श्रीमान जी को सत सत वन्दन । मैं जानना चाहता हूँ कि क्या आप किन्ही ऐसे महान जीवित आत्मा के बारे में बता सकते हैं । जो इस विध्या में प्रयोग में आने वाले पदार्थों की सही प्राप्ति स्थानों के बारे में बता सकें । " सोना बनाने के रहस्यमय नुस्खे 3 " पर एक टिप्पणी । द्वारा - सिद्धार्थ ।
- सिद्धार्थ जी ! संभवतः कृतिम सोना बनाने के उन पदार्थों के नामों से आपने उन्हें अति दुर्लभ पदार्थ समझ लिया है । जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हैं । ये सभी पदार्थ मार्केट में सहज उपलब्ध हैं । इस क्षेत्र में शोध और खोजबीन करने से आप उन्हें शुद्धता की दृष्टि से उनकी जङ यानी प्राप्ति स्थानों से मूल रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं । जैसा कि मैंने लेख में लिखा भी है कि - बस ये इनके प्राचीन
और संस्कृत भाषा में नाम हैं । अभी इनके नाम दूसरे रूपों में कई हो सकते हैं । इनमें ज्यादातर रसायन हैं । कच्ची धातुयें हैं । और वृक्ष जङी बूटियों से प्राप्त दृव्य आदि हैं । ये शोध करना भी कोई कठिन नहीं हैं । आप किसी अच्छी लाइब्रेरी के सदस्य बन जाईये । और फ़िर उसमें प्राचीन गृन्थों का अध्ययन कीजिये । जिनमें रसायन विध्या का ज्ञान हो । धातु विध्या का ज्ञान हो । सोना आदि अन्य महत्वपूर्ण चीजें इसी रसायन विध्या के अन्तर्गत आती हैं ।
इसके अतिरिक्त बहुत से प्रकाशन प्राचीन दुर्लभ ग्रन्थ प्रकाशित करते हैं । आप उन्हें पत्र लिखकर सूची मँगाकर
अपनी वांछित पुस्तकों का चयन कर सकते हैं । और डाक द्वारा अग्रिम मूल्य भेजकर आसानी से मंगा सकते हैं । इंटरनेट पर खोजने से भी ऐसी पुस्तकों और प्रकाशनों के बारे में जानकारी मिल सकती है ।
दूसरे इस क्षेत्र में सफ़लता पाने के लिये आपको सुनारगीरी की ठोस जानकारी होना अति आवश्यक है । इनमें से बहुत सी चीजें तो सुनारों को ही मालूम रहती हैं । दूसरे आप शीशा तांवा रांगा पारा आदि धातुओं को कैसे मिलाते हैं । ये भी जान सकेंगे ।
दूसरे इन नामों को लेकर आप परेशानी अनुभव कर रहे हैं । तो हिन्दी शब्दकोश । संस्कृत शब्दकोश । रसायन शब्दावली । धातु ज्ञान शब्दावली से संबन्धित पुस्तकें निश्चय ही आपकी परेशानियाँ दूर कर देंगी । बाकी आपने इस ज्ञान को जानने वाले किसी महान आत्मा के बारे में पूछा है । वो क्यों कर आपकी सहायता करेगा ? ऐसे लोगों के पास हजार लोग रोज मिन्नत करते हुये आते हैं । दुखङा सुनाते हैं । कौन है । जो दुखी नहीं है । कौन है । जो शार्टकट से धनी होकर सुखी नहीं होना चाहता । फ़िर आप में ऐसा क्या खास है ? जो वो आपको हाथों हाथ लेगा । ऐसी हस्तियाँ बङी मेहनत से यहाँ तक पहुँचती हैं । अतः वे उसका मूल्य समझती हैं । ये सब गुप्त मैटर होता है । वे अपना फ़ार्मूला क्यों किसी को बताने लगे । फ़ार एग्जाम्पल ! चलिये मैं आपसे कहता हूँ । रामपुर में
विध्यानिवास इसके जानकार हैं । अब आप मुझे कुछ प्वाइंट ऐसे बताईये । जिससे आप उनसे लाभ प्राप्त कर सकेंगे । अगर आपके प्वाइंट दमदार हुये । तो निश्चय ही मैं आपको सही ठीये पर पहुँचा दूँगा । अब कामन रूप से उत्तर नीचे भी देखें ।
