुत ही कम लोगोँ को पता होगा कि भारत के सर्वोच्च प्रतिष्ठित परमाणु प्रतिष्ठान बार्क मेँ पिछले 3 वर्षोँ मेँ 9 भारतीय वैज्ञानिकोँ की मौत हो चुकी है । इरान की सरकार ने इस घटना से सबक लेकर अपने सभी 

वैज्ञानिकोँ को कङी सुरक्षा उपलब्ध करवाई । परन्तु भारतीय संस्थान मेँ स्थिति इसके बिलकुल विपरीत है । सबसे दुःखद बात तो ये है कि भारतीय जनता को इसकी कानों कान खबर तक नहीँ है । यही नहीँ केरल पुलिस और एजेँसीज भारतीय वैज्ञानिकोँ पर झूठे आरोप लगाते हैँ । यदि जानकार सूत्रोँ पर विश्वास किया जाए । तो पाकिस्तान की खुफिया एजेँसी ISI भारत की सुरक्षा व्यव्स्था पर बहुत गहराई तक सेँध लगा चुकी है । अमेरिका और बहुत से देशोँ की नजर हमारे परमाणु कार्यक्रमोँ को खत्म करने मेँ लगी हुई है । हाल ही मेँ बार्क के 2 प्रमुख इंजीनियर KK Ghosh तथा Abhish Shivam के शव 7 अक्टूबर को विशाखापटनम नौसैनिक यार्ड के पास रेल पटरी पर पङे मिले । दोनोँ वैज्ञानिक भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित परमाणविक पन्डूब्बी पर काम कर रहे थे । पुलिस के मुताबिक दोनोँ वैज्ञानिकोँ की हत्या जहर देकर की गयी थी । चौँकाने की बात ये है कि इतने प्रमुख वैज्ञानिकोँ की मौत को मीडिया मेँ जगह नहीँ मिली । दोनोँ की हत्याओँ को पुलिस ने 1 मामूली एक्सीडेँट का रुप देकर ठंडे बस्ते मेँ डाल दिया । अथवा मामला रफा दफा कर दिया । पिछले 5 वर्षोँ मेँ बार्क मेँ कम से कम 1 दर्जन वैज्ञानिकोँ, इंजीनियरोँ, और तकनीशियनोँ को मौत हो चुकी है । और सबमेँ GOI का ढुल मुल रवैया देखने को मिला है । सभी मृत वैज्ञानिक अति गोपनीय व अति महत्तवपूर्ण Project पर कार्यरत थे । इन हत्याओँ के तरीके को देखकर लगता है कि कोई बाहरी संगठन बहुत ही सुनियोजित साजिश के तहत इन हत्याओँ को अंजाम दे रहा है । आप ही बताएँ कि ये वैज्ञानिक अपने क्षेत्र मेँ देश के सर्वोच्च सम्मान के हकदार थे । या ऐसी मृत्यु के ? यहाँ 1 प्रश्न यह भी उठता है कि इन सभी Projects और वैज्ञानिकोँ की जानकारी ISI और विदेशियोँ को कौन उपलब्ध करवा रहा है ? क्योँकि ऐसे गोपनीय और महत्तवपूर्ण कार्योँ की खबर GOI और कुछ महत्तवपूर्ण वैज्ञानिकोँ के अलावा और किसी को नहीँ होती ।
तो कौन है - वो सुअर गद्दार ? शक की सुई तो सीधे GOI पर ही घूमती है । इसके आगे आप समझदार हैँ । कृपया अधिक से अधिक शेयर करेँ । और देश की जनता को इसके बारे मेँ अधिक से अधिक जानकारी देँ । धन्यवाद । जय हिन्द । वन्दे मातरम । आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति
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1 मोबाइल कंपनी का सेल्समैन दस्त शुरू होने पर डाक्टर के पास पहुँच कर बोला - डाक्टर ! सुबह से ही अनलिमिटेड आउटगोइंग चल रही है । अंदर से नई नई रिंगटोन सुनाई दे रही है । पेट में बेंलैंस भी खत्म हो गया है । छोटा रीचार्ज भी करता हूँ । तो 5 मिनट में ही डिस्चार्ज हो जाता है । कृपया इस स्कीम को किसी भी तरह बंद करें ।
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http://www.meatfreeindia.com/h28.php
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http://fractalenlightenment.com/7902/spirituality/awakening-your-seven-major-chakras
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भारतीय जड़ी बूटी, औषधियों का सम्पूर्ण विवरण चित्रों के साथ इलेक्ट्रोनिक बुक ( ई-बुक ) रूप में
http://prakriti-farms.org/downloads/MedicinalAndAromaticPlants.chm

29 अक्तूबर 2013

बहू के पीछे छोडा गया बिना पैसे का जासूस

निर्दोष है राहुल । धोबी ने भरे थे कान - 1 सुबह शीर्षासन करने के बाद पसीने से नहाये राहुल अपने सरकारी निवास के अहाते में बैठे आरेंज जूस की चुस्कियां भर रहे थे । तभी उन्होंने 1 व्यक्ति को बड़ी सी गठरी लिए उनके घर से निकलते देखा । राहुल ने उसे आवाज देकर बुलाया । और पूछा कि - वो कौन है । उसने घबराते हुए कहा - मैं धोबी हूँ हजूर । अब सामान्य गृहस्थ कर्म से कोसों दूर रहे राहुल अपने दिमागी शब्दकोश में धोबी का अर्थ तलाशने लगा । उनकी परेशानी दूर करते हुए धोबी ने अपनी तथाकथित अंग्रेजी में कहा - मैं क्लीन करता हूँ मालिक । क्लीन शब्द सुनते ही राहुल सारा माजरा समझ गए कि यह शायद " क्लीन चिट " देने वाला कोई CBI या किसी खुफिया विभाग का आदमी है ।
राहुल ने मुस्कुराते हुए पूछा - किसी फाइल की " ग्रामर चैक " कराने आये हो । अब ‘ग्रामर’ शब्द ने धोबी को पसोपेश में डाल दिया । अतः धोबी ने समझा कि राहुल उसके गांव या ग्राम के हालातों पर बात कर रहे हैं । संयोग से, वो धोबी मूल रूप से मुजफ्परनगर हिंसा पीड़ित 1 गांव का था । उसने कहा - क्या बताऊं हजूर ! मुजफ्फरनगर में बहुत बुरा हुआ । इतना दंगा फैला कि हमें शक है कि कहीं पाकिस्तान चुपके से इसका नाजायज फायदा न उठा ले । इस पर राहुल ने कहा - वो ( मानस CBI कर्मी ) मामले पर नज़र रखे । इससे अवाक धोबी " हाँ सरकार " कह जान छुड़ाकर चला गया । Nitin Mathur
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मित्रो ! सूर्य का रंग क्या है ? आप सभी का उत्तर 1 ही होगा - भगवा । अब यदि अल्लाह का अस्तित्व होता । तो धरती को प्राण देने, पूरी सृष्टि में जीवन का संचार करने वाले भगवान सूर्य नारायण को वो हरे रंग में रंगता ।
खैर.. जो भगवा के लिए स्वयं को तपा दें । स्वयं की आहुति दे । स्वयं को जो बलिदान कर दे । या पूर्ण रूप से समर्पित कर दे । वही भगवान है । परन्तु परमात्मा इससे भिन्न है । बूँद गिलास में गिरे तो गिलास का पानी बन जाती है । छोटी धारा में गिरे तो झील बन जाती है । बड़ी धारा में वो तालाब बन जाती है । उससे भी बड़ी धारा में गिरे तो वो नदी बन जाती है । पर अथाह समुद्र में 1 बूँद क्या 1 नदी का भी कोई महत्व नहीं । क्योंकि समुद्र किसी 1 नदी, जलराशि का मोहताज नहीं । इसलिए समुद्र का कोई ओर छोर नहीं । ऐसे ही परमात्मा के समक्ष हम छोटी छोटी आत्माओं का कोई महत्व नहीं । वो परमात्मा अलग है । और आत्मा अलग है । इसलिए उसे परम आत्मा - परमात्मा कहा गया है । Hindurashtra
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नमस्कार मित्रो ! आज मैं आपको 1 महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हूँ । जब भी आप कोई नया कंप्यूटर या

लैपटाप खरीदने जाते हैं । तो अगर आप विंडोज वाला कंप्यूटर लेते हैं । यानी वो कम्प्यूटर या लेपटोप जिसमें विंडोज पहले से इंस्टाल आती है । तो आपको उसके ढाई से 3000  रूपये ज्यादा देने पड़ते हैं । जो कि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की लाइसेंस फीस होती हैं । और वे रुपये अमेरिका चले जाते हैं - माइक्रोसॉफ्ट के पास । लेकिन अगर आप वही लैपटॉप या कंप्यूटर लाइनक्स या डॉस आपरेटिंग सिस्टम के साथ खरीदते हैं । तो आपको कंप्यूटर बहुत सस्ता पड़ेगा । क्योंकि लाइनक्स मुफ्त होता है । लाइनक्स मुफ्त इसीलिए है । क्योंकि संसार भर में प्रोग्रामर इसके लिए मुफ्त में कोडिंग करते हैं । ताकि समाज को देन मिल जाये । और कोई भी प्रोग्रामर कर सकता है । भारत की सभी कोर्ट में लाइनक्स इस्तेमाल होता है । जिससे काफी पैसा बचता है । चीन अपना खुद का लाइनक्स बना रहा है । ताकि अमेरिका जाने वाले पैसे को रोका जा सके । मैं भी 1 साल से यही इस्तेमाल करता हूँ । और अगर किसी को चाहिए । तो इन्टरनेट पर हज़ारों तरह के लिनक्स मुफ्त में डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं । किसी सीरियल नंबर की कोई जरूरत नहीं । वैसे तो आप लाइनक्स को कैसी भी शक्ल दे सकते हैं । अगर किसी को कोई मदद या जानकारी चाहिए । तो हज़ारो लिनक्स के ग्रुप और पेज फेसबुक पर हैं । जो बहुत सरलता से आपकी सहायता कर देंगे । 
उबुन्टु Ubuntu लाइनक्स बहुत सरलता से इंस्टाल हो जाता है । और इसका यूजर इंटरफेस बहुत सुविधाजनक है । अगर आप स्मार्ट फ़ोन खरीदने जा रहे हैं । तो विंडोज फ़ोन ना खरीदें । क्योंकि उस फ़ोन की कीमत में माइक्रोसोफ्ट की लाइसेंस फीस भी शामिल होती है । जो बिल गेट्स की जेब में चली जाती है । इसके बजाय 

आप स्वदेशी मोबाइल कम्पनी जैसे कार्बन, माइक्रोमेक्स आदि का एंड्राइड फोन खरीदे । स्वदेशी अपनाए । देश बचाए ।
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वेदों में विज्ञान । मंडल 1 सूक्त 164 मन्त्र 25
जगता सिन्धुं दिव्यस्तभायद्रथन्तरे सूर्यं पर्यपश्यत ।
गायत्रस्य समिधस्तिस्त्र आहुस्ततो मह्राप्र रिरिचे महित्वा ।
गतिमान सूर्य देव द्वारा प्रजापति ने द्दयु लोक में जलों को स्थापित किया । वृष्टि के माध्यम से जल, सूर्य देव, और पृथ्वी संयुक्त होते हैं । तब सूर्य और द्द्यु लोक में सन्निहित प्राण, जल वृष्टि के द्वारा इस पृथ्वी पर प्रकट होता है । गायत्री के 3 पाद अग्नि सूर्य और विद्युत हैं । उस प्रजापति की तेजस्विता से ही ये तीनो पाद शक्तिशाली हैं । ऐसा माना गया है ।
रोहित कुमार
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अगर आध्यात्म या अलौकिक विज्ञान के अनुसार बात की जाये । तो ये 9 द्वार हमारे शरीर के आँखों से नीचे पिंड भाग में स्थित हैं । क्योंकि मायावश हम अज्ञान से इसी शरीर से मोहित हुये इसी शरीर को सत्य मानते हैं । अतः - जहाँ आशा वहाँ वासा । जैसी मति वैसी गति । अन्त मता सो गता.. सिद्धांत अनुसार हमारी गति पशुवत ही होती है । क्योंकि शरीर ही सत्य नहीं है । यह सिद्ध है । पर हम जीवन अन्त तक शरीर से पशु की भांति मोहित रहते हैं । इसलिये अन्तिम गति भी पशुवत ही होगी । 
तब मृत्यु समय दोनों कानों ( में किसी एक ) से जीवात्मा निकलने पर विभिन्न प्रकार की प्रेत योनि होगी । 

