01 नवंबर 2013

एक REXONA नाम की लड़की थी

इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस पर मेरी ओर से इस इस गांधी/नेहरू परिवार की 1 और सच्चाई आपके सामने है । आप खुद फैसला करें । यह महिला कितनी महान थी ? The Nehru Dynasty ( ISBN 10:8186092005  ) किताब में के. एन. राव कहते हैं - इंदिरा गाँधी ( श्रीमती फिरोज खान ) का जो दूसरा बेटा था - संजय गाँधी । वो फिरोज खान की औलाद नहीं था । बल्कि वो 1 दूसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था । दिलचस्प बात ये है कि संजय गाँधी की शादी 1 सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी । जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था । क्योंकि वो संजय की शादी अपनी पसंद की 1 मुस्लिम लड़की से करवाना चाहता था । जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई । तब मोहम्मद युनुस ही

सबसे ज्यादा रोया था । युनुस की लिखी 1 किताब " Persons, Passions & Politics ” ( ISBN-10: 0706910176 ) से साफ़ पता चलता है कि बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार खतना किया गया था । ( खतना - जिसमें उनके लिंग के आगे के कुछ भाग को थोडा सा काट दिया जाता है ) यह सच है कि संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था । संजय का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण था । जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया । इंदिरा गांधी भी उसकी इन सब बातों ( कुकर्मों ) को नजरअंदाज करती रही । और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया करता था । 1 माँ के ममत्व के लिए कलंकित 1 उदाहरण - जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घंतना के साथ उसकी मौत की खबर इंदिरा गाँधी तक पहुंची । तो इंदिरा गाँधी के पहले बोल थे - उसकी घडी और चाबियाँ कहाँ हैं ? अवश्य ही उन वस्तुओं में भी इस खानदान के कुछ राज छुपे हुए होंगे । 1 बात और । संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना भी पूर्ण रूप से रहस्यमय थी । संजय गाधी का प्लेन गोता लगते हुए बिना किसी चीज से टकराए क्रेश हो गया । ऐसा सिर्फ उस स्थिति में होता है । जब विमान में ईंधन ख़तम हो जाये । लेकिन उस समय का उड़ान रजिस्टर बताता है कि उड़ने से पहले ही टेंक पूरा भरा गया था । और बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने प्रभाव का इन्स्तेमाल करते हुए जाँच निषिद्ध कर दी । दुबारा से श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्यार के किस्सों पर आते हैं । केथरीन फ्रेंक की 1 किताब " The Life of Indira Nehru Gandhi  ” ( ISBN -  9780007259304 ) में इंदिरा गाँधी के कुछ दूसरे प्यार के 

किस्से उजागर होते हैं । ये लिखा गया है कि इंदिरा गाँधी का पहला चक्कर पहली बार अपने जर्मन के अध्यापक के साथ चला था ।  बाद में अपने बाप जवाहर लाल के सेक्रेट्री एम ओ मैथई के साथ भी उसका प्रेम परवान चढ़ा ।
फिर अपने योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और उसके बाद विदेश मंत्री दिनेश सिंह के साथ इनका प्रेम परवान चढ़ा । पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक " Profile and Letters ” ( ISBN - 8129102358 ) में मुगलों के प्रति इंदिरा गांधी का आदर के संबंध के बारे में 1 दिलचस्प रहस्योदघाटन किया । इसमें कहा गया कि जब 1968 में प्रधान मंत्री रहते इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान की अधिकारिक यात्रा पर गयी । तब नटवर सिंह उनके साथ 1 आई. एफ़. एस. अधिकारी के तौर पर गए हुए थे । दिन के सभी कार्यक्रमों के बाद इंदिरा गाँधी सैर के लिए जाना चाहती थी । थोड़ी दूर तक कार में चलने के बाद इंदिरा गाँधी ने बाबर की दफनगाह को देखने की इच्छा जाहिर की । हालांकि ये उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी । अफगानी सुरक्षा अधिकारियों ने भी इंदिरा को ऐसा न करने की सलाह दी । लेकिन इंदिरा अपनी बात पर अड़ी हुई थी । और अंत में इंदिरा उस जगह पर गयी । यह 1 सुनसान जगह थी । वह वहां कुछ देर तक अपना सिर श्रद्धा में झुकाए खड़ी रही । नटवर सिंह वहीँ उसके पीछे खड़ा था । जब इंदिरा गाँधी का ये सब पूजा का कार्यक्रम खत्म हुआ । तब वो मुड़ी । और नटवर सिंह से बोली - आज वो अपने इतिहास से मिलकर आई है । किसी को अगर समझ न आया हो । तो बता दूँ कि बाबर को ही हिंदुस्तान में 

