गुरूजी प्रणाम ! मैं यह जानना चाहता हूँ कि - क्या कोई सिद्ध पुरुष सटीक भविष्यवाणी कर सकता है ? और क्या भविष्य पहले से तय होता है । अगर कोई पहले ही भविष्य बता देता है । मतलब कि भविष्य पहले से तय है । और वैसे भी परमात्मा तो सब जानता ही है । भूत । वर्तमान और भविष्य । तो मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि - क्या सब कुछ पहले से ही तय होता है क्या ? और योगी कैसे घटना के होने से पहले जान लेता है ? घटना के बारे में । कृपया मेल पर ही जवाब देने का कष्ट करें । धन्यवाद ।
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- सबसे पहले तो मैं ये बता दूँ कि - व्यक्तिगत तौर पर उत्तर देना मेरे लिये संभव नहीं है । हाँ आप चाहते हैं कि आपका परिचय प्रकाशित न किया जाये । तो वैसा जिक्र कर देने पर परिचय
प्रकाशित नहीं किया जाता । एक पूर्ण लाभदायक और बङे सन्तुष्टिजनक उत्तर में लगभग 2-3 घण्टे का समय लग जाता है । फ़िर उस उत्तर से किसी 1 व्यक्ति को ही लाभ पहुँचें । इससे कोई फ़ायदा नजर नहीं आता । मेरे विभिन्न पाठकों द्वारा समय समय पर अनेक प्रकार के विषयों पर प्रश्न पूछे गये । कालांतर में जिनके उत्तर पढकर हजारों उन लोगों को फ़ायदा हुआ । जिनके मन में भी यही ( या इस प्रकार का ) प्रश्न था । पर पूछ नहीं पाये थे । तब उन्हें बिना पूछे ही उत्तर मिल गया । इसके अतिरिक्त तमाम नये लोग । जो ऐसे विषय को सोच भी नहीं पाते । उनके भी ज्ञान में वृद्धि हुयी । और
आध्यात्म के प्रति उनकी रुचि बढी । अतः आप समझ सकते हैं कि सार्वजनिक रूप से उत्तर देना कितना लाभकारी है । अक्सर मैंने भी पूरी ईमानदारी से स्वीकार किया है कि - आपके प्रश्न भी मेरे लिये एक गूढ विषय पर अच्छा बहुउपयोगी दीर्घकालिक लेख तैयार करने में मदद करते हैं ।
अब आईये । आपकी जिज्ञासा पर बात करते हैं ।
क्या कोई सिद्ध पुरुष सटीक भविष्यवाणी कर सकता है - सबसे पहले तो ये समझिये कि भविष्यवाणी और सिद्ध पुरुष दोनों का स्तर होता है । सिद्ध पुरुष की ऊँचाई क्या है ? भविष्यवाणी की भी ऊँचाई क्या है ? ये बात खासी महत्वपूर्ण है । जैसे आपने एक बहुचर्चित शब्द त्रिकालदर्शी सुना होगा । यानी भूत भविष्य वर्तमान
तीनों काल की जानने वाला । लेकिन थोङा गौर करें । तो इसी त्रिकालदर्शी शब्द में घटनाओं और भविष्य वक्ता के कई स्तर हो जाते हैं । एक व्यक्ति का भी त्रिकाल यानी भूत भविष्य वर्तमान होता है । और उसको बताने वाला भी । कोई अच्छे स्तर का आंतरिक पहुँच वाला ज्योतिषी । या हस्तरेखा आदि बिज्ञान जानने वाला । पर एक देश या विश्व के स्तर पर बात करने पर स्तर में एकाएक बहुत वृद्धि हो जाती है । इसको बताने वाला ज्ञानी अपने ज्ञान % में अधिक ऊँचाई पर होगा । माया कलेण्डर बनाने वाले । नास्त्रेदेमस । सूरदास । तुलसीदास आदि तमाम लोगों ने बहुत आगे तक के बारे में बताया ।