क्योंकि प्रेतत्व शब्द ध्वनि आधारित है । दोनों आँखों ( में किसी एक ) से जीवात्मा निकलने पर प्रकाश प्रेमी विभिन्न कीट पतंगे होगें । क्योंकि कीट पतंगे प्रकाश आकर्षण वाले हैं । दोनों नासिका छिद्रों में किसी एक से प्राण तजने पर वायुचर जीव पक्षी आदि । क्योंकि नासिका छिद्र से वायु ही बाहर होती है । मुँह से विभिन्न प्रकार के पशु । क्योंकि यह सिर्फ़ उदर पूर्ति और स्वाद का माध्यम अधिक है । लिंग या योनि छिद्र से तदनुसार ही विभिन्न जल जीव । और गुदा मार्ग से तदनुसार ही विभिन्न नरकगामी होगा । अतः सिर्फ़ दसवां द्वार ही आगे मनुष्य शरीर या मोक्ष मार्ग देता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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When energy moves through the body - it is sex, when energy moves through the soul - it is kundalini
Kundalini and Multi-Dimensional Consciousness
- ऐसा व्यर्थ प्रलाप सिर्फ़ पाश्चात्य व्यक्ति या पाश्चात्य सोच वाले ही कर सकते हैं । क्योंकि मूल रूप से शरीर या आत्मा से उठी उर्जा या चेतना का स्रोत सिर्फ़ आत्मा की चेतना ही है । क्योंकि ये लोग संभवतः सत रज तम तीन गुणों के बारे में नहीं जानते । इसलिये ऐसा कहते हैं । कोई भी उर्जा सिर्फ़ सत गुण से ही प्रवाहित होती है । फ़िर उस उर्जा को हम अपनी इच्छा या कामना अनुसार - कामवासना, भक्ति, उद्धार, मोक्ष आदि आदि अनगिनत कामना बहावों से जोङ सकते हैं । राजीव कुलश्रेष्ठ 
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Yajnadatta, the Mad Man  यज्ञदत्त का सर - बौद्ध सुरंगम सूत्र में श्रावस्ती के 1 विक्षिप्त व्यक्ति यज्ञदत्त की कथा है । कथा में कहा गया है कि 1 दिन यज्ञदत्त ने दर्पण में स्वयं की छवि देखकर यह सोचा कि दर्पण में दिख रहे

व्यक्ति का सर है । यह विचार मन में आते ही यज्ञदत्त की रही सही बुद्धि भी पलट गयी । और वह सोचने लगा - ऐसा कैसे हो सकता है कि इस व्यक्ति का सर तो है । पर मेरा सर नहीं है । मेरा सर कहाँ चला गया ? यज्ञदत्त घर के बाहर भागा । और सड़क पर सभी से पूछने लगा - क्या तुमने मेरा सर देखा है ? मेरा सर कहाँ चला गया है ? उसने सभी से ये बात पूछी । और कोई भी उसे कुछ समझा नहीं सका । सभी ने उससे यही कहा - तुम्हारे सर है तो ? तुम किस सर की बात कर रहे हो ? लेकिन यज्ञदत्त कुछ समझ न पाया । यज्ञदत्त के जैसी ही स्थिति में करोड़ों मनुष्य अपने अस्तित्व से अनजान हैं । Upendra Kr Meena
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आसाराम के चेहरे से उतर रहे हैं - मुखौटे पर मुखौटे । पढ़ें ये स्टोरी । जिसमें दिखाई देंगे आसाराम के रावण जैसे कई-कई चेहरे http://bit.ly/169QivV

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An 81-year-old woman believes that a ghost healed her of an illness and she even has a photo to prove it. Woman claims a ghost healed her and she even has proof .by John Albrecht, Jr.
www.examiner.com/user/5107871/3571611/subscribe?destination=node/66941236
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हल्दी और दूध । सेहत के लिहाज से इनके कई फायदे विभिन्न शोधों में माने गए हैं । लेकिन गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन भी आपकी सेहत के लिए कम फायदेमंद नहीं हैं । जान‌िए । हल्दी वाले दूध के ऐसे फायदों के बारे में जो सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का हल हो सकते हैं । दमा से लेकर ब्रोंकाइट‌िस जैसे रोग - हल्दी एंटी माइक्रोबियल है । इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम हो सकता है । यह बैक्टीरियर और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मददगार है ।
वजन घटाने में फायदेमंद - गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा फैट्स घटता है । इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वेट लॉस में मददगार हैं ।
अच्छी नींद के लिए - हल्दी में अमीनो एसिड है । इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है । अनिद्रा की दिक्कत हो । तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें ।
दर्द से आराम - हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है । इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है । जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है ।
खून और लिवर की सफाई - आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है । यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है । और लिवर को साफ करता है । पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है ।
पीरियड्स में आराम - हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है । और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है ।
मजबूत हड्डियां - दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है । और हल्दी में एंटी ऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं । इसलिए इनका सेवन हड्डियों को मजबूत करता है ।
गुम चोट के इलाज में सहायक - 1 गिलास गर्म दूध में 1 टी स्पून हल्दी मिलाकर पीने से चोट के दर्द और सूजन में राहत मिलती है । चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से आराम मिलता है । आधा लीटर गर्म पानी, आधा चम्मच सेंधा नमक और 1 चम्मच हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं । इस पानी में 1 कपड़ा डालकर निचोड़ लें । और चोट वाली जगह पर इससे सिंकाई करें ।
हड्डियों को मजबूत बनाए - रात को सोते समय हल्दी की 1 इंच लंबी कच्ची गांठ को 1 गिलास दूध में उबालें । थोड़ा ठंडा होने पर इसे पी लें । ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों का खतरा कम होता है ।
गठिया का इलाज - हल्दी इन रोगों के इलाज के लिए अनूठा घरेलू प्राकृतिक उपाय है । सुबह खाली पेट 1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से गठिया के दर्द में राहत मिलती है ।
एनीमिया के उपचार में प्रभावी - लोहे से समृद्ध हल्दी एनीमिया के इलाज के प्राकृतिक उपायों में 1 है । कच्ची हल्दी से निकाला गया आधा चम्मच रस 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीना फायदेमंद है । Indresh Tiwari
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केले का छिलका - पृथ्वी से मिलाप करने का दलाल ।
सिनेमा - पैसा देकर कैद होने का स्थान है ।
जेल - बिना पैसे का हास्टल ।
सास - बहू के पीछे छोडा गया बिना पैसे का जासूस ।
चिन्ता - बजन कम करने की सबसे सस्ती दवा ।
मृत्यु - बिना पासपोर्ट के पृथ्वी से दूर जाने की छूट ।
ताला - बिना वेतन का चौकीदार ।
मुर्गा - देहात की अलार्म घडी ।
झगडा - वकील का कमाऊ बेटा ।
चश्मा - जादुई आँख ।
स्वप्न - बिना पैसे की फिल्म ।
हास्पिटल - रोगियों का संग्रहालय ।
शमशान - दुनिया का आखिरी स्टेशन ।
ईश्वर - किसी से मुलाकात न करने वाला व्यवस्थापक ।
चाय काफी - कलयुग का अमृत ।
विद्वान - अक्ल का ठेकेदार ।
सांप - शंकर भगवान का नेकलेस ।
चोर - रात का शरीफ व्यापारी ।
विश्व - एक महान धर्मशाला । मूर्खिस्तान
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इस बार हमने सोचा । हम भी वैलैंटाइन डे मनायेंगे ।
अपनी मैडम को पिक्चर दिखायेंगे ।
हमारा भी दोस्तों में रुतबा बढेगा । घरेलू लडका फिर कोई नहीं कहेगा ।
बस कर लिये दो टिकट एडवांस में बुक ।
श्रीमती जी के चेहरे का देखने लायक था लुक ।
मुस्कुराते हुए बोली - कार्नर की ली है ना ।
हमने कहा - हाँ ! एक दाहिना एक बाहिना ।
तो हम भी पहुँच गये मैडम के संग ।
देखने सलमान की लेटेस्ट फिल्म दबंग ।
फिल्म देखने का मेरा पहला टैस्ट था ।
मैडम का सलमान में ज्यादा ही इंट्रेस्ट था ।
वो बाहर से तो हम पर मर रही थी ।
पर तारीफ सलमान की कर रही थी ।
फिल्म का जैसे ही हुआ इंटरवल । मैडम के माथे पर आ गये बल ।
गुस्से में बोली - आज के दिन भी भूखा मारोगे ।
जेब में रखे पैसों की क्या आरती उतारोगे ।
पूरा सिनेमा हाल हमें लानत भेज रहा था ।
फिल्म इंटरवल में हमारा ट्रेलर देख रहा था ।
हम फौरन कैंटीन की तरफ दौडे । ना ब्रैड दिखे ना पकौडे ।
चारों तरफ बस माल ही माल दिख रहा था ।
हर काउंटर पर पापकार्न और पिज्जा ही बिक रहा था ।
कुछ देर तक आँखें सेकीं और दिल ठंडा किया ।
फिर पत्नी के लिये एक ठंडा लिया ।
ठंडा लेकर हाल में जैसे ही पहुँचे । श्रीमती जी पिल पडी बिना कुछ सोचे । बडे प्यार से मुझे डांटकर बोली । अभी ठंडे की बोतल भी नहीं खोली ।
हम बोले - सलमान खान से ध्यान हटाओ ।
बोतल खुली है इस पर ध्यान लगाओ ।
ठंडा पीते ही मैडम गुर्राई । ये ठंडा है या गर्म मेरे भाई ?
अब तो कमाल हो गया । सलमान के सामने मैं भाई हो गया ।
मैंने चुपचाप से सारी का सहारा लिया ।
गर्म होते मामले का वहीं निपटारा किया ।
जैसे तैसे सलमान की दबंगई हुई खत्म ।
हमारे अंदर भी आ गया थोडा सा दम ।
पत्नी बोली - अब क्या दिलवाओगे ? हम बोले - अभी क्या दिलवाया है ?
वो बोली ज्यादा मजाक नहीं चलेगा । घर जाकर धोऊं या यहीं पिटेगा ?
हमने चुपचाप चुप्पी साध ली ।
सीधे अपने घर की राह ली । आज हमें एक शिक्षा मिली थी ।
वैलंटाईन हो या करवा चौथ । रक्षा बंधन हो या भैया दौज ।
सब प्यार मौहब्बत ही फैलाते हैं ।
और इनका मजा तब ही आता है । जब आप इन्हें घर पर ही मनाते है । घर पर ना होगी सलमान की दबंगाई । ना होगी बाजार में आपकी पिटाई । अज्ञात
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दीवाली पूर्व सूचना - कृपया आपके GF/BF के द्वारा दिए गए और आपके द्वारा छुपाये गए फोटो, प्रेमपत्र, उपहार या अन्य कोई चीज याद से निकाल लें । अन्यथा..घर की साफ सफाई करते समय यह आपके माँ पिता या पत्नी को मिल सकता है । और इस अवस्था में आपके घर में दीवाली से पहले ही पटाखे फूट सकते हैँ । सूचना जनहित मेँ जारी ।
धन्यवाद । Rajeev Reddy
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Settle down with me
Cover me up ..Cuddle me in 
Lie down with me.. ..Hold me in your arms 
Your heart's against my chest 
Lips pressed to my neck.. ..I've fallen for your eyes 
But they don't know me yet.
Ed Sheeran, Here I come !
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http://www.bbc.co.uk/news/world-europe-24705734 

27 अक्तूबर 2013

तेरा क्या होगा रे कालिया ?

