हैलो सर ! मैं नूनी थापा । नेपाल से । मैंने कल आपकी लिखी कहानी " डायन " पढी । कहानी अच्छी लगी । नये पहलू पता लगे । अब तक तो पता नहीं था कि डायन 2 किस्म की होती है । आपकी कहानी पढकर पता लगा कि डायन साधारण भी होती है । और डायन गण भी होती है । क्या इसका मतलब डायन अन्य सभी किस्म की प्रेतात्माओं से अधिक पावरफ़ुल होती है ?
आपकी इससे पिछली कहानी जो चुडैल पर आधारित थी । वो भी ठीक थी । क्या डायन चुडैल से अधिक पावरफ़ुल होती है । आपकी प्रेत कहानियों में द्वैत के साधक ( योगी ) जैसे प्रसून और नीलेश जैसे लोगों का जिकर आता है । इन जैसे साधकों की देह त्यागने के बाद क्या गति होती है ? ये लोग किस लोक में जाते हैं ?
आपके किसी पुराने लेख में आपने अन्धेरे लोक का जिकर किया था । मैं जानना चाहती हूँ कि उजाले लोक क्या होते हैं ? इस बारे में जरुर कुछ बतायें । मैंने आपकी इस वाली कहानी में महन्त शब्द पढा है । सन्तों के बारे में तो सुना है । लेकिन ये महन्त कौन होते हैं ? ये किस प्रकार की उपाधि है ?
बाकी जो आपने इस डायन वाली कहानी में भगवान " श्रीकृष्ण " के श्रीमदभगवत गीता में से लिये महावाक्यों को कहानी के बीच व्याख्या सहित लिखा । ये आपने बहुत ही अच्छा काम किया ।
लेकिन आपको 1 बात बताऊँ । ये कहानी मैं शाम को सूर्यास्त के समय पढ रही थी । जब कहानी के शुरू में ये जिकर आया कि डायन खिडकी पर आकर बैठ गयी है । तो मैंने भी डर से अपने कमरे की खिडकी की तरफ़ देखा था । क्या ये सम्भव है कि कई भूत या प्रेत इतने पावरफ़ुल होते है कि उनको याद करने से या उनकी बात करने से वो आपके आसपास पहुँच जाते है ।
क्या मैं ये जान सकती हूँ कि अब अगली कहानी कब पढने को मिलेगी ? साथ में ये भी बताये कि अगली कहानी किस पर आधारित होगी ?
अगर आप बुरा न मानें । तो मैं 1 सलाह दूँ । आप अगली कहानी किसी पिशाच पर लिखें । मेरे ख्याल से शायद पिशाच " वैम्पायर " को कहते है । वैसे वैम्पायर पर विदेशों में बहुत अधिक फ़िल्में बनती हैं । लेकिन सबको पता ही है कि फ़िल्मों में तो सब झूठ ही होता है । अगर आप अगली कहानी पिशाच पर लिखें । तो उम्मीद है कि डायन की तरह इसके भी अलग और असली पहलूओं का पता लगे । जो आमतौर पर लोगों की जानकारी से बाहर है । मुझे आपके जवाबों का इन्तजार रहेगा । नूनी थापा । नेपाल से ।
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1 - क्या इसका मतलब डायन अन्य सभी किस्म की प्रेतात्माओं से अधिक पावरफ़ुल होती है ?
क्या डायन चुडैल से अधिक पावरफ़ुल होती है ।
- डायन वाकई पावरफ़ुल होती है । लेकिन सब प्रेत आत्माओं से पावरफ़ुल नहीं । ये मृत्युकन्या के परिवार या स्टाफ़ में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं । और नीच गणों को पोषण देती है । वैसे अपनी अपनी जगह सभी की पावर महत्वपूर्ण है । क्योंकि चुङैल वाले कार्य चुङैल ही कर सकती है । डायन नहीं । वास्तव में ये सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं । मतलव अतृप्त आत्मायें ।
2 - आपकी प्रेत कहानियों में द्वैत के साधक ( योगी ) जैसे प्रसून और नीलेश जैसे लोगों का जिकर आता है । इन जैसे साधकों की देह त्यागने के बाद क्या गति होती है ? ये लोग किस लोक में जाते हैं ?
