जय गुरुदेव ! मैंने प्रलय 2012 के आपके ब्लाग पढे हैं । science की छोङो । आप बताओ कि december 2012 में प्रलय होगी । या नहीं । जो होना है । वो तो अटल सत्य है । फ़िर भी मेरी जिज्ञासा का समाधान करें । एक पाठक की टिप्पणी on लेख - काल पुरुष ने आत्मा को 84 लाख योनियों मे कैसे डाला ? पर ।
कृपया ये भी बतायें कि यदि प्रलय होता है । तो 1 धार्मिक व अधार्मिक लोगों की क्या स्थिति होगी ?
2 अद्वैत व द्वैत की क्या स्थिति होगी ? 3 लोगों को क्या करना चाहिये ? टिप्पणी 2 on लेख - काल पुरुष ने आत्मा को 84 लाख योनियों मे कैसे डाला ? पर ।
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जैसा कि हर प्रश्न के साथ होता है । उसकी चर्चा जैसे मानसिक स्तर के लोगों के बीच होती है । उत्तर का स्तर और उसकी उच्चता स्पष्टता भी वैसी होती है । दुनियाँ में राजनीति । फ़िल्म । पत्रकारिता । बिज्ञान किसी भी क्षेत्र को ले लें । उसमें एक आम इंसान से लेकर सर्वोच्च स्तर के लोगों तक भाव ज्ञान और विषय की स्पष्टता में बहुत अन्तर आ जाता है ।
इसी दृष्टिकोण से यह खण्ड प्रलय कोई छोटी बात या सामान्य सी घटना नहीं है । प्रकृति विभाग के सामने सबसे बङी समस्या ये है कि 7 अरब आवादी को उसे लगभग 2.50 ( ढाई ) अरब पर लाकर समायोजित करना है
। ध्यान रहे । इसमें स्त्री । पुरुष । बालक । युवा । वृद्ध । और जीव जन्तु ( मनुष्यों की गिनती से अलग ) आदि सभी चींजे आते हैं । प्रकृति ( के सत्ता ) विभाग ( की फ़ाइलों ) के अनुसार 11-11-2011 को इस प्रथ्वी और इसके तमाम जीवों का लेखा जोखा समाप्त हो चुका है ।
इस बात को मानवीय स्तर पर भी आराम से समझा जा सकता है । कैसे ? आप देख सकते हैं । हर तरह का व्यवस्था तंत्र असफ़ल हो चुका है । और ऐसा होने पर पुरानी व्यवस्था खत्म करके नयी व्यवस्था को नये सिरे से लागू किया जाता है । अब क्योंकि आवादी । जमीन की कमी । प्रदूषण । जीव जन्तुओं का समाप्त हो जाना आदि आदि चरम के स्तर पर है । और इनका कोई इलाज किसी के पास नहीं है ।
चलिये । एक बार को मान लें । जंगल फ़िर से लगा दियें जायें । जीव जन्तु फ़िर से बढा दियें जायें । बिज्ञान से प्रदूषण आदि का हल भी निकल आये । पर जनसंख्या । और जमीन का कम होना । इसका कोई संतोष जनक हल भी किसी के पास नहीं है । तब एक ही हल बचता है - किसी भी उपाय से जनसंख्या कम हो । और प्रथ्वी का कायापलट होने के लिये भूकंप या ज्वालामुखी जैसी स्थितियाँ बने ।
इसलिये इस खण्ड प्रलय का समय वास्तव में DEC 2011 से MARCH 2012 के बीच ही चरम पर था । जब प्रलय का तांडव शुरू होना था । और इसके संकेत कई स्थानों ( समुद्र भूकंप सुनामी ) से उठे भी थे । जब समुद्र अन्दर से गर्म हो उठा । और कई स्थानों पर भूकंप आदि स्थितियाँ बनी । जमीन के अन्दर से पेट्रोलियम पदार्थ सतह पर ही आ गये । और भी कई स्थानों पर छोटी छोटी विलक्षण अमानवीय घटनायें हुयीं ।
तमाम भविष्य दृष्टाओं के अनुसार वास्तव में अभी प्रलय काल ही चल रहा है । और समय ऊपर भी हो गया है । लेकिन बृह्माण्ड में राई के दाने के समान स्थिति वाली ये प्रथ्वी अभी सिर्फ़ उसी तरह स्थिर है । जैसे महावीरों के अमोघ शस्त्रों से क्षार क्षार हुआ अर्जुन का रथ योगेश्वर श्रीकृष्ण और रथ पताका पर विराजे महावीर हनुमान के होने से बचा हुआ था । युद्ध समाप्त होने पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा - पहले तुम उतरो । उसके उतरने के बाद श्रीकृष्ण उतरे । और उनके उतरते ही वह दिव्य रथ एक भीषण विस्फ़ोट के साथ उङ गया । अर्जुन के आश्चर्य करने पर श्रीकृष्ण ने कहा - ये तो बहुत पहले ही नष्ट हो चुका था । बस सहयोग से ( इसका अस्तित्व ) बचा हुआ था ।