अमेरिकी यूनिवर्सिटी में गीता पढ़ना हुआ जरूरी । जो काम भारत में होना था । वो अमेरिका में हो रहा है । अमेरिका की सेटन हॉल यूनिवर्सिटी Seton Hall University में सभी छात्रों के लिए गीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है । इस यूनिवर्सिटी का मानना है कि छात्रों को सामाजिक सरोकारों से रूबरू कराने के लिए गीता से बेहतर कोई और माध्यम नहीं हो सकता है । लिहाजा उसने सभी विषयों के छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम के तहत इसकी स्टडी को जरूरी बना दिया है । यूनिवर्सिटी केस्टिलमेन बिजनस स्कूल के प्रोफेसर ए. डी. अमर ने यह जानकारी दी । यह यूनिवर्सिटी 1856 में न्यूजर्सी में स्थापित हुई थी । और 1 स्वायत्त कैथलिक यूनिवर्सिटी है । यूनिवर्सिटी के 10,800 छात्रों में से एक तिहाई से ज्यादा गैर ईसाई हैं । इनमें भारतीय छात्रों की संख्या अच्छी खासी है । गीता की स्टडी अनिवार्य बनाने के इस फैसले के पीछे प्रोफेसर अमर की प्रमुख भूमिका रही । उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में कोर कोर्स के तहत सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम होता है । जिसकी स्टडी सभी विषयों के छात्रों को करनी होती है । 2001 में यूनिवर्सिटी ने अलग पहचान कायम करने के लिए कोर कोर्स की शुरुआत की थी । इसमें छात्रों को सामाजिक सरोकारों और जिम्मेदारियों से रूबरू कराया जाता है । उन्होंने बताया कि इस मामले में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम साधन है । गीता की अहमियत को समझते हुए यूनिवर्सिटी ने इसकी स्टडी अनिवार्य की । हमारे संस्कार पाश्चत्य को पसंद आ गये । पर हमारे देश में कब गीता का पाठ नियमित होगा । 

जय श्री राम जय श्रीकृष्ण । Prakash Nayak
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आत्मा और काम का क्या सम्बन्ध है ? शायद विदेशी लोगों को ही बेहतर पता होगा । ये पेज का विज्ञापन मेरे ग्रुप पर दिखा । तो मैं ये शब्द पढकर चौंक गया । हालांकि इस पेज में कामुकता जैसा कुछ खास नहीं है । पर ये क्या कहना चाहते हैं । आप लोग ही जानें ।
https://www.facebook.com/pages/Soul-Sex/131521806957896
ये और भी बङे ज्ञानी हैं ।
Soul Sex - www.soletosoulsex.com
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लगभग अल्पशिक्षित श्रेणी में आने वाले लोग जब कम्प्यूटर को कम्पूटर और कम्पाउंडर को कम्पोटर कहते हैं । तो पता नहीं क्यों मुझे अजीव सी अनुभूति होती है । जैसे मैंने अपना कम्प्यूटर कबाङे वाले से खरीदा हो । और जैसे कम्पाउंडर भैंसों का चरवाहा हो ।
क्या आप शुद्ध उच्चारण करते हैं ? डाकदर साब हैं का ?
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एक आलस्य शिरोमणि लङके के पिता ने उससे कहा - बेटे ! मैंने ऐसा प्रबन्ध किया है कि हरेक इच्छा आवश्यकता की पूर्ति हेतु सिर्फ़ एक बटन दबाना होगा । लङका झुंझलाकर बोला - लेकिन वो बटन दबायेगा कौन ? आपने इससे बङा आलसी कोई देखा है ?
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कटु सत्य - भारत में हिन्दुत्व को कोई  नहीं बचा सकता । और ये संभव भी नहीं है । क्योंकि 70% हिन्दू

सेक्युलर हैं । और बाकी के 30% कट्टर होते हुए खुद के मतभेदों में उलझे हुए हैं । सबके अपने अपने मुद्दे हैं । वो दिन दूर नहीं । जब हिन्दुत्व के बजाय नास्तिक हिन्दू हर जगह दिखने शुरू हो जायेंगे । और हमें ही वनमानुष वाली थ्योरी पढाना शुरु करेंगे । क्योंकि आज के समय हिन्दू न अपने धर्म का पक्का है । न ही अपनी बातों का । कोशिश जारी रहेगी हिन्दुत्व को बचाने की । और खुद को मिटाने की । प्रदीप सोनी विद्रोही
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काम वाली बाई । 1 दिन अचानक । काम पर नहीं आई ।
पत्नी ने फोन पर डांट लगाईं । अगर तुझे नहीं आना था ।
तो पहले बताना था ।
बोली । मैंने तो परसों ही । फेसबुक पर लिख दिया था । 
1 सप्ताह के लिए गोवा जा रही हूँ । पहले अपडेट रहो । 
फिर भी पता न चले तो कहो ।
पत्नी बोली । तू फेसबुक पर भी है ? 

जवाब दिया । मैं तो बहुत पहले से फेसबुक पर हूँ । 
साहब मेरे फ्रेंड हैं । बिलकुल नहीं झिझकते हैं । 
मेरे प्रत्येक अपडेट पर । बिंदास कमेन्ट लिखते हैं ।
मेरे इस अपडेट पर । उन्होंने कमेन्ट लिखा । हैप्पी जर्नी, टेक केयर ।
आई मिस यू ! जल्दी आना । मुझे नहीं भाएगा पत्नी के हाथ का खाना ।
इतना सुनते ही मुसीबत बढ़ गयी । पत्नी ने फोन बंद किया ।
और मेरी छाती पर चढ़ गयी ।
गब्बर सिंह के अंदाज़ में बोली । तेरा क्या होगा रे कालिया ।
मैंने कहा - देवी ! मैंने तेरे साथ फेरे खाए हैं । 
वह बोली - तो अब मेरे हाथ का खाना भी खा ।
अचानक दोबारा फोन करके । 
पत्नी ने काम वाली बाई से । पूछा घबराये घबराए । 
तेरे पास गोवा जाने के लिए । पैसे कहाँ से आये ?
वह बोली - सक्सेना जी के साथ । एलटीसी पर आई हूँ ।
पिछले साल वर्माजी के साथ । उनकी काम वाली बाई गयी थी ।
तब मै नई नई थी । जब मैंने रोते हुए ।
उन्हें अपनी जलन का कारण बताया । तब उन्होंने ही समझाया ।
क़ि वर्माजी की कामवाली बाई के । भाग्य से बिलकुल नहीं जलना ।
अगले साल दिसम्बर में । मैडम जब मायके जायगी ।
तब तू मेरे साथ चलना ।
पहले लोग कैश बुक खोलते थे । आजकल फेसबुक खोलते हैं । 
हर कोई फेसबुक में बिजी है । 
कैश बुक खोलने के लिए कमाना पड़ता है । इसलिए फेसबुक इजी है । 
आदमी कंप्यूटर के सामने बैठकर । रात रात भर जागता है । 

बिंदास बातें करने के लिए । पराई औरतों के पीछे भागता है । 
लेकिन इस प्रकरण से । मेरी समझ में यह बात आई है ।
क़ि जिसे वह बिंदास मॉडल समझ रहा है ।
वह तो किसी की काम वाली बाई है । जिसने कन्फ्यूज़ करने के लिए ।
किसी जवान सुन्दर लड़की की फोटो लगाईं है ।
सारा का सारा मामला लुक पर है । अब तो मेरा कुत्ता भी फेसबुक पर है ।
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ईसाई धर्म में - 1 मसीह । 1 बाइबल । और 1 ही धर्म है । लेकिन मजे कि बात ये कि लैटिन कैथोलिक, सीरियाई कैथोलिक चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये दोनों मर्थोमा चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये तीनों Pentecost के चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । और ये चारों साल्वेशन आर्मी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । इतना ही नहीं । ये पांचों सातवें दिन Adventist चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । ये 6 के 6 रूढ़िवादी चर्च में प्रवेश नहीं करेगा । अब ये सातों जैकोबाइट चर्च में प्रवेश नहीं करेगा ।
और इसी तरह से ईसाई धर्म की 146 जातियां सिर्फ केरल में ही मौजूद हैं । इतना शर्मनाक होने पर भी ये चिल्लाते रहेंगे कि 1 मसीह 1 बाइबिल 1 धर्म ??
- अब देखिए मुस्लिमों को 1 अल्लाह 1 कुरान 1 नबी । और महान एकता बतलाते हैं ? जबकि मुसलमानों के बीच शिया और सुन्नी सभी मुस्लिम देशों में एक दूसरे को मार रहे हैं । और अधिकांश मुस्लिम देशों में इन दो

संप्रदायों के बीच हमेशा धार्मिक दंगा होता रहता है । इतना ही नहीं शिया को सुन्नी मस्जिद में जाना माना है । इन दोनों को अहमदिया मस्जिद में नहीं जाना है । और ये तीनों सूफी मस्जिद में कभी नहीं जाएँगे । फिर इन चारों का मुजाहिद्दीन मस्जिद में प्रवेश वर्जित है । और इसी प्रकार से मुस्लिमों में भी 13 तरह के मुस्लिम हैं । जो एक दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं । और आपस में बमबारी और मारकाट वगैरह मचाते रहते हैं । लेकिन फिर भी भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए ये दिन भर लाउडस्पीकर पर गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते रहेंगे कि अल्लाह 1 है । हमारा 1 कुरान है । 1 नबी है । हम अच्छे हैं ।  और ना जाने क्या अंट शंट बोलते रहते हैं ?
अब आईये । जरा हम अपने हिन्दू/सनातन धर्म को भी देखते हैं ।
हमारी 1280 धार्मिक पुस्तकें हैं । जिसकी 10,000 से भी ज्यादा टिप्पणियां और १,00.000 से भी अधिक उप टिप्पणियों मौजूद हैं । 1 भगवान के अनगिनत प्रस्तुतियों की विविधता, अनेकों आचार्य तथा हजारों ऋषि मुनि हैं । जिन्होंने अनेक भाषाओँ में उपदेश दिया है ।
फिर भी हम सभी मंदिरों में जाते हैं । इतना ही नहीं । हम इतने शांति पूर्ण और सहिष्णु लोग हैं कि सब लोग 1 साथ मिलकर सभी मंदिरों और सभी भगवानों की पूजा करते हैं । और तो और पिछले 10 000 साल में धर्म के नाम पर हिंदुओं में कभी झगड़ा नहीं हुआ । Sachinder Verma
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चलो आपका Mind Test करते हैं । देखते हैं । कितने  टैलेंटेड लोग हैं ? तो बताओ मित्रो ! एक पीपल के पेड़ के नीचे 5 लोग बैठे थे ।
1 पहला ब्यक्ति बोल नहीं सकता l
2 दूसरा ब्यक्ति आँखों से देख नहीं सकता l

3 तीसरा ब्यक्ति कानों से सुन नहीं सकता l
4 चौथे ब्यक्ति के दोनों हाथ नहीं थे l
5 पाँचवें ब्यक्ति के दोनों पैर नहीं थे l
ऊपर से एक आम गिरा । तो बताओ पहले किसने उठाया होगा ? कुमार दीपू
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अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधं ।
अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ।
कोई अक्षर ऐसा नहीं है । जिससे ( कोई ) मन्त्र न शुरु होता हो । कोई ऐसा मूल ( जड़ ) नही है । जिससे कोई औषधि न बनती हो । और कोई भी आदमी अयोग्य नहीं होता । उसको काम में लेने वाले ( मैनेजर ) ही दुर्लभ हैं । शुक्राचार्य
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तेरी नेकी का लिबास ही । तेरा बदन ढकेगा बंदे ।
सुना है ऊपर वाले के घर । कपड़ों की दुकान नहीं होती ।
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शूद्रो: ब्राह्मण तामेति ब्राह्मण श्चेति शुद्रानाम ।
क्षत्रियअज्जात्मेवनतु विधयाद वैश्य: तथैवच । मनुस्मृति ।
कोई भी व्यक्ति शूद्र कुल में जन्म लेकर ब्राह्मण व्यापारी अथवा क्षत्रिय के समान ( अर्जित किये गए गुण विद्या एवं शास्त्र शस्त्र या व्यापारिक शिक्षा उपरान्त ) गुण कर्म स्वभाव रखता हो । तो वह शूद्र कुल में जन्मा व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य माना जाता है ( हो जाता है )
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हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता । गावहिं वेद पुरान श्रुति सन्ता ।
नाना भांति राम अवतारा । रामायन सत कोटि अपारा ।
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और ये हैं - फ़ेसबुक पर पूछे गये प्रश्नों के टिप्पणी रूप उत्तर ।
नौ द्वारों से आशय दो आँखें दो कान दो नासिका छिद्र एक मुँह और मल मूत्र द्वारों से है । ये बहिर्मुख हैं । जबकि

दसवां द्वार अंतर्मुख है । ये लगभग मस्तिष्क के मध्य ध्वनि रूप है । अजपा जाप से सुरति जब सूक्ष्म और लगभग निर्विकारी सी हो जाती है । तब ये ध्वनि रूपी द्वार चुम्बकत्व द्वारा खींचता है । और फ़िर सुरति इसमें से प्रवेश होकर बृह्मांड में निकल जाती है । लेकिन यह सब सिद्धांत समझने से नहीं होता । किसी समर्थ गुरु के शरणागति होने से यह आसानी से हो जाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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गो गोचर जहाँ लगि मन जाई । सो सब माया जानों भाई ।
गो - इन्द्रियां और गोचर - इन्द्रियों के विचरने का स्थान, यह सब माया ही है । अतः अमन स्थिति का बोध और स्थायित्व जब तक नहीं होता । तब तक कोई भी अपने " अहम रूप " से वशीभूत स्वाभाविक ही अनर्गल या असत्य बोलने को बाध्य सा ही है । क्योंकि नमक ( माया ) और मिश्री ( ज्ञान ) में बेहद अन्तर है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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कोमा कई तरह का होता है । भले ही डाक्टर उसे सुविधा हेतु अलग अलग शब्द दे देते हैं । जैसे याददाश्त खो जाना भी कोमा है । और सदमा की स्थिति भी कोमा ही है । किसी ऊँचाई आदि विशेष स्थिति से डर भी कोमा ही है । दरअसल किसी एक या दो तीन चीजों के प्रति शून्यता या कोई विशेष प्रतिक्रिया कोमा ही है ।
एक योगी का कोमा से कोई लेना देना नहीं होता । समाधि जङ और चेतन दो प्रकार की होती है । लेकिन आपने 

