roop_kaur पोस्ट " वास्तव में ये जीवन भी एक पाठशाला है । " पर । rajeev ji, main kuch time pehle apni padosan ke saath Radha Soami centre gayi thi jo punjab mein hai. wahan 1 sevadaar tha jo us padosan ka rishtedaar tha. usne kaha tha ki radha soami surat shabad yog ka abhiaas karwate hain.( बिलकुल सही है ) shayad koi 5 words(shabad) hain. ( राधा स्वामी में पंचनामा ही दिया जाता है । 5 नाम जो स्वांस के साथ जपे जाते हैं ) jo sirf radha soami's ke pass hain. is se hi mukti hoti hai.( ये भी सही है । ये 5 नाम राधास्वामी के पास हैं । लेकिन ये वो असली नाम नहीं है । हालांकि ये भी सच्चे गुरू से किसी को मिल जांय तो बहुत बडी बात है । परन्तु चरनदास और राधास्वामी मत को चलाने वाले
संत के बाद राधास्वामी में अभी कोई पूरन गुरू मेरी नालेज में नही है । इससे ही मुक्ति होती है की जगह यह कहना अधिक ठीक है । इससे भी मुक्ति होती है । परन्तु गुरू यदि सच्चा हो ? मुक्ति और मुक्त में बहुत बडा अंतर है । आपका पंजाब में रहने का दिल ना हो । और कोई आपको किसी दूसरी और अच्छी ( मगर मनचाही नही ) जगह शिफ़्ट करवा दे । इसको मुक्ति ( पंजाब से ) कहा जायेगा । मगर कोई बंदा । कोई तरीका । आपको ऐसा उपाय बता सके । आप जितनी मर्जी चाहें । जहां जी करे । वहां रहे । इसको मुक्त कहते हैं । आपने कबीर का वह भजन सुना होगा । करम धरम दोऊ बटे जेवरी । मुक्ति भरती पानी । करम धरम मुक्ति भी जहां भक्तों की सेवा करते है । असली मालिक का घर वह है ।
and wo apne radha soami babaji ko puran satguru bata raha tha ( ऐसे मेरे पास भी हजारों लोग आते हैं । पर हम किसी के बारे में बेकार कुछ क्यों कहे । अगर कहने वाला संतुष्ट है । तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है । वो जाने उसका काम जाने । अपने को धोखा देकर । जूठी तसल्ली देकर ही कोई खुश है । तो कोई क्या कर सकता है । and sri krishan ( योग में सबसे उच्च महात्मा । योगेश्वर । मगर ये भी गुरु आधीन होते हैं । 3 लोक की सत्ता के मालिक । मगर परमात्मा नहीं । यहां थोडा ध्यान दे । जब आप श्रीकृष्ण कहती हैं । तो बात अलग हो जाती हैं । एक चींटी में भी परमात्मा ही है । मगर चींटी परमात्मा नहीं होती । दरअसल परमात्मा उसे कहते हैं । जो सबसे परे होता है । श्रीकृष्ण सबसे परे नहीं हैं ।
and guru nanak dev ji ( नानक जी ने उदासीन पंथ चलाया था । जो थोडा अलग सा मैटर है । इसका उत्तर मैं फ़ेस टू फ़ेस या फ़ोन पर तो दे सकता हूं । मगर यहां नहीं । बहुत लोगों की भावनाओं से जुडी बात का समझदारी से उत्तर देना पडता है । वैसे भी इस तरह की बात करना संतमत के खिलाफ़ है । वैसे नानक जी की भक्ति परमात्मा की ही भक्ति थी । नाम खुमारी नानका चडी रहे दिन रात । ) se bhi bada bata raha tha.( हीरा मुख से ना कहे लाख टका मोरो मोल । कोई इंसान परखने से खुद ही पता चल जाता है । मैंने आपसे कहा । समर्पण होते ही 3 मिनट में बृह्मांड की यात्रा शुरू हो जाती है । लेकिन कोई आपको 3 month या 3 साल में भी यात्रा या अलौकिक अनुभव करा सके । तो वह भी बहुत बडा गुरू होगा । लेकिन सतगुरु हरगिज नहीं ।