फ़िर दैवीय घटनाओं की बात पूर्व में ही करने वाला । उससे बहुत अधिक उच्च स्तर का होगा । इसी तरह और ऊपर । और कोई क्षेत्र विशेष के आधार पर भी सिद्ध और भविष्यवक्ता होते हैं । अतः कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है । उस भविष्य वक्ता का ज्ञान स्तर क्या है ? और कैसा है ? वह उसी स्तर पर
सटीक भविष्यवाणी कर सकता है । बाकी भविष्यवाणी और पूर्व समय का हाल आदि सृष्टि से लेकर । आगामी कई महा प्रलय तक बताने वाले अक्सर होते रहे हैं । पर आम लोग उन्हें नहीं जान पाते ।
भविष्यवाणी के धूर्तता पूर्ण उदाहरण में - जैसे अभी अभी 3rd eye को लेकर कृपा करने वाला विवादित इंसान था । अब इसमें सच्चाई क्या है ? कर्ण पिशाचिनी जैसी आसानी से सिद्ध हो जाने वाली कुछ नीच देवियाँ । ये लोग सिद्ध कर लेते हैं । इनकी क्षमता और कार्य तरीका ये होता है कि - ये प्रश्नकर्ता के दिमाग से बातें पढकर अपने सिद्ध के कान में आवाज के रूप में अदृश्य ही बता देती हैं । फ़िर जब वह सिद्ध आपसे सम्बन्धित हो चुकी बातें । बिना पूछे ही बताता है । तो आप आश्चर्य चकित होकर उसको बङा महात्मा सिद्ध पुरुष मान लेते हो । तब ऐसा नीच सिद्ध
पुरुष अपने स्वभाव अनुसार ये चालाकी करता है कि - आपको भविष्य मनमाने तरीके से अन्दाजन बता देता है । क्योंकि इन नीच देवियों में ये शक्ति नहीं होती कि भविष्य के बारे में कुछ जानती हों । बाकी लगातार भूत होते वर्तमान में अच्छा बुरा सबके साथ घटित होना ही है । अतः इनकी दुकान आराम से चलती है । जिनको अपनी किस्मत और संस्कार वश ही फ़ायदा हो जाता है । वे मूर्ख भी पागलपन में आकर इनकी जय जयकार करते हैं । और जिनका नहीं होता । वे उदासीन हो जाते हैं । परन्तु फ़िर भी इसी अनुपात के अनुसार भी इनके मूर्ख भेङ भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि होती रहती है ।
क्या भविष्य पहले से तय होता है - दो बातें हैं । कुछ तय होता है । कुछ इंसान द्वारा बनाया बिगाङा जाता है । क्योंकि मनुष्य जन्म कर्म प्रधान है ।
कर्म प्रधान विश्व रच राखा । जो जस करे सो तस फ़ल चाखा । कर्म फ़ल या अच्छा बुरा भाग्य 3 प्रकार का होता है । 1 संचित ( आदि सृष्टि से अब तक के जन्म में आपके द्वारा भोगने के बाद शेष बचा कर्म फ़ल । जो संस्कार आदि के रूप में जमा होता है । ये बहुत बङी मात्रा में है । क्योंकि आपके लाखों करोङों जन्म हो चुके हैं । ये आपके अंतःकरण रूपी मेमोरी में स्टोर होता है । ) 2 प्रारब्ध ( आपके अब तक के सभी संचित कर्मफ़ल में से इससे पिछले मनुष्य जन्म ( लेकिन बीच में 84 नरक आदि भी निश्चित भोगने के बाद ) के अच्छा बुरा सार रूप निचोङ के आधार पर इस जन्म का प्रारब्ध यानी भाग्य । मिली आयु ( लगभग 100 वर्ष औसत ) के आधार पर क्रियान्वित कर दिया जाता है । इस बहुत थोङे से भाग्य को प्रारब्ध कहा जाता है । यह पूर्व तय ही होता है । ) 3 क्रियमाण ( इसी प्रारब्ध रूपी भाग्य धन के साथ आप आगे के कर्मों से उत्थान या पतन क्या करते हैं ? उसको क्रियमाण कहते हैं । )
