15 दिसंबर 2010

after 10 year साधना इसको देख सकते हैं ।


ham aur gayaan pana chahate hani 

आप इस प्रकार के प्रश्न कर देते हो जिसका मतलब ही पल्ले न पडे । अगर लिखा हुआ आत्मग्यान पढना चाहते हो तो वो ब्लाग्स में लिखा हुआ है । अगर प्रक्टीकली उसको अनुभव करना चाहते हैं तो महाराज जी से पर बात करें ।


jaise 1 aadmi ke andar alag alag manobhav hote hain. ya keh lijiye alag alag aadtein to kya 1 person ke andar sirf pichle 1 janam ke sanskaron ke kaaran aadtein hoti hain ya pichle anek janamon ke kaarn.

( अनेक जन्मों के संस्कार स्वभाव पर हावी रहते हैं । )

and ye kaal purush jo hain sirf inke bare mein kuch batayein(jitna bata saken)

( कालपुरुष महान तपस्वी है  माया इसकी पत्नी है । इसका राज तीन लोक में चलता है । )

paramatma aur kaal purush ka farq batayein.

( परमात्मा तो सबका मालिक है ही । कालपुरुष से उसकी कोई तुलना नहीं । निरंजन उर्फ़ कालपुरुष सतपुरुष का पांचवा अंश है । वैसे इन बातों के चक्कर में न पडकर शुद्ध परमात्मा की भक्ति में ध्यान लगायें । उसी से भला होता है । वही सबका सच्चा साथी है । )

and kya kaal purush bahut badi hasti hone ke bawjood 1 aatma hi hai in reality?

( यही सच है । )

jab bhi main koi sawaal karti hun (religious)to meri padosan kehti hai ki sawaal bhi har koi nahi kar sakta.according to her wo kehti hai ki sawaal bhi wo hi karta ho jo bahut jigyasu ho ya is maarg par chalne ki iccha rakhta ho. kya ye sahi hai ki har koi gehraai wale question nahi kar sakta?


( एकदम सच है कोई कोई ही भक्ति प्रभु या आत्मचिंतन के बारे में सोच पाता है । बाकी जगत अग्यान की नींद में सोया वासनाओं के स्वपन देख रहा है ।

झूठे सुख से सुखी है । मानत है मन मोद ।
जगत चबैना काल का । कछु मुख में । कछु गोद ।

खबर नहीं पल की तू बात करे कल की ।
ये जानते हुये भी काल कब झपट्टा मार दे । इंसान अपने उद्धार का कोई उपाय नहीं सोचता । )

ye daswan dwaar(tenth door) ke bare mein kuch khul kar batayein

( ये आंखो से ऊपर होता है । और गुरु द्वारा बताये अभ्यास करने से मिलता है । )

and agar aatma 10th door se nikal jaye to wo 84 mein nahi padhti

( निश्चय ही । )

and us door se nikalne wali aatma apni marzi se janam le sakti hai jab tak ki poori tarah mukt na ho jaye.

( नहीं ले सकती । जब तक पूरे संस्कार नहीं कट जाते । )

aur agar jab tak janam na lena chahe tab tak atma kya karti hai(10th door se nikalne wali).

( एक आनन्दमय लोक में रहती है । वहां से आने का और जन्म लेने का किसी का मन नहीं होता । स्वर्ग आदि उसके सामने बेहद फ़ीके है । )

paramatma se sakshatkaar hona kise kehte hain.

मम दर्शन फ़ल परम अनूपा । पाय जीव जव सहज सरूपा ।
सनमुख होय जीव मोहे जबहीं । कोटि जनम अघ नासों तबहीं ।
इसका वर्णन असंभव है वह गूंगे का गुढ है । )

ye yoniyaan 84 lakh hi kyun hain kam ya zada kyun nahi

( अब कोई न कोई गिनती तो बननी ही थी । )

 and kya ye universe ke jo aur lok hain(jinke bare mein pehle bhi baat ho chuki hai) jinmein devta,apsara,yaksha and aur suksham antriksh jeev aate hain kya ye bhi 84 lakh ke andar hi aate hain in counting.

( नहीं । ये अलग हैं 84 में सिर्फ़ धरती के जीव आदि आते हैं । )



ye shraap and vardaan kya hote hain.

( विभिन्न साधु जो अपनी पावर से किसी का भला करते हैं या दन्ड देते हैं । वही शाप या वरदान कहलाता है । )

aam aadmi ki to kahi baat sach hoti nahi

( क्योंकि उसका खजाना लुट चुका है । तभी तो वह आम आदमी है खास नहीं । )

sirf maha purushon ki kahi baat hi sach nikalti hai.

