18 अक्तूबर 2013

दुनियां का सबसे बड़ा झूठ

द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका और यूरोप की अर्थ व्यवस्था तबाह हो गयी थी । यूरोप को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था । अमेरिका को कुछ कम नुकसान हुआ था । तो इस तबाह हुए अर्थ व्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए 2 संस्थाओं का जन्म हुआ । वर्ल्ड बैंक और IMF के नाम से ब्रेटन वुड्स नाम का 1 जगह है - अमेरिका में । वहाँ पर 1 समझौता हुआ था । जहाँ पर 44 देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति शामिल हुए थे । उन लोगों ने 1 समझौता किया था । जिसका नाम था - ब्रेटन वुड्स समझौता । इस ब्रेटन वुड्स समझौता के आधार पर वर्ल्ड बैंक और IMF का जन्म हुआ । द्वितीय विश्व युद्ध के बाद और इन 2 संस्था में जो सदस्य देश हैं । उनमें बिलकुल भी डेमोक्रेसी नहीं है । 1 सदस्य 1 वोट कभी नहीं होता । IMF में और ना वर्ल्ड बैंक में । वहाँ अमेरिका के पास सबसे ज्यादा वोट्स हैं । और अमेरिका का जो वोटिंग शेयर है - वर्ल्ड बैंक और IMF में । वो करीब 20% है । और बाकी 80% वोट 117 देश के हैं । तो वर्ल्ड बैंक और IMF में कभी 

डेमोक्रेसी आ नही पाई है । और आने वाली भी नहीं है । क्योंकि वे हमेशा से संरचना वैसे ही बनाकर रखना चाहते हैं । ये जो वर्ल्ड बैंक बना था । यह इसलिए बना था कि दुनियां के तमाम देशों को द्वितीय युद्ध के बाद बहुत शोर्ट टर्म की लोन मायने तात्कालिक कोई ऋण की जरुरत पड़े । बैलेंस ऑफ़ पेमेंट की क्राइसिस हो जाये । तो IMF उसके लिए लोन बांटेगा । और किसी देश को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर की डेवलपमेंट के लिए लोन की जरुरत पड़े । तो वर्ल्ड बैंक उसको बांटेगा । पर IMF और वर्ल्ड बैंक जुड़वां संस्था हैं । अगर कोई देश वर्ल्ड बैंक से कर्जा लेने के लिए जाये । तो वर्ल्ड बैंक की तरफ से यह कहा जाता है कि आप IMF की शर्तों को पूरा करिए । इसी तरह से अगर कोई देश IMF के पास कर्ज लेने के लिए जाये । तो वो कहते है कि आप वर्ल्ड बैंक की शर्तों को पूरा करिए । माने cross conditionalities का सिस्टम चलता है - इन

दोनों संस्था में । और परोक्ष रूप से ये दोनों अपनी शर्ते लागू करवा देते हैं । इन गरीब देशों के ऊपर । और वर्ल्ड बैंक IMF की तरफ से दिए गए conditionalities का कभी रिफर्म नही हो सकता । यह दोनों संस्था बना ही है अमेरिका और यूरोप की वर्चस्व को बनाये रखने के लिए । वर्ल्ड बैंक और IMF की शर्ते क्या क्या होती हैं ? जब कोई गरीब देश उनसे कर्जा मांगने जाता है ? सबसे पहला शर्त वो लगाते हैं कि आप अपने मुद्रा का अवमूल्यन करिए । तो हम आपको लोन दे देंगे । और इस बात को पेश करने का तरीका अलग है । वो कहते हैं कि आप अपने मुद्रा का अवमूल्यन इसलिए करिए । ताकि आपका निर्यात Export  ज्यादा हो जाये । क्योंकि आपका निर्यात Export  ज्यादा होगा । तो आप ज्यादा डॉलर्स कमा सकेंगे । और आप ज्यादा डॉलर कमा सकेंगे । तभी आप हमारे लिए हुए कर्ज को वापस कर सकेंगे । कुल मिलाकर वे कहते हैं कि आप Export oriented development करना शुरू करिए । उनका दूसरा शर्त होता है कि आप जब Export oriented development करना शुरू कर देंगे । तो आप अपना दरवाजा खोलिए । ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां आसानी से आपकी देश में आ सकें । और उन बहुराष्ट्रीय 