उदाहरण - कोई पिता अपने पुत्र को स्थापित और समृद्धि युक्त व्यापार विरासत में देता है । पुत्र उसको बढा भी
सकता है । बरबाद भी कर सकता है । विरासत में मिला व्यापार प्रारब्ध । और आगे की उसकी गति क्रियमाण कही जाती है ।
उदाहरण - एक बाप अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दीक्षा के सभी कर्तव्य पूरे करता है । बाप द्वारा मिला सहयोग उसका प्रारब्ध । लेकिन आगे उसका अच्छा बुरा । बेटे का क्रियमाण ।
उदाहरण - एक बाप अपनी बेटी का विवाह अच्छे घर वर से करता है । ये है । लङकी का प्रारब्ध । आगे वह कैसा सजाती संवारती या बिगाङ देती है । ये होगा । उसका क्रियमाण । इसलिये पूर्व का और अभी का दोनों मिलकर गति होती है । तभी मनुष्य जीवन में आत्मा के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर लेने की सलाह सन्तों ने दी है । क्योंकि फ़िर ये अवसर पता नहीं कब हाथ आये ? सामान्य नियम के अनुसार वर्तमान मनुष्य जन्म के बाद । साढे 12 लाख साल की 84 लाख योनियाँ भोगकर तब दुबारा मनुष्य जन्म मिलता है । पर सतनाम की असली दीक्षा ? और सुमरन से मृत्यु के बाद अगला ही जन्म मनुष्य का होना तय हो जाता है । आगे के आत्मिक उत्थान को कृमशः जारी रखने हेतु ।
क्या सब कुछ पहले से ही तय होता है क्या - ये बात सिर्फ़ मनुष्य या 84 लाख पशु पक्षी आदि योनियों पर ही लागू नहीं होती । बल्कि देवत्व शक्तियाँ उपाधियाँ भी सृष्टि के इस विलक्षण खेल के इस नियम में आती हैं । और इस बात में सभी की स्थिति समान ही है । आप रोजमर्रा के जीवन से देखें । आपका हर दिन तय है । आफ़िस दुकान स्कूल आदि जाना है । सुबह इतने बजे उठना । बाजार जाना । इससे उससे मिलना । बहुत कुछ तय होता है । आपको स्वयं ही पता होता है । लेकिन इसी तय कार्यकृम में कुछ अलग बातें अचानक सोच से परे घटती हैं । आपको यकायक लाभ हो जाना । हानि हो जाना । किसी बिछुङे से अचानक मिलना । और अचानक ही किसी से बिछुङ जाना । किसी का जन्म । किसी की मृत्यु आदि । अतः यहाँ भी वही बात है । कुछ तय है । कुछ अज्ञात है । कुछ आपके हाथ में है । और कुछ आपके वश से
बिलकुल बाहर । हाँ ! 1 बात सिर्फ़ आपके हाथ में है । अपने को सदा मजबूत रखें । और सभी आँधी तूफ़ानों का डटकर सामना करें । बाकी ये सब प्रकृति में खेल हो रहा है । जिसका पूर्ण नियंत्रण सिर्फ़ परमात्मा के ( एक तरह से ) हाथ में होता है । एक तरह से इसलिये । क्योंकि परमात्मा इस सबसे भी कोई मतलब नहीं रखता । वह सबसे परे है ।