- इसमें भी दो तरह का मामला बन जाता है । एक भक्ति टायप के समर्पित योगी या सिद्ध होते हैं । जो ग्यान तो प्राप्त करते हैं । पर उनका भाव ये होता है कि सर्वशक्तिमान प्रभु की ये लीला है । और जो कुछ प्राप्त होता है । सब उसी की कृपा है । ये त्व अस्मि भाव होता है ।
जाहिर है । ऐसे भाव वाला भक्त योगी अहम रहित होगा । और भलाई के कार्य ही करेगा । अतः ये योगी अपनी पढाई और चढाई के अनुसार सिद्ध लोक या किसी भी भगवान के लोक देवलोक इत्यादि में जा सकते हैं । स्वतन्त्र रूप से भी अपना स्थान बना सकते हैं । सब कुछ उनके तप और प्राप्ति पर निर्भर है । विश्वामित्र आदि ऐसे बहुत से योगी हुये हैं । इनकी अच्छी गति होती है ।
दूसरे प्रकार के योगी अहम भक्ति करते हैं । उनमें स्वार्थ भाव होता है । वे भी अपनी साधना परिणाम अनुसार स्थान प्राप्त करते हैं । लेकिन भक्तों के तुलना में बेहद तुच्छ ।
लेकिन जो सिद्ध टायप के लोग अपने ग्यान का मनमाना प्रयोग करते हैं । उससे लोगों को दुख पहुँचाते हैं । कामवासना आदि की पूर्ति करते हैं । वे निश्चय ही घोर नरक में जाते हैं ।
प्रसून और नीलेश भलाई का कार्य करते हुये निरंतर ग्यान सीखने के इच्छुक हैं । अतः अभी तक ( की कहानियों ) के आधार पर इनका स्थान सिद्ध लोक ( जिसका स्थान दिमाग के दांये भाग में बृह्माण्ड में है ) या देव लोक बनता है ।
3 - आपके किसी पुराने लेख में आपने अन्धेरे लोक का जिकर किया था । मैं जानना चाहती हूँ कि उजाले लोक क्या होते हैं ? इस बारे में जरुर कुछ बतायें ।
- अंधेरे लोक का मतलब घुप्प रात जैसा काला अंधेरा नहीं है । बल्कि गहराती शाम या लाल पीली काली आँधी के समय जैसा प्रकाश रह जाता है । वैसे ही होते हैं । इनकी स्थिति विराट में हमारी जाँघों से पिंडलियों तक होती है । इनकी सरंचना समझना भी अधिक कठिन नहीं है । दरअसल 12 सूर्यों का वृताकार घेरा और फ़िर विभिन्न ग्रहों नक्षत्रों की ऊपर नीचे की स्थिति के अनुसार यहाँ तक बहुत कम प्रकाश जा पाता है । अतः ये अंधेरे में रहते हैं । जिस प्रकार प्रथ्वी पर रात होने का कारण चन्द्रमा है । और उसका घूमना है । वरना रात क्यों होती । जैसे ध्रुवों पर महीनों तक रात नहीं होती । या दिन नहीं होता ।
बाकी उजाले लोक कोई स्पेशल नहीं है । प्रथ्वी चन्दमा स्वर्ग आदि जहाँ समुचित प्रकाश है । ये उजाले लोक ही हैं ।
4 - मैंने आपकी इस वाली कहानी में महन्त शब्द पढा है । सन्तों के बारे में तो सुना है । लेकिन ये महन्त कौन होते हैं ? ये किस प्रकार की उपाधि है ?