usne ye bhi kaha tha ki 1 time mein 1 hi satguru hote hain ( गीता में इसको समय के सतगुरु और संतमत की किताबों में जगह जगह बताया गया है । अतः ये कोई बडे रहस्य की बात नहीं है । लेकिन ( वह ) कहने वाला इसका सही मतलब नहीं जानता । परन्तु ये बात एकदम सच है । जिस तरह दो परमात्मा नहीं होते । दो सतगुरु भी नहीं होते । हां गुरु लाखों हो सकते हैं । and is time unke guru hi poore hain and baki sab adhure hain. ( हा हा हा । अगर प्रभु ने चाहा । आपको अच्छा ध्यान करना आ गया तो इसका उत्तर आपको स्वयं ही मिल जायेगा । वास्तव में हमारे गुरुदेव कहते हैं । किसी की कही बात मत मानों । मानों मत खुद जानों । खुद के अनुभव में जो आता है । उसी से असली लाभ होता है । unke guru maine dekhe the satsang mein lekin unke saath hathyaar dhaari bodyguards the. (kya kisi sant ko bodyguards ki zaroorat ho sakti hai) ( हरगिज नहीं । लेकिन समय के अनुसार अपना बचाव करना अवश्य आवश्यक होता है । आपको ध्यान होगा श्रीकृष्ण 17 बार रण छोडकर भागे थे । और उनका एक नाम ही रणछोड पड गया था । जबकि वो कितने पावरफ़ुल थे । लेकिन हर समय बाडीगार्ड रखने वाला संत नहीं हो सकता । वास्तव में सच्चे संत के पास आते ही व्यक्ति की सभी दुष्टता समाप्त हो जाती है । कई संतो के सामने शेर तक कुत्ते के समान पूंछ हिलाने लगे थे । जिनमें गौतम बुद्ध भी थे ।.aur us sevadaar ne kaha tha ki hamare 5 shabadon ke ilawa sampuran mukti ka koi raasta nahi. ( बेचारा । अग्यानवश । गलतफ़हमी का शिकार । जिस मत में जीता है । उसको भी ठीक से न जानने वाला । ) lekin wahan par paath ki lines sri guru granth sahib mein se padhi ja rahi thi. ( थ्योरी कब तक पढोगे । प्रक्टीकल करिये । कार में बैठकर कार चलाने के लिये कार की आरती गायी जाती है या चाबी लगाकर तरीके से चलाया जाता है ? ) and fir bhi ye sikh gurus se apne baba ji ko bahut bada bata rahe the. and wo ye bhi keh raha tha ki yahan par naam daan ya diksha 25 saal ki age ho jaane ke baad milti hai.( हमारे यहां सबसे छोटा शिष्य 3 साल का है । मैंने पहले ही आपको लिखा है । आपके गोद का बच्चा भी आराम से इसको कर सकता है । बस वह कही हुयी बात समझ ले । ये जरूरी है । फ़िर age कुछ भी हो । पर बडों को समय समय पर उसे प्रेरित अवश्य करना होता है । हमारे साधक m and f सुबह जब घर पर ध्यान पर बैठते हैं । तो बच्चे खुद ब खुद प्रेरित होते हैं । वास्तव में अपने बच्चे का ये सबसे बडा हित करना है कि गुरु या सतगुरु से उसको उपदेश कराया जाय । and maine kisi se ye bhi suna hai ki wahan jab naam daan dete hain tab jin logon ko naam daan dena hota hai unko ek saath baitha kar unke purane sevadaar hi naam daan de dete hain.