17 जनवरी 2012

क्या गुरू कृपा होने पर कुण्डलिनी जागृत होती है ?

55 प्रश्न - श्री स्वामी जी ! मन कई बार सुमिरन, ध्यान करना नहीं चाहता । ऐसी हालत में पाठ इत्यादि करना उचित है । या बल पूर्वक भजन, ध्यान ही करना चाहिये ।
उत्तर - नियमित ध्यान जरूरी है । भजन । सुमिरन । ध्यान । सेवा । पूजा । दर्शन जितना ज्यादा से ज्यादा हो । करना चाहिये । यदि मन भागता है । तो पाठ इत्यादि कर सकते हैं । श्री सदगुरू देव जी महाराज द्वारा लिखी हुई पुस्तकों का अध्ययन करें । मन लगेगा । मन परिश्रम करना नहीं चाहता है । सब समय सुख ढूंढता है । कुछ पाने के लिये परिश्रम करना होगा । पहली अवस्था में अभ्यास दृढ करने के लिये श्री सदगुरू देव जी महारज के द्वारा मिले हुये गुरू मंत्र का बलपूर्वक जप, ध्यान आदि करना होगा । यदि बहुत समय तक बैठे रहने से कष्ट का अनुभव हो । तो लेटकर जप करना । नींद आने पर घूमते घूमते हुए भजन करना । कार्य करते रहो । सेवा करते हुए जप करना । इस प्रकार अभ्यास को सुदृढ बना लेना । और साधना कर लेना होगा । मन न लगे । तो क्या छोड देना चाहिये ? इस तरह चलने से तो कभी भी अभ्यास दृढ नहीं होगा । मन न लगे । तो भजन गुनगुनाना चाहिये । श्री सदगुरू देव जी महाराज की वाणी का स्मरण । मंदिर के बाग बगीचों । उपवन । गोशाला । भण्डार । समाधि की याद करना चाहिये । तपोभूमि का ध्यान वहां की पुस्तकें पढना चाहिये । ऐसा करने से मन एकाग्र होता है । इसके बावजूद यदि मन भागे । तो मन के साथ अच्छी खासी लडाई करनी होगी । इस प्रकार के प्रयत्न का नाम ही साधना है । मन को वश में करने के लिये श्री सदगुरू के श्री चरणों में बैठकर रोओ । रिझाओ । मनाओ । प्रार्थना करो । बिनती करो । करबद्ध प्रार्थना करो । दण्डवत प्रणाम करो । और कहो - प्रभु मेरा मन अपने श्री


चरण कमलों में लगाओ । भजन । सुमिरन । सेवा । पूजा । दर्शन । ध्यान की दात दीजिये । मन को वश में लाना ही साधना का लक्ष्य है । मन श्री सदगुरू देव जी महाराज की दया से ही वश में हो सकता है ।
56 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज ! पूजा - पाठ में कितना समय और जप । ध्यान में कितना समय बिताना है । नींद कितनी आवश्यक है ?
उत्तर - 24 घण्टे मे कम से कम दो तिहाई हिस्सा जप । ध्यान के लिये और बाकी एक तिहाई हिस्सा पूजा । पाठ । चिन्तन । नित्य कर्म और विश्राम के लिये रखना अच्छा है । स्वस्थ शरीर के लिये 4 घण्टे की नींद पर्याप्त है । किसी को 1 - 2 घण्टे अधिक नींद की आवश्यकता है । 5 घण्टे से अधिक नींद रोग की सूचक है । अधिक सोने से शरीर का विश्राम नहीं होता है । बल्कि वह खराब होता है । अनिष्ट करता है । साधक के लिये सोकर समय नष्ट करना ठीक नहीं । पहली उमृ में मन गढ लो । सोने के लिये समय बाद में बहुत पाओगे । खूब सुमिरन । भजन । ध्यान करो । सेवा करो । सोओ कम । जो श्री सदगुरू देव जी महाराज का ठीक - ठीक भजन, ध्यान करता है । उनकी समस्त इन्द्रियां इतने नियमित रूप से चलती हैं कि उसके लिये 4 घण्टे की नींद प्रर्याप्त है ।
साधारणतया अधिकांश लोग अनियमित रूप से जीवन बिताने के कारण शरीर और मन को इतना थका बैठते हैं कि 8, 10 घण्टे सोने पर भी विश्राम नहीं होगा । जीवन को नियमित करने की चेष्टा करो । घडी के समान चलना होगा । बिलकुल