- महन्त पुजारी से बङे होते हैं । इसका पूरा नियम तो मुझे सटीक रूप पता नहीं हैं । पर ये पुजारी के बाद हुआ प्रमोशन ही होता है । जिसमें नियमानुसार लगातार कथा भागवत आदि पूजा कार्य करवाते रहने से महन्त की पदवी प्राप्त होती है । महन्त किसी मन्दिर आश्रम आदि का मुख्य अधिकारी ( चीफ़ ) होता है । पूरा चार्ज इसी के पास होता है ।
5 - क्या ये सम्भव है कि कई भूत या प्रेत इतने पावरफ़ुल होते है कि उनको याद करने से या उनकी बात करने से वो आपके आसपास पहुँच जाते है ।
- ऐसा वाकया ठीक मेरे घर में मेरे सामने ही घटित हुआ । हमारा एक किरायेदार था । उसकी पत्नी पर कोई प्रेतबाधा थी । उनकी नयी नयी शादी हुयी थी । प्रेतबाधा में संभोग नहीं करना चाहिये । पर वे नहीं मानते थे । अतः पत्नी के द्वारा पति भी आवेशित हो गया ।
एक दिन एक तांत्रिक ने ग्यारह बजे दिन के समय आकर लोंग से लोंग को उठाकर प्रेतवायु को चेक किया । उस समय काम के लिये घर से कुछ दूर तक निकल गया वह आदमी आवेशित स्थिति में मुँह टेङा किये हुये वापस घर लौट आया । बहुत लम्बी कहानी है । बाद में प्रेतवायु का शिकार होकर उसकी पत्नी स्वयँ आग लगाकर मर गयी । उस तांत्रिक से मेरी अच्छी पहचान थी । मैं उसे ये सब करने के लिये मना करता था । कुछ साल बाद हट्टा कट्टा वह जवान तांत्रिक भी मर गया ।
इसलिये बिलकुल ऐसा होना सम्भव है । क्योंकि विराट और मनुष्य एक ही स्थिति है । अतः जिस प्रकार एक मोबायल फ़ोन से की गयी काल विभिन्न जगहों से गुजरती हुयी वांछित जगह पहुँच जाती है । उसी तरह प्रेतवायु भी सम्पर्की हो जाती हैं । जिस प्रकार मुम्बई का कोई आदमी अपने मुम्बई कनेक्शन वाले मोबायल के साथ आगरा आये । और मैं आगरा में अपने पास ही बैठे उस व्यक्ति को उसी मोबायल पर काल करूँ । तो वह विभिन्न टावरों सैटेलाइट आदि से होकर मुम्बई जाकर वापस आगरा मेरे पास उस आदमी के पास पहुँच जायेगी । लगभग यही सिस्टम प्रत्येक अलौकिक आवेश पर कार्य करता है ।
6 - क्या मैं ये जान सकती हूँ कि अब अगली कहानी कब पढने को मिलेगी ? साथ में ये भी बताये कि अगली कहानी किस पर अधारित होगी ?
- आप लोगों के काफ़ी मेल यकायक प्राप्त हुये । वरना 10 दिन में दूसरी कहानी प्रकाशित हो जाती । ये कहानी - कर्ण पिशाचिनी पर आधारित होगी । जल्दी ही लिखूँगा ।
7 - आप अगली कहानी किसी पिशाच पर लिखें ।
- पिशाच आमतौर पर डायरेक्ट इंसानी जिन्दगी को बेहद कम प्रभावित करते हैं । फ़िर भी देखो । कुछ लिखने की कोशिश करूँगा ।
आपकी इससे पिछली कहानी जो चुडैल पर आधारित थी । वो भी ठीक थी । क्या डायन चुडैल से अधिक पावरफ़ुल होती है । आपकी प्रेत कहानियों में द्वैत के साधक ( योगी ) जैसे प्रसून और नीलेश जैसे लोगों का जिकर आता है । इन जैसे साधकों की देह त्यागने के बाद क्या गति होती है ? ये लोग किस लोक में जाते हैं ?
आपके किसी पुराने लेख में आपने अन्धेरे लोक का जिकर किया था । मैं जानना चाहती हूँ कि उजाले लोक क्या होते हैं ? इस बारे में जरुर कुछ बतायें । मैंने आपकी इस वाली कहानी में महन्त शब्द पढा है । सन्तों के बारे में तो सुना है । लेकिन ये महन्त कौन होते हैं ? ये किस प्रकार की उपाधि है ?
बाकी जो आपने इस डायन वाली कहानी में भगवान " श्रीकृष्ण " के श्रीमदभगवत गीता में से लिये महावाक्यों को कहानी के बीच व्याख्या सहित लिखा । ये आपने बहुत ही अच्छा काम किया ।
लेकिन आपको 1 बात बताऊँ । ये कहानी मैं शाम को सूर्यास्त के समय पढ रही थी । जब कहानी के शुरू में ये जिकर आया कि डायन खिडकी पर आकर बैठ गयी है । तो मैंने भी डर से अपने कमरे की खिडकी की तरफ़ देखा था । क्या ये सम्भव है कि कई भूत या प्रेत इतने पावरफ़ुल होते है कि उनको याद करने से या उनकी बात करने से वो आपके आसपास पहुँच जाते है ।
क्या मैं ये जान सकती हूँ कि अब अगली कहानी कब पढने को मिलेगी ? साथ में ये भी बताये कि अगली कहानी किस पर आधारित होगी ?