( एकदम गलत । नाम स्वयं गुरु देते है । नामदान देते समय ही ज्यादातर बहुत अनुभव हो जाते हैं । सही दीक्षा कैसे होती है । इस पर मेरे ब्लाग्स पर पहले ही लेख मौजूद है । ) main aisi 2 aur auraton se bhi mili hun jinhone wahan se naam daan liya hai. wo ladies 50 saal se zada age ki hain. un ladies ko naam daan liye hue 20 saal se bhi zada ho gaye. lekin unmein se 1 ka kehna hai ki mera naam japne ko ya abhiyaas karne ko bilkul bhi dil nahi lagta.( हमारे एक साधक राधारमण गौतम की मांजी लगभग 70 साल की हैं । वह इतना भजन ( नाम जपना ) करती हैं कि कभी कभी मैं भी हैरान हो जाता हूं । वास्तव में किसी को भी नाम जपने से जो प्राप्ति होती है । आनन्द प्राप्त होता है । तो वो उसको स्वयं ही करता है । नानक जी ने कहा था । बोदा नशा शराब का उतर जाय प्रभात । नाम खुमारी नानका चडी रहे दिन रात । लेकिन जब कुछ भी प्राप्त ही न हो तो इंसान कहां तक झक मारता रहे । आप इनसे बात करना चाहे तो 0 97602 32151 पर बात कर सकती हैं । राधारमण गौतम के बारे में लेख भी ब्लाग पर मौजूद है । and dusri ka haal ye hai ki uske ghar mein kalesh khatam nahi hua and wo pichle kuch saalon se lagataar bimaar jaisi hi hai. सुखी मीन जहां नीर अगाधा जिमि हरि शरन न एक हू बाधा । मछली समुद्र में जाकर भी परेशान रहे । इसका मतलब समुद्र झूठा है । निज अनुभव तोहे कहूं खगेसा । बिन हरि भजन न मिटे कलेशा । haan 1 aur mili thi teesri usne bhi wahin se naam daan liya hai lekin uska kehna hai ki usne khud baba ji se naam daan liya hai. lekin wo lady itni jhoothi hai ki shayad is janam mein mujhe jitne jhoote mile wo un sab mein no.1 hai. ( दुनिया में झूठ ही अधिक है और लोग सच में कम झूठ में जीना अधिक पसन्द करते हैं । please is baare mein kuch apni salaah mujhe dein आशा है । आपको कुछ तो संतुष्टि हुयी होगी ।
roop_kaur पोस्ट " वास्तव में ये जीवन भी एक पाठशाला है । " पर । 1 zaroori baat aur rajeev ji, please aap meri baaton se naraz mat hona. ( मैं कभी नाराज नहीं होता । जब आप जैसा परमात्मा को चाहने वाला कोई प्रेमी भक्त मिलता है । तो मुझे बेहद खुशी होती है । वास्तव में यह आपका मुझ पर उपकार ही है कि आपने सतसंग का मौका दिया । aap sochte honge ki ye lady to piche hi padh gayi. ( वास्तव में आप मेरे पीछे नहीं परमात्मा के पीछे पडी हुयी है । जरा गहराई से सोचिये । आप राजीव में इंट्रेस्टिड थोडे ही है । बल्कि उसी परमात्मा के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहती है । उसे प्राप्त करना चाहती है । राजीव तो महज एक पोस्टमेन है । जो आपका खत परमात्मा तक पहुंचाता है । और उसका जबाब आप तक । वास्तव में जिस तरह एक अच्छा गुरु मिलना मुश्किल है । उसी तरह एक अच्छा शिष्य मिलना भी मुश्किल होता है । इस तरह आप मुझ पर उपकार ही कर रही हैं । मैं तो केवल निमित्त ( माध्यम ) हूं । यह सब उसी की कृपा से होता है । lekin meri mazboori hai mujhe mere sawaalon ke jawab kahin mil nahi rahe the. aap maane ya na maane sirf aapke blog se hi mujhe mere sawaalon ke zawab mil rahe hain. ( वास्तव में ये गुरुकृपा और परमात्मा की मुझ पर दया ही है । वरना मैं किसी मतलब का नहीं हूं । isliye ab aap se hi umeed hai. so, mere par apni kripa rakhen. साहिब आपकी इच्छा पूरन करे । मेरी यही भावना है ।
