एक शहर में एक बहुत ही लालची आदमी रहता था । उसने सुन रखा था कि अगर साधु संतों की सेवा करें । तो बहुत ज्यादा धन प्राप्त होता है । यह सोचकर उसने साधु संतों की सेवा करना प्रारम्भ कर दी ।
एक बार उसके घर बड़े चमत्कारी संत आये । उन्होंने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसे चार दिये दिए । और कहा - इनमें से एक दिया जला लेना । और पूरब दिशा की ओर चले जाना । जहाँ यह दिया बुझ जाये । वहाँ की जमीन खोदना । वहाँ तुम्हें काफी धन मिल जायेगा ।
अगर तुम्हें फ़िर धन की आवश्यकता पड़े । तो दूसरा दिया जला लेना । और पश्चिम दिशा की ओर चले जाना । जहाँ यह दिया बुझ जाये । वहाँ की जमीन खोद लेना । तुम्हें मनचाही माया मिलेगी ।
फिर भी संतुष्टि न हो तो तीसरा दीया जला लेना । और दक्षिण दिशा की ओर चले जाना । उसी प्रकार दीया बुझने पर जब तुम वहाँ की जमीन खोदोगे । तो तुम्हे बेअन्त धन मिलेगा ।
तब तुम्हारे पास केवल एक दीया बचेगा और एक ही दिशा रह जायेगी । तुमने यह दीया न ही जलाना है और न ही इसे उत्तर दिशा की ओर ले जाना है । यह कहकर संत चले गए ।
लालची आदमी उसी वक्त पहला दीया जलाकर पूरब दिशा की ओर चला गया । दूर जंगल में जाकर दीया बुझ गया । उस आदमी ने उस जगह को खोदा । तो उसे पैसों से भरी एक गागर मिली । वह बहुत खुश हुआ । उसने सोचा कि इस गागर को फिलहाल यहीं रहने देता हूँ । फिर कभी ले जाऊंगा । पहले मुझे जल्दी ही पश्चिम दिशा वाला धन देख लेना चाहिए ।
यह सोचकर उसने दूसरे दिन दूसरा दीया जलाया और पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा । दूर एक उजाड़ स्थान में जाकर दीया बुझ गया । वहाँ उस आदमी ने जब जमीन खोदी । तो उसे सोने की मोहरों से भरा एक घड़ा मिला । उसने घड़े को भी यही सोचकर वही रहने दिया कि पहले दक्षिण दिशा में जाकर देख लेना चाहिए । जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने के लिए वह बेचैन हो गया ।
अगले दिन वह दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा । दीया एक मैदान में जाकर बुझ गया । उसने वहाँ की जमीन खोदी । तो उसे हीरे मोतियों से भरी दो पेटिया मिली ।
वह आदमी बहुत खुश था । वह सोचने लगा । अगर इन तीनों दिशाओं में इतना धन पड़ा है । तो चौथी दिशा में इससे भी ज्यादा धन होगा । फिर उसके मन में ख्याल आया की संत ने उसे चौथी दिशा की ओर जाने के लिए मना किया है ।
दूसरे ही पल उसके मन ने कहा - हो सकता है । उत्तर दिशा की दौलत संत अपने लिए रखना चाहते हो । मुझे जल्दी से जल्दी उस पर भी कब्ज़ा कर लेना चाहिए । ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने की लालच ने उसे संतो के वचनों को द्वारा सोचने ही नहीं दिया । अगले दिन उसने चौथा दीया जलाया । और जल्दी जल्दी उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा ।
दूर आगे एक महल के पास जाकर दीया बुझ गया । महल का दरवाज़ा बंद था । उसने दरवाज़े को धकेला । तो दरवाज़ा खुल गया । वह बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन में सोचा कि यह महल उसके लिए ही है । वह अब तीनों दिशाओं की दौलत को भी यहीं ले आकर रखेगा और ऐश करेगा । वह आदमी महल के एक एक कमरे में गया । कोई कमरा हीरे मोतियों से भरा हुआ था । किसी कमरे में सोने के कीमती आभूषण भरे पड़े थे । इसी प्रकार अन्य कमरे भी बेअन्त धन से भरे हुए थे । वह आदमी चकाचौंध होता जाता । और अपने भाग्य को शाबासी देता ।
वह और आगे बढ़ा । तो उसे एक कमरे में चक्की चलने की आवाज़ सुनाई दी । वह उस कमरे में दाखिल हुआ । तो उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी चक्की चला रहा है ।
लालची आदमी ने बूढ़े से कहा - तू यहाँ कैसे पहुँचा ?
