17 जून 2015

किसानों की आत्महत्या - राजीव दीक्षित

आपका एक share किसी किसान को आत्महत्या से बचा सकता है ।
मित्रो, इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि पूरे देश का पेट भरने वाला किसान खुद भूख से मरता है । आत्महत्या करता है । उसके घर की छत टपकती है । फिर भी वो बारिश का इंतजार करता है । हर वर्ष हमारे देश मे 70 हजार किसान आत्महत्या कर रहे हैं । लेकिन हमारे कृषि प्रधान देश में ऐसा क्यों हो रहा है ? और इसका समाधान क्या है ? इस पोस्ट के माध्यम से हम इस समस्या का मूल कारण और समाधान की बात करेंगे ।
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देश में किसानों की आत्महत्या के पीछे का सबसे कारण ये है कि प्रतिदिन उनकी खेती का खर्चा बढ़ता जा रहा है । और आमदनी कम होती जा रही है । जिससे किसान कर्जे में डूब रहा है । और आत्महत्या कर रहा है । खेती करने के लिए किसान अपने खेत रासायानिक खाद और कीटनाशक डाल रहा है ।
जिसको यूरिया, DAP, super phosphate कहते हैं । और कीटनाशकों को एंडोसल्फान, मेलाथ्यान आदि कहते हैं । तो ये विदेशी कंपनियों के कीटनाशक और रासायनिक खाद किसानों के बीच में सबसे ज्यादा खरीदे जाते हैं । और हर साल 4 लाख 80 हजार करोड़ रूपये ये कंपनियाँ हमारे देश के किसानों से लूटती हैं । 4 लाख 80 हजार करोड़ को 100 करोड़ की जनता में कैश बांटें । तो प्रति व्यक्ति 4800 रूपये आएंगें । सोचो कितनी बड़ी लूट होती है रासायनिक खाद और कीटनाशक से ।
राजीव भाई ने 12 साल कर्नाटक, महाराष्ट्र में हजारों किसानों के साथ काम किया । और उन किसानों ने राजीव भाई के कहने पर यूरिया DAP छोड़ कर गोबर का खाद डालना शुरू किया । और जिन किसानों के यूरिया DAP वाले खेत में पहले एक एकड़ में 20 से 25 मीट्रिक टन गन्ना होता था । आज उस किसान के खेत में एक एकड़ में 90 से 100 टन गन्ना होता है ।
जिन किसानों के यूरिया DAP वाले खेत में पहले एक एकड़ में 12 क्विंटल गेहूं होता था । आज उस किसान के खेत में गोबर की खाद डालने से एक एकड़ में 20 से 22 क्विंटल तक गेहूं होता है ।
जिस किसान के यूरिया DAP वाले खेत में पहले एक एकड़ में 3 क्विंटल कपास होती थी । आज उस किसान के खेत में गोबर की खाद डालने से एक एकड़ में 7 क्विंटल कपास होती है ।
ऐसे एक नहीं हजारों किसान हैं महाराष्ट्र में, कर्नाटक में । और थोड़ा आगे जाओ छत्तीसगढ़ में । जिन्होंने अपने खेतों में यूरिया DAP छोड़कर गोबर की खाद डालना शुरू किया । गोबर का खाद डालने से उत्पादन ज्यादा होता है यूरिया DAP की तुलना में ।
गोबर की खाद से क्यों उत्पादन ज्यादा होता है ? उसे जानना बहुत जरूरी है । ये बात आप समझ जाएं । भारत का हर किसान समझ जाए । पूरा भारत दुबारा खुशहाल हो जाएगा ।
गोबर की खाद जब हम खेत में डालते हैं तो होता क्या है ? दरअसल गोबर जो है । वो बहुत तरह के जीव जन्तुओं का भोजन है । और यूरिया भोजन नहीं जहर है । आपके खेत में एक जीव होता है । जिसे केंचुआ कहते हैं । केंचुआ को कभी पकड़ना । और उसके ऊपर थोड़ा यूरिया डाल देना । आप देखोगे । केंचुआ तङफना शुरू हो जाएगा । और तुरन्त मर जाएगा । जब हम टनों टन यूरिया खेत में डालते हैं । करोड़ों केंचुए मार डाले हमने । यूरिया डाल डाल के ।