योगी कैसे घटना के होने से पहले जान लेता है ? घटना के बारे में - जैसा कि ऊपर मैंने बताया । योगी किस स्तर का पहुँच वाला है । 1 आसमान तक । 2 आसमान तक । 7 आसमान तक । या और ऊपर । तब वह अपनी स्थिति अनुसार । उतने ही मण्डल की बात जान पायेगा । जैसे विभिन्न नौकरियों में पदासीन व्यक्ति के अधिकार और जानकारी होती है । अब इसको नीचे से आसानी से समझें ।
1 स्थूल शरीर ( सामान्य मनुष्य शरीर ) वाला । उस शरीर की क्षमता । और बौद्धिक स्तर । छठी इन्द्रिय की
सक्रियता % के अनुसार । आसपास की घटनाओं चीजों स्थितियों का तेजी से अवलोकन कर लेता है ।
2 सूक्ष्म शरीर ( मन । बुद्धि । चित्त । अहम । यानी अंतःकरण ) में पहुँच रखने वाला दृश्य के परदे के पार अदृश्य में सूक्ष्म शरीर की पहुँच अनुसार जान सकता है । जैसे उसको आसपास विचरते अदृश्य देहधारी दिखाई दे सकते हैं । वे किस तरह इंसानी जीवन को प्रभावित करते हैं । यह उसे तुरन्त पता चल जायेगा । क्योंकि वो सब ठीक ऐसे ही देख रहा है । जैसे आप अभी ब्लाग देख रहे हो ।
3 कारण शरीर ( कर्म संस्कार का भण्डार ग्रह ) में पहुँच रखने वाला अपने स्तर अनुसार अपने या अन्य के जीवन में होने वाली घटनाओं का कारण जान सकता है । जैसे भीष्म पितामह में पूर्व के 100 कारण जन्म देखने की क्षमता थी । यानी वह पिछले 100 जन्म तक देख सकते थे ।
4 महा कारण शरीर ( कारणों का भी कारण ) प्रकृति । आसमान । बङी दैवीय घटनायें । विराट में विभिन्न सृष्टियों का होना । प्रलय होना ( जो लगभग होते ही रहते हैं ) को महा कारण शरीर में पहुँच रखने वाले योगी आसानी से जानते हैं ।
आगे और भी घनचक्कर हैं । पर वे आम लोगों के लिये नहीं हैं । इस तरह आप समझ गये होंगे । किस तरह योग आदि रहस्यों द्वारा अलौकिक जीवन को जाना जा सकता है ।
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- सबसे पहले तो मैं ये बता दूँ कि - व्यक्तिगत तौर पर उत्तर देना मेरे लिये संभव नहीं है । हाँ आप चाहते हैं कि आपका परिचय प्रकाशित न किया जाये । तो वैसा जिक्र कर देने पर परिचय
प्रकाशित नहीं किया जाता । एक पूर्ण लाभदायक और बङे सन्तुष्टिजनक उत्तर में लगभग 2-3 घण्टे का समय लग जाता है । फ़िर उस उत्तर से किसी 1 व्यक्ति को ही लाभ पहुँचें । इससे कोई फ़ायदा नजर नहीं आता । मेरे विभिन्न पाठकों द्वारा समय समय पर अनेक प्रकार के विषयों पर प्रश्न पूछे गये । कालांतर में जिनके उत्तर पढकर हजारों उन लोगों को फ़ायदा हुआ । जिनके मन में भी यही ( या इस प्रकार का ) प्रश्न था । पर पूछ नहीं पाये थे । तब उन्हें बिना पूछे ही उत्तर मिल गया । इसके अतिरिक्त तमाम नये लोग । जो ऐसे विषय को सोच भी नहीं पाते । उनके भी ज्ञान में वृद्धि हुयी । और
आध्यात्म के प्रति उनकी रुचि बढी । अतः आप समझ सकते हैं कि सार्वजनिक रूप से उत्तर देना कितना लाभकारी है । अक्सर मैंने भी पूरी ईमानदारी से स्वीकार किया है कि - आपके प्रश्न भी मेरे लिये एक गूढ विषय पर अच्छा बहुउपयोगी दीर्घकालिक लेख तैयार करने में मदद करते हैं ।
