29 अक्तूबर 2015

गाय रामजी की हम लालूजी के

यह भावनात्मक पत्र पढ़ने के बाद मैं शेयर करने पर मजबूर हो गया । एक दुखियारी भैंस का प्रधानमंत्री जी को ‘मन की बात’ में भेजा गया पत्र ।

प्रिय प्रधानमंत्री जी,
सबसे पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं ना आज़म खां की भैंस हूं । और ना लालू यादव की । ना मैं
कभी रामपुर गयी । ना पटना । मेरा उनकी भैंसों से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है । यह सब मैं इसलिये बता रही हूं कि कहीं आप मुझे विरोधी पक्ष की भैंस ना समझे लें ।
मैं तो भारत के करोड़ों इंसानों की तरह आपकी बहुत बड़ी फ़ैन हूं । मेरे साथ की सारी भैंसें मुझे ‘भक्त भैंस भक्त भैंस’ कहकर चिढ़ाती रहती हैं । लेकिन मुझे इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता । मैं आपकी
फ़ैन थी, हूं और सदा रहूंगी । चाहे कोई कुछ भी कहता रहे ।

जब आपकी सरकार बनी । तो जानवरों में सबसे ज़्यादा ख़ुशी हम भैंसों को ही हुई थी । हमें लगा कि ‘अच्छे दिन’ सबसे पहले हमारे ही आयेंगे । लेकिन हुआ एकदम उल्टा । आपके राज में तो हमारी
और भी दुर्दशा हो गयी । अब तो जिसे देखो वही गाय की तारीफ़ करने में लगा हुआ है । कोई उसे माता बता रहा है । तो कोई बहन ।
अगर गाय माता है । तो हम भी तो आपकी चाची, ताई, मौसी, बुआ कुछ लगती ही होंगी । हम सब समझती हैं । हम अभागनों का रंग काला है ना । इसीलिये आप इंसान लोग हमेशा हमें ज़लील करते रहते हो । और गाय को सर पर चढ़ाते रहते हो ।
आप किस किस तरह से हम भैंसों का अपमान करते हो । उसकी मिसाल देखिये ।
आपका काम बिगड़ता है अपनी गलती से । और टारगेट करते हो हमें कि देखो - गयी भैंस पानी में । गाय को क्यूं नहीं भेजते पानी में । वो महारानी क्या पानी में गल जायेगी ?
आप लोगों में जितने भी लालू लल्लू हैं । उन सबको भी हमेशा हमारे नाम पर ही गाली दी जाती है - काला अक्षर भैंस बराबर । माना कि हम अनपढ़ हैं । लेकिन गाय ने क्या पीएचडी की हुई है ?
जब आप में से कोई किसी की बात नहीं सुनता । तब भी हमेशा यही बोलते हो कि - भैंस के आगे बीन बजाने से क्या फ़ायदा । आपसे कोई कह के मर गया था कि हमारे आगे बीन बजाओ ? बजा लो अपनी उसी प्यारी गाय के आगे ।
अगर आपकी कोई औरत फैलकर बेडौल हो जाये । तो उसे भी हमेशा हमसे ही कंपरयर करोगे कि
भैंस की तरह मोटी हो गयी हो । करीना और कैटरीना गाय और डॉली बिंद्रा भैंस ।
वाह जी वाह । गाली गलौज करो आप और नाम बदनाम करो हमारा कि - भैंस पूंछ उठायेगी तो गोबर ही करेगी । हम गोबर करती हैं । तो गाय क्या हलवा हगती है ?
अपनी चहेती गाय के ऊपर तो आज तक आपसे बस एक ही कहावत बन पायी है और वो भी ऐसी कि जिसे सुनकर हमारी जांघ सुलग जाये । गाय की मिसाल आप सिर्फ़ तब देते हो । जब आपको किसी की तारीफ़ करनी होती है - वो तो बेचारा गाय की तरह सीधा है, या - अजी, वो तो राम
जी की गाय है । तो गाय तो हो गयी राम जी की और हम हो गये लालू जी के । वाह रे इंसान ।
ये हाल तो तब है । जब आप में से ज़्यादातर लोग हम भैंसों का दूध पीकर ही सांड बने घूम रहे हैं । उस दूध का क़र्ज़ चुकाना तो दूर, उल्टे हमें बेइज़्ज़त करते हैं ।
एक बात बताओ । आपने कभी किसी भैंस को गायों की तरह सड़कों पर आवारा घूमते और
पन्नी खाते देखा है क्या ? बताओ । असल में, सच्चाई ये है कि आप हमें ऐसे फालतू समझकर छोड़ ही
नहीं सकते । हम हैं ही इतने काम की चीज़ ।
आपकी चहेती गायों की संख्या तो हमारे मुक़ाबले कुछ भी नहीं हैं । फिर भी, मेजोरिटी में होते हुए भी हमारे साथ ऐसा सलूक हो रहा है । 
प्रधानमंत्री जी, आप तो मेजोरिटी के हिमायती हो, फिर हमारे साथ ऐसा अन्याय क्यूं होने दे
रहे हो ? प्लीज़ कुछ करो ।
आपके ‘कुछ’ करने के इंतज़ार में - आपकी एक तुच्छ प्रशंसक..
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साभार - एक फ़ेसबुक पेज से 