उनमनी अवस्था में जिस अटकाव की बात कही है । वैसा कभी नहीं होता । ये विस्तार का विषय है । अन्यथा मैं उनमनी को स्पष्ट कर देता । राजीव कुलश्रेष्ठ
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दरअसल सैद्धांतिक ज्ञान और व्यवहारिक प्रयोगात्मक ज्ञान में जमीन आसमान का अन्तर है । क्योंकि जङ, चेतन दोनों समाधि मेरे प्रयोग विषय रह चुके हैं । अतः मैं इसे आसानी से समझ सकता हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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डाक्टर या वैज्ञानिक अभौतिक को लगभग नहीं जानते हैं । वे तो ये भी नहीं जानते । कोमा क्यों ? और उसका निदान क्या ? जबकि आध्यात्म ज्ञानी ऐसी चीजों को सिर्फ़ दूरस्थ चेतना और गुण से ठीक कर सकते हैं । परन्तु अक्सर मनुष्य डाक्टर के सामने बकरा और सन्तों के सामने सयानापन दिखाता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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इंटरनेट के बङे बङे ज्ञानियों की ऐसे सार्थक मुद्दों पर बोलती क्यों बन्द हो जाती है । मेरी समझ में नहीं आता । क्या ज्ञान का अर्थ लगभग अशिक्षित औरतों जैसी व्यर्थ विषयों पर तू तू मैं मैं ही होता है ? राजीव कुलश्रेष्ठ
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एक बार किसी ने मुझसे पूछा - आप क्रिकेट के बारे में क्या जानते हैं ।
मैंने कहा - सब कुछ । उसमें होता ही क्या है । एक ओवर में छह गेंद फ़ेंकी जाती हैं । बस - राजीव कुलश्रेष्ठ
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इस M का तो मुझे पता नहीं । पर बचपन में एक M नाम वाले को जानता था । M नाम का लङका था । ९० रुपये कमाता था । ४४ अपने पिता को ४४ अपनी माँ को देता था । और २ रुपये खुद के खर्चे हेतु रखता था । उसका फ़ोटो मेरे पास है । लगा रहा हूँ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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लेकिन ये ( विदेशी ) लोग नारी ( प्रकृति ) और पुरुष ( चेतन ) के वास्तविक स्वरूप को समझने की कोशिश करें । तो भी बहुत कुछ उद्धार हो जाये । राजीव कुलश्रेष्ठ
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बङे भाग मानुष तन पावा । सुर दुर्लभ सद ग्रन्थन गावा ।
साधन धाम मोक्ष करि द्वारा । जेहि न पाय परलोक संवारा ।
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रोहन - मैं ट को हमेशा ट बोलता हूँ ।
श्याम - अरे ! तो ट को सभी ट ही बोलते हैं । ठ कौन बोलता है ?
रोहन - श्याम जी ! लगटा है । बाट टुम्हारी समझ में नहीं आयी ।

24 अक्तूबर 2013

थोडे गुस्से से काम नही बनेगा

गिनीपिग - आप कभी बीमार पडे । और डाक्टर की केबिन में बैठे हैं । तब कोई ब्लू शर्ट और टाई पहना हुआ आदमी आता है । और लाइन तोडते हुए डाक्टर की केबिन में घुस जाता है । आपको गुस्सा आता है । आप सोचते हो । उस दवाई की कंपनी के सेल्समेन ने आपका समय खराब किया । लेकिन आपका गुस्सा बहुत ज्यादा होना चाहिए । थोडे से गुस्से से काम नही बनेगा । क्योंकि उसने आपका समय ही नहीं । आपकी सेहत भी खराब की है । जेब की खराबी तो भूल जाओ । वो तो हर जगह होनी है । दानव समुदाय की मल्टीनेशनल दवाई कंपनियों के लिए भारत एक टेस्टिंग सेन्टर बन गया है । जहाँ गरीब जनता का अमानवीय नैदानिक परीक्षण हेतु एक गिनीपिग की तरह उपयोग किया जा रहा है । आखिर में सुप्रिम कोर्ट

ने भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि भारत में 162 वैश्विक नैदानिक परीक्षणों की स्वीकृति देने का औचित्य साबित करो । क्योंकि भारत एक उभरता हुआ देश है । और ढीले ढाले नियामक प्रोटोकॉल के कारण दुनियां की चिकित्सा प्रणालियों पर हावी होने की अपनी कभी न खत्म होने वाली दवा कार्टेल की नीति का एक प्राथमिक लक्ष्य भारत भी बन जायेगा । प्रमुख दवा कंपनियां भारत सरकार को मनाने में काफी हद तक सफल हो गई हैं । और जिन क्षेत्रों में स्वाथ्य सेवा का अभाव है । उन गरीब समुदायों में ग्रामीण भारतीयों पर परीक्षण किया गया है । जिनमें से कई NCEs , नई रासायनिक इकाई  New chemical entity शामिल हैं । और भी सभी प्रकार के परीक्षण के लिए मंजूरी पा ली है । परिस्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि मजबूरन मानवतावादी एक्टिविस्टों को आगे आना पडा है । और कानून का सहारा लेना पडा है । और सरकारी आफिसरों के खिलाफ शिकायत करनी पडी है । सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत को सुना । और हाल ही में एक सुनवाई में सरकार से इन परीक्षणों को दी गई मंजूरी के पीछे का वैज्ञानिक सबूत प्रदान करने के लिए कहा गया है । स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस आदेश का पालन करने के लिए सिर्फ दो सप्ताह है । कंपनियां गरीबों का लाभ उठाये बिना उचित प्रोटोकॉल के NCEs  के क्लीनिकल परीक्षण आयोजित किये जा रही हैं । स्वास्थ्य अधिकार मंच की कोर्डिनेटर अमूल्य निधि का कहना है - भारत में अवैध और अनैतिक दवा परीक्षणों को समाप्त करना जरूरी है । संगठन की वेबसाइट में कहा गया है कि भारत में नैदानिक परीक्षण बडी तेजी के साथ बढ रहे हैं । और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक जोखम कारक बना गया है । क्लिनिकल परीक्षण के दौरान सिर्फ 2010 और 2012 के वर्ष के बीच १५०० नागरिक को अपनी जान देनी पडी है । सरकार अगर बहुत मोटा वित्तीय लाभ पाने का

लालच नही छोडेगी । बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को नही रोकेगी । तो और भी हजारों नागरिक उन बदनसीब नागरिकों के पिछे चल देंगे । केमिस्ट्री वर्ल्ड  में दिन्शा साचन लिखते हैं - NCEs का परीक्षण विवादित हो गया है । क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में हुई मौत का आंकडा बहुत ऊँचा है । स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार - नैदानिक परीक्षणों में 1,542 लोगों की मृत्यु 2010 और 2012 के बीच हो गई है । Monthly Index of Medical Specialties के एडिटर सी. एम. गुलाटी ने अपने देश के आम लोगों की ओर से संवाददाताओं से कहा कि - भारत में NCEs का परीक्षण देश की मदद नहीं करता है । इसके विपरीत, यह केवल बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को ही मदद करता है । लागत में कटौती और मुआवजे के भुगतान से बचने के लिए भारत में किया जाता है । दूसरे देशों में दरदी ? की जान जाने पर बडा भारी मुआवजा चुकाना पडता है ।  The non-profit organization  Low Cost Standard Therapeutics  के चीनु श्रीनिवासन इस बात से सहमत हैं । उन्होंने संवाददाताओं से कहा - NCEs के नैदानिक परीक्षण के फेज-२ और फेज-३ की भी अनुमति भारत में मिली हुई है । अपने देश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना के साथ अनुकुल नही हैं । कई अन्य लोगों की तरह, श्रीनिवासन को भी भारत का मौजूदा नियामक ढांचा गंभीर रूप से कमजोर लगता है । जो नैतिक रूप से दिवालिया बनी हुई दवा कंपनियों को सिस्टम का व्यापक दुरुपयोग करने देने की सुविधा देता है । अपने संगठन के अभियान के उद्देश्य के बारे में निधि कहती हैं - हम जानते हैं । चिंतित हैं । और लोगों के हितों के लिए

प्रतिबद्ध हैं । ध्यान देने योग्य बात है कि  एक बेहतर विनियामक ढांचे के परिणाम से नागरिकों की जान बचती है । तो बड़ी बड़ी फार्मा कंपनियों को कितना भी नुकसान उठाना पडे । हमें कोई परवाह नही । डाक्टर की केबिन में घुसकर दवा सेल्समेन डाक्टर से क्या क्या व्यापारिक परीक्षण करवाता है । और उस से दरदी ? को क्या नुकसान जाता है । उस पर भी थोडा बता दिया होता । तो अच्छा था । निधि जी ! हमें तो अंदाजित नुकसान का पता है । जरूरत ना होने पर भी दवा लिख दी जाती है । या जरूरत की दवा के बदले दूसरी दवा लिख दी जाती है । Siddharth Bharodiya
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विश्व में अनेकों धर्म और संप्रदाय प्रचलित हैं । लेकिन इस्लाम केवल अपनी मान्यताओं और विश्वास को ही 

प्रमाण मानता है । और दूसरों को मनवाने का प्रयास करता रहता है । इस्लामी परिभाषा में इस विश्वास को ही ईमान कहा जाता है । भले ही ऐसा विश्वास या मान्यता तर्क सम्मत नहीं हो । मुसलमान उसे सही मानते हैं । साधारण लोग इस्लाम के सुन्नी और शिया समुदाय के बारे में जानते हैं । और उनकी अधिक संख्या होने के कारण उन्हीं को इस्लाम का सही रूप समझ लेते हैं । क्योंकि इन दोनों फिरकों का मुख्य आधार अल्लाह और कुरआन ही है । और बाकी मान्यताएं जैसे - रसूल, जन्नत जहन्नम, कयामत, कलमा और नमाज आदि इन दोनों से सम्बंधित है । मुसलमान अल्लाह को साबित करने के लिए तर्क देते हैं कि - ऐसा कुरआन में लिखा है । और जब कुरआन की प्रमाणिकता की बात आती है । तो कहते हैं । यह अल्लाह की किताब है । जबकि यह दोनों बातें एक दूसरे पर आधारित हैं । लेकिन बहुत लोगों को नहीं पता होगा कि मुसलमानों का एक ऐसा काफी बड़ा फिरका भी है । जो अल्लाह और कुरआन के अलावा अन्य बातों के बारे में बिलकुल विपरीत विचार रखता है । इस इस्लामी समुदाय को " अलवी  علوية ” मुसलमान कहा जाता है । इनके बारे में इसलिए बताना जरुरी है । क्योंकि इन्हीं के साथ अल्लाह की मौत का रहस्य भी जुड़ा हुआ है । इसलिए इस लेख को ध्यान से पढ़िए । http://hindurashtra.wordpress.com/2012/08/06/133/
© ® #Hindurashtra
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पति  पत्नी रात में बिस्तर पर खामोशी से लेटे हुए । आपस में कोई बात नहीं । पत्नी के मन की चिंताएं - 1 ये मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे ?
2 क्या अब मैं पहले जैसी खूबसूरत नहीं रही ?
3 कहीं मेरा वजन तो नही बढ़ गया ?
4 कहीं मेरे चेहरे की झुर्रियों पर इनका ध्यान ना गया हो ?
5 कहीं इनके जीवन में कोई और तो नहीं आ गई ?
6 कहीं ये मेरी रोज की कच कच से तंग तो नहीं आ गये ? 
पति के मन की चिंता - ये स्साला धोनी ने इशांत शर्मा को ओवर क्यों दिया...Bs Pabla
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वो सोच रहा है मैं जागूं तो वो कुछ कहे ।  मैं सोचता हूँ कि मैं सोया ही कब हूँ ।
Rajeev Thepra
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This is the most meaningful msg Man asked God - Give me everything to enjoy life . God replied - I have given you life to enjoy everything.Prem Lohana
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आज करवा चौथ है । भूखी प्यासी रहेगी पत्नी । और उम्र लंबी होगी पति की । ये तो वही बात हो गई कि मोबाइल चार्जिंग पर लगा है पत्नी का । और बैटरी फुल हो रही है पति की । Naresh Lokwani
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यजुर्वेद में वृत की बहुत सुन्दर परिभाषा दी गई है - अग्ने वृतपते वृतं चरिष्यामि, तच्छकेयं तन्मे राध्यताम । इदं अहं अनृतात सत्यम उपैमि । यजु. 1/5 अर्थात - हे अग्नि स्वरूप वृतपते सत्यवृत पारायण साधक पुरूषों के पालन पोषक परम पिता परमेश्वर ! मैं भी व्रत धारण करना चाहता हूँ । आपकी कृपा से मैं अपने उस व्रत का पालन कर सकूँ । मेरा यह व्रत सफल सिद्ध हो । मेरा व्रत है कि मैं मिथ्याचारों को छोड़कर सत्य को प्राप्त करता हूँ । इस वेद मंत्र में परम पिता परमेश्वर को व्रतपते कहा गया । अर्थात सत्याचरण करने वाले सदाचारियों का पालक पोषक रक्षक कहा गया । सत्य स्वरूप ईश्वर सत्य के व्रत को धारण करने वाले साधकों व्रतियों का अर्थात ईश्वर के सत्य स्वरूप को जान मानकर पालन करने वालों का पालक पोषक रक्षक है । अतः व्रत धारण करने वाला मनुष्य असत्य को छोड़कर सत्य को धारण करने का संकल्प ले । इसी का नाम व्रत है ।
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निकाह के बाद दूल्हा मौलवी साहब से बोला - मौलवी साहब ! आपकी फीस ? मौलवी - जनाब ! बेगम की ख़ूबसूरती के मुताबिक दे दो ।
मौलवी की बात सुनकर दूल्हे ने अपनी जेब में हाथ डाला । और चुपचाप 10 रूपए का नोट मौलवी साहब के हाथ में थमाकर उठकर जाने लगा । तभी अचानक हवा से दुल्हन का घूँघट उठ गया । मौलवी - अमां मियाँ ! बाकी के पैसे तो लेते जाओ ।
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1378 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - ईरान । 1761 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - अफगानिस्तान । 1947 में भारत से 1 हिस्सा अलग हुआ । इस्लामिक मुल्क बना । नाम हुआ - पाकिस्तान । 1971 में 1 नया इस्लामिक मुल्क बना । जो कभी भारत का हिस्सा था । नाम हुआ - बांग्लादेश । 1952 से 1990 के बीच भारत का 1 राज्य इस्लामिक हो गया । नाम है - कश्मीर । और अब उत्तर प्रदेश, असम और केरल इस्लामिक राज्य बनने की कगार पर हैं । और यदि हम हिंदुओं को जगाने का काम करते हैं । सच्चाई बताते हैं । तो कुछ लोग हमें RSS  और VHP वाला कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं । कितना बदनाम कर दिया है । काँग्रेस ने इन राष्ट्रवादी संगठनो को । मर जाओ चिल्ला चिल्लाकर । लेकिन हिंदू नहीं जागेंगे । Hindurashtra
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भाई लोग ! फटाफट पहले ये वीडियो सुन लो l फिर मेरी बात समझ आएगी l फोटो में दिख रहा होगा कि लड़ाई किसके किसके बीच की है ? एक तरफ इलुमिनाटी के दानव हैं । दूसरी तरफ हमारे संत l
https://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=lvkq75IBuiw 
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एक पिता अपने बेटे के साथ पहाड़ों की सैर पर निकला । अचानक बेटा गिर गया । चोट लगने पर उसके मुंह से निकला - आह !
तुरंत पहाड़ों में से कहीं - से आवाज आई -  आह !  बेटा अचरज में रह गया । उसने फौरन पूछा - तुम कौन हो ? 

