कांग्रेस वर्किंग कमेटी के 15 सदस्यों में से 13 वोट सरदार पटेल जी के पक्ष में पड़ने के बावजूद इस नेहरू ने कैसे बापू को धमकी देकर हिंदुस्तान की सत्ता हांसिल की । और हमारे देश का बेडा गर्क किया । और आज तक इसके वंशज उसी काम में लगे है । कौन है । भारत पाकिस्तान के बंटवारे का जिम्मेदार ? यह जानिये । राजीव दीक्षित जी के वक्तव्य में । हिन्दू । मुसलमान । दोनों खास देखें । इस लिंक को खोल कर । और सुनें । पूरे वक्तव्य को । और आँखे खोलें अपनी । और लात मारें । ऐसे अय्याश घराने को । जिसने हिंदुस्तान के लाखों शहीदों की शहादत पर पानी फेर दिया । और एक लम्पट आदमी को हमारा प्रधान मंत्री बना दिया । अब सोचये । करना है । 1 और बंटवारा । या बनाना है । भारत को दुनिया में नंबर - 1 गुजरात जैसा ।
1 सुर में कहिये । 1 ही विकल्प मोदी । वन्दे मातरम । विक्रम बारोट ।
http://hindi.ibtl.in/video/6518/indian-partition-and-nehru-edwina-jinnah-relationship--exposed-by-rajiv-dixit
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पिछले 3 वर्ष से फेसबुक के माध्यम से प्रतिदिन धर्म शिक्षण देने का यथासंभव प्रयास कर रही हूँ । पिछले 3 वर्षों में सहस्रों रुपए और सहस्रों घंटे देकर आप तक विशुद्ध हिंदुत्व की विचारधारा पहुंचा रही हूँ । यदि फेसबुक आंकडों को मानें । तो मात्र " तनुजा ठाकुर पेज " की पहुंच 1 करोड़ 3 लाख है । उसी प्रकार प्रोफ़ाइल में भी 22 000 मित्र और सदस्य हैं । आप सब पढते ही होंगे कि प्रतिदिन अनेक व्यक्ति प्रश्न पूछते हैं । अनेक मित्र अनेक प्रकार से उपासना के कार्य की प्रशंसा
करते हैं । कोई चरण वंदन । तो शत शत चरण वंदन लिखते हैं । परंतु आज तक 3 वर्ष में मात्र 10 मित्रों ने मुझे आर्थिक सहायता दी है । 4 मित्रों को छोड किसी ने नहीं पूछा कि आपके कार्य में धन कहां से आता है ? जबकि आप प्रवचन निशुल्क लेती हैं । अतः क्या मैं आपके कार्य में अंश मात्र आर्थिक सहायता कर सकता हूँ । या सकती हूँ ।
यदि प्रश्न का तुरंत उत्तर न दूँ । तो कई मित्रजन " वाल " पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं कि आपको उत्तर देने में इतनी देर क्यों हो रही हैं ? ( आज हिंदुओं को मात्र अपने अधिकार ज्ञात हैं । कर्तव्य नहीं )
- जब कुछ मित्र मुझसे प्रथम बार मिलने आते हैं । जब मैं उन्हें अपनी CD । ग्रंथ । पत्रिका इत्यादि देती हूँ । तो उसके पैसे तक नहीं देते ( आज हिंदुओं को मात्र ल ( लेना ) अक्षर पता है । द ( देना ) नहीं ) अभी 1 शहर में 1 प्रवचन के समय 1 पत्रकार महोदय ने प्रवचन से पूर्व मेरा परिचय देते हुए मेरी अत्यधिक प्रशंसा की । और प्रवचन के समय लगी हुई ग्रंथ प्रदर्शिनी एवं विक्रय केंद्र से 500 रुपए का साहित्य यूं ही उठाकर चले गए ।
- कुछ 3 या 5 दिवसीय कार्यक्रम करवाते हैं । परंतु टिकट के पैसे भी नहीं देते । दक्षिणा की तो बात ही छोड दें ( यह तो सामान्य बात है कि हम जब किसी से कुछ सीखते हैं । तो उन्हें कुछ तो अर्पण करना चाहिए )