ठीक यही स्थिति इस समय इस प्रथ्वी की है । प्रथ्वी पर इस समय ( अदृश्य आंतरिक रूप से ) धर्म अधर्म का भीषण संग्राम चल रहा है । धर्म और अधर्म दोनों की बेलें ही इस समय बढी हुयी हैं । अगर कोई भी समझदार व्यक्ति विचार करे । तो ( सिर्फ़ पिछले 30 सालों के अन्दर ) प्रथ्वी पर इस समय हर चीज अपने चरम पर है । धार्मिकता । अधार्मिकता । हिंसा । व्यभिचार । बिज्ञान । कामुकता । बेईमानी । भृष्टाचार । प्रदूषण आदि आदि । लेकिन तमाम पाप कर्मों को यकायक चमत्कारिक ढंग से बढी हुयी धार्मिकता संतुलन दे रही है ।
मैं एक अजीव बात आपके सामने रखता हूँ । जो दरअसल काल पुरुष और माया का फ़ैलाया हुआ जाल है । आपने देखा होगा । एकाएक लोगों का बुद्धिमता स्तर । तमाम कलायें । और तमाम तरह की अमानवीय शक्तियाँ सी मनुष्यों के अन्दर से ( चमत्कार की तरह ) प्रकट हो उठी हैं । कैसे ? एक जीता जागता उदाहरण - आपने T.V पर कई तरह के रियल्टी शो देखे होंगे । उसमें कई क्षेत्रों की कला प्रतिभायें देखी होंगी । सवाल ये है कि - सिर्फ़ 30 साल पहले का मनुष्य क्या एकदम बुद्धू था ? आज छोटे छोटे बच्चों में भी ( बङे % पर ) जिस तरह की नृत्य । संगीत । गायन । अभिनय । अन्य बौद्धिक क्षमतायें आदि देखने में आ रही हैं । ऐसा पिछले 2-3 हजार सालों में कभी नहीं था । दरअसल ये ( मानवीय स्तर पर ) चमत्कार है । अलौकिक शक्तियों ने तमाम जीवों को ( सामूहिक रूप से ) आवेशित ( अधिकतर उसी समय ) किया हुआ है । काल पुरुष के विभिन्न स्तर के देवी देवता और गण एक सेना की तरह कार्य कर रहे हैं । और इसके पीछे एक बहुत बङा रहस्य है ? इस 7 अरब की आवादी में से अपने अपने वोट ( र ) बचाये रखना । जिनसे कि उन्हें शक्ति मिलती हैं । जाहिर है । ये कार्यकर्ता बङे स्तर पर तेजी से काम कर रहे हैं ।
लेकिन ? क्योंकि ये एक खेल भी है । परीक्षा काल भी है । अतः धीर गम्भीर सन्त विभूतियाँ अपने कर्तव्य अनुसार जीवात्माओं को धार्मिक बल दे रही हैं । अब महत्वपूर्ण ये है कि - कौन काल और माया से प्रभावित रहता है । और कौन भक्ति को चुनता है । यही छंटनी 7 अरब की आवादी में से होनी है । इसलिये ये बङा संवेदनशील समय है । जैसा राम रावण युद्ध ( मर्यादित ) और महाभारत युद्ध ( अमर्यादित ) के समय था । युद्ध के परिणाम के बाद नयी व्यवस्था लागू हो जायेगी ।
मैंने राम रावण युद्ध और महाभारत युद्ध का उदाहरण इसीलिये दिया कि - आप गौर करें । इन दोनों युद्धों को रोकने का प्रयास दोनों ही पक्षों से विभिन्न लोगों ने कई बार किया । और अङचनें डालने वाले और बढावा देने वाले भी कई थे । अतः जब भी ऐसा निर्णय काल आता है । ऐसा हमेशा ही होता है । सृष्टि में सभी तरह के लोग हमेशा ही होते हैं ।