सामने से वही सवाल आया - तुम कौन हो ? बेटा चिल्लाया - मैं तुम्हारी तारीफ करता हूँ ।
पहाड़ों से जवाब आया - मैं तुम्हारी तारीफ करता हूँ ।
अपनी बात की नकल करते देखकर बेटा गुस्से में चिल्लाया - डरपोक ।
जवाब मिला - डरपोक । उसने पिता की ओर देखा । और पूछा - यह क्या हो रहा है ? पिता ने मुस्कुराते हुए कहा - बेटा ! जरा ध्यान दो ।
इसके बाद पिता चिल्लाया - तुम चैंपियन हो । जवाब मिला - तुम चैंपियन हो । बेटे को हैरानी हुई । लेकिन वह कुछ समझ नहीं सका ।
इस पर पिता ने उसे समझाया - लोग इसे गूंज ( इको ) कहते हैं । लेकिन वास्तव में यह जिंदगी है ।
यह आपको हर चीज़ वापस लौटाती है । जो आप कहते हैं । या करते हैं । हमारी जिंदगी हमारे कामों का ही प्रतिबिंब है । अगर आप दुनिया में
ज्यादा प्यार पाना चाहते हैं । तो अपने दिल में ज्यादा प्यार पैदा करें ।
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आपने कभी सोचा है कि आपको मानसिक या सही अर्थों में आत्मिक उर्जा किससे मिलती है ? गहरी निद्रा में हुये चेतना संयोग से । इसका थोङा ही गहन परीक्षण करने पर आपको पता चलेगा । शरीर के लिये उर्जा भोजन से तथा चेतन उर्जा किसी अज्ञात स्रोत से मिलती है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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यदि आप अष्टांग योग में कंठ, तत्व आदि पर संयम के बारे में जानेंगे । तो जल तत्व ( से पानी की पूर्ति ) और खेचरी आदि को सिद्ध करने से कई चीजों की पूर्ति होती है । कहने का अर्थ शरीर से किये परिश्रम के आधार पर ही तदनुसार भोजन की आवश्कयता है । और अच्छे योगी को इसके विकल्प कई योगों से प्राप्त हो जाते हैं । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अपामार्ग के एक मुठ्ठी से भी कम बीजों की खीर खाने से एक सप्ताह भूख और शौच की समस्या खत्म हो जाती है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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प्रह्लाद जानी जैसे केसों को ऐसी ही यौगिक दुर्घटना कहा जा सकता है । जिसके बारे में व्यक्ति को खुद भी नही मालूम होता है । मेरे कहने का अर्थ है । योग में कर्मशील रहते हुये इससे अच्छी स्थितियां होती हैं । वह व्यक्ति भरपूर श्रम भी करता है । और बिना खाये भी उसकी उर्जा का जरा भी हास नहीं होता । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अगर आप अपनी मर्जी से ध्यान की सही खुराक लेने की स्थिति में आ जायें । तो आपको आराम हेतु सोने की आवश्यकता नहीं होगी । जबकि स्फ़ूर्ति सामान्य से कई गुना अधिक होगी । भोजन और पानी की भी विशेष आवश्यकता नहीं होगी । और ये तो मैं ही सिखा दूँगा । राजीव कुलश्रेष्ठ
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21 oct  के बारे में आप देख सकते हैं । वह मेरा लिखा नहीं है । नेट का लिंक है । जहाँ तक मेरे तथ्यों में किसी तारीख का जिक्र है । वह सिर्फ़ आगामी अगस्त माह में विस्फ़ोट को लेकर है । जहाँ तक 2012 की बात है । वह मेरे अनुभव के बजाय विभिन्न सन्तों की भविष्यवाणियों पर अधिक आधारित था । फ़िर भी कुछ साक्षात भी थे । वास्तव में उनमें से कई ( 2012 ) संकेत रूप हुये भी । जैसे सागर का जल खौलना । भूगर्भीय ज्वलनशील तेलों का एकदम सतह पर आ जाना आदि । यह प्रलय जो वहीं से शुरूआत थी । कुछ समय के लिये विभिन्न शक्तियों के हस्तक्षेप से टल गयी । कारण ऊपरी प्रशासन में नियुक्त अधिपतियों में बदलाव भी होना था । राजीव कुलश्रेष्ठ
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अभी के अनुभव संकेत रूप थे । ये स्व चेष्टित ध्यान की अवस्था कम विभिन्न योगियों को समाचार रूप अधिक भेजे गये थे । अगर आप देश विदेश और वैज्ञानिक स्तर पर गतिविधियों की जानकारी रखते हैं । तो सभी कुछ अभी प्रारम्भिक स्तर पर निरन्तर हो रहा है । सूर्य और चन्द्रमा में निरन्तर कुछ न कुछ घट रहा है । कई धूमकेतु कृमशः आ रहे हैं । डेंगू ( हड्डी तोङ ज्वर ) कई जगह फ़ैल रहा है । फ़ैल चुका है । गृहयुद्ध और देशों में युद्ध का माहौल बनता ही जा रहा है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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ये संकेत इतनी तेजी से आ रहे थे कि मैं इन सबको भूल जाता । अतः मैंने मध्य प्रदेश अपने शिष्य को बीसियों बार फ़ोन कर बीच बीच में नोट करने को कहा । जिसमें डिस्टर्बेंस फ़ोन न लगना आदि रुकावटें भी आयीं । यदि मैं फ़ोन लगातार कनेक्ट रखता । तो उस दशा में संकेत नहीं आते । अतः कह सकते हैं । संकेत पूर्ण रूपेण स्थिति में ग्रहण न हो सके । राजीव कुलश्रेष्ठ
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यह संकेत पहेलियों की तरह हैं । जिनको मैं काफ़ी हद तक स्पष्ट कर सकता था । पर मैंने इसको आप सभी के चिन्तन हेतु छोङ दिया ।
- फ़ेसबुक ग्रुप पर कई लोग सवाल कर देते हैं । जिसकी वजह से उन्हें ही उत्तर दे पा रहा हूँ । कुछ अन्य रुकावटें भी बन जाती हैं । राजीव कुलश्रेष्ठ   
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कुल मिलाकर मेरी नजर में न यह चमत्कार है । न कोई उपलब्धि । बल्कि एक विशेष दुर्घटना की खास स्थिति है । जो बहुतों के साथ विभिन्न प्रकारों से घटती है । प्रह्लाद का यौगिक इलाज न कराकर एक शापित सा निष्क्रिय जीवन बिता देना मेरे नजरिये से पागलपन से अधिक नहीं । हाँ ऐसा किन कारणों परिस्थितियों में हुआ । वो मैं नहीं जानता । क्योंकि कभी कभी मनुष्य हालात से मजबूर भी हो जाता है
राजीव कुलश्रेष्ठ  
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इस प्रश्न का भी बहुत कुछ सम्बन्ध आपके भूकंप और आध्यात्म में क्या सम्बन्ध ? से जुङा है । जब कोई योगी प्रथ्वी जल आकाश जैसे तत्व भी सिद्ध करता है । तो इस सिद्ध योग के समय यह उन्हें मटर के दाने से भी छोटे नजर आते हैं । उन्हीं पर चेतना की निरन्तर एकाग्रता सम्बन्धित तत्व को सिद्ध कर देती । सिद्ध होने पर यही प्रथ्वी किसी आडियो विजुअल माध्यम की भांति पूर्ण या मनचाहे आंशिक रूप में दिखाई देगी । तब हम प्राप्त सिद्धि के अनुसार नियम के अंतर्गत उसी आडियो विजुअल में जो क्रिया आदि करेंगे । वही इस स्थूल प्रथ्वी में भी हो जायेगी । राजीव कुलश्रेष्ठ  
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हा हा हा हा हा हा हा - मच्छरों की गिनती भी कर ली हा हा हा हा हा हा - जेड सुरक्षा क्या कर रही थी पप्पू भैया ? धर्मवीर शर्मा
25 हजार मच्छरों ने काटा राहुल गांधी को । हम मजाक नहीं कर रहे । ये उन्होंने खुद कहा है । जानें । और क्या क्या बोले राहुल । और कहां काटा उन्हें मच्छरों ने । #rahul25000 #rahulmachcharstory
http://aajtak.intoday.in/story/rahul-said-in-2009-i-toured-budelkhand.-i-was-bitten-by-25000-mosquitoes-1-745408.html
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राहुल को भी पता चल गया कि मोदी ही असली हीरो हैं । रैली उनकी और ज़िंदाबाद के नारे मोदी के । कितना अच्छा और फिल्मी लग रहा होगा । बहुत बडिया ।
http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/pro-modi-slogans-at-rahul-gandhi-rally-in-rajasthan/articleshow/24643048.cms
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Rama Setu ( Bridge ) An Engineering Marvel of 5076 BCE ( Hindi )
http://www.youtube.com/watch?v=RlhGEvkBD-Y

22 अक्तूबर 2013

पंजाबियों की 5 पसन्द

लूट की खूली छूट ! काले लोगों को गोरा करने के नाम पर लूटने वाली कम्पनी हिंदुस्तान लीवर ने न्यायालय से फटकार खाने के बाद अपने विज्ञापनों में गोरापन शब्द का इस्तेमाल तो बंद कर दिया है । पर उसकी जगह निखार शब्द का प्रयोग शुरू किया है । यानी शब्द बदल दिए नियत नहीं बदली । गाय और सूअर की चर्बी मिलाकर क्रीम बनाने में कौन से फार्मूला की जरुरत पड़ सकती है भला । पर लोगों को बरगलाने के लिए पैक पर विज्ञान के प्रतीक DNA का चित्र लगाया गया है । जिसे दिखाकर भोले भाले लोगों के मन में यह झूठ बिठाया जा सके कि फेयर एंड लवली को बनाने में बहुत ऊँची टेक्नॉलोजी लगती है । झूठ फैलाने की हद देखिये कि विज्ञापन में दावा किया गया है कि फेयर एंड लवली लगाने पर फेयरनेस " ट्रीटमेंट जैसा निखार " मिलेगा । पर नीचे बहुत ही छोटे शब्दों ( जो सूक्ष्मदर्शी की मदद के बिना नहीं पढ़े जा सकते ) में लिखा है कि - हमारा आशय कास्मेटिक क्षेत्र में प्रयुक्त ट्रीटमेंट से है । परिणाम चिकित्सालय/क्लिनिक में प्रयुक्त ट्रीटमेंट के समान नहीं होंगे । सर्वश्रेष्ठ परिणाम 