( क्योंकि उनके पास ताकत होती है । )

 aaj kal tv jo baba type logon se bhare padhe hain kya ye sab asli hain

( नहीं । इनमें ज्यादातर टीचर और गिने चुने लेक्चरर हैं । )

kyun ki tv famous baba to itne over busy ho jaate hain to ye sadhna kab karte honge and kai baba to abhi jawaan hi hain.

( धर्म आजकल सबसे ज्यादा प्राफ़िट का बिजनेस बन गया है । इसलिये बिग्यान के टीचर लाखों होते हैं पर बेग्यानिक बहुत कम होते हैं । )

maine suna hai ki totall baba logon mein se 80% to fake ya fraud hi hain.

( सही सुना है । पर 80 % नहीं 95 % शेष 5 % ही असली होते हैं जो आमतौर पर फ़ेमस नहीं होते । उनके शरीर छोडने के बाद ही दुनियां को उनकी महानता का पता चलता है । )

agar kisi paapi aadmi(beshaq wo rich ho)ke ghar abhimaani and nalayak aulad paida ho jaye to future mein us parivaar ya vansh ka kya haal hoga beshaq present time mein wahan sab theek thaak halaat hi nazar aa rahe ho.

( सबके कर्म और भाग्य के अनुसार होता है । इसलिये कोई एक बात निश्चित कहना मुश्किल है । वैसे इस समय किसी के लिये भी इसकी चिंता ही बेकार है । क्योकि 2012 to 19 जगह जगह ज्वालामुखी फ़टकर जहरीली गैस जमीन से निकलेगी और इस प्रलय में अर्थ की 70 % आवादी खत्म हो जायेगी । 2020 तक प्रथ्वी नये स्वरूप में होगी शेष बचे धर्मात्मा आगे की व्यवस्था देखेगें ।
अभी कलियुग के 5000 वर्ष ही हुये है और 17000 बाकी है । पर सत्ता ने किसी कारणवश कलियुग को लगभग 2030 तक यहीं समाप्त करते हुये सतयुग शुरू करने का फ़ैसला किया है । मैनें लगभग 5 month पहले जहरीली गैस से प्रलय की बात प्रलय पोस्ट में लिखी पर अब अमेरिकी बैग्यानिक भी ऐसा कहने लगे । )


jo hum prarthana ya ardaas ya binti karte hain paramatma ko ya koi kisi devi devta ko karta hai ya kuch log apne ishatt ko to kya ye ardaas ya binti ya prarthana wahan tak pahunch jati hai.

( जी हां । लेकिन ये बात देवी देवता पर कम परमात्मा पर ज्यादा सटीक बैठती है । इसीलिये कहा जाता है कि वह चींटी की भी पगध्वनि ( चलने की आवाज ) सुनता है । इसके दो फ़ेमस उदाहरण है । द्रोपदी चीरहरण और क्रोकोडायल द्वारा हाथी को पकड लेना । लेकिन ये तभी होता है । जब आस वास दुविधा सब खोई । सुरति एक कमलदल होई । मतलब हरेक सहारा छोडकर सिर्फ़ परमात्मा से आस रखना । ध्यान रहे । परमात्मा खुद कभी कुछ नहीं करता । वह किसी बन्दे को सहायता के लिये माध्यम बनाकर भेज देता है । )

 and surat shabad yog karne wale sadhak ko koi problem (kisi bhi kism ki) aa jaye life mein to kya agar wo prabhu se binti kare to kya uski pukaar pahunch jayegi prabhu ke pass and us problem ka samadhaan bhi ho jayega ?

( वास्तव में यदि हमें सच्चे संत या गुरु के पास पहुंच जांय और पूरे श्रद्धा भाव रखें तो उसी समय हमारे तमाम कलेश कट जाते है ।

एक घडी आधी घडी आधी हू पुन आध ( यानी 6 मिनट )
तुलसी संगत साधु की कटे कोटि ( करोढों ) अपराध ।

कोई भी साधना सच्चे गुरु से ही संभव है । गुरु अपने शिष्य पर भाले के वार के समान आये संकट को सुई चुभने में बदल देते हैं । )
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waise maine 1 saath bahut se sawaal puch liye hain.iske liye main maafi maangti hun.main samajh sakti hun ki apka apna personal time bhi bahut important hai.lekin main jigyasa vash puch baithi.agar kahin aap ko zara si bhi dikkat ayi ho to main really baar baar maafi maangti hun.aap to sadhak hain to mujh jaisi sansari aurat ko maaf kar dein agar mere se koi galti hui ho to.