अब आईये । आपकी जिज्ञासा पर बात करते हैं ।
क्या कोई सिद्ध पुरुष सटीक भविष्यवाणी कर सकता है - सबसे पहले तो ये समझिये कि भविष्यवाणी और सिद्ध पुरुष दोनों का स्तर होता है । सिद्ध पुरुष की ऊँचाई क्या है ? भविष्यवाणी की भी ऊँचाई क्या है ? ये बात खासी महत्वपूर्ण है । जैसे आपने एक बहुचर्चित शब्द त्रिकालदर्शी सुना होगा । यानी भूत भविष्य वर्तमान
तीनों काल की जानने वाला । लेकिन थोङा गौर करें । तो इसी त्रिकालदर्शी शब्द में घटनाओं और भविष्य वक्ता के कई स्तर हो जाते हैं । एक व्यक्ति का भी त्रिकाल यानी भूत भविष्य वर्तमान होता है । और उसको बताने वाला भी । कोई अच्छे स्तर का आंतरिक पहुँच वाला ज्योतिषी । या हस्तरेखा आदि बिज्ञान जानने वाला । पर एक देश या विश्व के स्तर पर बात करने पर स्तर में एकाएक बहुत वृद्धि हो जाती है । इसको बताने वाला ज्ञानी अपने ज्ञान % में अधिक ऊँचाई पर होगा । माया कलेण्डर बनाने वाले । नास्त्रेदेमस । सूरदास । तुलसीदास आदि तमाम लोगों ने बहुत आगे तक के बारे में बताया ।
फ़िर दैवीय घटनाओं की बात पूर्व में ही करने वाला । उससे बहुत अधिक उच्च स्तर का होगा । इसी तरह और ऊपर । और कोई क्षेत्र विशेष के आधार पर भी सिद्ध और भविष्यवक्ता होते हैं । अतः कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है । उस भविष्य वक्ता का ज्ञान स्तर क्या है ? और कैसा है ? वह उसी स्तर पर
सटीक भविष्यवाणी कर सकता है । बाकी भविष्यवाणी और पूर्व समय का हाल आदि सृष्टि से लेकर । आगामी कई महा प्रलय तक बताने वाले अक्सर होते रहे हैं । पर आम लोग उन्हें नहीं जान पाते ।
भविष्यवाणी के धूर्तता पूर्ण उदाहरण में - जैसे अभी अभी 3rd eye को लेकर कृपा करने वाला विवादित इंसान था । अब इसमें सच्चाई क्या है ? कर्ण पिशाचिनी जैसी आसानी से सिद्ध हो जाने वाली कुछ नीच देवियाँ । ये लोग सिद्ध कर लेते हैं । इनकी क्षमता और कार्य तरीका ये होता है कि - ये प्रश्नकर्ता के दिमाग से बातें पढकर अपने सिद्ध के कान में आवाज के रूप में अदृश्य ही बता देती हैं । फ़िर जब वह सिद्ध आपसे सम्बन्धित हो चुकी बातें । बिना पूछे ही बताता है । तो आप आश्चर्य चकित होकर उसको बङा महात्मा सिद्ध पुरुष मान लेते हो । तब ऐसा नीच सिद्ध
पुरुष अपने स्वभाव अनुसार ये चालाकी करता है कि - आपको भविष्य मनमाने तरीके से अन्दाजन बता देता है । क्योंकि इन नीच देवियों में ये शक्ति नहीं होती कि भविष्य के बारे में कुछ जानती हों । बाकी लगातार भूत होते वर्तमान में अच्छा बुरा सबके साथ घटित होना ही है । अतः इनकी दुकान आराम से चलती है । जिनको अपनी किस्मत और संस्कार वश ही फ़ायदा हो जाता है । वे मूर्ख भी पागलपन में आकर इनकी जय जयकार करते हैं । और जिनका नहीं होता । वे उदासीन हो जाते हैं । परन्तु फ़िर भी इसी अनुपात के अनुसार भी इनके मूर्ख भेङ भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि होती रहती है ।