- कुछ मित्रों से मिलने पर वे महंगे कपडे या अन्य कुछ ऊटपटांग मूल्यवान वस्तु मुझे भेंट करते हैं । जो मैं
पहन भी नहीं सकती । और न ही उपयोग में ला सकती हूं । मुझे वह सब किसी को देना पडता है । वे ये नहीं सोचते कि इसके स्थान पर यदि वे अंश मात्र धन अर्पण करें । तो वह मैं धर्म कार्य में लगा सकती हूँ ।
- आज फेसबुक के माध्यम से अनेक लोग साधना कर कर रहे हैं । मात्र 2 साधक मुझे मासिक अर्पण भेजते हैं । 1 नवंबर 2010 से भेज रहे हैं । और 2 महीने से अलीगढ के 1 साधक दंपति श्री और श्रीमती चौहान अपना दशांश अर्पण करते हैं ।
- मेरे जाल स्थान website और ब्लाग भी अनेक लोग पढते हैं । और प्रशंसा करते हैं । परंतु आज तक 1 भी व्यक्ति से 1 रुपए का भी अर्पण नहीं आया ।
- कुछ मित्र मेरे प्रवचन की आड लेकर अपने संस्था के लिए समाज से पैसे की उगाही करते हैं । और अंश मात्र भी धर्म कार्य हेतु अर्पण नहीं करते । पिछले वर्ष 1 शहर की 1 संस्था ने ऐसा किया था ।
- कुछ मित्र मुझे प्रतिदिन आध्यात्मिक लघु संदेश SMS भेजते हैं । और मुझसे उसके उत्तर की अपेक्षा रखते हैं । मुझे 1 SMS का 1.50 रुपए पडता है । यह भी उन्हें ध्यान नहीं आता है ।
मैं यह सब इसलिए नहीं कह रही कि मैं आपसे धन की अपेक्षा रख रही हूं । मैं तो मात्र यह बताना चाहती हूं कि धर्म की निष्काम भाव से सीख देने वाले कुछ तेजस्वी और सात्विक ब्राह्मणों ने पुरोहिताई और धर्म शिक्षण देना
इस कारण से भी छोड दिया है । आप निश्चिंत रहें । मेरा पूर्ण विश्वास है कि यदि मैं निष्काम भाव से उस ईश्वर की धरोहर ( धर्म ) रक्षणार्थ प्रयत्नशील रहूँगी । और यदि मुझे धन की आवश्यकता पडी । और किसी व्यक्ति ने नहीं दिया । तो साक्षात महा लक्ष्मी मेरे तिजोरी में धन रख कर जाएंगी । मैं तो मात्र आपका ध्यान समाज के इस पक्ष की ओर आकृष्ट करना चाहती हूं ।
- अभी जब मैं इंदौर गयी थी । तो वहाँ हमारे श्री गुरु के गुरु के गद्दी पर विराज मान परम पूज्य रामानन्द जी से भेंट हुई । मैंने सोचा । गुरुजन हैं । उन्हें कुछ अर्पण करना चाहिए । तो जब उन्हें कुछ रुपए अर्पण करना चाहा । तो वे कहने लगे - कैसे करती हो । इतना धर्म
कार्य । मैंने कहा - भिक्षाटन में जो मिल जाता है । उसी से पाई पाई जोड कर । वे झट से बोले - तब तो मैं तुमसे नहीं ले सकता । मुझे तुम्हें देना होगा । और उन्होंने मुझे रुपए कार्य हेतु अर्पण किए । सामान्य व्यक्ति और संत में यह अंतर है । 1 लेना जानता है । और दूसरा देना ।
और ये है । अपने ही लेख पर तनुजा ठाकुर का कमेंट ।
Tanuja Thakur - hahahaha pls dont give conditions and do the donation as I will do anything to restablsh dharm if I need I will enter politics too , but since that is not my area of operation would place someone eligible and go back to my den ! politics and dharm are not different they are complimentary to each other ! But I can assure you one thing I am not interested in anything in this world except my shreeguru 's lotus feet!