कंपनी पर आप जो पाबन्दियां लगाते हैं । उनको आप कम से कम कर दीजिये । या पूरी तरह से ख़त्म कर दीजिये । ताकि आपके मार्केट में उनको व्यापार करने में कोई असुविधा ना हो । आप अगर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बुलाएँगे । तो उनके साथ हाई टेक आयेगा । टेक्नोलॉजी बहुत आएगी । और जब टेक्नोलॉजी बहुत आएगी । तो आपके यहाँ क्वालिटी का माल बनना शुरू हो जायेगा । और जब क्वालिटी का माल बनना शुरू हो जायेगा । तो ज्यादा से ज्यादा आप निर्यात कर सकेंगे । तो बहुराष्ट्रीय कंपनी भी आ के Export करेंगीं । और आपके निर्यात को भी बढ़ाएंगे । तीसरा शर्त उनका यह रहता है कि आप अपने घरेलू मार्केट में जो Domestic industry को Protection देते हैं । वो Protection देना बन्द करिए । और बहुराष्ट्रीय कंपनी को खुली छुट दे दीजिये । पूंजी लाने की । और पूंजी ले जाने की भी । उनके ऊपर किसी तरह की पावंदी नही होनी चाहिए । और आप सबके सब " फ्री ट्रेड " के लिए अपने आपको तैयार कर लीजिये । आपके देश के बाज़ार में कॉम्पिटीशन बढे । और उपभोक्ता को ज्यादा फ़ायदा मिले । इसके लिए बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनी को आप अपने बाज़ार में आने की खुली छुट दीजिये । ऐसे ऐसे करके वो बताते चले जाते हैं । और दुनियां के बहुत सारे देश हैं । 

जो उनको लागू करते चले जाते हैं । वर्ल्ड बैंक और IMF के जो शर्ते होती हैं । वो सिर्फ तीसरी दुनियां के देशों पर ही लागू होती हैं । अमेरिका और यूरोप के देश भी वर्ल्ड बैंक और IMF से कर्ज लेते हैं । और जो शर्ते हमारे ऊपर लगाई जाती हैं । वो कभी अमेरिका और यूरोप के ऊपर नही लगाई जाती । क्योंकि वो 2 संस्थाएं यह मानकर चलती हैं कि अमेरिका और यूरोप के इकॉनमी Globalized, Competitive और Free हैं । जो दुनियां का सबसे बड़ा झूठ है ।
Truth Behind collapse of Indian Economy & Globalization Exposed By Rajiv Dixit
Neither Media Nor Any Political party will tell you this truth.Eye opening video.Must Watch.! you also download MP3 file
http://www.youtube.com/watch?v=elicZLUmp9s
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मालिक यह तो समझ आ गया कि भारत की आधी आबादी ख़त्म होगी और श्रीलंका ख़त्म होगा । क्योंकि चीन ने अपना नौसैनिक अड्डा श्रीलंका में और अंडमान के कोको द्वीप में स्थापित किया हुआ है । वहाँ से परमाणु हमला करेगा चीन । लेकिन इस युद्ध में चीन के ऊपर क्या प्रभाव होगा ? कुछ बताईए ध्यान लगाकर । या फिर 

जिस पूर्वी भाग के सुरक्षित रहने की बात आप कर रहे हैं । वह चीन ही होगा ? बहुत साल पहले ही अमेरिकियों ने भविष्यवाणी कर दी थी कि यह पीत आतंक ( चीनी, जापानी लोगों का पीला रंग होने से ) दुनिया को लील लेगा । आपकी एक बात तो सही निकल ही गयी । सागर में जल प्रपात वाली । अभी अभी चक्रवात आकर गुजरा ही है भारत में । मयंक
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रसोई में उपयोग में आने वाले मसालों का औषधीय महत्व कितना हो सकता है । इसका सटीक उदाहरण अजवायन है । अजवायन को सदियों से घरेलू नुस्खों में अनेक विकारों के निवारण के लिए अपनाया जाता रहा है । अजवायन का वानस्पतिक नाम ट्रेकीस्पर्मम एम्माई है । आदिवासी इलाकों में अजवायन को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाया जाता है । चलिए जानते हैं - अजवायन से जुडे कुछ चुनिन्दा हर्बल नुस्खों के बारे में । पान के पत्ते के साथ अजवायन के बीजों को चबाया जाए । तो गैस, पेट मे मरोड़ और एसीडिटी से निजात मिल जाती है । माना जाता है कि भुनी हुई अजवायन की करीब 1 ग्राम मात्रा को पान में डालकर चबाया जाए । तो बदहजमी में तुरंत आराम मिल जाता है ।
पेट दर्द होने पर अजवायन के दाने 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम और काला नमक 2 ग्राम को अच्छी तरह मिलाया जाए । और फ़िर रोगी को इस मिश्रण का 3 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में 4-5 बार दिया जाए । तो आराम मिलता है । अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए । तो काफी फ़ायदा होता है । अजवायन को किसी मिट्टी के बर्तन में जलाकर उसका धुंआ भी दिया जाए । तो अस्थमा के रोगी को साँस लेने में राहत मिलती है ।
यदि बीजों को भूनकर 1 सूती कपड़े मे लपेट लिया जाए । और रात तकिये के नजदीक रखा जाए । तो दमा, सर्दी, खाँसी के रोगियों को रात को नींद में साँस लेने मे तकलीफ नही होती है ।