अगर आप बुरा न मानें । तो मैं 1 सलाह दूँ । आप अगली कहानी किसी पिशाच पर लिखें । मेरे ख्याल से शायद पिशाच " वैम्पायर " को कहते है । वैसे वैम्पायर पर विदेशों में बहुत अधिक फ़िल्में बनती हैं । लेकिन सबको पता ही है कि फ़िल्मों में तो सब झूठ ही होता है । अगर आप अगली कहानी पिशाच पर लिखें । तो उम्मीद है कि डायन की तरह इसके भी अलग और असली पहलूओं का पता लगे । जो आमतौर पर लोगों की जानकारी से बाहर है । मुझे आपके जवाबों का इन्तजार रहेगा । नूनी थापा । नेपाल से ।
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1 - क्या इसका मतलब डायन अन्य सभी किस्म की प्रेतात्माओं से अधिक पावरफ़ुल होती है ?
क्या डायन चुडैल से अधिक पावरफ़ुल होती है ।
- डायन वाकई पावरफ़ुल होती है । लेकिन सब प्रेत आत्माओं से पावरफ़ुल नहीं । ये मृत्युकन्या के परिवार या स्टाफ़ में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं । और नीच गणों को पोषण देती है । वैसे अपनी अपनी जगह सभी की पावर महत्वपूर्ण है । क्योंकि चुङैल वाले कार्य चुङैल ही कर सकती है । डायन नहीं । वास्तव में ये सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं । मतलव अतृप्त आत्मायें ।
2 - आपकी प्रेत कहानियों में द्वैत के साधक ( योगी ) जैसे प्रसून और नीलेश जैसे लोगों का जिकर आता है । इन जैसे साधकों की देह त्यागने के बाद क्या गति होती है ? ये लोग किस लोक में जाते हैं ?
- इसमें भी दो तरह का मामला बन जाता है । एक भक्ति टायप के समर्पित योगी या सिद्ध होते हैं । जो ग्यान तो प्राप्त करते हैं । पर उनका भाव ये होता है कि सर्वशक्तिमान प्रभु की ये लीला है । और जो कुछ प्राप्त होता है । सब उसी की कृपा है । ये त्व अस्मि भाव होता है ।
जाहिर है । ऐसे भाव वाला भक्त योगी अहम रहित होगा । और भलाई के कार्य ही करेगा । अतः ये योगी अपनी पढाई और चढाई के अनुसार सिद्ध लोक या किसी भी भगवान के लोक देवलोक इत्यादि में जा सकते हैं । स्वतन्त्र रूप से भी अपना स्थान बना सकते हैं । सब कुछ उनके तप और प्राप्ति पर निर्भर है । विश्वामित्र आदि ऐसे बहुत से योगी हुये हैं । इनकी अच्छी गति होती है ।
दूसरे प्रकार के योगी अहम भक्ति करते हैं । उनमें स्वार्थ भाव होता है । वे भी अपनी साधना परिणाम अनुसार स्थान प्राप्त करते हैं । लेकिन भक्तों के तुलना में बेहद तुच्छ ।
लेकिन जो सिद्ध टायप के लोग अपने ग्यान का मनमाना प्रयोग करते हैं । उससे लोगों को दुख पहुँचाते हैं । कामवासना आदि की पूर्ति करते हैं । वे निश्चय ही घोर नरक में जाते हैं ।
प्रसून और नीलेश भलाई का कार्य करते हुये निरंतर ग्यान सीखने के इच्छुक हैं । अतः अभी तक ( की कहानियों ) के आधार पर इनका स्थान सिद्ध लोक ( जिसका स्थान दिमाग के दांये भाग में बृह्माण्ड में है ) या देव लोक बनता है ।
3 - आपके किसी पुराने लेख में आपने अन्धेरे लोक का जिकर किया था । मैं जानना चाहती हूँ कि उजाले लोक क्या होते हैं ? इस बारे में जरुर कुछ बतायें ।
- अंधेरे लोक का मतलब घुप्प रात जैसा काला अंधेरा नहीं है । बल्कि गहराती शाम या लाल पीली काली आँधी के समय जैसा प्रकाश रह जाता है । वैसे ही होते हैं । इनकी स्थिति विराट में हमारी जाँघों से पिंडलियों तक होती है । इनकी सरंचना समझना भी अधिक कठिन नहीं है । दरअसल 12 सूर्यों का वृताकार घेरा और फ़िर विभिन्न ग्रहों नक्षत्रों की ऊपर नीचे की स्थिति के अनुसार यहाँ तक बहुत कम प्रकाश जा पाता है । अतः ये अंधेरे में रहते हैं । जिस प्रकार प्रथ्वी पर रात होने का कारण चन्द्रमा है । और उसका घूमना है । वरना रात क्यों होती । जैसे ध्रुवों पर महीनों तक रात नहीं होती । या दिन नहीं होता ।
बाकी उजाले लोक कोई स्पेशल नहीं है । प्रथ्वी चन्दमा स्वर्ग आदि जहाँ समुचित प्रकाश है । ये उजाले लोक ही हैं ।
4 - मैंने आपकी इस वाली कहानी में महन्त शब्द पढा है । सन्तों के बारे में तो सुना है । लेकिन ये महन्त कौन होते हैं ? ये किस प्रकार की उपाधि है ?