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=432242916813679&set=a.100708143300493.1434.100000839237234&type=1&theater
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शाहरुख़ खान की कलकत्ता टीम में मुस्लिम लड़के ही क्यों ? टीम का कोच वसीम अकरम पाकिस्तानी मुल्ला ही क्यों ? पाकिस्तान में बाड पीडितों को सहायता क्यों । क्या भारत में भुकंप और बाढ पीड़ित नहीं हैं क्या ? भारत में IPL के लिए पाकिस्तानी खिलाडियों की पैरवी क्यों ? हिन्दू विरोधी जाकिर नायक से क्या रिश्ता ? शाहरुख़ का 1 खिलाडी आतंकी के संपर्क में कैसे ? ये IPL के जरिये आतंकियों का का पैसा भारत में ला रहा हे । ये आतंक वादी है । जिहादियो का एजेंट है । जय श्री राम राज सिंघल
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इस लिंक को खोलिये । और हिमाचल में मोदी जी का वक्तव्य सुनिये । और सुनिये - तालिबानी खांग्रेस की बेशर्मी की बातें । मजा आएगा ।
http://www.narendramodi.in/vote-for-lotus-to-prevent-sins-of-delhi-from-corrupting-dev-bhoomi-himachal-pradesh-cm/
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मिट्टी की अनोखी मूरत हो तुम । जिन्दगी की एक जरूरत हो तुम ।
फ़ूल तो खूबसूरत होते हैं । फ़ूलों से भी खूबसूरत हो तुम ।
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अकबर महान या शैतान ? अकबर का सच । जो हमसे छुपाया गया । और गलत इतिहास पढाया गया । कभी भी कोई भी आत्म सम्मान वाला देश और उसके देशवासी अपने देश को लूटने । अपनी बहन बेटी के बलात्कार करने वाले । और हर तरह के व्यभिचारी आक्रमण कर्ताओं लोगों के द्वारा लिखा इतिहास स्वीकार नही कर सकते । तो फिर हम लोगों को क्या हो गया है ? जो हम महाराणा प्रताप को कायर और अकबर को महान बोलते हैं । अकबर को महान बोलने वाले लोग यहाँ पर भी देखे कि कैसे हम लोगो से सच को
छुपा कर आज तक गुलाम बना कर रखा गया है । हिन्दुस्तान का अस्तित्व मिटाने के लिए इतिहास कार विंसेट स्मिथ ने साफ़ लिखा है कि - अकबर 1 सबसे बड़ा दुष्कर्मी । घृणित । पूर्व विचारित । नृशंस हत्याकांड करने वाला क्रूर शासक था । और आप और हम सब क्या पढ़ रहे है कि - अकबर महान था । क्या ये सब महानता के लक्षण होते है ?
- जून 1561 - एटा जिले के ( सकित परंगना ) के 8 गावों की हिंदू जनता के विरुद्ध अकबर ने खुद 1 आक्रमण का संचालन करा और परोख नाम के गावों के 1 मकान मे 1000 से ज़्यादा हिंदुओं को बंद करके जिंदा जलवा दिया था । क्या ये था अकबर महान ?
- क्या अकबर ने हिंदू राजकुमारियों से इज़्ज़त के साथ विवाह करे ? नही । 1 से भी नहीं । जोधा बाई से भी नही । ये सभी बलात उठाई गयी थी । या फिर उनके बाप भाई को हिरासत मे लेकर दी गयी यातना बंद करने का एकमात्र शर्त पूरी करने का प्रतिफल थी । चाहे वो राजा भारमल और उनके 3 राजकुमारों को यातना देकर उनकी पुत्री को हरम मे भेजने को मज़बूर करना हो । इसके अनगिनत उदहारण हैं । सबूतों के साथ ।
- सबसे मनगढ़ंत किस्सा कि अकबर ने दया करके सती प्रथा पर रोक लगा दी । जबकि इसके पीछे उसका मुख्य मकसद केवल यही था कि उनके राजाओं को मार कर राजकुलिन हिन्दू नारियों को अपने हरम में ठूंस दो । राजकुमार जैमल की हत्या के पश्चात अपनी अस्मत बचाने को घोड़े पे सवार होकर सती होने जा रही उसकी पत्नी को अकबर ने शमशान घाट जा रहे सम्बन्धियों को बीच रास्ते से ही पकड़ कर उसके सारे सम्बन्धियों को कारागार में डाल के राजकुमारी को हरम में ठूंस दिया था । अगर वो दया वाला था । तो ससम्मान उसके जिंदा सम्बन्धियों को समर्पित कर देता । और जाने देता ।
- अकबर की प्रशंसा के गीत गाने वाला अबुल फज़ल आईने अकबरी को अकबर के समय के सारे मुगलों ने
अकबर का 1 नंबर का निर्लज्ज चापलूस बताया है ।
- जिसके खानदान के सारे पूर्वज़ जैसे हुमायूँ बाबर दुनिया के सबसे बड़े जल्लाद थे । और अकबर के बाद के जहागीर और औरंगजेब दुनिया के सबसे बड़े दरिन्दे थे । तो ये बीच में महानता की पैदायश कैसे हो गयी ? जबकि इसके कुकर्मों के सारे साक्ष्य आज भी उपस्थित है । लेकिन हम भारतीयों की हालत वही है कि ?
