01 नवंबर 2013

क्योंकि Lata को उल्टा करने पर Atal होता है

Chart and Techniques for Hand Reflexology and Massage of Meridian points This Chart and Techniques for Hand Reflexology and Massage of Meridian points shows us where and how to use our own personal power and take charge of our health. Meridians are a set of pathways in the body along which vital energy is said to flow.. and massage and pressure to these points can open the flow of energy throughout our bodies.. and allow for healing and maintaining a healthy physical.. mental and energetic body. Technique You may use all these techniques in one session, or just one technique, e.g. Pressing, or two techniques, e.g. Rubbing and Pressing. 1. Rubbing: Begin by briskly rubbing your hands ( palms ) together to warm them up and generate energy (qi) in them. Also rub the back of each hand ( including fingers ) with the palm of the other hand. 2. Squeezing: Use your thumbpad and outside edge of your index finger to squeeze each finger and thumb on the other hand, one by one, from base to tip. Use firm but not painful pressure. Do this 2-3 times per finger/thumb. 3. Pulling: Use your thumbpad and the outside edge of your index finger to grasp the base of each finger and thumb on the other hand, one by one, then quickly pull down towards the tip while 

maintaining firm but not painful pressure. Do this 2-3 times per finger/thumb. 4. Pressing: Use the tip of your thumbnail to press and stimulate points on the opposite hand. Use this printable hand reflexology chart to locate common hand pressure points. Apply vertical pressure to each point with your thumbnail ( or sometimes your fingernail ) Press until you feel no more than a comfortable pain. Hold the pressure and knead the point with very small circular movements. Do this for 1-2 minutes per point. Repeat 1-2 times a day. Choosing Points for Pressing All hand pressure points are bilateral, i.e. they’re located on both hands. Generally, you would massage 3 or 4 points ( on both 

hands ), 1-2 times a day. Hand pressure points do adapt to stimulation though, so after 7 days stop for 3 or 4 days. If your condition and symptoms persist, continue for another week ( or more ) OR choose new points to press and rub. We haven’t personally tested the theory… but if it’s something we can do for ourselves… even during our lunch hour… We say why not give it a try ? 
Source: Chinese Holistic Health Exercises Originally posted on:
www.nurseland.net
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=662768027100643&set=a.214615595249224.56258.100001023547078&type=1&theater
***************
http://fractalenlightenment.com/12086/artwork/unveiling-the-mystics-of-sacred-geometry
***************
लता मंगेशकर का कहना है कि - उनकी इच्छा है । मोदी प्रधानमंत्री बनें । मुझे पहले ही शक था कि - लता RSS 

एजेंट हैं । क्योंकि Lata को उल्टा करने पर Atal होता है - दिग्विजय सिंह Rahul Nitr
***************
ब्राह्मणोश्य मुखमासीद बाहु राजन्य: कृत: । उरु तदश्य यद्ववैश्य: पदभ्यां शूद्रो अजायत ।
इन्ही 4 प्रकार के कार्यो को वैदिक काल में 4 वर्णो में बाँटा गया था । जिन्हे वेद में 4 वर्ण कहा गया हैं । और इन 4 प्रकार के कार्यकलाप करने वाले 4 वर्ण के लोगो को क्रमश - ब्राह्मण । क्षत्रिय । वैश्य तथा शूद्र वर्ण के नाम से पुकारा गया । वेद पूरे समाज को 1 शरीर के रुप मे समझता और उपस्थित करता

है । सर्वांगीण शरीर में मुख्यतः 4 अंग हैं । जिनका मुख्य कार्य भी 4 प्रकार का होता है । 1 सिर । मस्तिष्क या मुख । दूसरा बाहु या भुजायें । तीसरा उदर । और चौथा पैर । मुख या मस्तिष्क शरीर में ज्ञान के आदान प्रदान का काम करता है । बाहु या भुजाऐं शरीर के विभिन्न अंगो की आवश्यकता के अनुसार उस भोजन के सार को सारे शरीर में बिना किसी भेदभाव के वितरण करने का काम कर सकता है । और पैर सारे शरीर को इधर उधर लाने ले जाने या श्रम करने का काम करते हैं । शरीर के इन अंगों में कोई ऊँच नीच का भेदभाव नहीं है । अपितु इन अंगों के काम करने का सामर्थ्य के अनुसार ये अंग अपना अपना काम स्वयं करते हैं । इसी प्रकार समाज भी 1 सर्वांगीण शरीर के रूप 