क्या भविष्य पहले से तय होता है - दो बातें हैं । कुछ तय होता है । कुछ इंसान द्वारा बनाया बिगाङा जाता है । क्योंकि मनुष्य जन्म कर्म प्रधान है ।
कर्म प्रधान विश्व रच राखा । जो जस करे सो तस फ़ल चाखा । कर्म फ़ल या अच्छा बुरा भाग्य 3 प्रकार का होता है । 1 संचित ( आदि सृष्टि से अब तक के जन्म में आपके द्वारा भोगने के बाद शेष बचा कर्म फ़ल । जो संस्कार आदि के रूप में जमा होता है । ये बहुत बङी मात्रा में है । क्योंकि आपके लाखों करोङों जन्म हो चुके हैं । ये आपके अंतःकरण रूपी मेमोरी में स्टोर होता है । ) 2 प्रारब्ध ( आपके अब तक के सभी संचित कर्मफ़ल में से इससे पिछले मनुष्य जन्म ( लेकिन बीच में 84 नरक आदि भी निश्चित भोगने के बाद ) के अच्छा बुरा सार रूप निचोङ के आधार पर इस जन्म का प्रारब्ध यानी भाग्य । मिली आयु ( लगभग 100 वर्ष औसत ) के आधार पर क्रियान्वित कर दिया जाता है । इस बहुत थोङे से भाग्य को प्रारब्ध कहा जाता है । यह पूर्व तय ही होता है । ) 3 क्रियमाण ( इसी प्रारब्ध रूपी भाग्य धन के साथ आप आगे के कर्मों से उत्थान या पतन क्या करते हैं ? उसको क्रियमाण कहते हैं । )
उदाहरण - कोई पिता अपने पुत्र को स्थापित और समृद्धि युक्त व्यापार विरासत में देता है । पुत्र उसको बढा भी
सकता है । बरबाद भी कर सकता है । विरासत में मिला व्यापार प्रारब्ध । और आगे की उसकी गति क्रियमाण कही जाती है ।
उदाहरण - एक बाप अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दीक्षा के सभी कर्तव्य पूरे करता है । बाप द्वारा मिला सहयोग उसका प्रारब्ध । लेकिन आगे उसका अच्छा बुरा । बेटे का क्रियमाण ।
उदाहरण - एक बाप अपनी बेटी का विवाह अच्छे घर वर से करता है । ये है । लङकी का प्रारब्ध । आगे वह कैसा सजाती संवारती या बिगाङ देती है । ये होगा । उसका क्रियमाण । इसलिये पूर्व का और अभी का दोनों मिलकर गति होती है । तभी मनुष्य जीवन में आत्मा के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर लेने की सलाह सन्तों ने दी है । क्योंकि फ़िर ये अवसर पता नहीं कब हाथ आये ? सामान्य नियम के अनुसार वर्तमान मनुष्य जन्म के बाद । साढे 12 लाख साल की 84 लाख योनियाँ भोगकर तब दुबारा मनुष्य जन्म मिलता है । पर सतनाम की असली दीक्षा ? और सुमरन से मृत्यु के बाद अगला ही जन्म मनुष्य का होना तय हो जाता है । आगे के आत्मिक उत्थान को कृमशः जारी रखने हेतु ।