( कोई बात नहीं आप तो फ़िर भी जिग्यासावश और सही प्रश्न पूछ रहीं है । कुछ लोग तो साधुओं को बेमतलब ही ऊटपटांग बात कर तंग करते हैं । )


in mahabharat bhisham pitama ko apne pichle 100 janam yaad the and sri krishan unko unke 106 janam tak le gaye the to kya bisham ji lagataar maanav janam le rahe the

( भीष्म पितामह साधारण इंसान न होकर आठ वसुओं ( एक प्रकार का देवता ) में से एक थे । इन देवताओं को कभी कभी किसी खास काम से प्रथ्वी पर भेजा जाता है । जैसे यमराज विदुर के रूप में आये थे । लगातार मनुष्य जन्म किसी का नहीं होता । लेकिन कर्मों का डाटा सिर्फ़ मनुष्य जन्म का ही रखा जाता है । 84 यानी भोग योनियों का नहीं । )

and krishan ji ne arjun se kaha tha ki 'mujhe tere pichle bahut se janam pata hain jinko tu khud nahi jaanta' to kya arjun bhi pichle kuch time se lagataar maanav janam le raha tha.

( जबसे ये सृष्टि की शुरूआत हुयी है । हरेक आत्मा मनुष्य के रूप में ही करोडो जन्म ले चुकी है । योगेश्वर होने के कारण श्रीकृष्ण को उनका ग्यान था । इसका ये मतलब नहीं था कि अर्जुन लगातार मनुष्य जन्म ले रहा था । बाद में अर्जुन आदि पांडवो ने ये ग्यान लिया और आल्हा ऊदल के रूप में जन्म लिया ।

 kya yug sirf 4 hi hote hain stayug,treta,dwapar and kalyug.

( जी हां )

is 4 number ka kya hisaab hai.

कोई खास हिसाब नहीं एक सिस्टम बनाया गया है । )

in 4 yugon ko mila kar 1 mahayug banta hai.

( जी हां । आपकी जानकारी आम आदमी से अधिक है । )

to kya ab is kalyug ke baad satyug ayega

वो भी 30-40 साल के बाद ही । 
tab haalaat kaise honge.

( सतगुण प्रधान । धार्मिक और अलौकिक ग्यान जानने वालों की भरमार होती है । सतयुग में । )

kalyug to main dekh hi rahi hun. dwapar ki kahani mahabharat hai,treta ki ramayan lekin mujhe satyug ke bare mein kuch nahi pata tab ki koi baat batayein.

( सत्यवादी हरिश्चन्द्र विश्वामित्र आदि सतयुग में हुये थे । सतयुग में धर्म के चारों पैर सलामत होते हैं । )

kya is poore universe earth 1 hi hai(i mean jaisi hamari earth aisa milta julta jeeavan)jisko karm bhoomi ya mrityu lok kaha ja sake ya aur bhi ho sakte hain jahan maanav baste ho.

( असंख्य है । मिलता जुलता जीवन नहीं सेम ऐसा ही जीवन है । )

maine apni padosan se suna tha (sirf suna tha)shayad koi baglamukhi devi bhi hoti hai and uski sadhna mushkil hai kyun ki usko poore vidhi vidhaan se karna chahiye nahi to sadhak ko bahut haani ho sakti hai. lekin ye sadhna devi sadhna hai and 10 mahavidha mein iska 8th sathaan hai.and is devi ko pitambara devi bhi kehte hai kyun ki iska sadhak sadhana kaal mein yellow colour ki cheezon ko mahatavya diya jata hai.and ye bhi suna tha ki is devi ki shakti be-hadh hai.


( आपने सही सुना । किसी भी देवी की साधना बेहद कठिन और गुरु के बगैर असंभव है । आम आदमी और ग्रहस्थ के लिये इस तरह की साधनाएं कर पाना असंभव ही है । परमात्मा की भक्ति सबसे सरल और ताकत देने वाली है । उससे बडा कोई नहीं है । )

ye Mahakaal kisko kehte hain iske bare mein bhi khil kar bataien.

( बृह्म आदि मंडलो का कलेंडर महाकाल सिस्टम पर बेस होता है । जैसे प्रथ्वी का एक साल इन्द्र का एक दिन होता है । )

shiv yog wale baba tv par keh rahe the ki kuch siddh to aise hain ki wo samadhi mein beete hue time mein ja kar beeti hui incidents ko bhi dekh aate hain.unhone example di thi ki kuch siddh to samadhi mein 5000 saal pehle jo mahabharat mein Geeta updesha tha jo arjun ko mila tha krishan ji se usko samadhi mein dekha bilkul exact jo accurate scene tha and jo hamein aajkal geeta padhne ko milti hai ye exact wo wording nahi hai(meaning beshaq wo hi hai).

( ये सभी बात सच है । एन्ड after 10 year साधना इसको देख सकते हैं । )

maine bhi apni padosan se le kar 2 baar geeta padhi hai jo hindi mein translate hai.