में है । और समाज में भी प्रमुख रूप में है । और समाज में भी प्रमुख रूप से यही 4 प्रकार के कार्यकलाप चलते हैं । इनमें ज्ञान के आदान प्रदान का काम करने वाले वर्ण को - ब्राह्मण । समाज और राष्ट्र की रक्षा करने वाले को - क्षत्रिय । कृषि, पशुपालन और व्यापार आदि अर्थव्यवस्था संबंधी काम करने वाले को - वैश्य । और समाज की अन्य सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्त्यर्थ काम करने वाले मानव वर्ण को शूद्र वर्ण से कहा गया है । समाज की इसी व्यवस्था को ऋग्वेद के प्रसिद्ध मंत्र में निरूपित किया है ।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=678801495472215&set=at.675662945786070.1073741827.675655572453474.1222773232&type=1&theater
***************
relations are like a book. it takes a few second to burn. but it takes years to write. Girish Aryan
***************

ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मां विद्विषावहै ।
- हम दोनों की रक्षा करो । हम दोनों का पालन करो । हम दोनों साथ में रहकर तेजस्वी दैवी कार्य करें । हम दोनों का किया हुआ अध्ययन तेजस्वी और दैवी हो । और हम दोनों परस्पर एक दूसरे का द्वेष न करें ।
***************
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10201837163984096&set=a.2660461544093.2135285.1032545170&type=1&theater
***************
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=176566315871072&set=a.112231468971224.1073741826.100005531142907&type=1&theater
***************
http://www.youtube.com/watch?v=Gy6KbVhTUuE&feature=youtu.be
***************
दोस्तो ! आज मैं मेरी देश की नाजायज औलादों का इतिहास आपको बताता हूँ । कांग्रेस को मुस्लिमों से प्यार क्यों है ? कांग्रेस का जन्म - आज से 132 साल पहले अफगानिस्तान के गाजी खान ने अंग्रेज़ो के साथ मिलकर

पार्टी बनाई थी । गाजी खान के 3 लड़के थे । सबसे बड़ा - फ़ैजल खान । उसके बाद - सलीम खान । और सबसे छोटा - मोइन खान ( मोतीलाल नेहरू ) फ़ैजल खान 1 बीमारी की वजह से 14 साल की उम्र में ही मर गया । सलीम खान शादी के बाद कश्मीर में रहने लगा । उसी सलीम खान का वंशज की औलाद आज कश्मीर में फ़ारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला है । जो कांग्रेस के साथ है । अब बात आती है - हाजी खान की । हाजी खान ने चुनाव लड़ा । पर कभी जीता नहीं । हाजी खान के मरने के बाद मोइन खान ने हिन्दू धर्म अपना लिया । और मोतीलाल नेहरू बन गया । पर वो भी कभी चुनाव नहीं जीता । उसके बाद मोतीलाल की औलाद नेहरू ने जिन्ना ओर गांधी के साथ मिलकर रणनीति बनाई । जब अंग्रेज़ 1947 में देश छोड़ रहे थे । जिन्ना को पाकिस्तान का पी एम बनाया जाएगा । और नेहरु को इंडिया का पी एम बनाया जाएगा । पर जनता सरदार पटेल को पी एम बनाना चाहती थी । पर गांधी ने नेहरू का साथ दिया । और नेहरू को पी एम बना दिया । फिर नेहरू की बेटी इंदिरा । जो फिरोज खान से निकाह किया था । फिर वो मुसलमान बन गए । पर गांधी ने इंदिरा को अपना नाम दे दिया । उसी दिन से ये मुल्ले गांधी का नाम लगाकर देश को लूट रहे है । फिरोज खान के बाद राजीव खान । राजीव खान के बाद सोनिया खान । सोनिया खान के बाद अब राहुल खान । इस पोस्ट को इतना शेयर करो दोस्तो कि इस नकली गांधी परिवार का सच पूरे देश को पता चले । जो अपने खानदान को त्याग और बलिदान का खानदान बताते हैं । वन्दे मातरम । द्वारा Anurag Goel
***************
ये सारी करामात टी वी के आकर्षण की है । टी वी का आविष्कार लोगों को गुलाम बनाकर रखने के लिए किया गया था । ये 1 ऐसी मशीन है । जो आपके " क्रिटिकल थिंकिंग " वाले लेफ्ट ब्रेन को निष्क्रिय कर देती है । ताकि आप जो देखें । उसके लिए submissive response ही दें । राजीव भाई ने ये बहुत अच्छी तरह से समझाया है । Vatsal Anand
http://www.youtube.com/watch?v=OdCVRsj38vY
***************
http://herbalsatt.blogspot.com/2011/01/19-arjuna.html
***************
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=536387226447691&set=a.313338668752549.73826.313312622088487&type=1&theater
***************
https://www.facebook.com/media/set/?set=a.161942117293117.38101.161341684019827&type=1