प्रलय को लेकर आंतरिक स्तर पर ठीक यही स्थिति है । जब इसे रोकने और होने देने की ( औपचारिकता जैसी ) जद्दोजहद जारी है । लेकिन जब दुर्योधन ( बढी हुयी आवादी ) सुई की नोक बराबर जमीन छोङने को राजी नहीं । और पांडवों को ( कम से कम ) 5 गांव ( आदमी को सामान्य जीवन हेतु जरूरी सुविधायें ) भी नहीं मिल रहे । तब परिणाम क्या होगा ? कोई भी समझ सकता है । यानी आप किसी भी दृष्टिकोण से सोचें । वर्तमान परिस्थितियों में ( सिर्फ़ संतोषजनक ) सुधार हेतु खण्ड प्रलय के अलावा कोई चारा नहीं । प्रलय का तरीका कोई भी हो । बाह्य रूप से ( दृश्य ) धुँआ ही धुँआ नजर आयेगा । चारों तरफ़ दम घोंटू जहरीला धुँआ । लेकिन ( अधिक ) बङी संभावनाओं में कृमशः ही - परमाणु विस्फ़ोट ( वजह कुछ भी । कैसे भी ) 3rd world war ( वजहें अनेक ) भूकंप ( प्रथ्वी की आंतरिक स्थिति इस समय भूकंपों हेतु सर्वश्रेष्ठ है ) ज्वालामुखी विस्फ़ोट ( धरती के कायाकल्प हेतु आवश्यक प्राकृतिक क्रिया ) ये प्रमुख हैं । जिनमें परमाणु बम और भूकंप की संभावना सर्वाधिक है ।
अब जैसा कि मैंने ऊपर स्पष्ट किया । प्रलय का समय निर्धारित से ऊपर ही चल रहा है । अतः कभी भी शुरूआत हो जाये । कोई आश्चर्य नहीं । इसलिये 2012 के सकुशल जाने की संभावना बहुत क्षीण है । लेकिन खण्ड प्रलय धीरे धीरे व्यवस्था परिवर्तन करती है । इसलिये ये समय मेरी जानकारी के अनुसार 2012 से 2017 तक होगा । 2020 से पूर्ण शान्ति होकर नया दौर । नयी व्यवस्था । और 2050 से 3050 तक अस्थायी सतयुग । इसके बाद फ़िर से कलियुग के शेष बचे लगभग 15000 वर्ष । ध्यान रहे । इसमें थोङा सामयिक हेर फ़ेर हो सकता है । पर बहुत अधिक नहीं ।
1 धार्मिक व अधार्मिक लोगों की क्या स्थिति होगी ? सीधी सी बात है । अधार्मिक नष्ट होते ही हैं । धार्मिक हमेशा ही बचते हैं ।
2 अद्वैत व द्वैत की क्या स्थिति होगी ? संतुलन रहेगा । सात्विकता का जोर होगा । अद्वैत व द्वैत का असली ज्ञान जानने वालों की संख्या में ( प्रलय बाद ) अच्छी वृद्धि होगी ।
3 लोगों को क्या करना चाहिये ? तब पछताये होत का । जब चिङिया चुग गयी खेत । एकदम निर्णय काल में लोग कुछ नहीं कर सकते । सिर्फ़ अंजाम को भुगतने के । जिसका पुण्य पूर्व संचय है । वही काम आयेगा । जो कंगाल है । उसे बुरी मौत मरना ही होगा । ये ठीक वैसा ही है । जैसे मृत्यु के लिये आ पहुँचे यमदूतों से कोई मरने वाला कहे - 20 साल का मौका और दो । अब प्रभु नाम सुमरन ही करूँगा ।
पर ऐसा कभी होता है ?
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God speaks to each of us as He makes us, Then walks with us silently out of the night These are the words we dimly hear . You, sent out beyond your recall,
Go to the limits of your longing . Embody me . Flare up like a flame
And make big shadows I can move in
Let everything happen to you: beauty and terror .Just keep going. No feeling is final
Don't let yourself lose me . Nearby is the country they call life
You will know it by its seriousness . Give me your hand .. Rilke
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10, 9, 8, 7, 6.. excitedly count down to the opening of Abercrombie & Fitch flagship store in Hong Kong on August 11 at 11am sharp ( Hong Kong time )
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Are you ready, lucky gals ? Don't forget to snap many pictures. Hot gals meet hot guys, who knows where the sparks will lead? Just imagine For those who are outside Hong Kong, don't be too jealous. I love the gimmick haha