केंचुआ करता क्या है ? केंचुए मिट्टी को नरम बनाते हैं । पोला बनाते हैं । उपजाऊ बनाते हैं । केंचुए का काम क्या है ? ऊपर से नीचे जाना । नीचे से ऊपर आना । पूरे दिन में तीन चार चक्कर वो ऊपर से नीचे । नीचे से ऊपर लगा देता है । अब जब केंचुआ नीचे जाता । तो एक रास्ता बनाते हुए जाता है । और जब फिर ऊपर आता है । तो फिर एक रास्ता बनाते हुए ऊपर आता है । तो इसका परिणाम ये होता है कि ये छोटे छोटे छिद्र जब केंचुआ तैयार कर देता है । तो बारिश का पानी एक एक बूंद इन छिद्रों से होते हुए तल में जमा हो जाता है ।
मतलब water recharging का काम पूरी दुनिया में कोई करता है । तो वो केंचुआ है । जो यूरिया के कारण मर जाता है । इसलिए यूरिया डालना मतलब किसान के लिए आत्महत्या करने के बराबर है । जिस किसान के खेत में यूरिया डलेगा । तो केंचुआ मर जाएगा । केंचुआ मर गया । तो मिट्टी में ऊपर नीचे कोई जाएगा नहीं । तो मिट्टी कठोर होती जाएगी । कड़क होती जाएगी । मिट्टी और रोटी के बारे एक बात कही जाती है कि इन्हें फेरते रहो । नहीं तो खत्म हो जाती है । रोटी को फेरना बंद किया । तो जल जाती है । मिट्टी को फेरना बंद करो । पत्थर जैसी हो जाती है ।
मिट्टी को फेरने का मतलब समझते हैं ? ऊपर की मिट्टी नीचे । नीचे की ऊपर । ऊपर की नीचे । नीचे की ऊपर । ये केंचुआ ही करता है । केंचुआ किसान का सबसे बड़ा दोस्त है । एक केंचुआ साल भर जिंदा रहे । तो एक वर्ष में 36 मीट्रिक टन मिट्टी को उलट पलट कर देता है । और उतनी ही मिट्टी को ट्रैक्टर से उलट पलट करना पड़े । तो सौ लीटर डीजल लग जाता है । 100 लीटर डीजल 4800 का है । मतलब एक केंचुआ एक किसान का 4800 रूपये बचा रहा है । ऐसे करोड़ों केंचुए हैं । सोचो कितना लाभ हो रहा है इस देश को ।
इसलिए गोबर खाद डालने से फायदा क्या होता है ? रासायनिक खाद डालो । केंचुआ मर जाता है । गोबर का खाद डालो । केंचुआ ज़िंदा हो जाता है । क्योंकि गोबर केंचुए का भोजन है । केंचुए को भोजन मिले । वह अपनी जनसंख्या बढ़ाता है । और इतनी तेज बढ़ाता है कि कोई नहीं बढ़ा सकता । भारत सरकार कहती है - हम दो हमारे दो । केंचुआ नहीं मानता इसको । एक एक केंचुआ 50-50 हजार बच्चे पैदा करके मरता है । एक प्रजाति का केंचुआ तो 1 लाख बच्चे पैदा करता है । तो वो एक ज़िंदा है । तो उसने एक लाख पैदा कर दिये । अब वो एक एक लाख आगे एक एक लाख पैदा करेंगे । करोड़ों केंचुए हो जाएंगे । अगर गोबर डालना शुरू किया ।
ज्यादा केंचुआ होंगे । तो ज्यादा मिट्टी उलट पलट होगी । तो फिर छिद्र भी ज्यादा होंगे । तो बारिश का सारा पानी मिट्टी में धरती में चला जाएगा । पानी मिट्टी में चला गया । तो फालतू पानी नदियों में नहीं जाएगा । नदियों में फालतू पानी नहीं गया । तो बाढ़ नहीं आएगी । तो समुद्र में फालतू पानी नहीं जाएगा । इस देश का करोड़ों करोड़ों रुपये का फायदा हो जाएगा । इसलिए आप किसानों को समझाओ कि - भाई गोबर की खाद डालो । एक ग्राम भी उत्पादन कम नहीं होगा ।
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लेकिन गोबर की खाद डालने का तरीका क्या है ? वो आप जान लो ।
अभी किसान क्या करता है । कचड़ा डालने वाले घूरे में गोबर जमा कर देता है । वो साल भर सूखता रहता है । उसकी पूरी ताकत निकल जाती है । वो कोई लाभ नहीं देता । तो गोबर को हमेशा गीला डालना चाहिए । ताजा डालना चाहिए । आप ये फार्मूला लिख लो । एक एकड़ खेत के हिसाब से ।
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जैविक खेती का एक आसान तरीका - जैविक खाद ( एक एकड़ खेत के लिए ) कैसे बनायें ?