के लिए रोजाना प्रयोग करें । आप समझ सकते हैं कि ट्रीटमेंट यानी उपचार तो क्लिनिक/चिकित्सालय में ही होता है । कास्मेटिक से कौन सा ट्रीटमेंट होता है भला ? फिर रोजाना क्यों प्रयोग करें भला । और इन विज्ञापनों में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी लिपि में प्रयोग किया जाता है । ताकि अंग्रेजी शब्द पढ़ाकर लोगों के मन में क्वालिटी का झूठ बिठाया जा सके । पैक पर लिखा है - एडवान्सड मल्टी विटामिन । एक्सपर्ट फेयरनेस सोल्यूशन । विटामिन कब से लोगों को गोरा बनाने लग गए ? पर मूर्ख लोग इनकी बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं । 1 नमूना देखिये - अब पहले से बेहतर नयी बेस्ट एवर फेयर एंड लवली । बेस्ट एवर फेयर एंड लवली का नॉन ऑयली एडवांस्ड फार्मूला दाग - धब्बे घटाये । और पहले से भी बेहतर निखार । ट्रीटमेंट जैसा निखार । बेस्ट एवर फेयर एंड लवली आज ही ट्राई

करे । अंग्रेजी में लिखे इन शब्दों को पढ़ते ही मूर्ख लोगों को लगता है कि यह बहुत अच्छी व उच्च क्वालिटी की चीज है । भले ही वे इनका अर्थ ना समझ सकें हों । - पेप्सी और कोकाकोला का बाजा बजाने के बाद स्वदेशी प्रचारकों से हमारा अनुरोध है कि हमारा अगला शिकार फेयर एंड लवली समेत तमाम वो उत्पाद होने चाहिए । जो हमारी माताओं बहनों को गोरा होने का सपना दिखाकर हीन भावना से भर देते हैं । और आर्थिक रूप से भी लूट लेते हैं । अगर हम सब मिलकर इनके विरुद्ध आवाज उठाएंगें । तो वो दिन दूर नहीं । जब हम पेप्सी और कोकाकोला की तरह हिन्दुस्तान यूनीलीवर का भी बंटाधार करके स्वदेशी की आवाज बुलंद कर देंगे । Rajiv Dixit.
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उन सबके लिए जो पंजाबियों के बारे में कुछ नहीं जानते ।
स्‍यापा - किसी भी तरह की आपदा । यानी डिजास्‍टर को 1 शब्‍द में बयान करना ।
- इस धरती पर सबसे स्‍वादिस्‍ट खाना - लंगर ।
- वह चीज जो किसी भी पंजाबी के चेहरे पर मुस्‍कान लाने के लिए काफी है – राजमां चावल ।
- पंजाबी का फिटनेस मंत्र – ए बाटल ए डे । कीप्‍स द डाक्‍टर अवे ।
- लाउड होना । पंजाबियों का जन्‍मसिद्ध अधिकार है । और उसे हर पंजाबी को हासिल करना ही चाहिये ।
- पंजाबी कभी हाँ नहीं बोलते । हमेशा हंजी ही बोलते हैं ।
- आपको तभी पता चलता है कि आप पंजाबी हैं । जब आपके दादा जी आपको ओवरवेट होने के बावजूद कहते हैं – मुंडा बहुत कमजोर हो गया है ।
- अगर 2 पंजाबी 15 मिनट से ज्‍यादा किसी टापिक पर बात कर रहे हैं । तो तय है । वे व्‍हिस्‍की के ब्रांडों के बारे में ही बात कर रहे हैं ।

- हर जगह 1 ऐसा अंकल जरूर मिल जायेगा । जो किसी भी पार्टी में कुछेक पैग पी लेने के बाद अपने सिर पर गिलास रख कर डांस करेगा ।
- आप किसी पंजाबी को पंजाब से बाहर निकाल सकते हैं । लेकिन किसी पंजाबी में से पंजाब को बाहर नहीं निकाल सकते ।
- पंजाबी जब खुश होकर आपस में बात करते हैं । तो लोगों को अक्‍सर गलतफहमी हो जाती है कि वे आपस में लड़ रहे हैं ।
- पंजाबियों की 5 पसन्द -
परांठा । पैसा । पैग । परसाद । पिन्‍नी - 1 तरह की घरेलू स्‍वीट डिश ।
- केवल पंजाबी ही 1 रुपया कमा कर डेढ़ रुपया खर्च करने का हुनर जानते हैं ।
- पंजाबी की सबसे बड़ी चिंता - क्‍या खायें । कब खायें । किसके साथ खायें ।
- पंजाबी के रोज के संकल्‍प - कल से दारू बंद । और डाइटिंग शुरू ।
- 6 पैग के बाद पंजाबी - दूसरा है यार ।
- दुनिया में पंजाबी ही ऐसे बंदे हैं । जो किसी भी काम को छोटा नहीं समझते । Mukesh Pandey Chandan 
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श्रीकृष्ण ररंकार ( राम ) से ऊपर की कर्षण शक्ति है । इससे बङा मन्त्र तो " क्लीं कृष्ण क्लीं " ही है । न कि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
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यूँ तो कदम कदम पर जिंदगी कुछ सिखाती है । 
मगर पता नहीं कैसे गलती हो ही जाती है ।
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ये क्या बला है मेरे साथ ओ या रब ।
तू जब याद आता है । हम खुद को भूल जाते है ।
Rajeev Thepra
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देश के युवाओं को 1 सलाह - अगर तुम देश बदलना चाहते हो । तो अभी बदल दो । क्योंकि अगर 1 बार शादी हो गई । तो देश तो छोड़ो । तुम टीवी चैनल तक नहीं बदल पाओगे । Sanjay Shah 
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दैनिक " सहाफत " ने मुसलमान और सेक्युलरिज़्म के शीर्षक से लिखा है कि मुसलमानों का ये रवैया बहुत अजीब है कि जिन देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं । और जिन्हें मुस्लिम देश कहा जाता है । वहाँ कभी सेक्युलरिज़्म का नाम नहीं लिया जाता । लेकिन जिन देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं । वहाँ मुसलमानों की तरफ़ से बराबर सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था पर जोर दिया जाता है । अख़बार कहता है कि मिसाल के तौर पर भारत में मुस्लिम नेता धर्म निरपेक्ष व्यवस्था को बहुत ज़रूरी बताते हैं । लेकिन कभी किसी मुस्लिम नेता से यह नहीं कहा गया है कि सऊदी अरब और दूसरे मुस्लिम देशों में भी धर्म निरपेक्ष व्यवस्था होनी चाहिए । अशोक कुमार । बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
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आज से 10-15000 वर्षों पूर्व से विद्यमान सनातन वैदिक धर्म ? अपने समय में शीर्ष स्थान पर बिराजमान था । लेकिन आज जब देखते हैं । तो सनातन वैदिक धर्म अपनी मूल स्थिति खो चूका है । भक्ति सिर्फ मंदिरों में ही स्थित हो चुकी है । मूर्ति पूजा के नाम पर पाखण्ड चल रहा है । सनातन ज्ञान वेद ? और दर्शनों का समाज में से लोप हुआ है । धर्म की पकड़ हिन्दू समाज में से कम हो रही है । धर्म का स्थान अधर्म और विपरीत धर्म ने लिया 

है । क्या कारण हो सकता है उसका ? इस अधःपतन की बौद्धिक मीमांसा होनी ही चाहिए । और उसको सुधारना अनिवार्य हो चला है । अगर उसकी मीमांसा की जाए । तो 5 प्रमुख कारण सामने आते हैं ।
1 मिथ्या ब्राह्मणवाद । 2 वंश परंपरा में मिल रही गुरुगद्दी/धार्मिक अधिकार । 3 पुराणों का प्राबल्य । और वेदों और दर्शनों का अज्ञान ।
4 स्त्री शिक्षण का अभाव । 5 सन्यासियो की अकर्मण्यता ।
1 मिथ्या ब्राह्मणवाद - ब्राह्मण कैसा भी हो । वह पूज्य ही होना चाहिए । दुर्गुण से लिप्त ब्राह्मण की भी पूजा होनी चाहिए । चाहे महा मूर्ख हो । या महा पंडित हो । ब्राह्मण पूज्य है । यह मान्यता जैसे ही वैदिक समाज में स्थिर हुई । तब से मिथ्या ब्राह्मणवाद का प्रचलन हुआ । और अधःपतन का प्रारम्भ हुआ । ब्राह्मणों को विशेष अधिकार थे । यह बात समझ में आती है । लेकिन कैसा भी ब्राह्मण पूज्य है ? यह बात मिथ्या ब्राह्मणवाद की और हमें ले जाती है । यह वैदिक कल्पना नहीं है । यहाँ तक कि अत्री स्मृति में ब्राह्मणों के अनेक भेद बताये है । जहाँ देव ब्राह्मण भी है । और पतित एवं पशु ब्राह्मण भी है । कहने का तात्पर्य यह है कि ब्राह्मण को उसकी योग्यता और ज्ञान के अनुसार ही स्थान दिया जाना चाहिए था । भगवान बादरायण वेद व्यास तो कहते हैं कि - जो ब्राह्मण ब्राह्मणत्व छोड़कर बैठा है । उसे मजदूरी के काम में लगाओ ( महा. शांति पर्व ) अतः यह मान्यता निराधार थी । और उसी ने मिथ्या जातिवाद का पोषण किया । और इसने आर्य संस्कृति, सनातन धर्म के अधःपतन का कारण बनने का कार्य किया । 
2 वंश परंपरा में मिल रही गुरुगद्दी/धार्मिक अधिकार - गुरुगद्दी या धार्मिक अधिकार का आधार ज्ञान और योग्यता की जगह वंश और संबंध होने लगे । पिता धार्मिक गुरु है । तो संतान भी धार्मिक गुरु ही बनेगा । चाहे वह उस योग्य हो । या न हो । गुरु परंपरा इससे दूषित हुई । और सन्यास परंपरा में जिससे संबंध अच्छे होते । उसको उस अनुसार " पोस्ट " दी जाती । जिससे सन्यास परंपरा का लोप हुआ । और सनातन धर्म का अधःपतन हुआ ।
3 पुराणों का प्राबल्य और वेदों और दर्शनों का अज्ञान - सनातन धर्म में इस कारण ने सबसे बड़ा कुठाराघात

किया ? सनातन धर्म का मूल आधार जो स्मृति और दर्शन है । उसका लोप होने लगा । धनोपार्जन के लिए ब्राह्मणों ने पुराण कथा और ज्योतिष का सहारा लिया । और वेदों/दर्शनों के प्रति उपेक्षित द्रष्टि रखी । ब्राह्मणों ने पहले ही वेदों को केवल अपने तक सीमित कर दिया था । और अब उन्होंने भी वेदों का त्याग किया । और पौराणिक कथाओ का विस्तार हुआ । जिससे धर्म के मूल सिद्धांतो का ह्रास हुआ । और पौराणिक काल का प्रारंभ हुआ । ज्योतिष और पुराण कथाओं ने सनातन धर्म का अधःपतन करने का कार्य किया ।
4 स्त्री शिक्षण का अभाव - स्त्रियों को वैदिक काल में शिक्षण का अधिकार था । लेकिन पौराणिक काल में सनातन हिन्दू धर्म में 48% आबादी रखने वाली स्त्रियों की उपेक्षा हुई । उनको वेदों और शास्त्रों के अधिकार से दूर रखा गया । यह कोरी मान्यता का आधार पुराण बने । क्योंकि वेदों में तो स्त्री को पूर्ण अधिकार दिया ही गया था । यहाँ तक कि उन्हें कला से भी दूर रखा जाने लगा । वैदिक संस्कृति के मूल सिद्धांतो के अधःपतन का यह एक बहुत प्रबल और महत्वपूर्ण कारण बना ।
5 सन्यासियों की अकर्मण्यता - मोक्ष के लिए संसार का त्याग । यह सन्यास की मूल कल्पना रही ही नहीं । इसी कारण हमारे हर ऋषि ने संसार किया है । फिर ही संसार त्याग कर हुए सन्यासियों को जो कार्य करना चाहिए था । उसमें वह विफल रहे । वह आदि गुरु शंकराचार्य के महान कर्म योग को भी याद न रख पाए । जो अद्वैत के शीर्ष पर बेठे हैं । फिर भी अविरत कर्मयोगी हैं । ऐसे शंकराचार्य की परंपरा में आगे हुए सन्यासी और अन्य पन्थों से जुड़े और भी सन्यासियों ने कर्मयोग को छोड़ दिया । जिस हेतु से आचार्य ने 4 पीठों का स्थापन किया था । और 4 पीठो को 1-1 वेद देकर उसकी रक्षा की ज़िम्मेदारी दी थी । उसमें सम्बंधित सन्यासी विफल रहे । जो कार्य ईसाई धर्म में मिशनरी कर रहे हैं । वह कार्य सन्यासियों को करना चाहिए था । लेकिन उनकी अकर्मण्यता सनातन धर्म के सिद्धांतों के अधःपतन का कारण बनी ।