माईग्रेन के रोगियों को पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार अजवायन
का धुँआ लेने की सलाह देते है । वैसे अजवायन की पीस लिया जाए । और नारियल तेल में इसके चूर्ण को मिलाकर ललाट पर लगाया जाए । तो सर दर्द में आराम मिलता है ।
डाँग गुजरात के आदिवासी अजवायन, इमली के बीज और गुड़ की समान मात्रा लेकर घी में अच्छी तरह भून लेते है । और फ़िर इसकी कुछ मात्रा प्रतिदिन नपुंसकता से ग्रसित व्यक्ति को देते है । इन आदिवासियों के अनुसार ये मिश्रण पौरुषत्व बढाने के साथ साथ शुक्राणुओं की संख्या बढाने में भी मदद करता है ।
कुंदरू के फल, अजवायन, अदरख और कपूर की समान मात्रा लेकर कूट लिया जाए । और 1 सूती कपड़े में लपेटकर हल्का हल्का गर्म करके सूजन वाले भागों धीमें धीमें सिकाई की जाए । तो सूजन मिट जाती है ।
जिन्हें रात को अधिक खाँसी चलती हो । उन्हे पान में अजवायन डालकर खाना चाहिए । अदरख का रस तैयार कर इसमें थोडा सा चूर्ण अजवायन का मिलाकर लिया जाए । तो खाँसी में तुरंत आराम मिल जाता है ।
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संता अपनी वाइफ को हास्पिटल ले गया । और नर्स से बोला - अगर
लड़का हो । तो मुझे कहना कि टमाटर हुआ है । और लड़की हो । तो कहना मूली हुई है ।
इत्तफाक से जुड़वा बच्चे हुये । 1 लड़का और 1 लड़की ?
नर्स कन्फ्यूजन में बाहर आई । और कहा - सर ! आपको सलाद मुबारक हो ।
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A Girl met her Boyfriend after a Long Break up.
She told him - Sorry, I've met a new one, I have a new bf and another future..How about your life ?
Boy closed his eyes to hide his tears, Remembered all the memories he shared with her, he Remembered how he shared his pain before his happy moments and how he Refused many other Girls Just to Stay with her  he Kept the Remains of her pride and collected force, Smiled and said - Sorry mam, But Do I Know You ?
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हमारे तो ख्वाव उस दिन ही चूर चूर हो गये थे दोस्तों । जब पहली बार वो घर आयी थी और मम्मी बोली - जा बेटा दीदी के लिये पानी ले आ ।
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दिल के दरवाज़े पर दस्तक तो तेरी आती है ।
मैं खोलती नहीं कि कहीं फिर दगा न हो । दर्शन कौर धनोए  
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मुख मेँ छाले पड़ गये होँ । तो पत्थर पर पानी की मदद से जायफल घिसेँ । आधा चम्मच घिसे जायफल को 1 गिलास पानी मेँ घोलकर गरारे और कुल्ले करने से सिर्फ मुख के छाले ही नहीँ । बल्कि बैठा हुआ गला भी खुल जाता है ।
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मुखबास ( बेड ब्रेथ ) से राहत के लिए । दुर्गन्ध सनी सांस से बचने के लिए खाना खाने के बाद लौंग चूसें । मुख बास दूर होगी । कारडामाम ( दालचीनी ) भी मुख को सुगंध से भर देती है । ताम्बूल का सेवन लोग लौंग के साथ करते थे । पान में चूना अधिक हो जाने पर मुँह फट जाता है । लौंग ( क्लोव ) चूसने से आराम आता है ।