बूढ़े ने कहा - ऐसा कर यह जरा चक्की चला । मैं सांस लेकर तुझे बताता हूँ ।
लालची आदमी ने चक्की चलानी प्रारम्भ कर दी । बूढ़ा चक्की से हट जाने पर ऊँची ऊँची आवाज से हँसने लगा । लालची आदमी उसकी ओर हैरानी से देखने लगा ।
वह चक्की बंद ही करने लगा था कि बूढ़े ने खबरदार करते हुए कहा - न न चक्की चलानी बंद ना कर ।
फिर बूढ़े ने कहा- यह महल अब तेरा है । परन्तु यह उतनी देर तक खड़ा रहेगा । जितनी देर तक तू चक्की चलाता रहेगा । अगर चक्की चलनी बंद हो गयी । तो महल गिर जायेगा । और तू भी इसके नीचे दब कर मर जायेगा ।
कुछ समय रुक कर बूढ़ा फिर कहने लगा - मैंने भी तेरी ही तरह लालच करके संतो की बात नहीं मानी थी । और मेरी सारी जवानी इस चक्की को चलाते हुए बीत गयी ।
वह लालची आदमी बूढ़े की बात सुनकर रोने लगा ।
फिर कहने लगा - अब मेरा इस चक्की से छुटकारा कैसे होगा ?
बूढ़े ने कहा - जब तक मेरे और तेरे जैसा कोई आदमी लालच में अंधा होकर यहाँ नही आयेगा । तब तक तू इस चक्की से छुटकारा नहीं पा सकेगा ।
तब उस लालची आदमी ने बूढ़े से आखरी सवाल पूछा - तू अब बाहर जाकर क्या करेगा ?
बूढ़े ने कहा - मैं सब लोगों से ऊँची ऊँची आवाज में कहूँगा..लालच बुरी बला है ।
एक बार उसके घर बड़े चमत्कारी संत आये । उन्होंने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसे चार दिये दिए । और कहा - इनमें से एक दिया जला लेना । और पूरब दिशा की ओर चले जाना । जहाँ यह दिया बुझ जाये । वहाँ की जमीन खोदना । वहाँ तुम्हें काफी धन मिल जायेगा ।
अगर तुम्हें फ़िर धन की आवश्यकता पड़े । तो दूसरा दिया जला लेना । और पश्चिम दिशा की ओर चले जाना । जहाँ यह दिया बुझ जाये । वहाँ की जमीन खोद लेना । तुम्हें मनचाही माया मिलेगी ।
फिर भी संतुष्टि न हो तो तीसरा दीया जला लेना । और दक्षिण दिशा की ओर चले जाना । उसी प्रकार दीया बुझने पर जब तुम वहाँ की जमीन खोदोगे । तो तुम्हे बेअन्त धन मिलेगा ।
तब तुम्हारे पास केवल एक दीया बचेगा और एक ही दिशा रह जायेगी । तुमने यह दीया न ही जलाना है और न ही इसे उत्तर दिशा की ओर ले जाना है । यह कहकर संत चले गए ।
लालची आदमी उसी वक्त पहला दीया जलाकर पूरब दिशा की ओर चला गया । दूर जंगल में जाकर दीया बुझ गया । उस आदमी ने उस जगह को खोदा । तो उसे पैसों से भरी एक गागर मिली । वह बहुत खुश हुआ । उसने सोचा कि इस गागर को फिलहाल यहीं रहने देता हूँ । फिर कभी ले जाऊंगा । पहले मुझे जल्दी ही पश्चिम दिशा वाला धन देख लेना चाहिए ।
यह सोचकर उसने दूसरे दिन दूसरा दीया जलाया और पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा । दूर एक उजाड़ स्थान में जाकर दीया बुझ गया । वहाँ उस आदमी ने जब जमीन खोदी । तो उसे सोने की मोहरों से भरा एक घड़ा मिला । उसने घड़े को भी यही सोचकर वही रहने दिया कि पहले दक्षिण दिशा में जाकर देख लेना चाहिए । जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने के लिए वह बेचैन हो गया ।