- महन्त पुजारी से बङे होते हैं । इसका पूरा नियम तो मुझे सटीक रूप पता नहीं हैं । पर ये पुजारी के बाद हुआ प्रमोशन ही होता है । जिसमें नियमानुसार लगातार कथा भागवत आदि पूजा कार्य करवाते रहने से महन्त की पदवी प्राप्त होती है । महन्त किसी मन्दिर आश्रम आदि का मुख्य अधिकारी ( चीफ़ ) होता है । पूरा चार्ज इसी के पास होता है ।
5 - क्या ये सम्भव है कि कई भूत या प्रेत इतने पावरफ़ुल होते है कि उनको याद करने से या उनकी बात करने से वो आपके आसपास पहुँच जाते है ।
- ऐसा वाकया ठीक मेरे घर में मेरे सामने ही घटित हुआ । हमारा एक किरायेदार था । उसकी पत्नी पर कोई प्रेतबाधा थी । उनकी नयी नयी शादी हुयी थी । प्रेतबाधा में संभोग नहीं करना चाहिये । पर वे नहीं मानते थे । अतः पत्नी के द्वारा पति भी आवेशित हो गया ।
एक दिन एक तांत्रिक ने ग्यारह बजे दिन के समय आकर लोंग से लोंग को उठाकर प्रेतवायु को चेक किया । उस समय काम के लिये घर से कुछ दूर तक निकल गया वह आदमी आवेशित स्थिति में मुँह टेङा किये हुये वापस घर लौट आया । बहुत लम्बी कहानी है । बाद में प्रेतवायु का शिकार होकर उसकी पत्नी स्वयँ आग लगाकर मर गयी । उस तांत्रिक से मेरी अच्छी पहचान थी । मैं उसे ये सब करने के लिये मना करता था । कुछ साल बाद हट्टा कट्टा वह जवान तांत्रिक भी मर गया ।
इसलिये बिलकुल ऐसा होना सम्भव है । क्योंकि विराट और मनुष्य एक ही स्थिति है । अतः जिस प्रकार एक मोबायल फ़ोन से की गयी काल विभिन्न जगहों से गुजरती हुयी वांछित जगह पहुँच जाती है । उसी तरह प्रेतवायु भी सम्पर्की हो जाती हैं । जिस प्रकार मुम्बई का कोई आदमी अपने मुम्बई कनेक्शन वाले मोबायल के साथ आगरा आये । और मैं आगरा में अपने पास ही बैठे उस व्यक्ति को उसी मोबायल पर काल करूँ । तो वह विभिन्न टावरों सैटेलाइट आदि से होकर मुम्बई जाकर वापस आगरा मेरे पास उस आदमी के पास पहुँच जायेगी । लगभग यही सिस्टम प्रत्येक अलौकिक आवेश पर कार्य करता है ।
6 - क्या मैं ये जान सकती हूँ कि अब अगली कहानी कब पढने को मिलेगी ? साथ में ये भी बताये कि अगली कहानी किस पर अधारित होगी ?
- आप लोगों के काफ़ी मेल यकायक प्राप्त हुये । वरना 10 दिन में दूसरी कहानी प्रकाशित हो जाती । ये कहानी - कर्ण पिशाचिनी पर आधारित होगी । जल्दी ही लिखूँगा ।
7 - आप अगली कहानी किसी पिशाच पर लिखें ।
- पिशाच आमतौर पर डायरेक्ट इंसानी जिन्दगी को बेहद कम प्रभावित करते हैं । फ़िर भी देखो । कुछ लिखने की कोशिश करूँगा ।