एक REXONA नाम की लड़की थी

इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस पर मेरी ओर से इस इस गांधी/नेहरू परिवार की 1 और सच्चाई आपके सामने है । आप खुद फैसला करें । यह महिला कितनी महान थी ? The Nehru Dynasty ( ISBN 10:8186092005  ) किताब में के. एन. राव कहते हैं - इंदिरा गाँधी ( श्रीमती फिरोज खान ) का जो दूसरा बेटा था - संजय गाँधी । वो फिरोज खान की औलाद नहीं था । बल्कि वो 1 दूसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था । दिलचस्प बात ये है कि संजय गाँधी की शादी 1 सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी । जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था । क्योंकि वो संजय की शादी अपनी पसंद की 1 मुस्लिम लड़की से करवाना चाहता था । जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई । तब मोहम्मद युनुस ही

सबसे ज्यादा रोया था । युनुस की लिखी 1 किताब " Persons, Passions & Politics ” ( ISBN-10: 0706910176 ) से साफ़ पता चलता है कि बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार खतना किया गया था । ( खतना - जिसमें उनके लिंग के आगे के कुछ भाग को थोडा सा काट दिया जाता है ) यह सच है कि संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था । संजय का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण था । जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया । इंदिरा गांधी भी उसकी इन सब बातों ( कुकर्मों ) को नजरअंदाज करती रही । और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया करता था । 1 माँ के ममत्व के लिए कलंकित 1 उदाहरण - जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घंतना के साथ उसकी मौत की खबर इंदिरा गाँधी तक पहुंची । तो इंदिरा गाँधी के पहले बोल थे - उसकी घडी और चाबियाँ कहाँ हैं ? अवश्य ही उन वस्तुओं में भी इस खानदान के कुछ राज छुपे हुए होंगे । 1 बात और । संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना भी पूर्ण रूप से रहस्यमय थी । संजय गाधी का प्लेन गोता लगते हुए बिना किसी चीज से टकराए क्रेश हो गया । ऐसा सिर्फ उस स्थिति में होता है । जब विमान में ईंधन ख़तम हो जाये । लेकिन उस समय का उड़ान रजिस्टर बताता है कि उड़ने से पहले ही टेंक पूरा भरा गया था । और बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने प्रभाव का इन्स्तेमाल करते हुए जाँच निषिद्ध कर दी । दुबारा से श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्यार के किस्सों पर आते हैं । केथरीन फ्रेंक की 1 किताब " The Life of Indira Nehru Gandhi  ” ( ISBN -  9780007259304 ) में इंदिरा गाँधी के कुछ दूसरे प्यार के 