मुग़ल सल्तनत का संस्थापक मन जाता है । और ये गाँधी नेहरु का ड्रामा उसके बाद ही शुरू हुआ था । उच्च शिक्षा के कितने संस्थानों के नाम इस परिवार और इनके चापलूसों ने राजीव गाँधी के नाम पर रख दिए । इसकी गिनती करना तो बहुत मुश्किल काम है । लेकिन अपने जीवन में राजीव गाँधी खुद 1 कम क्षमता और पढ़ाई में कमज़ोर था । 1962 से 1965 तक उसने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में 1 यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था । लेकिन उसने डिग्री के बिना कैम्ब्रिज छोड़ दिया । क्योंकि वह परीक्षा पास नहीं कर सका । 1966 में अगले वर्ष, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दाखिल हुआ । लेकिन फिर से डिग्री के बिना छोड़ दिया । जय हिन्द !
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अदरक । अदरक रूखा, तीखा, उष्ण तीक्ष्ण होने के कारण कफ तथा वात का नाश करता है । पित्त को बढ़ाता है ।

इसका अधिक सेवन रक्त की पुष्टि करता है । यह उत्तम आम पाचक है । भारतवासियों को यह सात्म्य होने के कारण भोजन में रूचि बढ़ाने के लिए इसका सार्वजनिक उपयोग किया जाता है । आम से उत्पन्न होने वाले अजीर्ण, अफरा, शूल, उलटी आदि में तथा कफजन्य सर्दी खाँसी में अदरक बहुत उपयोगी है । सावधानी - रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए । अदरक साक्षात अग्नि रूप है । इसलिए इसे कभी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए । ऐसा करने से इसका अग्नि तत्त्व नष्ट हो जाता है । औषधि प्रयोग - उलटी - अदरक व प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 चम्मच लेने से अथवा अदरक के रस में मिश्री में मिलाकर पीने से उलटी होना व जी मिचलाना बन्द होता है । हृदय रोग - अदरक के रस व पानी सम भाग मिलाकर पीने से हृदय रोग में लाभ होता है । मंदाग्नि - अदरक के रस में नींबू व सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से जठराग्नि तीव्र होती है । उदरशूल - 5 ग्राम अदरक, 5 ग्राम पुदीने के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर पीने से उदरशूल मिटता है । शीत ज्वर - अदरक व पुदीने का काढ़ा देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है । शीत ज्वर में लाभप्रद है । पेट की गैस - आधा चम्मच अदरक के रस में हींग और काला नमक मिलाकर खाने से गैस की तकलीफ दूर होती है । सर्दी खाँसी - 20 ग्राम अदरक का रस 2 चम्मच शहद के साथ सुबह शाम लें । वात कफ प्रकृति वाले के लिए अदरक व पुदीना विशेष लाभदायक है । खाँसी एवं श्वास के रोग - अदरक और तुलसी के रस में शहद मिलाकर लें ।
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ये मरजीवा अमृत पिवा, क्या धँसी मारसि पतार ।
गुरु की दया साधु की संगति, निकरि आव यही द्वार । 
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Waking up to who you are requires letting go of who you imagine yourself to be.
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Wonderful words - If you want a happy ending,
You MUST know where to end the story.
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http://www.hindujagruti.org/hindi/news/3579.html
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http://en.wikipedia.org/wiki/C/2012_S1
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वैसे इसे प्रलाप के बजाय " विधवा प्रलाप " कहना उचित है । क्योंकि जैसे मुसलमानों के पास - कुरआन,