1 टिप्पणी:

Udit bhargava ने कहा…

अनामी पुरूष सबके कर्ता-धर्ता हैं। इन्होंने अपनी इच्छा से, अपनी मौज से अगम लोक की रचना की और अगम पुरूष को स्थापित किया। फिर अलख लोक की रचना की और अलख पुरूष को स्थापित किया। ये ही वो मालिक हैं जिन्होंने सतलोक की रचना की और सतपुरूष को स्थापित किया। अनामी पुरूष ने जो तीनों लोक अपने से अलग स्थापित किऐ ये तीनों लोक, तीनों देश एक रस हैं। नीचे की रचना का विस्तार सतपुरूष ने किया।
एक आवाज इतनी जोर की सतपुरूष में से निकली जो अनन्तों मण्डल, अनन्तों लोक जो गिनती में नहीं आ सकते उसकी रचना कर दी। ये सारे के सारे मण्डल, लोक इसी सतपुरूष की आवाज पर टिके हुऐ हैं। जब ये लोक सतपुरूष ने तैयार कर दिऐ तो अपने देश से दो धाराऐं निकाली - एक काल की और दूसरी दयाल की धारा। फिर एक आवाज चली जो उसमें से निकाल कर ले आई। उन्होंने अपने देश से अलग ईश्वर, ब्रह्म, पार ब्रह्म और महाकाल को उसी आवाज पर स्थापित कर दिया। उसी आवाज पर, उसी शब्द पर, उसी वाणी पर और उसी नाम पर ये सब के सब उसी सतपुरूष का अखण्ड ध्यान करते रहे। तपस्या करते-करते इतने युग बीत गऐ कि कलम स्याही और कागज नहीं है जो लिखा जा सके। तब जाकर सतपुरूष प्र्रसन्न हुऐ और पूछा कि तुम क्या चाहते हो ? उन्होंने कहा कि हमको एक राज्य दे दीजिऐ। जीवात्माओं के बगैर राज्य नहीं हो सकता था। तब उन्होंने जीवात्माओं को दे दिया। ये सभी जीवात्माऐं जो सभी मण्डलों में हैं उसी सतपुरूष के देश सतलोक से उतार कर नीचे लाईं गईं।
ईश्वर भी वहीं से आऐ, ब्रह्म भी वहीं से आऐ और पार ब्रह्म भी वहीं से आऐ। सभी जीव वहीं से आऐ। पूरा मसाला जितना भी कारण का, सूक्ष्म का, लिंग का, स्थूल का ये सब तथा जिसमें आप रहते हें यानि पंच भौतिक शरीर- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश ये सब मसाले वहीं से आऐ।
सभी जीवात्माओं, रूहों यानि सुरतों का एक ही रास्ता आने का और जाने का है। सभी एक ही रास्ते, शब्द, आवाज, देववाणी से उतार कर लाई गईं और दूसरा कोई रास्ता है ही नहीं। बहुत युग बीत गऐ जीवात्माओं को उतारते-उतारते। जब उतारकर ले आऐ तो पहला कपड़ा कारण का, दूसरा सूक्ष्म का, तीसरा कपड़ा लिंग का और चैथा कपड़ा मनुष्य शरीर पांच तत्वों का-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इसके ऊपर यानी आँखों के ऊपर स्वर्ग लोक है, बैकुण्ठ लोक है। यह लिंग तत्व है स्थूल का नहीं यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश वहाँ नहीं हैं। दस इन्द्रियाँ, चतुष अन्तःकरण, बुद्धि, चित्त और अहंकार फिर तीन गुण- सतोगुण, राजगुण और तमोगुण इन सत्रह तत्वों का लिंग शरीर है और वह स्वर्ग-बैकुण्ठलोक है। इनके परे नौ तत्वों का शरीर शब्द,स्पर्श,रूप, रस, गंध फिर मन बुद्धि, चित्त और अहंकार का सूक्ष्म कपड़ा है। इसके बाद कारण कपड़ा पहनाया गया जो पांच तत्वों का है- शब्द,स्पर्श,रूप,रस और गंध। इसकी भी हदबंदी है। फिर इसके बाद जीवात्मा जो दोनों आँखों के बीचों बीच बैठी है जब कारण कपड़ा छोड़ दिया तो शब्द रूप हो जाती है। इतने कपड़ों में बांधकर ये जीवात्मा लाई गई। अब बिना महापुरूषों की दया के वापस अपने घर सतलोक नहीं जा सकती। आने-जाने वाला मिलना चाहिऐ जो इन कपड़ों को उतार चुका हो और जिसकी सुरत शब्द रूप हो गई हो वही इन जीवों को ले जा सकता है और कोई नहीं।