- अकबर के सभी धर्म के सम्मान करने का सबसे बड़ा सबूत - हिन्दुस्तान की सभी नदियों के किनारे छोटे छोटे घाट बने हैं । जहाँ हिन्दू अपने पर्व पर सरलता से स्नान और पूजा करते हैं । लेकिन हिन्दू राजाओं द्वारा निर्मित इलाहाबाद के किले में जहाँ ये रहता था । गंगा यमुना सरस्वती का संगम (
जहाँ कुम्भ का मेला होता आ रहा है ) के किनारे के सारे घाट इस पिशाच मुग़ल ने तोड़ डाले थे । आज भी वो सारे साक्ष्य वह मौजूद है ।
अकबर के सभी धर्म के सम्मान करने का सबसे बड़ा सबूत - 28 Feb 1580 को गोवा से 1 पुर्तगाली मिशन इसके 1 और निवास स्थान फतेहपुर पंहुचा । जहाँ उन लोगो ने इनको 1 बाइबल भेंट करी । जिसे इसने बिना खोले ही वापस कर दिया ( मोदी जी के मुल्ला टोपी न पहनने पर बवाल मचाने वाले सेकुलर इसके बारे में क्या कुछ बोलना चाहेंगे ? )
- हमारे इतिहास में हम लोगो को मुर्ख बनाने को कहा जाता है कि - अकबर को देवी आती थी । जबकि 1578 में
उसे पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा था । क्योंकि उसके सभी दरबारी उससे बगावत कर रहे थे जिससे उसकी मानसिक हालत ख़राब हो चुकी थी ।
- 4 aug 1582 को इस्लाम को अस्वीकार करने के कारण सूरत के 2 ईसाई युवकों को अकबर ने अपने हाथों से क़त्ल किया था । जबकि ईसाईयों ने इन दोनों युवकों को छोड़ने के लिए 1000 सोने के सिक्को का सौदा किया था । लेकिन उसने क़त्ल ज्यादा सही समझा ।
- aug1582 में 20 नवजात हिन्दू शिशुओं को उनकी माताओं से छीन कर भाषा उत्पत्ति नमक 1 गन्दा अमानवीय प्रयोग करने के लिए एकांत और निर्जन स्थान पर भेज दिया । जिसमे वो सभी अकाल मृत्यु के शिकार हो गए ।
- 1587 में जनता का धन लुटने और अपने खिलाफ हो रहे विरोधों को ख़त्म करने के लिए अकबर ने 1 आदेश
पारित करा कि - जो भी उससे मिलना चाहेगा । उसको अपनी उमृ के बराबर मुद्रायें उसको भेंट में देनी पड़ेगी ।
- जिन्दगी भर अकबर की गुलामी करने वाले हिन्दू राजा टोडरमल ने अपने जीवन के आखिरी समय में अपनी गलती मान कर उसके प्रेषित के लिए हरिद्वार में अपने प्राण त्यागने की इच्छा जताई थी ।
- औरतों का झूठा सम्मान करने वाले अकबर ने सिर्फ राजपाट और अपनी हवस के लिए न जाने कितनी मुस्लिम औरतों की अस्मत लुटी थी । और हिन्दू औरतों को हरम में ठूंस दिया था । इसमें मुस्लिम नारी चाँद बीबी का नाम भी है ।
औरतों का झूठा सम्मान करने वाले अकबर ने सिर्फ राजपाट और अपनी हवस के लिए अपनी सगी बेटी आराम बेगम की पूरी जिंदगी शादी नहीं की । और अंत में उसकी मौत अविवाहित ही जहागीर के शासन काल में हुयी ।
- दिन भर इसके चाटुकारिता करने वाले अबुल फज़ल की चापलूसी की हरकतों से तंग आकर अकबर के पुत्र सलीम ने ही उसको घात लगा कर ग्वालियर में हत्या कर दी थी ।
- जीवन भर इससे युद्ध करने वाले महान महाराणा प्रताप जी से अंत में इसने खुद ही हार मान ली थी । और इसको हरा कर हिन्दू राजाओं की अस्मत बचाने का श्रय हिन्दू राजाओं ने महाराणा प्रताप के ही सर पर बंधा था ( इन्ही महाराणा को मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू क़त्ल के प्यासे गाँधी ने कायर बताया था ) इसी परंपरा को अकबर के पुत्र जहागीर ने आगे बढ़ाया था कि अकबर के बार बार निवेदन करने पर भी जीवन भर जहागीर केवल ये बहाना करके .महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह से युद्ध करने नहीं गया कि उसके पास हथियारों और सैनिकों की कमी है । जबकि असलियत ये थी कि उसको अपने बाप का बुरा हश्र याद था ।
शेष जारी । अभी बहुत कुछ है बाकी
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