2 - श्रीमान राजीव जी ! आपके ब्लॉग पर यक्षिणी के बारे में जानकारी मिली थी । मुझे भी एक यक्षिणी दिलवा दो । मुझे उसकी बहुत जरुरत है । कृपया मुझे बताये कि वो कैसे मिलेगी ? भूपेन्द्र । ई मेल से ।
देखिये भूपेन्द्र जी ! हमारे मण्डल में सिर्फ़ आत्मज्ञान की हँसदीक्षा ही होती है । लेकिन फ़िर भी यक्षिणी टायप सिद्धि के लिये इंसान को पहले भी थोङी मान्त्रिक पूजा का अनुभव होना चाहिये । सच्चे साधुओं की संगति और शंकर आदि देवता की दिव्य उपासना का ज्ञान । तब
ऐसी सिद्धियाँ सफ़ल होती हैं । दूसरे ये सीधे सीधे नहीं होती । इनका सिद्ध गुरु होना चाहिये । क्योंकि ऐसी लालच वाली साधनायें सफ़ल कम और विपरीत परिणाम अधिक देती हैं । अतः मैं आपको अपनी तरफ़ से इनसे दूर ही रहने को कहूँगा । क्योंकि यह सब साधारण इंसानों के लिये नहीं हैं । ऐसी साधनाओं से पहले तन्त्र मन्त्र का फ़ंडामेंटल कोर्स आवश्यक होता है । हाँ हँस दीक्षा में इससे भी बेहतर एक नव निधि अष्ट सिद्धि साधना लय योग में बनती है । उसमें इससे कई गुना प्राप्त होता है । और उसमें खतरा भी नहीं । करना भी बहुत आसान । बाकी आपको साधनाओं के बारे में क्या नालेज है । इस पर निर्भर है ।
*********
मेरे पास अक्सर ही ऐसे मेल और फ़ोन काल आते हैं । जिनमें इंसान जिन्दगी में बुरी तरह असफ़ल होकर आत्महत्या करने की स्थिति में पहुँच चुका होता है । और तुरन्त एक चमत्कार जैसी सहायता अपेक्षा मुझसे चाहता है । तब सबसे पहली बात तो यही है कि - मैं आपकी कोई भी सहायता क्यों करूँ ? जबकि आप सहायता के किसी भी नियम में नहीं आते ।
फ़िर भी मैं उनसे कह देता हूँ । चलिये आप आगरा आ जाईये । फ़िर बात करते हैं । तब उनका कहना होता है । हम आगरा भी आने की स्थिति में नहीं हैं । आप दिल्ली बिहार गुजरात महाराष्ट्र अमेरिका दुबई..( जहाँ का भी रहने वाला हो ) आदि की तरफ़ नहीं आते । आप ही आ जाईये ना । अब देखिये । कितनी मजे की बात है । मरने की ठाने बैठा इंसान यहाँ भी
शार्टकट चाहता है । इनका तो शायद भगवान भी भला नहीं कर सकता । मुझे एक जिन्न वाधा पीङित हालिया विधवा युवा लेडी 35 के फ़ोन की याद है । जिसका पूरा परिवार ही जिन्न से प्रभावित था । और उसके अनुसार उसके परिवार में कई रहस्यमय मौतें हो चुकी थीं । और अब सिर्फ़ चार लोग ही बचे थे । मैंने कहा - आप आगरा आ जाईये । एक सेक्सी हँसी...और उसके बाद - आप कभी ( शहर का नाम ) नहीं आते क्या ? मैंने मन में सोचा । अभी नेक्स्ट टाइम की फ़र्स्ट फ़्लायट भी बुक होती । तो फ़ौरन केंसिल करवा देता ।
खैर ..मैंने कहा । वो जिन्न आपसे क्या चाहता है ? मतलब उसका बिहेव क्या है ? साउथ की सेक्सी हीरोईन सिल्क स्मिता भी फ़ेल हो जाये । ऐसी हँसी और सेक्सी आवाज - वो मुझसे शादी करना चाहता है ? कहता है - तुझे छोङूँगा नहीं । अपनी बनाकर ही मानूँगा ।