कफ़ दुर्गन्ध/स्वांस कास से राहत के लिए लवंग मुख में रखने से आराम आता है । कफ़ ढीला होकर निकलता है । दन्त शूल दूर होता है । दांत मज़बूत होतें हैं । अम्लपित्त/अम्लशूल एसिडिटी दूर होती है । पाचन शक्ति में इजाफा होता है । गठिये की पीड़ा दूर होती है । मुँह में वात के छाले मिटते हैं ।
यदि पाचन विकार के कारण मुख बास मुँह से दुर्गन्ध आती है । आधा चम्मच सौंफ मिश्री के साथ चबाने से दूर होती है । दोनों वक्त के भोजन के बाद इसे आजमायें । सूखी खांसी में राहत मिलती है । बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है । गवैये अकसर इसका इस्तेमाल करते हैं ।
1 गिलास पानी सुबह नीबू निचोड़ कर 2 सप्ताह तक लगातार रोजाना कुल्ला करने से मुख दुर्गन्ध दूर हो जाती है ।
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दमा रोग asthama ठीक करने के आसान उपाय ।
श्वास अथवा दमा श्वसन तंत्र की भयंकर कष्टदायी बीमारी है । यह रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है । श्वास पथ की मांसपेशियों में आक्षेप होने से सांस लेने निकालने में कठिनाई होती है । खांसी का वेग होने और श्वास नली में कफ़ जमा हो जाने पर तकलीफ़ ज्यादा बढ जाती है । रोगी बुरी तरह हांफ़ने लगता है ।
एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थ या वातावरण के संपर्क में आने से बीडी,
सिगरेट धूम्रपान करने से, ज्यादा सर्द या ज्यादा गर्म मौसम, सुगन्धित पदार्थों, आर्द्र हवा, ज्यादा कसरत करने और मानसिक तनाव से दमा का रोग उग्र हो जाता है ।
यहाँ ऐसे घरेलू नुस्खों का उल्लेख किया जा रहा है । जो इस रोग ठीक करने, दौरे को नियंत्रित करने, और श्वास की कठिनाई में राहत देने वाल सिद्ध हुए हैं ।
1 तुलसी के 15-20 पत्ते पानी से साफ़ कर लें । फ़िर उन पर काली मिर्च का पावडर बुरक कर खाने से दमा मे राहत मिलती है ।
2 - 1 केला छिलका सहित भोभर या हल्की आंच पर भून लें । छिलका उतारने के बाद काली मिर्च का पावडर उस पर बुरककर खाने से श्वास की कठिनाई तुरन्त दूर होती है ।
3 दमा के दौरे को नियंत्रित करने के लिये हल्दी 1 चम्मच 2 चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें ।
4 तुलसी के पत्ते पानी के साथ पीस लें । इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है ।
5 पहाडी नमक सरसों के तेल मे मिलाकर छाती पर मालिश करने से फ़ौरन शांति मिलती है ।
6 मैथी के बीज 10 ग्राम 1 गिलास पानी मे उबालें । तीसरा हिस्सा रह जाने पर ठंडा कर लें । और पी जाएं । यह उपाय दमे के अलावा शरीर के अन्य अनेकों रोगों में फ़ायदेमंद है ।
7 - 1 चम्मच हल्दी 1 गिलास दूध में मिलाकर पीने से दमा रोग काबू मे रहता है । एलर्जी नियंत्रित होती है ।
8 सूखे अंजीर 4 नग रात भर पानी मे गलाएं । सुबह खाली पेट खाएं । इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता है ।
9 सहजन की पत्तियां उबालें । छान लें । उसमें चुटकी भर नमक, 1 चौथाई नीबू का रस, और काली मिर्च का पावडर मिलाकर पियें । दमा का बढिया इलाज माना गया है ।
10 शहद दमा की अच्छी औषधि है । शहद भरा बर्तन रोगी के नाक के नीचे रखें । और शहद की गन्ध श्वास के साथ लेने से दमा में राहत मिलती है ।
11 दमा में नींबू का उपयोग हितकर है । 1 नींबू का रस 1 गिलास जल के साथ भोजन के साथ पीना चाहिये ।
12 लहसुन की 5 कली चाकू से बारीक काटकर 50 मिली दूध में उबालें । यह मिक्श्चर सुबह शाम लेना बेहद लाभकारी है ।