मुहम्मद और स्वर्ग से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे ईसाईयों के पास - बाइबल, ईसामसीह और स्वर्ग से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे सिखों के पास - गुरुग्रन्थ साहब, गुरुनानक और अज्ञात गुरुधाम ? से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे हिन्दुओं के पास - अनेकों पोथियां, अनेकों गुरु और स्व कल्पित स्वर्ग, विष्णु लोक, गोलोक आदि आदि से ज्यादा कुछ नहीं । वैसे ही इन वर्तमान आर्य समाजियों के पास - ( सिर्फ़ दयानन्द कृत या समर्थित ) ऋग्वेद, दयानन्द और प्राप्ति..? मुझे ज्ञात नहीं । से ज्यादा कुछ नहीं है । 
- विधवा प्रलाप से आशय उस स्त्री की भावना के समान है । जो स्वामी रहित होकर सिर्फ़ वैचारिकता आधारित काल्पनिक चित्र बनाती हुयी सुख दुख महसूस करने को विवश है । क्योंकि अब उसका स्वामी काल्पनिक ही रह गया । व्यवहार और अनुभूति के तल पर उपस्थिति नहीं है । गौर करिये । तमाम वैश्विक धार्मिक भावनायें अधिकांशतः यहीं तक सीमित हैं ।
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आप प्रश्न कर सकते हैं - मेरे मार्ग, पुस्तक या प्राप्ति आदि आदि के बारे में । तो सुनिये - हम न मरिह मरिहे संसारा । हमको मिला जियावन हारा । जा मरिवै में जग डरे मेरे मन आनन्द । मरने ही से पाईये पूरा परमानन्द । मरन मरन सब कोइ कहे मरन न जाने कोय । एक बार ऐसे मरो । फ़ेर मरन ना होय । तू कहता कागज की लेखी । मैं कहता आँखन की देखी । मसि कागद छुओ नहीं कलम गही न हाथ । सब धरती कागद करों लेखन सब वनराइ । सब समुद्र की मसि करों गुरु गुन लिखा न जाय । सन्तन की महिमा रघुराई । बहु विधि वेद पुरानन गाई ।
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वर्तमान आर्य समाजियों के पास - पुस्तक है । उसमें मनमानी टीका भी है । ऋषि ( शब्द पर गौर करें ) दयानन्द भी हैं । व्यर्थ अहम भी है । कट्टरता भी है । बस नहीं है तो सिर्फ़ - परमात्मा । शाश्वत ज्ञान । परम सत्य । क्योंकि ये सब शास्त्रों में नहीं । भक्त मनुष्य के अन्दर हैं ।
कस्तूरी कुंडल बसै मृग खोजे वन मांहि । 
ऐसे घट घट राम हैं दुनियां जाने नाहिं । 
हर घट तेरा साईयां सेज न सूना कोय ।
बलिहारी उन घटन की जिन घट परगट होय ।
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एक REXONA नाम की लड़की थी । जिसके मम्मी पापा का नाम DAYNA और CINTHOL था । एक 

MARGO नाम का लड़का था । जो REXONA को प्यार करता था । और REXONA भी MARGO को अपना LIFEBOY बनाना चाहती थी । दोनों का प्यार PEARS की तरह बिलकुल साफ था । दोनों की शादी FAIR & LOVELY गार्डन में हुई ।
शादी में -DETOL, MEDIMIX, LUX, FAA, NIRMA, VIVEL, DOVE Etc . आते हैं । शादी के कुछ साल बाद उनके जुड़वाँ बच्चे हुए । जिनका नाम होता है - JOHNSON & JOHNSON. हंसो मत..ये एक तरीका था । आपको बताने का कि बाजार में साबुन की पूरी family है । किसी एक member को पकड़ो । और नहा लो । मैं हूँ हिन्दूस्तानी ।
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If there is peace in your mind you will find peace with everybody. If your mind is agitated you will find agitation everywhere. So first find peace within and you will see this inner peace reflected everywhere else. You are this peace! You are happiness, find out. Where else will you find peace if not within you ? Papaji
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http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/10/131031_ias_political_boss_ap.shtml
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http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/parakhs-explosive-letter-nails-mafia-within-coal-ministry/articleshow/24712614.cms
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http://ca.news.yahoo.com/video/ufo-over-virginia-usa-124511340.html
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डॉ जाकिर नाइक ने जिस मौलाना की किताब से ये बातें चुराई हैं । वो कोई ऐसा वैसा मोमिन नहीं है । वो 1 ऐसे 