इन सभी कारणों ने सनातन धर्म का अधःपतन करने में बहुत बड़ा कार्य किया । और भी अनेक कारण रहे । जेसे कि क्षत्रियों द्वारा अधर्म धर्म का ज्ञान । जैसे जयराज मिर्ज़ा और जयचंद जैसे लोगों ने अन्नदाता के प्रति वफ़ादारी । इसको धर्म समझकर औरंगजेब जैसे लोगों का साथ दिया । और सनातन धर्म का नुकसान किया । साथ ही बड़ी संख्या में शूद्रों को उपेक्षित किये जाने पर उन्होंने बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई धर्म का अंगीकार किया । साथ ही मंदिरों में मिल रहे दान का उपयोग पाठशालाओं और यज्ञों एवं सनातन धर्म के लिए किया जाना चाहिए था । उसकी जगह उसका व्यय हुआ ।
मित्रो ! हमारी वैदिक संस्कृति सनातन है । और सनातन रहेगी । वह अमृत है । उसका नाश संभव नहीं है । लेकिन हम अमृत के पुत्र हैं । तो जिम्मेदारी भी बनती है कि उसकी रक्षा का हर संभव प्रयास करें । भगवान आयेंगे । और सब ठीक कर देंगे । ऐसा कहने वाले लोग " परित्राणाय साधुनां..." भूल जाते हैं । पहले ऐसे साधुओं का सज्जनों का निर्माण तो हो । जो सनातन धर्म के लिए कर्म रत हैं । बाद में उसकी रक्षा होगी । और याद रखिये । जिस धर्म में तत्व ज्ञान और कर्म का लोप हुआ । उसका हनन होने में ज्यादा देर नहीं लगती । आईये ऊपर के कारणों को उखाड़ फेंके । और वेदों का डिंडिम घोष करें । कापी पेस्ट
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वेद में " एकं स़द वीप्राः बहुधा वदन्ति " यानी ईश्वर 1 है । और विद्वान लोग अपनी अपनी सोच के अनुसार उसको बहुत मानते हैं ।  इसके द्वारा उस अनादि, अनंत, अचिन्त्य के किसी भी प्रकार से पूजा को गलत तो नही माना गया है । परन्तु अपनी पूजा को सही कहना । और दूसरे का गलत । इस बात को गलत माना गया है । साथ ही जहाँ तक मूर्ति पूजा की बात है । तो क्या हम खुद को मूर्ति समझते हैं ? यदि हाँ ! तो हम मूर्ति पूजक हैं । मूर्ति 1 शरीर है । जिसकी पूजा गुणों के कारण होती है । और हमें गुण की पूजा की प्रधानता देनी चाहिए । परन्तु ऐसा होता नही है । जब हम मूर्ति की पूजा करते हैं । तो गुणों को भूल जाते हैं । और वहाँ आस्था की बात करते हैं 

। परन्तु आस्था भी ज्ञान से युक्त होने चाहिए । यदि हमें पायलट बनना हो । और 1 ऐसे गुरु में हमारी आस्था हो । जो सायकिल चलाना भी न जानता हो । तो ऐसी आस्था से भला क्या लाभ ? अतः श्रीकृष्ण जी की बात को सर्वोपरि रखते हुए जीवन जीयें - नहि ज्ञानेन सद्रिशम पवित्रमिह विद्यते । यानी ज्ञान से महान पवित्र इस संसार में और कुछ नहीं । वेद में भी गायत्री को महामंत्र इसीलिए कहा गया है कि उसमें भी ज्ञान को ही सब कुछ माना गया है Amod Shastri
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ओम ॐ OM ! GOD ALONE EXISTS . There is no Self . GOD ALONE EXISTS . There is no Soul . GOD ALONE EXISTS . There is no Atman . ( 1 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Sage . GOD ALONE EXISTS . There is no Guru . GOD ALONE EXISTS . There is no Teacher . ( 2 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Avatar . GOD ALONE EXISTS . There is no Savior . GOD ALONE EXISTS . There is no Prophet . ( 3 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Human . GOD ALONE EXISTS . There is no World . GOD ALONE EXISTS . There is no Universe . ( 4 ) GOD ALONE EXISTS . ETERNALLY . GOD ALONE IS IMMUTABLE TRUTH . GOD ALONE IS ABSOLUTE REALITY . ( 5 ) SATYA सत्य http://bit.ly/SATYATRUTH https://www.facebook.com/SATYAVEDISM
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पति के जन्म दिन पर पत्नी ने पूछा - क्या गिफ्ट दूँ जी ?
पति - तुम मुझे प्यार करो । इज्ज़त करो । और मेरा कहना मानो । बस यही काफी है । पत्नी ( कुछ देर सोच के ) नहीं ! मैं तो गिफ्ट ही दूँगी ।
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गैरों को कब फुर्सत है दुःख देने की ।
जब होता है कोई हमदम होता है ।

21 अक्तूबर 2013

माफ़ करना तुम्हें प्यार नहीं कर पाउँगा

उस महान राजा का नाम था - जनक । जो इतने वैराग्यशील माने जाते हैं कि 1 कहानी चल पड़ी कि जब 1 बार राज दरबार में बैठकर वे अध्यात्म चर्चा में लीन थे ।  तो किसी ने उन्हें सूचना दी कि महाराज आपकी राजधानी मिथिला में आग लग गई है । तो आप जानते हैं कि पुराण गाथाओं में राजा जनक का कौन सा जवाब दर्ज है - मिथिलायां प्रदीप्तायां न मे दह्याति कश्चन । यानी अगर मिथिला जल रही है । तो इसमें मेरा भला क्या जल रहा है ? हमारे इतिहास में मिथिला में आग लग जाने की घटना कहीं खास दर्ज है नहीं । इसलिए लगता यही है कि जनक की घोर वैराग्यशीलता दिखाने के लिए 1 ऐसा गाथा संवाद गढ़ लिया गया । पर वैराग्यशीलता की प्रतिष्ठा का आलम यह है कि आज हमें परमहंस जैसा कोई महा सम्पन्न व्यक्ति मिल जाए । तो हम कह उठते हैं कि वह तो साक्षात

जनक है । विदेह उनका वंश नाम है ? पर वि-देह । यानी जिसे अपने देह की भी सुध नहीं । इस अर्थ वाला वंश नाम भी हम आजकल किसी भी वैराग्यशील व्यक्ति को देने में गौरव का अनुभव करते हैं । जनक को राजर्षि इसलिए कहा जाता है कि वे राजा होते हुए भी अर्थात राज नेता होते हुए भी ऋषि जैसे वीतराग थे । आज हम अगर डा. राजेन्द्र प्रसाद को भी राजर्षि कहना चाहते हैं । और पुरुषोत्तम दास टंडन को भी राजर्षि कहते हैं । और सारा देश इसका अर्थ तत्काल समझ जाता है । तो जाहिर है कि जनक का उपाधि नाम तक हमारे जहन में अपने पूरे अर्थ संदेश के साथ कहीं गहरे बस गया है । और हजारों सालों से इसी अर्थ संदेश के साथ बसा हुआ है । तो क्या यह कोई छोटी बात है ? तो ऐसे जनक कौन थे ? कब हुए थे ? हम भारतवासियों के दिलोदिमाग में सीता के पिता का नाम जनक है 

। जो ठीक ही है । सीता के पिता जनक थे । और उसी मिथिला के राजा थे । जहां धनुष यज्ञ हुआ था । और राम ने धनुष तोड़कर सीता के साथ विवाह किया था । पर जनक को लेकर हमारे सामने 1 बड़ी दिक्कत है । हमारे सामने 1 जनक वे हैं । जो सीता के पिता थे । और जो राम के समकालीन थे । यानी आज से 6000 साल पहले हुए । हमारे सामने 1 जनक वे हैं । जिनके राज दरबार में आचार्य याज्ञवल्क्य ने अपने ब्रह्मवाद की जबर्दस्त प्रतिष्ठा की थी । जहाँ उस समय की प्रख्यात विदुषी गार्गी वाचक्नवी ने याज्ञवल्क्य के सिद्धांतों को चुनौती दी थी । और याज्ञवल्क्य बड़ी मुश्किल से उनके सवालों के जवाब दे पाए थे । जनक के दरबार में हुआ याज्ञवल्क्य संवाद प्रख्यात ग्रन्थ शतपथ ब्राह्मण में अपनी पूरी शाब्दिक शोभा के नाम निरूपित है । याज्ञवल्क्य वैशम्पायन मुनि के भतीजे माने जाते हैं । और ये वैशम्पायन वे महापुरुष हैं । जो मुनि वेद व्यास की उस टीम के विशिष्ट सदस्य थे । जिसने 1 लाख श्लोकों वाला महाभारत तैयार किया था । जाहिर है कि याज्ञवल्क्य वेद व्यास और वैशम्पायन से संबद्ध होने के कारण महाभारत के नायक कौरव पांडवों के आसपास के समय के माने जाएंगे । और अगर उनकी अध्यात्म चर्चाओं का केन्द्र राजा जनक का दरबार था । तो ये जनक आज से 5000 साल पहले हुए । अर्थात जिस जनक को हम सीता के पिता के रूप में जानते हैं । उनमें और जिन जनक की प्रतिष्ठा महान अध्यात्म वेत्ता के रूप में शतपथ ब्राह्मण नामक ग्रन्थ में ही नहीं । हमारी स्मृतियों में भी दर्ज है । उनमें 1000 साल का काल बीत जाता है । अब बताईए । कैसे हो । इस 

समस्या का हल ? क्यों न हल की तलाश के लिए थोड़ा जनक वंश में डुबकी लगा ली जाए ? और डुबकी लगाने से पहले यह बताने की जरूरत नहीं कि सीता के पिता न तो पहले जनक थे । और न ही आखिरी जनक । जाहिर है कि 1 पूरी वंश परम्परा है । जिसने मिथिला में शासन किया है । जब हम महाभारत के पहले 3000 वर्षों को इतिहास संक्षेप में बखान रहे थे । तो हमने बताया कि मनु के बाद जहाँ अयोध्या में इक्ष्वाकु वंश का राजवंश शुरू हुआ । वहां मिथिला में निमि वंश का राजवंश चला । मिथिला नाम बाद में पड़ा । पर उसी शहर में निमि वंश का शासन पहले शुरू हुआ । निमि वंश इसलिए कि इस राजवंश के पहले राजा का नाम था - निमि । पूरा नाम है - निमि जनक । निमि के बाद हुए मिथि । पूरा नाम है - मिथि जनक । इन्हीं मिथि के नाम पर राजधानी का नाम

पड़ा मिथिला । हो सकता है कि यूं ही महत्वाकांक्षा के वशीभूत होकर राजा ने अपनी राजधानी का नाम मिथिला कर दिया हो । या फिर वे इतना महान व्यक्तित्व हों कि इतिहास ने उनकी राजधानी उन्हीं के नाम पर लिख दी हो । इन दोनों राजाओं के नाम के साथ जनक लगा है । वैसे वाल्मीकि रामायण में अपने कुल का परिचय देते हुए सीरध्वज जनक कहते हैं कि मिथि के पुत्र का नाम जनक था ( जिनके कारण उनके कुल का नाम जनक कुल पड़ गया ) जो पहले जनक थे - जनको मिथिपुत्राक: । प्रथमो जनको राजा । बालकांड 71.4 । इनके बाद आने वाले भी हर राजा के नाम के साथ जनक लगता रहा है । मसलन उदावसु जनक, देवरात जनक, कृतिरथ जनक, सीरध्वज जनक, जनक दैवराति, आदि । स्पष्ट है कि जनक नाम 1 कुल नाम जैसा है । और इस नाम वाला कोई 1 खास जनक नहीं है । जनक के साम्राज्य का नाम विदेह कैसे और कब पड़ा ? कहना कठिन है । पर ग्रंथों में जहाँ भी जनक के साम्राज्य का वर्णन है । वहाँ कई बार, बल्कि अक्सर विदेह

शब्द मिल जाता है - विदेहानां राजा अर्थात विदेहों का राजा । विदेहों अर्थात विदेह देश का राजा । संस्कृत में देशवाची शब्दों के लिए प्राय: बहुवचन का प्रयोग मिलता है । सीता जिन विदेहराज जनक की बेटी थीं । उनका नाम था - सीरध्वज जनक । और जिन कुशध्वज जनक की 3 बेटियों के साथ राम के शेष 3 भाइयों की शादी हुई थी । वे सीरध्वज के छोटे भाई थे । या तो सीरध्वज का मध्यम आयु में देहांत हो गया था । या फिर कुशध्वज काफी दीर्घायु थे । क्योंकि सीरध्वज का कोई बेटा न होने के कारण । यानी सीता का कोई भाई न होने के कारण । कुशध्वज ही अपने भाई सीरध्वज के उत्तराधिकारी बने । जनक वंश में डुबकी लगाने के बाद फिर से अपने सवाल पर आते हैं कि वे जनक कौन थे ? जो हमारे इतिहास में महान वैराग्यशील राजर्षि के रूप में अमिट हो गए ? सीता के पिता सीरध्वज जनक बाकी जनकों से अधिक महत्वपूर्ण तरीके से पुराणों में वर्णित हैं । पर यह नहीं पता चलता कि वे महत्वपूर्ण क्यों थे ? कहीं कहीं उन्हें वीर राजा के रूप में सराहा गया है । जिस कदर उन्होंने शिव धनुष तोड़ने की प्रतिज्ञा में सीता विवाह को बांध दिया था । उससे वे अति साहसी तो लगते हैं । पर कोई खास दूरदर्शी नजर नहीं आते । क्यों ? इसलिए कि राम वहाँ संयोगवश उपस्थित न होते । तो सीता का विवाह तो 1 बार संकट में पड़ ही गया था । लगता यही है कि सीता के पिता और राम के श्वसुर होने के कारण सीरध्वज जनक मशहूर हो गए । और इस संबंध का फायदा उनके भाई कुशध्वज को भी मशहूरी के रूप में मिला । पर इन दोनों जनक भाइयों में से कोई महान वैराग्यशील अध्यात्म वेत्ता राजर्षि भी था । इसके प्रमाण