13 अनुसंधान में यह देखने में आया है कि आंवला दमा रोग में अमृत समान गुणकारी है । 1 चम्मच आंवला रस मे 2 चम्मच शहद मिलाकर लेने से फ़ेफ़डे ताकतवर बनते हैं ।
14 दमे का मरीज उबलते हुए पानी मे अजवाईन डालकर उठती हुई भाप सांस में खींचे । इससे श्वास कष्ट में तुरंत राहत मिलती है ।
15 लौंग 4-5 नग लेकर 100 मिलीलीटर पानी में उबालें । आधा रह जाने पर छान लें । और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर गरम गरम पीयें । ऐसा काढा बनाकर दिन में 3 बार पीने से रोग नियंत्रित होकर दमे में आशातीत लाभ होता है ।
16 चाय बनाते वक्त 2 कली लहसुन की पीसकर डाल दें । यह दमे में राहत पहुंचाता है । सुबह शाम पीयें ।
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3 महिलाएं मरणोपरांत स्वर्ग पहुंची । 1 संपन्न परिवार की समाज सेविका थी । लोग उन्हें देवी की तरह पूजते थे । 1 मध्यमवर्गीय नौकरी पेशा महिला थी । व 1 निम्न श्रेणी की महिला थी । जो जिंदगी भर अपने शराबी पति के हाथों पिटती रही थी । भगवान ने उन तीनों से 1 सवाल किया - सुना है । पृथ्वी पर लोग स्त्री को देवी के समान मानते हैं । व उसकी पूजा करते हैं । क्या यह सच है ?
इस पर संपन्न परिवार की महिला, जिसने अपना जीवन समाज सेवा में ही बिता दिया था । बोली - हाँ प्रभु ! मेरे लिए तो लोग कहते थे कि ये तो देवी है, देवी ।
मध्यमवर्गीय महिला बोली - मेरे साथ तो ऐसा कुछ नहीं होता था । फिर कुछ सोचकर बोली - अंऽऽ..शायद देवी तो वे भी मुझे समझते थे । क्योंकि जब मैं दफ्तर से घर आती थी । तो पड़ोसिनों के साथ बैठी मेरी सास कहती थी - चलती हूँ । देवी जी आ गई ।
निम्न वर्ग की महिला बोली - भगवान ! मैं तो कुछ किताब अक्षर बांची हुई नहीं हूँ । और ये बातें समझती नहीं । लेकिन जब मेरा मरद मुझे लात घूंसों से मारता था । तो अड़ोसी पड़ोसी कहते थे - आज फिर बेचारी की पूजा हो रही है । और जब 1 दिन मैंने गुस्से में आकर सिल से उसका सिर फोड़ दिया । तो लोग कहने लगे - आज तो यह साक्षात चंडी देवी लग रही है । 
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1 बार स्वामी विवेकानंद को अमेरिका के लोग लाइब्रेरी दिखाने ले गये । उन्होंने हिन्दू धर्म को नीचा दिखने के लिए सभी धर्मों की किताबें 1 टेबल पर 1 के ऊपर 1 रख दी । जब स्वामी जी उधर से निकले । तब लायब्रेरियन ने कहा - देखिये स्वामी जी ! आपकी गीता सबके नीचे पड़ी है । हमारी बाइबल सबके ऊपर है । स्वामी जी बोले - बिलकुल ठीक है । हमारी गीता सभी धर्मो का वजन उठा सकती है । जबकि आपकी बाइबल में ताकत ही नहीं है । इसलिए वो सबसे ऊपर पड़ी है ।
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2 टिप्‍पणियां:

विनोद कुमार ने कहा…

आप बहुत अच्छ लिखते हो, पढ़ने को मन आतुर रहता है । कृपया वीभत्स चित्रोँ का प्रयोग न करेँ, 18 oct वाले चित्र को हटाने का आग्रह आप से है। वैसे आपका ब्लाग है तो मर्जी भी आपकी । मेरी तो बस विनती थी . . . . . . . . . .

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

विनोद जी ! आपका कहना ठीक है । पर समाज में फ़ैल रही असुरता के प्रति जागरूकता और लोगों को सच्चाई से परिचित कराने हेतु ये आवश्यक भी है ।