अगले दिन वह दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा । दीया एक मैदान में जाकर बुझ गया । उसने वहाँ की जमीन खोदी । तो उसे हीरे मोतियों से भरी दो पेटिया मिली ।
वह आदमी बहुत खुश था । वह सोचने लगा । अगर इन तीनों दिशाओं में इतना धन पड़ा है । तो चौथी दिशा में इससे भी ज्यादा धन होगा । फिर उसके मन में ख्याल आया की संत ने उसे चौथी दिशा की ओर जाने के लिए मना किया है ।
दूसरे ही पल उसके मन ने कहा - हो सकता है । उत्तर दिशा की दौलत संत अपने लिए रखना चाहते हो । मुझे जल्दी से जल्दी उस पर भी कब्ज़ा कर लेना चाहिए । ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने की लालच ने उसे संतो के वचनों को द्वारा सोचने ही नहीं दिया । अगले दिन उसने चौथा दीया जलाया । और जल्दी जल्दी उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा ।
दूर आगे एक महल के पास जाकर दीया बुझ गया । महल का दरवाज़ा बंद था । उसने दरवाज़े को धकेला । तो दरवाज़ा खुल गया । वह बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन में सोचा कि यह महल उसके लिए ही है । वह अब तीनों दिशाओं की दौलत को भी यहीं ले आकर रखेगा और ऐश करेगा । वह आदमी महल के एक एक कमरे में गया । कोई कमरा हीरे मोतियों से भरा हुआ था । किसी कमरे में सोने के कीमती आभूषण भरे पड़े थे । इसी प्रकार अन्य कमरे भी बेअन्त धन से भरे हुए थे । वह आदमी चकाचौंध होता जाता । और अपने भाग्य को शाबासी देता ।
वह और आगे बढ़ा । तो उसे एक कमरे में चक्की चलने की आवाज़ सुनाई दी । वह उस कमरे में दाखिल हुआ । तो उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी चक्की चला रहा है ।
लालची आदमी ने बूढ़े से कहा - तू यहाँ कैसे पहुँचा ?
बूढ़े ने कहा - ऐसा कर यह जरा चक्की चला । मैं सांस लेकर तुझे बताता हूँ ।
लालची आदमी ने चक्की चलानी प्रारम्भ कर दी । बूढ़ा चक्की से हट जाने पर ऊँची ऊँची आवाज से हँसने लगा । लालची आदमी उसकी ओर हैरानी से देखने लगा ।
वह चक्की बंद ही करने लगा था कि बूढ़े ने खबरदार करते हुए कहा - न न चक्की चलानी बंद ना कर ।
फिर बूढ़े ने कहा- यह महल अब तेरा है । परन्तु यह उतनी देर तक खड़ा रहेगा । जितनी देर तक तू चक्की चलाता रहेगा । अगर चक्की चलनी बंद हो गयी । तो महल गिर जायेगा । और तू भी इसके नीचे दब कर मर जायेगा ।
कुछ समय रुक कर बूढ़ा फिर कहने लगा - मैंने भी तेरी ही तरह लालच करके संतो की बात नहीं मानी थी । और मेरी सारी जवानी इस चक्की को चलाते हुए बीत गयी ।
वह लालची आदमी बूढ़े की बात सुनकर रोने लगा ।
फिर कहने लगा - अब मेरा इस चक्की से छुटकारा कैसे होगा ?
बूढ़े ने कहा - जब तक मेरे और तेरे जैसा कोई आदमी लालच में अंधा होकर यहाँ नही आयेगा । तब तक तू इस चक्की से छुटकारा नहीं पा सकेगा ।
तब उस लालची आदमी ने बूढ़े से आखरी सवाल पूछा - तू अब बाहर जाकर क्या करेगा ?
बूढ़े ने कहा - मैं सब लोगों से ऊँची ऊँची आवाज में कहूँगा..लालच बुरी बला है ।
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