दूर दूर तक नहीं मिलते । बेशक गोस्वामी तुलसीदास ने अपने रामचरित मानस में अध्यात्म वेत्ता राजर्षि के तमाम विशेषण सीता के पिता ( सीरध्वज ) जनक को दे दिए हैं । याज्ञवल्क्य ने जिस महान अध्यात्म वेत्ता जनक के राज दरबार में बृह्म चर्चा के खुशबूदार फूल खिला दिए थे । आखिर वे जनक थे कौन ? कुछ संदर्भों में उन जनक का नाम है - दैवराति । यह उनका अपना नाम नहीं लगता । बल्कि दैवराति का अर्थ है - देवरात का पुत्र - देवरातस्य पुत्रा: देवराति: । पर निमि वंश में जिन देवरात का नाम मिलता है । वे तो निमि से 17वीं पीढ़ी थे । जबकि दैवराति को याज्ञवल्क्य का समकालीन होने के कारण काफी बाद का यानी महाभारत के तत्काल बाद का होना चाहिए । महाभारत के समय मिथिला में बहुलाश्व जनक राज कर रहे थे । जिनसे मिलने स्वयं कृष्ण गए थे । उनके पुत्र का नाम था - कृतिजनक । जो महाभारत संग्राम में कौरवों की ओर से लड़ा था । और मारा गया था । कृतिजनक के बाद जिन जनक का नाम मिलता है । वे शायद हमारी समस्या को हल कर दें । क्या था इन जनक का नाम ? नहीं मालूम । जो नाम मिलता है । वह उनका नाम नहीं । बल्कि ओढ़ा हुआ या लोगों के द्वारा दिया गया नाम नजर आता है । नाम है - महावशी । यानी जिसने अपने पर ( महान ) पूरी तरह ( वश ) बस कर लिया है । हो सकता है कि यही वे जनक हों । जो महावशी, महा  वैराग्यशील, परम बृह्मज्ञ, अध्यात्म वेत्ता रहे हों । और इस हद तक रहे हों कि उन्होंने अपना नाम तक छोड़ दिया हो । और प्रफुल्लित प्रजा ने इन्हें अपनी ओर से महावशी नाम दे दिया हो । पर यकीनन उनके दरबार में ही वे बृह्म चर्चाएं होती थीं । जिनके लिए जनक और याज्ञवल्क्य दोनों ही उस वक्त विश्वविख्यात हो गए । पर सवाल उठता है कि इन जनक को देवरात का बेटा कैसे कहा जा सकता है । जबकि उनके पिता का नाम देवरात जनक नहीं । कृतिजनक था ? 1 ही जवाब हो सकता है । जनकवंश में देवरात नहीं । कृतिजनक था ? 1 ही जवाब हो सकता है । जनकवंश में देवरात 1 अपेक्षाकृत अधिक प्रसिद्ध नाम है । हो सकता है कि अयोध्या के राजा ऋषभदेव और उनके पुत्र जड़ भरत की तरह मिथिला के राजा देवरात जनक भी वैराग्यशील व्यक्ति रहे हों । और जब पीढ़ियों बाद कृत्रि पुत्र जनक परम अध्यात्म वेत्ता हुए । तो परम्परा ने या तब के लोगों ने उनका संबंध सीधा उन्हीं अति प्राचीन देवरात जनक से जोड़कर महावशी जनक को दैवराति कहने में अधिक सुख का अनुभव किया हो । पर ये महावशी जनक परम वैराग्यशील थे । इतने कि उनका सारा जीवन अध्यात्म चर्चाओं में ही आनंद लेने में बीत गया । या तो इन्होंने विवाह नहीं किया था । फिर इनके कोई पुत्र नहीं था । क्योंकि महावशी के बाद विदेहराज जनकों की परम्परा ही समाप्त हो गई लगती है । हो सकता है कि अगर कभी मिथिला को आग लगी हो । तो वह भी इन्हीं जनक के समय लगी हो । और वे उसे जलता छोड़कर महा प्रस्थान कर गए हों । अगर यह सब ठीक है । तो धन्य हैं महावशी । जिन्होंने अपने बृह्मज्ञानी होने की ख्याति अपने वंश के तमाम पूर्ववर्ती जनकों को भी दे दी । पर आश्चर्य कि इन महावशी का नाम ही हमें नहीं मालूम । अपना नाम, राज, वंश तक खत्म कर बैरागी हो जाने वाले इस महावशी के बारे में क्या कहें ? साभार -विकीपीडिया
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शास्त्र का व्याख्यान करना । ना समझों के लिए 1 धार्मिक अपराध है । सत्य को न समझ कर किसी के भी गुरु बन जाते हैं । और 1 नया भ्रम बना देते है । इतफाक से किसी को फायदा हो जाता है । लेकिन वह 10 को और भ्रमित कर देते हैं । 1 गलत व्याख्यान से अनेकों को बर्बाद कर देते हैं । और अपने को बना देते हैं - आचार्य, संत, महात्मा, योगी, बृह्म ज्ञानी, तत्वदर्शी, इत्यादि ।
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ओ कंप्यूटर युग की छोरी । मन की काली तन की गोरी ।
करना मुझको माफ़ । मैं तुम्हें प्यार नहीं कर पाउँगा ।
तू फैशन tv सी लगती । मैं संस्कार का चैनल हूँ ।
तू मिनरल पानी की बोतल लगती है । मैं गंगा का पावन जल हूँ ।
तुम लाखों की गाड़ी में चलने वाली । मैं पाँव पाँव चलने वाला ।
तुम हैलोजन सी जलती हो । मैं दीपक सा जलने वाला ।
करना मुझको माफ़ । मैं तुम्हें प्यार नही कर पाउँगा ।
तुम रैंप पर देह दिखाती हो । मैं संस्कारों को जीता हूँ ।
जब तुम्हें देख कर सीटी बजती । मैं घूँट लहू का पीता हूँ ।
तुम सूप पीने वाली । मैं मट्ठा पीने वाला हूँ ।
तुम शॉक अलार्म से भी ना डरो । मैं पॉपकॉर्न से डरने वाला ।
तुम डिस्को की धुन पर नाचो । मैं राम नाम ही जपता हूँ ।
तुम पिता जी को डैड और टेलीफोन को भी डेड कहो ।
और माँ को मम्मी mummy  बुलाती हो ।
तुम करवा चौथ भूल बैठी और वेलेंटाइन डे मनाती हो ।
तुम पॉप म्यूजिक की धुन सी बजती । मैं बंसी की धुन का धनि-या ।
मुझसे डॉट कॉम भी ना लगती । तुम इंटरनेटी दुनियां । 
तुम मोबाइल पर मैसेज लिखने वाली । मैं पोस्टकार्ड लिखने वाला ।
तुम राकेट सी लगती हो और । मैं उड़ने वाला गुब्बारा सा ।
तू अपना सब कुछ हार चुकी । मैं जीता हुआ जुआरी हूँ ।
तुम इटली की रानी जैसी । मैं देसी अटल बिहारी हूँ । दहाडो हिन्दुओ
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अंधकार की छाया - स्वामी विवेकानन्द की तेजस्वी और अद्वितीय प्रतिभा के कारण कुछ लोग ईर्ष्या से जलने लगे । कुछ दुष्टों ने उनके कमरे में 1 वेश्या को भेजा । श्री रामकृष्ण परमहंस को भी बदनाम करने के लिए ऐसा ही घृणित प्रयोग किया गया । किन्तु उन वेश्याओं ने तुरन्त ही बाहर निकल कर दुष्टों की बुरी तरह खबर ली । और दोनों संत विकास के पथ पर आगे बढ़े । पैठण के एकनाथ जी महाराज पर भी दुनिया वालों ने बहुत आरोप प्रत्यारोप गढ़े । लेकिन उनकी विलक्षण मानसिकता को तनिक भी आघात न पहुँचा । अपितु प्रभु भक्ति में मस्त रहने वाले इन संत ने हँसते खेलते सब कुछ सह लिया । संत तुकाराम महाराज को तो बाल मुंडन करवाकर गधे पर उल्टा बिठाकर जूते और चप्पल का हार पहनाकर पूरे गाँव में घुमाया । बेइज्जती की । एवं न कहने योग्य कार्य किया । ऋषि दयानन्द के ओज तेज को न सहने वालों ने 22 बार उनको जहर देने का बीभत्स कृत्य किया । और अन्ततः वे नराधम इस घोर पातक कर्म में सफल तो हुए । लेकिन अपनी सातों पीढ़ियों को नरक गामी बनाने वाले हुए ।
हरि गुरु निन्दक दादुर होई । जन्म सहस्र पाव तन सोई । 
ऐसे दुष्ट दुर्जनों को हजारों जन्म मेंढक की योनि में लेने पड़ते हैं । ऋषि दयानन्द का तो आज भी आदर के साथ स्मरण किया जाता है । लेकिन संतजन के वे हत्यारे व पापी निन्दक किन किन नरकों की पीड़ा सह रहे होंगे । यह तो ईश्वर ही जानें । समाज को गुमराह करने वाले संत द्रोही लोग संतों का ओज, प्रभाव, यश देखकर अकारण जलते पचते रहते हैं । क्योंकि उनका स्वभाव ही ऐसा है । जिन्होंने संतों को सुधारने का ठेका ले रखा है । उनके जीवन की गहराई में देखोगे । तो कितनी दुष्टता भरी हुई है । अन्यथा सुकरात, जीसस, ज्ञानेश्वर, रामकृष्ण, रमण महर्षि, नानक और कबीर जैसे संतों को कलंकित करने का पाप ही वे क्यों मोल लेते ? ऐसे लोग उस समय में ही थे । ऐसी बात नहीं । आज भी मिला करेंगे । कदाचित इसीलिए विवेकानन्द ने कहा था - जो अंधकार से टकराता है । वह खुद तो टकराता ही रहता है । अपने साथ वह दूसरों को भी अँधेरे कुएँ में ढकेलने का प्रयत्न करता है । उसमें जो जागता है । वह बच जाता है । दूसरे सभी गड्डे में गिर पड़ते हैं । कट्टर हिन्दू रामसेवक । 
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1 वैश्या की आत्म कथा ।
जिस गली को समाज के ठेकेदार गन्दगी कहते हैं । वही लोग रात को इन गलियों में ज्यादा पाए जाते हैं । जो हमको दिन में देखना भी न करते गंवारा । ना जाने कितने वैसों की रातों को हमने संवारा । दिन में वे करते हमसे घृणा और देते रहे हैं दुत्कार । रात को वही गोद में बैठा करते बीवी से ज्यादा प्यार । बातें करते बड़ी बड़ी ये है इन ठेकेदारों का असूल । छोड़ते नहीं जब तक हो ना जाए पूरा पैसा वसूल । शादी में दिए वचन परनारी मानूँगा बहन । हवस की भूख के आगे सब वचन हुए दहन । काश ये ठेकेदार हमें 2 वक़्त की रोटी दे पाते । तो आज हम मजबूर होकर इस धंधे में ना आते । पैसे से ख़रीद सको तुम सबसे प्यारा खेल हूँ प्यार का । मेरी देह पर लिखा हुआ सु-स्वागतम रोज़ नए यार का । कहते जहाँ हमारे पैर पड़े वो जगह अपवित्र हो जाए । रात को उन्हीं पैरों के बीच अपनी मर्दानगी दिखाए । यह तो अपना अपना धंधा साहब सब है करते । आप भूख पूरी है करते, हम भूख के किए करते । यह तो हमारा एहसान है समाज पर और है चमत्कार । वरना घर घर गली गली मैं आए दिन हो बलात्कार । आते हैं आप पूरा करने अपना अपना अधूरा प्यार साहब । हम तो तन बेच नहीं कर पाते पूरे बच्चों के अधूरे ख्वाब । क्यों पैदा किया हमको इस कलयुग में बोलो ? क्या पाप किया हमने खुदा कुछ तो बोलो ? मेरी बातों का बुरा न मानना मेरे खुदा हुज़ूर । आप ही हमारे अन्नदाता हो फिर आना जरूर ।