04 अक्टूबर 2015

कलियुग में मोक्ष कैसे - पागल बाबा

सतनाम साहेब         सतनाम साहेब           सतनाम साहेब
कबीर साहिब के वचनों से कलियुग में मोक्ष उपाय
पागल बाबा द्वारा - मेरे मार्ग पर चलने के लिये आपको पूरी बात समझनी होगी । सिर्फ़ जीते जी मुक्ति है । मरने के बाद किसी ने कहा नहीं कि स्वर्ग में गया या नर्क में गया । इसका कोई पता नहीं चला ।
जहिया जन्म मुक्ता हता तहिया हता न कोय ।
छटी तुम्हारी हौं जगह, तू क्यों चला बिगोय । बीजक
- हे जीव तू मुक्त है । तेरे ऊपर कोई दूसरा कर्ता नहीं है । संसार में आकर के तेरे ऊपर बहुत से आवरण या गिलाफ़ चढ गये । काम क्रोध लोभ मोह अहंकार, मरने जीने का नर्क और स्वर्ग का ये तेरे सारे झूठे आवरण हैं । तू अजर अमर अविनाशी है ।
गीता में श्रीकृष्ण महाराज ने अर्जुन को समझाया है कि तुझे शस्त्र काट नहीं सकता । आग जला नहीं सकती । जल गला नहीं सकती । वायु सुखा नहीं सकती । फ़िर तुझे किसका भय है । तू अविनाशी मरने जीने वाला नहीं है ।
इसका उपाय श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है - तू किसी तत्वदर्शी सन्त के पास जा । दण्डवत प्रणाम कर । उसकी सेवा कर । सेवा करने पर प्रसन्न होकर तुझे तत्व का बोध करायेंगे । तेरे जन्म मरण का वो बन्धन छुङा देंगे । गीता में जीव मुक्त बताया है । और जिसका लोग भजन करते हैं । वो भी मुक्त बताया है । वो भी मरने  जीने वाला नहीं है । ये दोनों बनने बिगङने वाले नहीं हैं फ़िर भजन किसका ?
इस बात को समझें । लोग कहते हैं कि संसार किसी ने बनाया है । मैं कहता हूँ कि यदि संसार बनाया गया है । तो पहले बीज बना या वृक्ष ? ये अनादि है । किसी का बनाया हुआ नहीं है । पाँच तत्व छटवां जीव ( या बीज ) एक ही है । छह के अलावा जो कुछ भी दिखायी दे रहा है । सब बनने बिगङने वाला है ।
सदगुरु की पहचान - पहले गुरु को समझो । गुरु से सतसंग करो । गुरु से सतसंग करने से ही गुरुतत्व प्राप्त होगा । उसी को सदगुरु कहते हैं । सदगुरु देहधारी नहीं होता । गुरु देहधारी होता है । जब सदगुरु प्रकट हो जायेगा । तब तुम्हारे सब बन्धन छुट जायेंगे ।
कोई न काहू सुख दुख करि दाता । निज करि कर्म भोग सब भ्राता ।
फ़िर दूसरा कौन है । कौन कर सकता है ?
जीव दया और आतम पूजा । मुक्त उपाय और नहिं दूजा ।
तेरे पास दो मार्ग हैं - एक शुभ कर्म और एक अशुभ कर्म ।
सुमार्ग पर जायेगा । तो राम, कृष्ण, कबीर सी पूजा होगी । कुमार्ग पर कंस रावण जैसा विनाश होगा । अब तू दोनों मार्ग समझ । किस पर चलेगा ?
हम घर जारों आपना, लूका लीनों साथ, जो घर जारे आपना चले हमारे साथ ।
जो काम क्रोध, लोभ मोह अंहकार, को तोङ देगा । वही इस मार्ग पर पहुँचेगा ।
भक्ति का पहला मार्ग - मात पिता की सेवा, संसार से प्रेम, स्त्रियों के लिये सास ससुर की सेवा और पति को परमेश्वर मानना । बेटियों के लिये गुरु करने की आवश्यकता नहीं । अनसूया का कोई गुरु नहीं था । अपने पतिवृत धर्म से बृह्मा विष्णु शंकर को बालक बना दिया था ।
सत्यनाम - ये ज्ञान कबीर ने धर्मदास को कराया । वो ये ज्ञान है । राजा जनक ने शुकदेव को कराया । जनक को अष्टावक्र ने । श्रीकृष्ण ने अर्जुन को । सूर्य ने अपने पुत्र इच्छ्वाक को ।
जीव पर जब तक आवरण चढा है । तब तक जीव जीव है । आवरण हटने पर शिव हो जाता है ।
ज्ञान करने की विधि - पहले अनुलोम विलोम सुखासन पर बठकर । धीरे धीरे एक घन्टा चालीस मिनट करने पर आपको नासिका के अग्रभाग पर ध्यान को देना होगा । इतना होने के बाद फ़िर किसी तत्वदर्शी सन्त के पास जाना होगा । वो आपको पूर्ण ज्ञान करा देंगे । इससे आवागमन छुट जायेगा
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इस बात को समझें । और अपनी मंजिल तक पहुँचे ।
रामायण का नाम - कहाँ लगि करिहों नाम बढाई । सके न राम नाम गुण गाई ।
नानक साहब का शब्द - शब्द हि धरनी शब्द अकाशा । शब्दई शब्द भयो प्रकाशा ।
सोई शब्द घट घट में आछे । सगली सृष्टि शब्द के पाछे ।
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- सन्त पागलदास
कैलाश मठ, पैरा मेडिकल के पास
नगला भाऊपुरा, सैफ़ई, इटावा ( उ.प्र )
संपर्क - 0 96340  76821
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नोट - लेख के तथ्य श्री पागल बाबा के कथनों पर आधारित है । ब्लाग की सहमति अनिवार्य नहीं ।

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