एक प्लास्टिक के ड्रम में नीचे लिखी पाँच चीजों को आपस में मिला लें ।
10 किलो गोबर ( देशी गाय का, बैल का, या भैंस का )
10 लीटर मूत्र ( देशी गाय का, बैल का, या भैंस का )
1 किलो गुङ ( कैसा भी चलेगा । जो सड़ गया हो । आपके उपयोग का ना हो । तो वो ज्यादा अच्छा है )
अब इसमें 1 किलो पिसी हुई दाल या चोकर ( कैसा भी चलेगा । आपके उपयोग का ना हो । तो ज्यादा अच्छा )
और अंत मे डालनी है 1 किलो मिट्टी । किसी भी पुराने पेड़ के नीचे की पीपल, बरगद..( पीपल, बरगद के पेड़ 24 घंटे आक्सीजन छोड़ते हैं । जिससे जीवाणुओं की संख्या ज्यादा होगी । यही जीवाणु खेत को चाहिए । )
तो कुल 5 चीजें हो गईं ।
1) 10 किलो गोबर   2) 10 लीटर मूत्र   3) 1 किलो गुङ  4) 1 किलो दाल
5) 1 किलो मिट्टी
इन पांचों को आपस में मिला दो हाथ से या किसी डंडे से । मिलाने में तकलीफ आए । तो थोड़ा पानी डाल दो । पानी थोड़ा सा ही डालना है । अब इसे 15 दिन तक छाँव में रखो । पेड़ की छाँव के नीचे ज्यादा बढ़िया । धूप में बिलकुल मत रखना । और रोज सुबह शाम एक बार इसे मिला दो । 15 दिन बाद ये खाद बन कर तैयार हो जाएगी । इस खाद करोड़ो करोड़ों सूक्ष्म जीवाणु होंगे । वो हमने जो मिट्टी डाली ना । उसी के जीवाणु अपनी संख्या बढ़ाएँगे । जिस दिन मिट्टी डालकर रखा था । अगर उस दिन 1 लाख जीवाणु हैं । तो 15 दिन बाद इनकी संख्या 100 करोड़ को पार कर जाएगी ।
अब इस खाद ( जीवाणु घोल ) को खेत में डालना है । और डालने से पहले इसमें पानी मिलाना है । पानी कितना मिलाना है । जितना गोबर था । उसका 10 गुना पानी । 10 किलो गोबर था । तो 100 लीटर पानी । तो पानी मिलाने के बाद ये पूरा घोल तैयार हो जाता है । और इसे बस अब एक एकड़ के खेत में छिड़कना है । जैसे मिट्टी दबाने के लिए हम पानी छिड़कते हैं । वैसे छिड़कना है ।
आप इसे छिड़क देंगे । तो ये जीवाणु मिट्टी में मिल जाएंगे । और मिट्टी में सारा खेल खेलने का काम ये जीवाणु ही करते हैं । आपको पता है । ये जीवाणु क्या काम करते हैं ?
