06 अक्टूबर 2012

21 लोगों को 1 दिन में फांसी जिनमें 3 महिलायें


लो जी ! राष्ट्रीय जीजाजी ? की अकूत सम्पति का खुलासा होते ही सरकार ने गैस टंकी के रेट और बढा दिये । अब मध्यम वर्गीय परिवारों का टूटना तय है । गैस सिलेंडर के मूल्य वृद्धि से बाल विवाह को बढ़ावा मिलेगा । मै सोच रहा हूँ । देव उठनी के बाद बेटे की शादी कर ही दूँ । जिससे बेटे या बहु के नाम से 1 गैस सिलेंडर का कनेक्शन और मिल जायेगा । चिरंजीव उदय के विवाह के लिए मध्य प्रदेश में कोई अच्छा सा रिश्ता हो तो बताएं । मध्य प्रदेश के सिंचाई । लोक निर्माण । राजस्व विभाग के चपरासी की बेटी को प्राथमिकता दी जाएगी । क्योंकि छापे में मध्य प्रदेश के चपरासी के यहाँ भी 10-20 करोड़ की सम्पति मिल ही जाती है । ललित शर्मा ब्लागर । फ़ेसबुक पेज पर ।
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1 ही दिन में काटे गए 21 आंतकवादियों के चलान - 1 हमारा देश है । जहाँ आंतकवादियों को कांग्रेस गोद में बैठाकर दूध पिलाती है । और 1 ये मुल्क है । जहाँ मुस्लिम्स आंतकवादियों को खुद 1 इस्लामिक देश यूँ सरे आम आंतकवाद में लिप्त होने पर अपने नागरिकों को ऐसे खुले आम फांसी देता है । बगदाद इराक में आतंकवाद से जुडे आरोपों में सजा पाये 21 लोगों को 1 ही दिन में फांसी पर लटका दिया । जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं । इसके साथ ही इस वर्ष अब तक 91 लोगों को फांसी पर लटका दिया गया है । संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की प्रमुख 

नवी पिल्लै की ओर से इराक में मौत की सजा पर प्रतिबंध लगाने के आग्रह के बावजूद देश में 1 ही दिन में इतनी बडी संख्या में लोगों को फांसी की सजा दे दी गयी । न्याय मंत्रालय के अधिकारी हैदर अल सादी ने आज जारी 1 बयान में कहा कि मंत्रालय ने आतंकवाद से जुडे अपराधों में दोषी पाये गये 21 लोगों को कल सुबह फांसी की सजा दी । जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं । देश में इस वर्ष बडी संख्या में 1 साथ कई लोगो को फांसी की सजा दी गयी है । 7 FEB को 14 तथा 31 JAN को 17 लोगों को यह सजा दी गयी । सुश्री पिल्लै ने इस वर्ष की शुरूआत में इतनी बडी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारे जाने पर स्तब्धता व्यक्त की थी । उन्होंने न्यायालय की कार्यवाही में पारदर्शिता की कमी की आलोचना करते हुए मौत

की सजा को तत्काल स्थगित किये जाने का आग्रह किया था । उन्होंने जनवरी में कहा था - यदि इन मामलों की सुनवाई में पारदर्शिता बरती भी गयी हो । तो भी 1 ही दिन में इतनी बडी संख्या में लोगों को फांसी की सजा दिया जाना खौफनाक है ।
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नालंदा विश्वविद्यालय -  यहाँ 10 000 छात्रों को पढ़ाने के लिये  2 000 शिक्षक थे । प्रसिद्ध चीनी यात्री हवेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्वपूर्ण 1 वर्ष 1 विद्यार्थी और 1 शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था । इस विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक कुमार गुप्त प्रथम 450-470 को प्राप्त है । इस विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं । बल्कि - कोरिया । जापान । चीन । तिब्बत । इंडोनेशिया । फारस तथा तुर्की से भी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे । नालंदा के विशिष्ट शिक्षा प्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे । इस विश्वविद्यालय की 9वीं शती से 12वीं शती तक अंतरर्राष्ट्रीय ख्याति रही थी । अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अदभुत नमूना था । इसका पूरा परिसर 1 विशाल दीवार से घिरा हुआ था । जिसमें प्रवेश के लिए 1 मुख्य द्वार था 

। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी । और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे । मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित थीं । केन्द्रीय विद्यालय में 7 बड़े कक्ष थे । और इसके अलावा 300 अन्य कमरे थे । इनमें व्याख्यान हुआ करते थे । अभी तक खुदाई में 13 मठ मिले हैं । मठ 1 से अधिक मंजिल के होते थे । कमरे में सोने के लिए पत्थर की चौकी होती थी । दीपक पुस्तक इत्यादि रखने के लिए आले बने हुए थे । प्रत्येक मठ के आँगन में 1 कुआँ बना था । 8 विशाल भवन । दस मंदिर । अनेक प्रार्थना कक्ष । तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी । समस्त विश्वविद्यालय का प्रबंध कुलपति या प्रमुख आचार्य करते थे । जो

भिक्षुओं द्वारा निर्वाचित होते थे । कुलपति 2 परामर्शदात्री समितियों के परामर्श से सारा प्रबंध करते थे । प्रथम समिति शिक्षा तथा पाठयकृम संबंधी कार्य देखती थी । और द्वितीय समिति सारे विश्वविद्यालय की आर्थिक व्यवस्था तथा प्रशासन की देखभाल करती थी । विश्वविद्यालय को दान में मिले 200 गाँवों से प्राप्त उपज और आय की देख रेख यही समिति करती थी । इसी से सहस्त्रों विद्यार्थियों के भोजन । कपड़े तथा आवास का प्रबंध होता था । इस विश्वविद्यालय में 3 श्रेणियों के आचार्य थे । जो अपनी योग्यतानुसार प्रथम द्वितीय और तृतीय श्रेणी में आते थे । नालंदा के प्रसिद्ध आचार्यों में - शीलभद्र । धर्मपाल । चंद्रपाल । गुण मति और स्थिर मति प्रमुख थे । प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ आर्यभट भी इस विश्वविद्यालय के प्रमुख रहे थे । प्रवेश परीक्षा अत्यंत कठिन होती थी । और उसके कारण प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे । शुद्ध आचरण और संघ के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक था । संस्कृत में नालंदा का अर्थ होता है - ज्ञान देने वाला ( नालम = कमल । जो ज्ञान का प्रतीक है । दा = देना ) बुद्ध

अपने जीवनकाल में कई बार नालंदा आए । और लंबे समय तक ठहरे । जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान महावीर क निर्वाण भी नालंदा में ही पावापुरी नामक स्थान पर हुआ । 1199 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इसे जला कर पूर्णतः नष्ट कर दिया । जब वह नालंदा पहुंचा । तो उसने नालंदा विश्वविद्यालय के शिक्षकों से पूछा कि - यहाँ पवित्र ग्रन्थ कुरआन ? है । या नहीं ? जवाब नहीं में मिलने पर उसने नालंदा विश्वविद्यालय को तहस नहस कर दिया । और पुस्तकालय में आग लगा दी । इरानी विद्वान मिन्हाज लिखता है कि - कई विद्वान शिक्षकों को ज़िन्दा जला दिया गया । और कईयों के सर काट लिये गए । यहाँ के पुस्तकालय में इतनी किताबें थी कि - आग 6 महीने तक जलती रही । अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों के नष्ट हो जाने से भारत आने वाले समय में विज्ञान । खगोल शास्त्र । चिकित्सा और गणित जैसे क्षेत्रों मे पिछड़ गया ।
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LAPTOP USERS BE AWARE - A couple lost their 25 year old son in a fire at home on June 4th. The son who had graduated with MBA from the University of Wisconsin-Madison two weeks earlier had come home for a while. He had lunch with his dad at home and decided to go back to clean up his hostel room. His father told him to wait, to meet his mother, before he went back for a few days. He decided to take a nap while waiting for his mom to come back home from work. Some time later their neighbors called 911 when they saw black smoke coming out of the house. Unfortunately, the 

25 years old died in the three year old house. It took several days of investigation to find out the cause of the fire. It was determined that the fire was caused by the laptop resting on the bed. When the laptop was on the bed cooling fan did not get the air to cool the computer and that is what caused the fire. He did not even wake up to get out of the bed because he died of br
eathing in carbon monoxide. The reason I am writing this to all of you is that I have seen many of us and also our brothers & sisters sons & daughters friends & family using the laptop while in bed. Let us all decide and make it a practice not to do that. The risk is real. Let us make it a rule not to use the laptop on bed with blankets and pillows around. Please educate as many people as you can.

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