roop_kaur पोस्ट " वास्तव में ये जीवन भी एक पाठशाला है । " पर ।rajeev ji, hans diksha ya aatm gyaan ki diksha se hum physical body se nikal kar suksham body ke dwara kahin bhi aa ja sakte hain. ( बिलकुल सही । लेकिन साधना को रसगुल्ला खाना मत समझ लेना । यहां तक पहुंचने के लिये बहुत मेहनत और लगन की जरूरत होती है । means is earth par bhi kahin bhi aa ja sakte hain. ( निश्चय ही ) kya us time hamara suksham body kisi ko dikhayi nahi dega aur hum kya sabhi ko dekh sakte hain.( आम आदमी को नही दिखायी देगा । परन्तु अच्छे साधक । सिद्ध और जो योनियां सूक्ष्म शरीर में हैं वे न सिर्फ़ देखते है । वरन बातचीत भी करते हैं । ये जल्दी ही हो जाता है । बहुत ऊंची साधना हो जाने पर ही हम दूसरों (आम आदमी ) को देख सकते हैं । यह थोडा कठिन है । and agar aatm gyaan ki sadhna se agla maanav janam pakka hai to kya hum apni marzi se kisi aur dharam ya society mein janam le sa kte hain. jaise sikh se hindu ya hindu se sikh. ( अवश्य पर पूरे कर्म संस्कार मिट जाने के बाद ही । वैसे भी हर आत्मा इच्छानुसार ही जन्म लेती है । जहां आसा तहां वासा । and kya main agle janam mein purush janam mein bhi ja sakti hun. is bare mein bhi kuch batayein अगर आप मीरा जैसी स्थिति को पा लें तो ऐसा हो सकता है । ध्यान रहे आत्मा न स्त्री है न पुरुष ।
roop_kaur पोस्ट " वास्तव में ये जीवन भी एक पाठशाला है । " पर । thanx rajeev ji, aap baki questions ka answers bhi zaldi de dijiye and sirf thode se sawaal aur hain jinko main aapse time to time puchti rahungi. really lot of thanx.
धन्यवाद मैडम । मैं जल्दी ही कोशिश करूंगा । आप बेझिझक चाहे जितने सवाल पूछे । हमारे गुरुदेव कहते
हैं । जीव को चेताने के समान पुन्य कोई नहीं है । अगर तुम्हारे द्वारा एक भी जीव चेत ( जाग ) गया । तो
ये बहुत बडी बात होती है । फ़िर कोई मैं पर्सनल तो आपको उत्तर दे नहीं रहा । ब्लाग पर प्रकाशित होने के
कारण बहुत लोग इससे लाभ उठायेंगे । इसलिये आप बेहद पुन्य का कार्य कर रही हैं । इसमें कोई शक नहीं
है । thanx again madam ।
3 टिप्पणियां:
too much thanxs rajeev ji, you are great, please apna mujhe e-mail address zaroor likh kar dijiye, shayad kabhi kuch e-mail par puchna padha to main message dwara puch liya karungi. please aap kal mujhe apna e-mail address zaroor bata dein apne next article mein. again very much thanx. bye.