पौधे की जड़ को नाइट्रोजन चाहिए । तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते हैं ।
पौधे की जड़ को कैल्शियम चाहिए । तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते हैं ।
पौधे की जड़ को आयरन चाहिए । तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते हैं ।
अर्थात पौधे को जितने सूक्ष्म तत्व चाहिए । और पौधे के फल से होते हुए हमारे शरीर को भी चाहिए । तो ये जीवाणु ही उपलब्ध करवाते हैं । तो जिस पौधे को जीवाणु ज्यादा मिलेंगे । तो उसकी बढ़त ज्यादा होगी । बढ़त ज्यादा होगी । तो फल ज्यादा होगा । फल ज्यादा होगा । तो उत्पादन ज्यादा होगा ।
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अब समय लिख लो । इसको कितनी बार कैसे कैसे डालना है । सबसे अच्छा तरीका है कि बीज डालने से पहले जब आप खेत की जुताई करें । ठीक उसके अगले दिन डाल दीजिये । फिर बीज बो दीजिये । और बीज बोने के 21 दिन बाद फिर डाल दो । आप मोटी सी बात याद रखो । हर 21 दिन बाद डाल दो । मान लो एक फसल 4 महीने की है । तो 5 बार डालना पड़ेगा ।
इसको छिड़कने की कुल 4 विधि है ।
1) पहली ये कि सीधे डब्बा लो, भरो । और छिड़क दो । भरो और छिड़क दो ।
अब आप कहोगे - खेत बड़ा है तो क्या करें ?
तो दूसरा तरीका है । खेत में पानी लगाते हैं । तो पानी में डाल दो । नाली में से पानी जा रहा है । एक टंकी में इसको भरकर टोंटी खोल दो । टपक टपक पानी के साथ चला जाएगा ।
तीसरा तरीका ये है । अगर आपके पास जानवरों की संख्या ज्यादा है । तो गोबर ज्यादा होगा । थोड़ा गोबर तो खाद बनाने में काम आ गया । बाकी गोबर का क्या करोगे ? तो बाकी गोबर अगर सूखा हुआ है । तो उसे भी 15 दिन बाद 200 लीटर पानी के साथ इसी ड्रम में डाल दो । फिर उस गोबर के लड्डू बना लो । खेत में छिड़क दो ।
एक और तरीका है । खेत की मिट्टी खोद लो । मिट्टी में ये पूरा घोल मिला दो । मिट्टी गीली हो गई । इसके लड्डू बना खेत में छिड़क दो ।
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अब अगर जानवर घर के हैं । तो गोबर, गौमूत्र फोकट का । गुड़ वो लेना है । जो
बिलकुल सड़ा हुआ हो । जिसे जानवर भी ना खाये । पानी तो पहले से फोकट का है । कुछ दाल आदि लेने का खर्चा करना पड़ेगा । वो भी अगर किसान दाल की खेती करता है । तो वो भी मिल जाएगी । तो कुल मिलाकर खाद बनाने का खर्चा शून्य हो जाएगा । मेहनत लगेगी । लेकिन पूंजी में पैसा कम से कम खर्च होगा ।
और ये खाद जो तैयार होगी । उसमें जबर्दस्त क्वालिटी quality है । क्यों ? इसमें कैल्शियम भरपूर, आइरन भरपूर, मैग्नीशियम भरपूर, और ऐसे 18 पोषक तत्व हैं । जो मिट्टी को चाहिए वही । लेकिन यूरिया में नहीं हैं DAP में ये नहीं हैं । यूरिया में कैल्शियम नहीं है DAP में कैल्शियम नहीं है ।
कैल्शियम सबसे मुख्य आधार है मिट्टी के लिए । क्योंकि खेत में कैल्शियम होगा । तो पौधे में होगा । पौधे में होगा । तो फल में होगा । फल में होगा । तो हमारे भोजन में होगा ।