04 अक्तूबर 2015

कलियुग में मोक्ष कैसे - पागल बाबा

सतनाम साहेब         सतनाम साहेब           सतनाम साहेब
कबीर साहिब के वचनों से कलियुग में मोक्ष उपाय
पागल बाबा द्वारा - मेरे मार्ग पर चलने के लिये आपको पूरी बात समझनी होगी । सिर्फ़ जीते जी मुक्ति है । मरने के बाद किसी ने कहा नहीं कि स्वर्ग में गया या नर्क में गया । इसका कोई पता नहीं चला ।
जहिया जन्म मुक्ता हता तहिया हता न कोय ।
छटी तुम्हारी हौं जगह, तू क्यों चला बिगोय । बीजक
- हे जीव तू मुक्त है । तेरे ऊपर कोई दूसरा कर्ता नहीं है । संसार में आकर के तेरे ऊपर बहुत से आवरण या गिलाफ़ चढ गये । काम क्रोध लोभ मोह अहंकार, मरने जीने का नर्क और स्वर्ग का ये तेरे सारे झूठे आवरण हैं । तू अजर अमर अविनाशी है ।
गीता में श्रीकृष्ण महाराज ने अर्जुन को समझाया है कि तुझे शस्त्र काट नहीं सकता । आग जला नहीं सकती । जल गला नहीं सकती । वायु सुखा नहीं सकती । फ़िर तुझे किसका भय है । तू अविनाशी मरने जीने वाला नहीं है ।
इसका उपाय श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है - तू किसी तत्वदर्शी सन्त के पास जा । दण्डवत प्रणाम कर । उसकी सेवा कर । सेवा करने पर प्रसन्न होकर तुझे तत्व का बोध करायेंगे । तेरे जन्म मरण का वो बन्धन छुङा देंगे । गीता में जीव मुक्त बताया है । और जिसका लोग भजन करते हैं । वो भी मुक्त बताया है । वो भी मरने  जीने वाला नहीं है । ये दोनों बनने बिगङने वाले नहीं हैं फ़िर भजन किसका ?
इस बात को समझें । लोग कहते हैं कि संसार किसी ने बनाया है । मैं कहता हूँ कि यदि संसार बनाया गया है । तो पहले बीज बना या वृक्ष ? ये अनादि है । किसी का बनाया हुआ नहीं है । पाँच तत्व छटवां जीव ( या बीज ) एक ही है । छह के अलावा जो कुछ भी दिखायी दे रहा है । सब बनने बिगङने वाला है ।
सदगुरु की पहचान - पहले गुरु को समझो । गुरु से सतसंग करो । गुरु से सतसंग करने से ही गुरुतत्व प्राप्त होगा । उसी को सदगुरु कहते हैं । सदगुरु देहधारी नहीं होता । गुरु देहधारी होता है । जब सदगुरु प्रकट हो जायेगा । तब तुम्हारे सब बन्धन छुट जायेंगे ।
कोई न काहू सुख दुख करि दाता । निज करि कर्म भोग सब भ्राता ।
फ़िर दूसरा कौन है । कौन कर सकता है ?
जीव दया और आतम पूजा । मुक्त उपाय और नहिं दूजा ।
तेरे पास दो मार्ग हैं - एक शुभ कर्म और एक अशुभ कर्म ।
सुमार्ग पर जायेगा । तो राम, कृष्ण, कबीर सी पूजा होगी । कुमार्ग पर कंस रावण जैसा विनाश होगा । अब तू दोनों मार्ग समझ । किस पर चलेगा ?
