15 जुलाई 2010

पागल बाबा । पागलानन्द ।


आज बहुत दिनों बाद पागल बाबा से मुलाकात हुयी । पागल बाबा से भूरे बाबा उर्फ़ पागल बाबा उर्फ़ पागलानन्द बाबा भी कहते हैं । पागल बाबा संत तोतापुरी । अद्वैतानन्द जी । स्वरूपानन्द जी । नंगली धाम । सकौती टांडा । मेरठ । की परम्परा में । स्वरूपानन्द जी के शिष्य श्री अनिरुद्ध जी
महाराज । पंढरी वासी । के शिष्य । राजानन्द जी महाराज उर्फ़ गङबङानन्द जी । चन्दरपुर । किशनी के शिष्य हैं । और दस साल से सन्यास जीवन में हैं । पागल बाबा का भरा पूरा और समृद्ध परिवार है । स्वयं पागल बाबा सन्यास में आने से पूर्व ट्रक । ट्रेक्टर आदि गाङियो के इंजन के अच्छे मेकेनिक थे । और आज से दस साल पहले तक पाँच सौ रुपया प्रतिदिन आराम से अपने हुनर से ही कमाते थे ।
इसके अतिरिक्त गाङियों के पुर्जे । पुरानी गाङियाँ खरीदने का कार्य अलग से था । इस तरह कम से कम एक हजार से चार हजार तक प्रतिदिन की आमदनी थी । लेकिन एक दिन ऐसा वैराग जागा । कि सारा काम धाम लङकों को सोंपकर लंगोट पहन लिया । और चिमटा बजाते हुये भजन गाने में मस्त हो गये । आजकल बाबा जहाँ की मौज आती हैं । वहीँ की यात्रा पर चल देते हैं । बाबा कहते
हैं सीखो नहीं भूलो । सीखने से संसार है । और भूलने से परमात्मा । मुक्ति का रास्ता सीधा और आसान है । उस पर चलो । वैसे " पागल बाबा " समाधि आदि का अभ्यास मेरे महाराज जी " श्री सदगुरुदेव श्री शिवानन्द जी महाराज " परमहँस " से सीख रहे हैं ।इनका सम्पर्क न. -- 0 9528328956 है ।
ये जब भ्रमण पर नहीं होते । अपने किशनी रोड । करहल वाले आश्रम पर मिलते हैं । पागल बाबा मस्ती में गाते हैं ।
कछू लेना न देना । मगन रहना । कछू लेना न देना । मगन रहना ।
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा । ता में बोले सुगर मैंना ।
तेरा साई तेरे घट में । देख सखी अब खोल नैना ।
कछू लेना न देना । मगन रहना । कछू लेना न देना । मगन रहना ।
गहरी नदिया नाव पुरानी । अब केवटिया से मिले रहना ।
कछू लेना न देना । मगन रहना । कछू लेना न देना । मगन रहना ।
कहत कबीर सुनो भई साधो । गुरु चरनन से लिपट रहना ।
कछू लेना न देना । मगन रहना । कछू लेना न देना । मगन रहना ।

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