12 अक्टूबर 2011

जाये अहीर की छोकरियाँ छछिया भर छाछ को नाच नचावे

प्रसून का इंसाफ़ पर काफ़ी प्रतिक्रियायें प्राप्त हो चुकी हैं । ये पहली कहानी थी । जिस पर आप सभी लोगों ने एक स्पष्ट अंदाज में बता दिया कि - आप कैसी कहानी पसन्द करते हैं ? स्पष्ट कहूँगा । सभी ने कहा - बेकार लगी । और पहले की तरह ही आगृह किया कि मैं इस बात का बुरा न मानूँ ।
सबसे पहले तो मैं यही स्पष्ट कर दूँ । जो कि पहले भी कई बार कर चुका । मैं कभी भी किसी की बात का कैसा भी बुरा नहीं मानता । अतः आप लोग ये बात सोचा ही न करें । इसके साथ ही ये भी बता दूँ कि मैं एक नई कहानी पर कार्य कर रहा हूँ । जिसके ये लेख लिखने तक 3 पार्ट लिखे जा चुके हैं । और अब तेजी से लिखने का इरादा है । 7 sept 2011 को मैंने प्रसून का इंसाफ़ के 3 पार्ट लिख लिये थे । और अगले 8 दिन में उसे पूरा कर पोस्ट करने वाला ही था । तभी 8 sept 2011 को सुरिन्दर जी की डैथ की सूचना प्राप्त हो गयी । और मन कुछ दिनों के लिये डिस्टर्ब सा हो गया । फ़िर जैसे तैसे उसको पूरा किया । मन नहीं लगा । तो

अन्य प्रकार का लेखन किया ।
खैर..इसके भी अलावा 15 aug 2011 से घर में ही 2 मौतों के बाद अब तक मेरी जिन्दगी में एक हलचल सी मची हुयी है । जो शान्त संयत और स्थिर मता होने के बाद भी कहीं न कहीं प्रभावित करती है । दिल फ़िर से कहीं शान्त गुफ़ाओं में लौट जाने को करता है ।
- यहाँ तक लिखने के बाद ये लेख बीच में ही छूट गया । अब आगे -
कहाँ हो गये बहुत दिन - 20 sept को प्रसून का इंसाफ़ पोस्ट हुयी थी । इसके बाद स्पष्ट और बेबाक शब्दों में नयी कहानी को बहुत सेक्सी लिखने का आगृह किया गया । mc donald के चिकन बर्गर की तरह हाट चिली एण्ड स्पायसी । इसके साथ कहानी को 21 पार्ट में ही लिखने की जबरदस्त धमकी थी । बात  न मानने पर मेरा रेप करने की धमकी अलग से थी । इससे भी मैं न डरूँ । तो वो ही काट डालने की धमकी थी । जिससे मेल फ़ीमेल का अन्तर पता चलता है । सच कह रहा हूँ । इसमें 1 भी बात असत्य या मजाक नहीं है । बल्कि बहुत संक्षिप्त में मैंने मेन बात बतायी है । और ये धमकी लेडी डान (s) की  तरफ़ से थी ।
अब बताईये । कितने डेंजरस है । मेरे रीडर्स ?

वजह और भी थी - up west में अभी पिछले दिनों लगभग 10 दिनों तक सर्वर सही काम नहीं कर रहा था । और ये समय 21 sept to 3 sept तक का रहा । मैंने सोचा । मेरा कनेक्शन ही सही काम नहीं कर रहा । तब दूसरी कंपनी का नया कनेक्शन लिया । तब पता चला । खराबी सर्वर से थी । फ़िर से पुराना कनेक्शन ही रिचार्ज कराया । टेंशन का अन्दाजा लगाईये । नेट से सम्पर्क बहुत मुश्किल से बहुत कम हो पाता था ।
विधुत कटौती - आगरा में पिछले 2 year बिजली का आधा काम प्राइवेट कंपनी टोरन्ट पावर के हाथ में है । बेहतर सर्विस हेतु कम्पनी तारों और खम्बों का नवीनीकरण करती रहती है । जिससे बिजली काट दी जाती है । अभी Date 9 and 11 and 13 sept को यानी आज भी अखबार के अनुसार बिजली कटी रहेगी । सोचिये भाई ! फ़िर इसमें मेरी क्या गलती है । आपको नहीं कह रहा । धमकी देने वालों से कह रहा हूँ । उम्मीद है । आगे सब सही ही होगा । वो है तो जहान है । वरना फ़िर जीने का क्या काम है ।