अब मजे की बात यह थी कि इस chat में दूसरी तरफ़ से भय की फ़ीलिंग कहीं नहीं थी । बल्कि लग रहा था कि बङे अरमानों से वेट हो रहा हो । कब शादी हो । और कब भूतिया हनीमून । और मुझे सिर्फ़ शादी में इनवाइट किया जा रहा हो । फ़िर मैं कौन सा कम हूँ । मैं भी मजा लेता हूँ ।
अब आ जाईये । यक्षिणी की बात पर । एक यक्षिणी ने मुझसे शिकायत की - ये आप कैसे कैसे आदमियों को यक्षिणी सिद्ध करवा देते हो । वो तुम्हारा विनोद त्रिपाठी । दो मिनट में ही धराशायी हो जाता है । उससे बोलो । दोबारा दण्ड वण्ड पेले । तब मेरे को काल करे । आगे से ऐसे बांगङू को मत भेजना । अब आप त्रिपाठी जी के गायब होने का रहस्य समझ गये होंगे ।
जीवन में किसी प्रकार की आवश्यकता हो । या भोग विलास हो । इसकी चाहत किसे नहीं होती । सभी राजा बनना चाहते हैं । पर इसके लिये पात्रता होनी कितनी आवश्यक है । इस तरफ़ किसी का ध्यान नहीं जाता । एक बेहद गरीब अनपढ गन्दे आदमी को instant राजा बना दिया जाय । तो क्या वो एक दिन भी राज चला सकता है ? निश्चित ही बिना पात्रता के एक घण्टा भी नहीं । शार्टकट की बात पूरी खामख्याली ही है । बहुत जल्दी उगने वाली सरसों भी हथेली पर नहीं उगायी जा सकती । एक फ़लते फ़ूलते वृक्ष को देखकर अन्दाज लगाईये । ये कितने समय और कितनी स्थितियों परिस्थितियों के बाद फ़ला फ़ूला है ।
द्वैत पर मेरे लेखों को देखकर कई लोगों ने ऐसे कामना से भरे मेल भेजे । जो ऐसी किसी यक्षिणी वगैरह को शीघ्र हासिल करना चाहते थे । मेरी उन्हें यही राय है । आप यक्षिणी को बाद में ट्राइ करना । पहले सामान्य हस्तिनी शंखिनी वर्ग की अतृप्त स्त्रियाँ जो मुक्त और उन्मुक्त भोग की अभिलाषी हैं । और जिनकी समाज में भरमार है । और वे फ़्री स्टायल ऐसों की खोज में ही है । आप इनसे परिचय कर अपनी क्षमता का आँकलन करिये । क्या आप वाकई पौरुषत्व क्षमता वाले हैं । या सिर्फ़ आप कल्पना में जीते हैं । मन की अभिलाषा अलग चीज है । और शरीर की काम क्षमता अलग । मन की कामेच्छा का क्या कहना । ये कब्र में पैर लटकाये बूङों की भी आपसे ज्यादा जवान और उमंग युक्त होती है । पर उन्हें यदि उफ़नती तरुणी उपलब्ध करा दी जाये । तो वे ठीक से उसे आलिंगित भी कर पायेंगे ?
एक साधारण लङका लङकी की शादी हेतु भी कितनी तैयारियाँ उबटन । श्रंगार । तन्त्र ( विवाह विधि ) मन्त्र ( वैवाहिक पूजा ) रीति रिवाज ( नियम ) अपनाये जाते हैं । तब एक लम्बी प्रकिया के बाद उन्हें दो मिनट ( पुरुष की काम क्षमता ) की सुहागरात हासिल होती है ।
और ये एक कङबा सच है कि अधिकांश अपनी पूर्व कल्पना से पहले ही इतना आवेशित हो चुके होते हैं कि परदा उठने से पहले ही नाटक खत्म हो जाता है । और पराजित हुये योद्धा के समान उसमें दोबारा शस्त्र उठाने की हिम्मत नहीं होती । या कहिये । ऐन युद्धभूमि में शस्त्र ही दगा दे जाता है ।
जब एक साधारण लङकी जो कामकला में अभी प्रवीण नहीं है । आप उसके भी सही पात्र नहीं हैं । तो फ़िर योग स्त्रियाँ तो विलक्षण होती हैं । वास्तव में उनकी एक मादक अंगङाई और कटाक्ष ही आपको पिघली बर्फ़ की तरह बहा देगा । तब सोचिये । आपकी स्थिति क्या होगी ??