फिरके ( वर्ग ) से है । जिसे मुसलमानों का कोई फिरका मुसलमान नहीं समझता । यहाँ तक कि उन्हें काफिरों से भी बदतर समझा जाता है । और सब मुस्लिम मुल्कों में उस पर पाबंदी है । जी हाँ ! यह फिरका कादियानी मुसलमानों ( ? ) का है । जिसे अहमदी भी कहा जाता है । तो बात यह है कि मौलाना अब्दुल हक, जिसकी किताब से जाकिर भाई ने चोरी की है । वो 1 कादियानी/अहमदी मुसलमान है । जिसको खुद जाकिर भाई भी मुसलमान नहीं समझते । जाकिर भाई खुले तौर पर कादियानियों को काफिर बोलते हैं । मिसाल के तौर पर इस लिंक को देखें -
http://www.youtube.com/watch?v=8TUek3ZthYA
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मुसलमान दोस्त क्यों कादियानियों से नफरत करते हैं ? असल में कादियानी फिरका मुहम्मद साहब को आखिरी पैगम्बर नहीं समझता । यह फिरका 19वीं सदी के 1 आदमी मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी ने चलाया था । जिसने आम मुसलमानों की मुखालफत ( विरोध ) करते हुए खुद को मसीहा कहा था । और साथ ही यह भी दावा किया कि उस पर भी अल्लाह के इल्हाम उतरते हैं । जैसे मुहम्मद पर उतरा करते थे । तो इस तरह कादियानी मुहम्मद को आखिरी पैगम्बर नहीं मानते । यही नहीं । कादियानी फिरके के लोग यह भरोसा रखते हैं कि राम, कृष्ण, बुद्ध, गुरु नानक वगैरह भी अल्लाह के पैगम्बर थे । इसके साथ ही यह फिरका कल्कि अवतार ( अल्लाह का इंसान बनके धरती पर आना ) को आखिरी नबी बताता है । मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी को अपनी नबुव्वत पर इतना भरोसा था कि उसने उन लोगों को दोजख की धमकी दी । जो उसमें ईमान नहीं लाये । चक्रपाणि त्रिपाठी
http://www.youtube.com/watch?v=8TUek3ZthYA
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http://www.billionbibles.org/sharia/muhammad-false-prophet.html
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देखिये ! क्रियात्मक सनातन धर्म भक्ति के प्रति ना जानकार लोग मेरे तथ्यों कथनों से विचलित हो सकते हैं । पर मैं जो कुछ कहता हूँ । मानव धर्म के लिये कहता हूँ । न कि किसी धर्म विशेष के प्रति । क्या ये दावे से कहा जा सकता है कि सिर्फ़ 20 000 वर्ष पहले यही या कोई 1 धर्म किस रूप में स्थापित था ? क्या धर्म सिर्फ़ 20 000 की आयु वाला है । या सृष्टि कुछ ही हजार साल आयु की है । अतः किसी भावना विशेष के बजाय स्वस्थ चिन्तन के नजरिये से सोचें । इसमें अगर कुछ गलत हो । तो निसंकोच बतायें । राजीव कुलश्रेष्ठ
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_30.html
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http://www.youtube.com/watch?v=0i1IuRsP0Rs
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http://vaticproject.blogspot.com/2013/10/vatic-alert-update-1030-typhoon.html

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