rajeev ji, main jis parivaar se hun. maaayke wale aur sasural wale dono families mein non-veg khaya jata hai. mera maayka and sasural dono patiala mein hi hain. mere father ki to 4 famous shops hains chicken ki in patiala. jinka naam hai 'happy chicken corner'. shaadi se pehle tak to mujhe jaisa maayke ka lifestyle mila tab tak maine kuch socha hi nahi tha and is bare mein hamare ghar mein kabhi koi baat hi nahi hui thi ki non-veg khana accha hai ya bura. kyun ki mere papa kehte the the (ab bhi ye hi vichar hain unke) profession koi bhi bura nahi hai. kaam chotta bada nahi hota, kaam to kaam hota hai. lekin main non-veg khana chorna chahti hun. maine ye baat normally jab ghar mein kisi se bhi kahi(maayka ho ya sauraal) to unhe laga ki main mazak kar rahi hun ya fir mera dimaag theek nahi hai. iske bare mein meri aankhen kholiye.
1 aur bahut zaroori baat rajeev ji, ye baat jo main kehne ja rahi hun, ye mera personal experience hai. mere parivaar mein ya aur jitne bhi sikh parivaar jinse mere milna julna hai ya tha. unmein se kafi log kattar vichaar wale hain. means ki wo apne sikh dharam ke ilawa baki sab dharamo ko bekaar ya bura ya nicha maante hain. yahan tak ki jab main b.a kar rahi thi in modi college patiala tab mujhe 1 hindu ladke se pyaar ho gaya tha lekin mere parents ne saaf mana kar diya kyun ki ladka hindu tha and fir meri shaadi hamari hi biradari mein kisi se kar di. lekin yahan main point ye hai ki jo maine jyadatar sikh log ya sardar log dekhe hain wo gurudwara to jate hain sikhon wala paath bhi karte hain. lekin baatein hamesha hi dusri karte hain and unke pass gyaan jaisi koi cheez bilkul hi nahi hai. haan jo normally young boys hain aaj kal sardaron ke wo baal to fashion ke taur par katwa rahe hain, lekin kehte hain hum sikh hain kisi aur dharam ya baat ko nahi maanege. kuch time pehle maine kisi se surat shabad yog ke bare mein discus karna chaha (kyun ki wo aadmi gurudwara jata hai and roz gutka saheb ka paath bhi karta hai) to wo to bhadak gaya and mujhe faaltu lecture dene laga and kehta tha ki 'ye sab main nahi janta, aap kya keh rahi hai, hamare sikh gurus ne idhar udhar kahin jaane se humko band kiya hai, sab bakwaas hai, hamare guruon ne kaha hai ki hum ko kuch bannna chahiye, hum yahan kuch bann ne aye hain' to rajeev ji us time mere ko bada ajeeb laga kyun ki wo baat to sikh dharam ki kar raha tha lekin us time usne sharab pi rakhi thi (ye mere maayke ki baat hai, us time dinner time tha and wo hamara rishtedaar tha) and uski baatein sun kar main to chup kar gayi and uski bahut hi moti patni garv se aur ful gayi. rajeev ji main kisi ke khilaaf nahi bol rahi, mujhe sikh dharam bahut pyara hai kyun ki mera present janam is dharam mein hua hai, lekin ye baatein jo maine likhi hain ye mera personal anubhav hai. and 1 baat mujhe ab acchi nahi lagti (pehle college time mein maine is baat par bhi dhyaan nahi diya tha) wo ye ki aam taur par punjabi logon mein abhimaan bahut hai, zor zor se bolna mazak mein bhi 1 dusre ko gaali dena( ye sab gents mein hota hai ladies mein nahi) lekin ab ye sab bhi mujhe acha nahi lagta. baar baar ye kehna ki sansar mein ya is earth par punjabi logon se behtar ya aaj kal ke sikh samaaj se behtar koi nahi mujhe hairaan karta hai. kyun ki jo aatma ke rahasya ko nahi samajh pa raha ho main usko uttam nahi maanti (ab meri ye soch hai, kafi pehle meri aisi soch nahi thi) is baare mein zaroor kuch likhen, mujhe aapke kal ke articles ka besabri se intezaar rahega.
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