हम घर जारों आपना, लूका लीनों साथ, जो घर जारे आपना चले हमारे साथ ।
जो काम क्रोध, लोभ मोह अंहकार, को तोङ देगा । वही इस मार्ग पर पहुँचेगा ।
भक्ति का पहला मार्ग - मात पिता की सेवा, संसार से प्रेम, स्त्रियों के लिये सास ससुर की सेवा और पति को परमेश्वर मानना । बेटियों के लिये गुरु करने की आवश्यकता नहीं । अनसूया का कोई गुरु नहीं था । अपने पतिवृत धर्म से बृह्मा विष्णु शंकर को बालक बना दिया था ।
सत्यनाम - ये ज्ञान कबीर ने धर्मदास को कराया । वो ये ज्ञान है । राजा जनक ने शुकदेव को कराया । जनक को अष्टावक्र ने । श्रीकृष्ण ने अर्जुन को । सूर्य ने अपने पुत्र इच्छ्वाक को ।
जीव पर जब तक आवरण चढा है । तब तक जीव जीव है । आवरण हटने पर शिव हो जाता है ।
ज्ञान करने की विधि - पहले अनुलोम विलोम सुखासन पर बठकर । धीरे धीरे एक घन्टा चालीस मिनट करने पर आपको नासिका के अग्रभाग पर ध्यान को देना होगा । इतना होने के बाद फ़िर किसी तत्वदर्शी सन्त के पास जाना होगा । वो आपको पूर्ण ज्ञान करा देंगे । इससे आवागमन छुट जायेगा
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पिंडे सोई बृह्मांडे..बाहर सोई अन्दर, दोनों की जानकारी करने चाहते हो तो सम्पर्क करें । सभी मजहब व सभी संप्रदायों के लिये ।
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इस बात को समझें । और अपनी मंजिल तक पहुँचे ।
रामायण का नाम - कहाँ लगि करिहों नाम बढाई । सके न राम नाम गुण गाई ।
नानक साहब का शब्द - शब्द हि धरनी शब्द अकाशा । शब्दई शब्द भयो प्रकाशा ।
सोई शब्द घट घट में आछे । सगली सृष्टि शब्द के पाछे ।
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मन को जानो, मन क्या है ?
पाँच तत्वों की पच्चीस प्रकृतियों के नाम और काम । पच्चीस प्रकृतियों पाँच देवताओं के वास । पाँच तत्वों के पाँच विषयों का निर्णय । पच्चीसों के विषय व चाल । पाँच मुद्राओं पाँच शब्दों का निर्णय ।
पाँच देह का कोष्ठक निर्णय । पाँच देह का न्यारा न्यारा अर्थ विवरण । मात्राओं के अर्थ । मात्रा अकार उकार मकार । नाम शब्द और मन की जानकारी के लिये फ़ोन पर जानें । और मार्ग पर पहुँचना है । तो स्वयं मिलें ।
- सन्त पागलदास
कैलाश मठ, पैरा मेडिकल के पास
नगला भाऊपुरा, सैफ़ई, इटावा ( उ.प्र )
संपर्क - 0 96340  76821
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नोट - लेख के तथ्य श्री पागल बाबा के कथनों पर आधारित है । ब्लाग की सहमति अनिवार्य नहीं ।