आसान नहीं होता कहानी लिखना - मैं बता चुका हूँ । लेख लिखने की तुलना में कहानी लिखना बेहद कठिन है । कहानी का फ़्लो फ़िर से बनाने पकङने हेतु लिखने से पहले अपने ही लिखे लास्ट 2 पार्ट फ़िर से पढने होते है । तब आगे बहाव बनता है । दूसरे ध्यान अवस्था से बाहर आने के बाद न कोई कहानी पता  रहती है । न और कुछ । शब्द तक नहीं समझ आते । कौन प्रसून ? कैसा प्रसून ? भाङ में जाये । बङी मुश्किल से शब्द शून्यता 0 से विचार संसार में वापिसी होती है । लेख के मामले में ऐसा नहीं है । कहीं से कोई प्वाइंट उठाया । और की बोर्ड पर खटर पटर चटर पटर शुरू हो गयी ।
चैट चैंट ( छेङना ) चटर पटर - आगे कभी अपने इस अनुभव पर भी लिखूंगा । 15 aug से अब तक कुछ ऐसा माहौल बन गया कि ब्लाग पर ans देने के बजाय व्यक्तिगत उत्तर मेल पर देने पङे । बहुत लोग नहीं चाहते कि उनके बारे में बात सार्वजनिक हो । इसमें भी समय लगता है । हालांकि हानि लाभ पुण्य पाप जैसे बिन्दुओं से मैं 2 साल पहले ही उठ चुका हूँ । और अब मेरा कोई कर्तव्य नहीं रह गया । पर जैसा कि मैंने पहले भी बताया । एक जीव को पूर्ण रूपेण चेताने का पुण्य इस प्रथ्वी के शहंशाह होने के बराबर फ़ल देता है । शहंशाह उसे कहते हैं । जिसके अधीन छोटे बङे सभी राजा होते हैं । मेरे द्वारा लगभग 500 जीव चेत चुके हैं । पर मैंने कहा । अब मैं इस नियम से भी ऊपर उठ गया हूँ ।
पर आंतरिक सरंचना में सन्तत्व भावना प्रबल हो जाने से मुझे अब भी किसी जीव को सन्मार्गी करने चेताने जागृत करने में बहुत सुख सा मिलता है । इसलिये अपनी खुशी के लिये मैं ये सब करता हूँ ।

इस कङी में सत्य की तलाश में भटक रहे । और विभिन्न समस्याओं से जुङे लोग देश विदेश से एक एक घण्टे तक फ़ोन पर बात करते हैं । स्मरण रहे । मेरे पास सांसारिक कार्यों के लिये सिर्फ़ 7 घण्टे ही होते हैं । सुबह 7 से 10:30 और शाम को 3 से 7 बजे तक लगभग । यदि इस टाइम में लाइट या अन्य कोई डिस्टर्ब आ जाये । तो लिखना चौपट ।
लाइन पर मारने वाले - अब कुछ लोगों को पता चल गया है । मैं किस टाइम आनलाइन होता हूँ । वे मेरे मेसेंजर की फ़्रेंड लिस्ट में एड हो चुके हैं । इसलिये मैं अपने नेटी वर्क को देख रहा होता हूँ । और उधर मेरे लेप टाप की रिंग.. डिंग डिंग डिंग..डिंग डिंग डिंग..होने लगती है । जाये अहीर की छोकरियाँ छछिया भर छाछ को नाच नचावे ( कृष्ण को गोपियाँ थोङे से मक्खन का लालच देकर उनका मनमोहक नृत्य देखती थीं । ) सोचिये खुद बृह्म प्रेम के वशीभूत होकर नाचता था ।
पर मुझे तो छछिया भर छाछ भी नहीं है । मैं टायप करता हूँ - प्लीज ! अभी थोङा बिजी हूँ । बाद में बात करते हैं ।
तब उधर से - बैठो चुपचाप से । जब तक मैं न बोलूँ । जा नहीं सकते । नहीं तो....?? etc समझदार को इशारा काफ़ी होता है । अब आप लाइन पर मारने वाले का मतलब समझ गये होंगे । बातें और भी हैं । पर वे सब स्टोरी हो जाने के बाद । स्टोरी कल से लाइट पोजीशन सही आ जाने पर 17 तक हो जाये ।

1 टिप्पणी:

Rakesh kumar yadav ने कहा…

Rajeev ji pranam,apka blog padhna achchha lagta hai,apki kahaniyo mein romanch ke sath sath bahoot mahatvapoorn sandesh bhi hota hai,ek bramhgyani dvara mordern style me divyagyan ke rahasyon ki jankari,aur adhyatm ki batein se logo ko jeevan ke vastvik marg par chalne ke liye aap prerit bhi karte hai,iske liye apko barambar pranam.