- ध्यान रहे । ये उत्तर सामूहिक रूप से इस विषय पर लेख है । इसे व्यक्तिगत उत्तर न समझें । किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरा उद्देश्य नहीं हैं ।
- सिद्धार्थ जी ! संभवतः कृतिम सोना बनाने के उन पदार्थों के नामों से आपने उन्हें अति दुर्लभ पदार्थ समझ लिया है । जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हैं । ये सभी पदार्थ मार्केट में सहज उपलब्ध हैं । इस क्षेत्र में शोध और खोजबीन करने से आप उन्हें शुद्धता की दृष्टि से उनकी जङ यानी प्राप्ति स्थानों से मूल रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं । जैसा कि मैंने लेख में लिखा भी है कि - बस ये इनके प्राचीन
और संस्कृत भाषा में नाम हैं । अभी इनके नाम दूसरे रूपों में कई हो सकते हैं । इनमें ज्यादातर रसायन हैं । कच्ची धातुयें हैं । और वृक्ष जङी बूटियों से प्राप्त दृव्य आदि हैं । ये शोध करना भी कोई कठिन नहीं हैं । आप किसी अच्छी लाइब्रेरी के सदस्य बन जाईये । और फ़िर उसमें प्राचीन गृन्थों का अध्ययन कीजिये । जिनमें रसायन विध्या का ज्ञान हो । धातु विध्या का ज्ञान हो । सोना आदि अन्य महत्वपूर्ण चीजें इसी रसायन विध्या के अन्तर्गत आती हैं ।
इसके अतिरिक्त बहुत से प्रकाशन प्राचीन दुर्लभ ग्रन्थ प्रकाशित करते हैं । आप उन्हें पत्र लिखकर सूची मँगाकर
अपनी वांछित पुस्तकों का चयन कर सकते हैं । और डाक द्वारा अग्रिम मूल्य भेजकर आसानी से मंगा सकते हैं । इंटरनेट पर खोजने से भी ऐसी पुस्तकों और प्रकाशनों के बारे में जानकारी मिल सकती है ।
दूसरे इस क्षेत्र में सफ़लता पाने के लिये आपको सुनारगीरी की ठोस जानकारी होना अति आवश्यक है । इनमें से बहुत सी चीजें तो सुनारों को ही मालूम रहती हैं । दूसरे आप शीशा तांवा रांगा पारा आदि धातुओं को कैसे मिलाते हैं । ये भी जान सकेंगे ।
दूसरे इन नामों को लेकर आप परेशानी अनुभव कर रहे हैं । तो हिन्दी शब्दकोश । संस्कृत शब्दकोश । रसायन शब्दावली । धातु ज्ञान शब्दावली से संबन्धित पुस्तकें निश्चय ही आपकी परेशानियाँ दूर कर देंगी । बाकी आपने इस ज्ञान को जानने वाले किसी महान आत्मा के बारे में पूछा है । वो क्यों कर आपकी सहायता करेगा ? ऐसे लोगों के पास हजार लोग रोज मिन्नत करते हुये आते हैं । दुखङा सुनाते हैं । कौन है । जो दुखी नहीं है । कौन है । जो शार्टकट से धनी होकर सुखी नहीं होना चाहता । फ़िर आप में ऐसा क्या खास है ? जो वो आपको हाथों हाथ लेगा । ऐसी हस्तियाँ बङी मेहनत से यहाँ तक पहुँचती हैं । अतः वे उसका मूल्य समझती हैं । ये सब गुप्त मैटर होता है । वे अपना फ़ार्मूला क्यों किसी को बताने लगे । फ़ार एग्जाम्पल ! चलिये मैं आपसे कहता हूँ । रामपुर में
विध्यानिवास इसके जानकार हैं । अब आप मुझे कुछ प्वाइंट ऐसे बताईये । जिससे आप उनसे लाभ प्राप्त कर सकेंगे । अगर आपके प्वाइंट दमदार हुये । तो निश्चय ही मैं आपको सही ठीये पर पहुँचा दूँगा । अब कामन रूप से उत्तर नीचे भी देखें ।