किस्से उजागर होते हैं । ये लिखा गया है कि इंदिरा गाँधी का पहला चक्कर पहली बार अपने जर्मन के अध्यापक के साथ चला था ।  बाद में अपने बाप जवाहर लाल के सेक्रेट्री एम ओ मैथई के साथ भी उसका प्रेम परवान चढ़ा ।
फिर अपने योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और उसके बाद विदेश मंत्री दिनेश सिंह के साथ इनका प्रेम परवान चढ़ा । पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक " Profile and Letters ” ( ISBN - 8129102358 ) में मुगलों के प्रति इंदिरा गांधी का आदर के संबंध के बारे में 1 दिलचस्प रहस्योदघाटन किया । इसमें कहा गया कि जब 1968 में प्रधान मंत्री रहते इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान की अधिकारिक यात्रा पर गयी । तब नटवर सिंह उनके साथ 1 आई. एफ़. एस. अधिकारी के तौर पर गए हुए थे । दिन के सभी कार्यक्रमों के बाद इंदिरा गाँधी सैर के लिए जाना चाहती थी । थोड़ी दूर तक कार में चलने के बाद इंदिरा गाँधी ने बाबर की दफनगाह को देखने की इच्छा जाहिर की । हालांकि ये उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी । अफगानी सुरक्षा अधिकारियों ने भी इंदिरा को ऐसा न करने की सलाह दी । लेकिन इंदिरा अपनी बात पर अड़ी हुई थी । और अंत में इंदिरा उस जगह पर गयी । यह 1 सुनसान जगह थी । वह वहां कुछ देर तक अपना सिर श्रद्धा में झुकाए खड़ी रही । नटवर सिंह वहीँ उसके पीछे खड़ा था । जब इंदिरा गाँधी का ये सब पूजा का कार्यक्रम खत्म हुआ । तब वो मुड़ी । और नटवर सिंह से बोली - आज वो अपने इतिहास से मिलकर आई है । किसी को अगर समझ न आया हो । तो बता दूँ कि बाबर को ही हिंदुस्तान में 

मुग़ल सल्तनत का संस्थापक मन जाता है । और ये गाँधी नेहरु का ड्रामा उसके बाद ही शुरू हुआ था । उच्च शिक्षा के कितने संस्थानों के नाम इस परिवार और इनके चापलूसों ने राजीव गाँधी के नाम पर रख दिए । इसकी गिनती करना तो बहुत मुश्किल काम है । लेकिन अपने जीवन में राजीव गाँधी खुद 1 कम क्षमता और पढ़ाई में कमज़ोर था । 1962 से 1965 तक उसने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में 1 यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था । लेकिन उसने डिग्री के बिना कैम्ब्रिज छोड़ दिया । क्योंकि वह परीक्षा पास नहीं कर सका । 1966 में अगले वर्ष, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दाखिल हुआ । लेकिन फिर से डिग्री के बिना छोड़ दिया । जय हिन्द !
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1429011320660695&set=at.1405204283041399.1073741827.100006555226210.100005986536170&type=1&theater
*******
अदरक । अदरक रूखा, तीखा, उष्ण तीक्ष्ण होने के कारण कफ तथा वात का नाश करता है । पित्त को बढ़ाता है ।

इसका अधिक सेवन रक्त की पुष्टि करता है । यह उत्तम आम पाचक है । भारतवासियों को यह सात्म्य होने के कारण भोजन में रूचि बढ़ाने के लिए इसका सार्वजनिक उपयोग किया जाता है । आम से उत्पन्न होने वाले अजीर्ण, अफरा, शूल, उलटी आदि में तथा कफजन्य सर्दी खाँसी में अदरक बहुत उपयोगी है । सावधानी - रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए । अदरक साक्षात अग्नि रूप है । इसलिए इसे कभी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए । ऐसा करने से इसका अग्नि तत्त्व नष्ट हो जाता है । औषधि प्रयोग - उलटी - अदरक व प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 चम्मच लेने से अथवा अदरक के रस में मिश्री में मिलाकर पीने से उलटी होना व जी मिचलाना बन्द होता है । हृदय रोग - अदरक के रस व पानी सम भाग मिलाकर पीने से हृदय रोग में लाभ होता है । मंदाग्नि - अदरक के रस में नींबू व सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से जठराग्नि तीव्र होती है । उदरशूल - 5 ग्राम अदरक, 5 ग्राम पुदीने के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर पीने से उदरशूल मिटता है । शीत ज्वर - अदरक व पुदीने का काढ़ा देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है । शीत ज्वर में लाभप्रद है । पेट की गैस - आधा चम्मच अदरक के रस में हींग और काला नमक मिलाकर खाने से गैस की तकलीफ दूर होती है । सर्दी खाँसी - 20 ग्राम अदरक का रस 2 चम्मच शहद के साथ सुबह शाम लें । वात कफ प्रकृति वाले के लिए अदरक व पुदीना विशेष लाभदायक है । खाँसी एवं श्वास के रोग - अदरक और तुलसी के रस में शहद मिलाकर लें ।
*******
ये मरजीवा अमृत पिवा, क्या धँसी मारसि पतार ।
गुरु की दया साधु की संगति, निकरि आव यही द्वार । 
*******
Waking up to who you are requires letting go of who you imagine yourself to be.
*******
Wonderful words - If you want a happy ending,
You MUST know where to end the story.
*******
http://www.hindujagruti.org/hindi/news/3579.html
*******
http://en.wikipedia.org/wiki/C/2012_S1
*******
वैसे इसे प्रलाप के बजाय " विधवा प्रलाप " कहना उचित है । क्योंकि जैसे मुसलमानों के पास - कुरआन,