हमारे भोजन में होगा । तो शरीर में होगा । शरीर में होगा । तो हड्डियाँ मजबूत । हड्डियाँ मजबूत । तो शरीर मजबूत । तो ये सारा साइकल ( चक्र ) गोबर की खाद से ही मिलेगा । यूरिया DAP से तो मिलने वाला ही नहीं है । तो आप किसानों को ये समझाएँ कि गोबर का खाद डालें । भरपूर उत्पादन होगा । खर्चा शून्य आएगा । अगर पहले वर्ष थोड़ा उत्पादन कम भी हुआ । तो खाद में जो खर्चा शून्य हुआ । तो वो बराबर हिसाब बैठेगा । क्यों यूरिया की खाद के लिए हजारों हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं । और हर साल उत्पादन बढ़ता जाएगा । 10-12 साल बाद तो 100% की बढ़ोतरी हो जाती है । दोगुना लाभ । बस हमेशा एक बात याद रखें । जो गोबर लेना है । वो देशी गाय का ही होना चाहिए । विदेशी जर्सी गाय वाले से लाभ नहीं मिलेगा ।
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अब फसल को कभी कीड़ा लग जाए । तो उसका फार्मूला भी लिख लीजिये । वैसे फसल को कीड़ा यूरिया DAP से आदि डालने से ही ज्यादा लगता है ।
जैविक जंतु नाशक ( एक एकड़ खेत के लिए )
एक ड्रम में नीचे लिखी चीजों को मिलाकर उबालें ।
20 लीटर मूत्र ( गाय का, बैल का, या भैंस का )
2 से 3 किलो नीम के पत्ते या निम्बोली पीस कर मिलाएं ।
2 से 3 किलो सीताफल ( शरीफ़ा ) के पत्ते पीस कर मिलाएं ।
2 से 3 किलो आकड़ा ( आक, अकौवा, अर्क मदार ) के पत्ते को पीस कर मिलाएं ।
2 से 3 किलो धतूरे के पत्ते को पीस कर मिलाएं ।
2 से 3 किलो बेल पत्र के पत्ते को पीस कर मिलाएं ।
और इसमें खूब लाल तीखी मिर्च डाल दो 300-400 ग्राम । आधा किलो लहसुन डाल दो । और एक मोटी सी बात याद रखें । जिन जिन पत्तों को गाय नहीं खाते । और आपके गाँव में उपलब्ध हैं । वो सब इसमें डाल दो ।
अब इस घोल को 20 लीटर देशी गाय के मूत्र में डाल कर उबालें । खूब उबल जाये । तो इसे ठंडा करके छान लें । अब इसे बोतल में या किसी और बर्तन में रख लें ।
# अब जब भी इसका इस्तेमाल करना हो । तो इसमें 200 लीटर पानी मिलाकर किसी भी फसल पर छिड़कें ।
छिड़कने के दिन के अंदर सभी कीट मर जायेंगे । एक भी पैसे का खर्चा नहीं होगा । बाजार से कुछ नहीं लाना पड़ता ।
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तो मित्रो, ये फार्मूला अगर आप भारत के एक एक किसान तक पहुंचा दें । तो इस देश का 4 लाख 80 हजार करोड़ विदेश जाने से बच जाएगा । लाखों किसानों का उत्पादन खर्च कम हो जाएगा । उनकी आय बढ जाएगी । उनको कर्ज नहीं लेना पड़ेगा । लाखों किसान आत्महत्या करने से बच जाएंगे । और जहरीले चावल, गेहूं, चना, फल हम नहीं खाएँगे । तो हम गम्भीर बीमारियों से बचेंगे । लाखों करोड़ हर वर्ष जो दवा कंपनियाँ लूट रहीं हैं । वो बच जाएगा । इसलिए मित्रो, अधिक से अधिक इस zero budget farming फार्मूले को share करें ।
अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय । वन्देमातरम ।
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इस फार्मूले से खेती करने में कोई समस्या आए । तो इस नंबर पर संपर्क करें ।
अमित आनंद - 0 80900 12349  माधवराव - 0 98665 48278
सचिन शिंदे - 0 99224 19334
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