2 - श्रीमान राजीव जी ! आपके ब्लॉग पर यक्षिणी के बारे में जानकारी मिली थी । मुझे भी एक यक्षिणी दिलवा दो । मुझे उसकी बहुत जरुरत है । कृपया मुझे बताये कि वो कैसे मिलेगी ? भूपेन्द्र । ई मेल से ।
देखिये भूपेन्द्र जी ! हमारे मण्डल में सिर्फ़ आत्मज्ञान की हँसदीक्षा ही होती है । लेकिन फ़िर भी यक्षिणी टायप सिद्धि के लिये इंसान को पहले भी थोङी मान्त्रिक पूजा का अनुभव होना चाहिये । सच्चे साधुओं की संगति और शंकर आदि देवता की दिव्य उपासना का ज्ञान । तब
ऐसी सिद्धियाँ सफ़ल होती हैं । दूसरे ये सीधे सीधे नहीं होती । इनका सिद्ध गुरु होना चाहिये । क्योंकि ऐसी लालच वाली साधनायें सफ़ल कम और विपरीत परिणाम अधिक देती हैं । अतः मैं आपको अपनी तरफ़ से इनसे दूर ही रहने को कहूँगा । क्योंकि यह सब साधारण इंसानों के लिये नहीं हैं । ऐसी साधनाओं से पहले तन्त्र मन्त्र का फ़ंडामेंटल कोर्स आवश्यक होता है । हाँ हँस दीक्षा में इससे भी बेहतर एक नव निधि अष्ट सिद्धि साधना लय योग में बनती है । उसमें इससे कई गुना प्राप्त होता है । और उसमें खतरा भी नहीं । करना भी बहुत आसान । बाकी आपको साधनाओं के बारे में क्या नालेज है । इस पर निर्भर है ।
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मेरे पास अक्सर ही ऐसे मेल और फ़ोन काल आते हैं । जिनमें इंसान जिन्दगी में बुरी तरह असफ़ल होकर आत्महत्या करने की स्थिति में पहुँच चुका होता है । और तुरन्त एक चमत्कार जैसी सहायता अपेक्षा मुझसे चाहता है । तब सबसे पहली बात तो यही है कि - मैं आपकी कोई भी सहायता क्यों करूँ ? जबकि आप सहायता के किसी भी नियम में नहीं आते ।
फ़िर भी मैं उनसे कह देता हूँ । चलिये आप आगरा आ जाईये । फ़िर बात करते हैं । तब उनका कहना होता है । हम आगरा भी आने की स्थिति में नहीं हैं । आप दिल्ली बिहार गुजरात महाराष्ट्र अमेरिका दुबई..( जहाँ का भी रहने वाला हो ) आदि की तरफ़ नहीं आते । आप ही आ जाईये ना । अब देखिये । कितनी मजे की बात है । मरने की ठाने बैठा इंसान यहाँ भी
शार्टकट चाहता है । इनका तो शायद भगवान भी भला नहीं कर सकता । मुझे एक जिन्न वाधा पीङित हालिया विधवा युवा लेडी 35 के फ़ोन की याद है । जिसका पूरा परिवार ही जिन्न से प्रभावित था । और उसके अनुसार उसके परिवार में कई रहस्यमय मौतें हो चुकी थीं । और अब सिर्फ़ चार लोग ही बचे थे । मैंने कहा - आप आगरा आ जाईये । एक सेक्सी हँसी...और उसके बाद - आप कभी ( शहर का नाम ) नहीं आते क्या ? मैंने मन में सोचा । अभी नेक्स्ट टाइम की फ़र्स्ट फ़्लायट भी बुक होती । तो फ़ौरन केंसिल करवा देता ।
खैर ..मैंने कहा । वो जिन्न आपसे क्या चाहता है ? मतलब उसका बिहेव क्या है ? साउथ की सेक्सी हीरोईन सिल्क स्मिता भी फ़ेल हो जाये । ऐसी हँसी और सेक्सी आवाज - वो मुझसे शादी करना चाहता है ? कहता है - तुझे छोङूँगा नहीं । अपनी बनाकर ही मानूँगा ।
अब मजे की बात यह थी कि इस chat में दूसरी तरफ़ से भय की फ़ीलिंग कहीं नहीं थी । बल्कि लग रहा था कि बङे अरमानों से वेट हो रहा हो । कब शादी हो । और कब भूतिया हनीमून । और मुझे सिर्फ़ शादी में इनवाइट किया जा रहा हो । फ़िर मैं कौन सा कम हूँ । मैं भी मजा लेता हूँ ।