मुहम्मद और स्वर्ग से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे ईसाईयों के पास - बाइबल, ईसामसीह और स्वर्ग से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे सिखों के पास - गुरुग्रन्थ साहब, गुरुनानक और अज्ञात गुरुधाम ? से ज्यादा कुछ नहीं । जैसे हिन्दुओं के पास - अनेकों पोथियां, अनेकों गुरु और स्व कल्पित स्वर्ग, विष्णु लोक, गोलोक आदि आदि से ज्यादा कुछ नहीं । वैसे ही इन वर्तमान आर्य समाजियों के पास - ( सिर्फ़ दयानन्द कृत या समर्थित ) ऋग्वेद, दयानन्द और प्राप्ति..? मुझे ज्ञात नहीं । से ज्यादा कुछ नहीं है । 
- विधवा प्रलाप से आशय उस स्त्री की भावना के समान है । जो स्वामी रहित होकर सिर्फ़ वैचारिकता आधारित काल्पनिक चित्र बनाती हुयी सुख दुख महसूस करने को विवश है । क्योंकि अब उसका स्वामी काल्पनिक ही रह गया । व्यवहार और अनुभूति के तल पर उपस्थिति नहीं है । गौर करिये । तमाम वैश्विक धार्मिक भावनायें अधिकांशतः यहीं तक सीमित हैं ।
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_30.html
*******
आप प्रश्न कर सकते हैं - मेरे मार्ग, पुस्तक या प्राप्ति आदि आदि के बारे में । तो सुनिये - हम न मरिह मरिहे संसारा । हमको मिला जियावन हारा । जा मरिवै में जग डरे मेरे मन आनन्द । मरने ही से पाईये पूरा परमानन्द । मरन मरन सब कोइ कहे मरन न जाने कोय । एक बार ऐसे मरो । फ़ेर मरन ना होय । तू कहता कागज की लेखी । मैं कहता आँखन की देखी । मसि कागद छुओ नहीं कलम गही न हाथ । सब धरती कागद करों लेखन सब वनराइ । सब समुद्र की मसि करों गुरु गुन लिखा न जाय । सन्तन की महिमा रघुराई । बहु विधि वेद पुरानन गाई ।
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_30.html
*******
वर्तमान आर्य समाजियों के पास - पुस्तक है । उसमें मनमानी टीका भी है । ऋषि ( शब्द पर गौर करें ) दयानन्द भी हैं । व्यर्थ अहम भी है । कट्टरता भी है । बस नहीं है तो सिर्फ़ - परमात्मा । शाश्वत ज्ञान । परम सत्य । क्योंकि ये सब शास्त्रों में नहीं । भक्त मनुष्य के अन्दर हैं ।
कस्तूरी कुंडल बसै मृग खोजे वन मांहि । 
ऐसे घट घट राम हैं दुनियां जाने नाहिं । 
हर घट तेरा साईयां सेज न सूना कोय ।
बलिहारी उन घटन की जिन घट परगट होय ।
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_30.html
*******
एक REXONA नाम की लड़की थी । जिसके मम्मी पापा का नाम DAYNA और CINTHOL था । एक 

