20 नवंबर 2011

अष्टावक्र गीता वाणी ध्वनि स्वरूप - 29

एको द्रष्टासि सर्वस्य मुक्तप्रायोऽसि सर्वदा । अयमेव हि ते बन्धो द्रष्टारं पश्यसीतरम । 1-7
आप । समस्त विश्व के । एकमात्र दृष्टा हैं । सदा मुक्त ही हैं । आपका बंधन । केवल इतना है कि आप । दृष्टा किसी और को । समझते हैं । 7
अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णाहिदंशितः । नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखं भव । 1-8
अहंकार रूपी । महा सर्प के । प्रभाव वश । आप - मैं कर्ता हूँ । ऐसा मान लेते हैं । मैं कर्ता नहीं हूँ । इस विश्वास रूपी । अमृत को । पीकर सुखी हो जाइये । 8
एको विशुद्धबोधोऽहं इति निश्चयवह्निना । प्रज्वाल्याज्ञानगहनं वीतशोकः सुखी भव । 1-9
मैं एक । विशुद्ध । ज्ञान हूँ । इस निश्चय रूपी । अग्नि से । गहन अज्ञान वन को । जला दें । इस प्रकार शोक रहित होकर । सुखी हो जाएँ । 9
यत्र विश्वमिदं भाति कल्पितं रज्जुसर्पवत । आनंदपरमानन्दः स बोधस्त्वं सुखं चर । 1-10
जहाँ । ये विश्व । रस्सी में । सर्प की तरह । अवास्तविक लगे । उस आनंद । परम आनंद की । अनुभूति करके । सुख से रहें । 10
मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि । किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत । 1-11
स्वयं को । मुक्त मानने वाला । मुक्त ही है । और बद्ध मानने वाला । बंधा हुआ ही है । यह कहावत । सत्य ही है कि जैसी बुद्धि होती है । वैसी ही गति होती है । 11
आत्मा साक्षी विभुः पूर्ण एको मुक्तश्चिदक्रियः । असंगो निःस्पृहः शान्तो भृमात्संसारवानिव । 1-12
आत्मा । साक्षी । सर्वव्यापी । पूर्ण । एक । मुक्त । चेतन । अक्रिय । असंग । इच्छा रहित । एवं शांत है । भृमवश ही ये । सांसारिक । प्रतीत होती है । 12
कूटस्थं बोधमद्वैतमात्मानं परिभावय । आभासोऽहं भृमं मुक्त्वा भावं बाह्यमथान्तरम । 1-13
अपरिवर्तनीय । चेतन । व अद्वैत । आत्मा का । चिंतन करें । और मैं के । भृम रूपी । आभास से । मुक्त होकर । बाह्य विश्व की । अपने अन्दर ही भावना करें । 13
अष्टावक्र त्रेता युग के महान आत्मज्ञानी सन्त हुये । जिन्होंने जनक को कुछ ही क्षणों में आत्म साक्षात्कार कराया । आप भी  इस दुर्लभ गूढ रहस्य को इस वाणी द्वारा आसानी से जान सकते हैं । इस वाणी को सुनने के लिये नीचे बने नीले रंग के प्लेयर के प्ले > निशान पर क्लिक करें । और लगभग 3-4 सेकेंड का इंतजार करें । गीता वाणी सुनने में आपके इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड पर उसकी स्पष्टता निर्भर है । और कम्प्यूटर के स्पीकर की ध्वनि क्षमता पर भी । प्रत्येक वाणी 1 घण्टे से भी अधिक की है । इस प्लेयर में आटोमेटिक ही वाल्यूम 50% यानी आधा होता है । जिसे वाल्यूम लाइन पर क्लिक करके बढा सकते हैं । इस वाणी को आप डाउनलोड भी कर सकते हैं । इसके लिये प्लेयर के अन्त में स्पीकर के निशान के आगे एक कङी का निशान या लेटे हुये  8 जैसे निशान पर क्लिक करेंगे । तो इसकी लिंक बेवसाइट खुल जायेगी । वहाँ डाउनलोड आप्शन पर क्लिक करके आप इस वाणी को अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं । ये वाणी न सिर्फ़ आपके दिमाग में अब तक घूमते रहे कई प्रश्नों का उत्तर देगी । बल्कि एक  मुक्तता का अहसास भी करायेगी । और तब हर कोई अपने को बेहद हल्का और आनन्द युक्त महसूस करेगा ।

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