अब आ जाईये । यक्षिणी की बात पर । एक यक्षिणी ने मुझसे शिकायत की - ये आप कैसे कैसे आदमियों को यक्षिणी सिद्ध करवा देते हो । वो तुम्हारा विनोद त्रिपाठी । दो मिनट में ही धराशायी हो जाता है । उससे बोलो । दोबारा दण्ड वण्ड पेले । तब मेरे को काल करे । आगे से ऐसे बांगङू को मत भेजना । अब आप त्रिपाठी जी के गायब होने का रहस्य समझ गये होंगे ।
जीवन में किसी प्रकार की आवश्यकता हो । या भोग विलास हो । इसकी चाहत किसे नहीं होती । सभी राजा बनना चाहते हैं । पर इसके लिये पात्रता होनी कितनी आवश्यक है । इस तरफ़ किसी का ध्यान नहीं जाता । एक बेहद गरीब अनपढ गन्दे आदमी को instant राजा बना दिया जाय । तो क्या वो एक दिन भी राज चला सकता है ? निश्चित ही बिना पात्रता के एक घण्टा भी नहीं । शार्टकट की बात पूरी खामख्याली ही है । बहुत जल्दी उगने वाली सरसों भी हथेली पर नहीं उगायी जा सकती । एक फ़लते फ़ूलते वृक्ष को देखकर अन्दाज लगाईये । ये कितने समय और कितनी स्थितियों परिस्थितियों के बाद फ़ला फ़ूला है ।
द्वैत पर मेरे लेखों को देखकर कई लोगों ने ऐसे कामना से भरे मेल भेजे । जो ऐसी किसी यक्षिणी वगैरह को शीघ्र हासिल करना चाहते थे । मेरी उन्हें यही राय है । आप यक्षिणी को बाद में ट्राइ करना । पहले सामान्य हस्तिनी शंखिनी वर्ग की अतृप्त स्त्रियाँ जो मुक्त और उन्मुक्त भोग की अभिलाषी हैं । और जिनकी समाज में भरमार है । और वे फ़्री स्टायल ऐसों की खोज में ही है । आप इनसे परिचय कर अपनी क्षमता का आँकलन करिये । क्या आप वाकई पौरुषत्व क्षमता वाले हैं । या सिर्फ़ आप कल्पना में जीते हैं । मन की अभिलाषा अलग चीज है । और शरीर की काम क्षमता अलग । मन की कामेच्छा का क्या कहना । ये कब्र में पैर लटकाये बूङों की भी आपसे ज्यादा जवान और उमंग युक्त होती है । पर उन्हें यदि उफ़नती तरुणी उपलब्ध करा दी जाये । तो वे ठीक से उसे आलिंगित भी कर पायेंगे ?
एक साधारण लङका लङकी की शादी हेतु भी कितनी तैयारियाँ उबटन । श्रंगार । तन्त्र ( विवाह विधि ) मन्त्र ( वैवाहिक पूजा ) रीति रिवाज ( नियम ) अपनाये जाते हैं । तब एक लम्बी प्रकिया के बाद उन्हें दो मिनट ( पुरुष की काम क्षमता ) की सुहागरात हासिल होती है ।
और ये एक कङबा सच है कि अधिकांश अपनी पूर्व कल्पना से पहले ही इतना आवेशित हो चुके होते हैं कि परदा उठने से पहले ही नाटक खत्म हो जाता है । और पराजित हुये योद्धा के समान उसमें दोबारा शस्त्र उठाने की हिम्मत नहीं होती । या कहिये । ऐन युद्धभूमि में शस्त्र ही दगा दे जाता है ।
जब एक साधारण लङकी जो कामकला में अभी प्रवीण नहीं है । आप उसके भी सही पात्र नहीं हैं । तो फ़िर योग स्त्रियाँ तो विलक्षण होती हैं । वास्तव में उनकी एक मादक अंगङाई और कटाक्ष ही आपको पिघली बर्फ़ की तरह बहा देगा । तब सोचिये । आपकी स्थिति क्या होगी ??
- ध्यान रहे । ये उत्तर सामूहिक रूप से इस विषय पर लेख है । इसे व्यक्तिगत उत्तर न समझें । किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरा उद्देश्य नहीं हैं ।
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