MARGO नाम का लड़का था । जो REXONA को प्यार करता था । और REXONA भी MARGO को अपना LIFEBOY बनाना चाहती थी । दोनों का प्यार PEARS की तरह बिलकुल साफ था । दोनों की शादी FAIR & LOVELY गार्डन में हुई ।
शादी में -DETOL, MEDIMIX, LUX, FAA, NIRMA, VIVEL, DOVE Etc . आते हैं । शादी के कुछ साल बाद उनके जुड़वाँ बच्चे हुए । जिनका नाम होता है - JOHNSON & JOHNSON. हंसो मत..ये एक तरीका था । आपको बताने का कि बाजार में साबुन की पूरी family है । किसी एक member को पकड़ो । और नहा लो । मैं हूँ हिन्दूस्तानी ।
*******
If there is peace in your mind you will find peace with everybody. If your mind is agitated you will find agitation everywhere. So first find peace within and you will see this inner peace reflected everywhere else. You are this peace! You are happiness, find out. Where else will you find peace if not within you ? Papaji
*******
http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/10/131031_ias_political_boss_ap.shtml
*******
http://navbharattimes.indiatimes.com/india/national-india/parakhs-explosive-letter-nails-mafia-within-coal-ministry/articleshow/24712614.cms
*******
http://ca.news.yahoo.com/video/ufo-over-virginia-usa-124511340.html
*******
डॉ जाकिर नाइक ने जिस मौलाना की किताब से ये बातें चुराई हैं । वो कोई ऐसा वैसा मोमिन नहीं है । वो 1 ऐसे 

फिरके ( वर्ग ) से है । जिसे मुसलमानों का कोई फिरका मुसलमान नहीं समझता । यहाँ तक कि उन्हें काफिरों से भी बदतर समझा जाता है । और सब मुस्लिम मुल्कों में उस पर पाबंदी है । जी हाँ ! यह फिरका कादियानी मुसलमानों ( ? ) का है । जिसे अहमदी भी कहा जाता है । तो बात यह है कि मौलाना अब्दुल हक, जिसकी किताब से जाकिर भाई ने चोरी की है । वो 1 कादियानी/अहमदी मुसलमान है । जिसको खुद जाकिर भाई भी मुसलमान नहीं समझते । जाकिर भाई खुले तौर पर कादियानियों को काफिर बोलते हैं । मिसाल के तौर पर इस लिंक को देखें -
http://www.youtube.com/watch?v=8TUek3ZthYA
*******
मुसलमान दोस्त क्यों कादियानियों से नफरत करते हैं ? असल में कादियानी फिरका मुहम्मद साहब को आखिरी पैगम्बर नहीं समझता । यह फिरका 19वीं सदी के 1 आदमी मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी ने चलाया था । जिसने आम मुसलमानों की मुखालफत ( विरोध ) करते हुए खुद को मसीहा कहा था । और साथ ही यह भी दावा किया कि उस पर भी अल्लाह के इल्हाम उतरते हैं । जैसे मुहम्मद पर उतरा करते थे । तो इस तरह कादियानी मुहम्मद को आखिरी पैगम्बर नहीं मानते । यही नहीं । कादियानी फिरके के लोग यह भरोसा रखते हैं कि राम, कृष्ण, बुद्ध, गुरु नानक वगैरह भी अल्लाह के पैगम्बर थे । इसके साथ ही यह फिरका कल्कि अवतार ( अल्लाह का इंसान बनके धरती पर आना ) को आखिरी नबी बताता है । मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी को अपनी नबुव्वत पर इतना भरोसा था कि उसने उन लोगों को दोजख की धमकी दी । जो उसमें ईमान नहीं लाये । चक्रपाणि त्रिपाठी
http://www.youtube.com/watch?v=8TUek3ZthYA
*******
http://www.billionbibles.org/sharia/muhammad-false-prophet.html
*******
देखिये ! क्रियात्मक सनातन धर्म भक्ति के प्रति ना जानकार लोग मेरे तथ्यों कथनों से विचलित हो सकते हैं । पर मैं जो कुछ कहता हूँ । मानव धर्म के लिये कहता हूँ । न कि किसी धर्म विशेष के प्रति । क्या ये दावे से कहा जा सकता है कि सिर्फ़ 20 000 वर्ष पहले यही या कोई 1 धर्म किस रूप में स्थापित था ? क्या धर्म सिर्फ़ 20 000 की आयु वाला है । या सृष्टि कुछ ही हजार साल आयु की है । अतः किसी भावना विशेष के बजाय स्वस्थ चिन्तन के नजरिये से सोचें । इसमें अगर कुछ गलत हो । तो निसंकोच बतायें । राजीव कुलश्रेष्ठ
http://searchoftruth-rajeev.blogspot.in/2013/10/blog-post_30.html
*******
http://www.youtube.com/watch?v=0i1IuRsP0Rs
*******
http://vaticproject.blogspot.com/2013/10/vatic-alert-update-1030-typhoon.html