नियमित रूप से श्री सदगुरू देव जी महाराज के दर्शन । पूजा । भजन । सुमिरन । चिन्तन । मनन । सेवा के लिये भरपूर समय दें । यही सच्ची पूंजी है । जो संग साथ जायेगी । घडी के समान अपना पूरा जीवन नियमित करके रखें । और उसका पालन करें । ऐसा करने से शरीर और मन बहुत अच्छे रहेंगे । कुछ करो । सिर्फ़ प्रश्न करने से क्या होगा ? उत्तर पर अमल करो । खूब भजन करो । सुमिरन, ध्यान करो । सेवा में लगाओ । तब देख पाओगे । समझ सकोगे ।
57 प्रश्न - श्री स्वामी जी ! मुझमें कुछ भी करने की सामर्थ्य नहीं है । आशीर्वाद दीजिये । जिससे आप पर दृढ विश्वास हो । और आपकी कृपा को समझने और उसे धारण करने के शक्ति आ जाए ।
उत्तर - आशीर्वाद मेरा सदा है । पर स्वयं पर अविश्वास मत लाना । श्री स्वामी जी महाराज सब सुविधायें जीवों के लिये ही सुलभ कराते हैं । हर पल जीवों की सहायता करते हैं । इस धरा धाम पर उन्होंने अवतार ही इसीलिये लिया है । यदि कोई सज्जन व्यक्ति तुम्हारी सहायता कर रहा है । तो यह भी श्री सदगुरू देव जी महाराज की इच्छा से ही हो रहा है । यह भी प्रभु की इच्छा है । ऐसा जानकर प्रभु पर विश्वास करो । प्रभु का नाम जपते जाओ । श्री स्वामी जी महाराज का दर्शन । पूजा । सेवा । भजन । सुमिरन । ध्यान । मनन । चिन्तन करते रहो । प्रभु स्वयं ही सब कुछ समझा देंगे । चंचल मत होना । नाम का भजन करो 


परिश्रम करो । सेवा, भक्ति करो । परिश्रम करते जाओ । दर्शन लाभ करोगे । विश्वास का लाभ पाओगे । विश्वास मन में स्वत: स्थान बना लेगा । व्यर्थ की चिन्ता । और बडे - बडे प्रश्नों में समय नष्ट मत करना । बहुत ही सुन्दर सुअवसर मिला है । इसे खोना मत । श्री सदगुरु देव जी महाराज की कृपा सभी पर है । श्री स्वामी जी महाराज के निकट सर्वथा प्रार्थना करना । ताकि मान, यश की इच्छा कभी भी मन में न आए । और सदा अपनी भक्ति के प्रति पूर्ण विश्वास तथा अटल भक्ति करने की प्रेरणा भरें । भाव भक्ति दें ।
58 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज ! क्या गुरू कृपा होने पर कुण्डलिनी जागृत होती है ?
उत्तर - जो गुरू भक्त मालिक के सुमिरन । भजन । सेवा । पूजन । दर्शन । ध्यान में लीन रहता है । सत्संग की धारा में बराबर स्नान करता है । यानी भजन करते करते अपनी मन की दिशा यानी ख्याल को ध्यान के द्वारा ऊर्ध्वमुखी करने में नियमित रूप से लगा रहता है । उसकी कुण्डलिनी जागृत होती है । भक्ति योग की साधना से । तथा श्री सदगुरू देव जी महाराज की असीम दया, कृपा से कुण्डलिनी जाग्रत होती है ।
केवल कुण्डलिनी ही नहीं जागती । वरन सब कुछ हो जाता है । बृह्मज्ञान तक हो जाता है । परन्तु इसके लिये बहुत परिश्रम करना पडता है । कुण्डलिनी 1 दिव्य शक्ति है । जो प्रत्येक मानव के अन्दर रहती है । जब श्री सदगुरू स्वामी जी महाराज अपने शिष्य में अध्यात्म की शक्ति से शिष्य के अन्दर अपनी दया दृष्टि डालते हैं । तो शिष्य में वह कुण्डलिनी शक्ति क्रियाशील होकर कार्य करने लगती है । इसी का नाम है । कुण्डलिनी का अन्त:

क्रियाशील होना । और यही गुरूकृपा है । गुरू दीक्षा जो द्वारा मन्त्र श्री सदगुरू जी अपने शिष्य को देते हैं । उस मंत्र का भजन ध्यान करने से यह अध्यात्म शक्ति क्रियाशील हो जाती है ।
यही श्री सदगुरू देव जी महाराज की महिमा रूप, महाशक्ति ही श्री कुण्डलिनी है । इसे क्रियाशील कर देना ही कुण्डलिनी जागरण है । भक्त श्री सदगुरू देव जी महाराज के नाम का भजन । सुमिरन । पूजा । दर्शन । सेवा । ध्यान करते करते कुछ वर्षों में अर्थात 3, 6, 9, 12 वर्षों में अपनी दिव्यता का अनुभव करता जाता है । श्री सदगुरू देव जी महाराज का भजन । सुमिरन । सेवा । पूजा । दर्शन । ध्यान के प्रभाव से दिनों दिन दिव्यानुभूति युक्त बनता जाता है । बस श्री सदगुरू देव जी महाराज की साधना पद्धति का अमल करो तो सही । सब सुलभ हो जाता है । श्री सदगुरू देव जी महाराज की दया से आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता जाता है । और कुण्डलिनी शक्ति ह्रदय में जागृत होकर साधक को उन्नत प्रकार के दिव्य भावों की अनुभूति कराते हुए साधक को योगी बना देती है । मेरा विश्वास है कि श्री गुरू भक्ति से और श्री सदगुरू

देव जी महाराज के दया से ही ऐसा हो सकता है ।
59 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज ! कपडे कितने रखने चाहिये ?
उत्तर - जरूरत भर के कपडे रखने चाहिए । अधिक सामान से मोह पैदा होता है । कपडा हो । या कोई अन्य वस्तु हो । जितनी जरूरत है । उतना ही रखना चाहिये । अधिक सामान का संग्रह साधक को साधना में अडचनें डालता है । कपडों का अधिक संग्रह नहीं करना चाहिये । अधिक से अधिक 3  जोडा कपडा रखना चाहिये । जितनी चीजें बिल्कुल आवश्यक हो । उतना ही रखें । अधिक लेना अनुचित है । चींजे अपने आप आए । तो भी लेना उचित नहीं है । विलासिता खराब है । अत्यधिक कपडों का या धन का संचय विलासिता है । और श्री सदगुरू देव जी महाराज के दर्शन । पूजा । सेवा । चिन्तन । ध्यान में बाधक है । मन उसी तरफ़ रहता है । वस्त्र कोई ले न ले । चोरी न हो जाए । खराब न हो जाए । तमाम तरह के व्यवधान आते हैं । जो भजन, साधना के लिये अच्छा नहीं है । रखना ही है । तो श्री सदगुरू देव जी महाराज के प्रति भाव रखो । भक्ति रखो । प्रेम रखो । ज्ञान रखो । ये सब साधन श्री सदगुरू देव जी महाराज तक पहुंचने के लिये साधन हैं । इनके बिना सब कुछ फ़ीका है । जैसा भाव । वैसा लाभ ।
60 प्रश्न - श्री स्वामी जी महाराज ! आहार के बारे में क्या करना उचित है ? जो मिले वही खाऊं । या खाने के बारे में विचार करूं ?
उत्तर - भजन के लिये भोजन पौष्टिक होना चाहिए । सात्विक होना चाहिये । साधना, भजन में थोडा सोच सम्हल कर आहार लेना चाहिये । यदि सम्भव हो । तो हल्का सुपाच्य और पौष्टिक भोजन करें । कुछ चीजें खाने से नींद बहुत अधिक बढ

जाती है । ऐसी चीजों से जहां तक हो सके । परहेज करना चहिये । अधिक मिठाई । खट्टी चीजें । उडद की दाल या उडद की बनी चीजें न खाना ही अच्छा है । ये सब वस्तुयें खाने से तमो गुण की वृद्धि होती है । हमेशा नींद आती है । न तो श्री सदगुरू देव जी महाराज की सेवा हो पायेगी । न जप, ध्यान कर पाओगो । जो सहज ही हजम होते है । ऐसे भोज्य पदार्थों से दो तिहाई पेट भर खाने से शरीर में ताकत की वृद्धि होती है । शरीर ह्रष्ट पुष्ट रहता है । बहुत ज्यादा खाने से हजम करने में ही सारी शक्ति खत्म हो जाती है । पेट में वायु भी होती है । पेट का एक तिहाई हिस्सा खाली रखें । ऐसा करने से पेट में वायु नहीं बनता । स्वस्थ शरीर साधन, भजन में सहायक होता है ।

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- ये शिष्य जिज्ञासा से सम्बन्धित प्रश्नोत्तरी श्री राजू मल्होत्रा द्वारा भेजी गयी है । आपका बहुत बहुत आभार ।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Good article! Keep it up!

बेनामी ने कहा…

et les os ne paraissaient pas disposes a se