क्या सब कुछ पहले से ही तय होता है क्या - ये बात सिर्फ़ मनुष्य या 84 लाख पशु पक्षी आदि योनियों पर ही लागू नहीं होती । बल्कि देवत्व शक्तियाँ उपाधियाँ भी सृष्टि के इस विलक्षण खेल के इस नियम में आती हैं । और इस बात में सभी की स्थिति समान ही है । आप रोजमर्रा के जीवन से देखें । आपका हर दिन तय है । आफ़िस दुकान स्कूल आदि जाना है । सुबह इतने बजे उठना । बाजार जाना । इससे उससे मिलना । बहुत कुछ तय होता है । आपको स्वयं ही पता होता है । लेकिन इसी तय कार्यकृम में कुछ अलग बातें अचानक सोच से परे घटती हैं । आपको यकायक लाभ हो जाना । हानि हो जाना । किसी बिछुङे से अचानक मिलना । और अचानक ही किसी से बिछुङ जाना । किसी का जन्म । किसी की मृत्यु आदि । अतः यहाँ भी वही बात है । कुछ तय है । कुछ अज्ञात है । कुछ आपके हाथ में है । और कुछ आपके वश से
बिलकुल बाहर । हाँ ! 1 बात सिर्फ़ आपके हाथ में है । अपने को सदा मजबूत रखें । और सभी आँधी तूफ़ानों का डटकर सामना करें । बाकी ये सब प्रकृति में खेल हो रहा है । जिसका पूर्ण नियंत्रण सिर्फ़ परमात्मा के ( एक तरह से ) हाथ में होता है । एक तरह से इसलिये । क्योंकि परमात्मा इस सबसे भी कोई मतलब नहीं रखता । वह सबसे परे है ।
योगी कैसे घटना के होने से पहले जान लेता है ? घटना के बारे में - जैसा कि ऊपर मैंने बताया । योगी किस स्तर का पहुँच वाला है । 1 आसमान तक । 2 आसमान तक । 7 आसमान तक । या और ऊपर । तब वह अपनी स्थिति अनुसार । उतने ही मण्डल की बात जान पायेगा । जैसे विभिन्न नौकरियों में पदासीन व्यक्ति के अधिकार और जानकारी होती है । अब इसको नीचे से आसानी से समझें ।
1 स्थूल शरीर ( सामान्य मनुष्य शरीर ) वाला । उस शरीर की क्षमता । और बौद्धिक स्तर । छठी इन्द्रिय की
सक्रियता % के अनुसार । आसपास की घटनाओं चीजों स्थितियों का तेजी से अवलोकन कर लेता है ।
2 सूक्ष्म शरीर ( मन । बुद्धि । चित्त । अहम । यानी अंतःकरण ) में पहुँच रखने वाला दृश्य के परदे के पार अदृश्य में सूक्ष्म शरीर की पहुँच अनुसार जान सकता है । जैसे उसको आसपास विचरते अदृश्य देहधारी दिखाई दे सकते हैं । वे किस तरह इंसानी जीवन को प्रभावित करते हैं । यह उसे तुरन्त पता चल जायेगा । क्योंकि वो सब ठीक ऐसे ही देख रहा है । जैसे आप अभी ब्लाग देख रहे हो ।
3 कारण शरीर ( कर्म संस्कार का भण्डार ग्रह ) में पहुँच रखने वाला अपने स्तर अनुसार अपने या अन्य के जीवन में होने वाली घटनाओं का कारण जान सकता है । जैसे भीष्म पितामह में पूर्व के 100 कारण जन्म देखने की क्षमता थी । यानी वह पिछले 100 जन्म तक देख सकते थे ।
4 महा कारण शरीर ( कारणों का भी कारण ) प्रकृति । आसमान । बङी दैवीय घटनायें । विराट में विभिन्न सृष्टियों का होना । प्रलय होना ( जो लगभग होते ही रहते हैं ) को महा कारण शरीर में पहुँच रखने वाले योगी आसानी से जानते हैं ।
आगे और भी घनचक्कर हैं । पर वे आम लोगों के लिये नहीं हैं । इस तरह आप समझ गये होंगे । किस तरह योग आदि रहस्यों द्वारा अलौकिक जीवन को जाना जा सकता है ।
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