20 अक्तूबर 2013

Sir ! आप उन कमीनों को नहीं जानते

सरजी नमस्ते ! मैंने ही आप से कल बात की थी । कुंडलिनी साधना में आने वाली प्राब्लम्स के बारे में । मैं ( नाम...) पूना महाराष्ट्र से हूँ । उम्र 49 yrs रनिंग  unmarried ( पता नहीं क्यों unmaaried रही मैं । जबकि मैंने और मेरी फ़ैमिली ने हमेशा चाहा कि मेरा घर बस जाये  और वो सब मेरी भविष्य की चिंता से मुक्त हो जाये । जैसे कि आम घर घर की ये कहानी हैं ) मराठी हूँ । 
यहाँ फेसबुक पर आकर थोडा बहुत हिंदी सीखा  जाहिर है   मेरे लिखने में काफी गलतियां होती हैं । उसके लिए क्षमस्व । मैं और मेरी पूरी फ़ैमिली मेरे जन्म से ही अतीव दुःख और गरीबी अपमान न जाने किन किन प्राब्लम्स से गुजर रही है । हाँ ! आज थोडा कुछ बदलाव है । कारण मेरा भाई कुछ ठीक से जॉब में लग गया हैं । पर उसके साथ नयी प्राब्लम्स भी जुड़ गयी हैं । पहले ही पुराने प्राब्लम्स पर हम कोई solution नहीं ढूढ़ पाए थे । और नयी जुड़ती जा रही प्राब्लम्स । मैंने या मेरी फ़ैमिली से किसी ने भी ये नहीं चाहा कि कोई आये । और हमारे दुःख दर्द अपने सर ले ले । और हमें हमारे गत जन्मों के पाप से छुटकारा दिला दे । बस इन प्राब्लम्स से हल ढूढने की कोशिश जरुर रही । और सारी कोशिशें नाकाम भी रही । इसी में से 1 कोशिश कुण्डलिनी जाग्रति की दीक्षा है । जिसमें मैं पता नहीं कहाँ तक पर नाकाम जरुर हूँ । कारण ये दीक्षा मैंने ली तो थी । अंदाजे तारीख 4 में 2004 को । उसके बाद साधना की जब भी कोशिश करती ( इनफ़ेक्ट जिन्दगी जीने के लिए कोई भी कोशिश मैं करती हूँ । नाकाम रहती हूँ । थक भाग कर हार कर छोड़ देती हूँ । उस 

कोशिश को । और नयी दिशा की तलाश में निकलना ही पड़ता है । कारण ये जिन्दगी तो जीनी है । और पूर्वजन्म के पाप भुगत कर ख़तम करने ही हैं । वरना छुटकारा नहीं  ये समझ गयी हूँ ) कुछ न कुछ प्राब्लम आते थे । आखिर में मैंने ये साधना भी छोड़ दी थी । फिर फेसबुक पर यहाँ ऐसे लोग दोस्त के रूप मिलते गए । तब उनसे जो संदेशे मिलते गए । लगा कि ईश्वर कह रहा है । साधना शुरू करो । और मैंने पिछले दिसम्बर 2012 से साधना की फिर से 1 बार कोशिश शुरू की । शुरू में मैं आने वाले अनुभवों से डरी । पर इस बार हार नहीं माननी । वरना आगे बढ़ने का रास्ता कभी नहीं मिलेगा । ये रटती रही मन ही मन । पर आज 1 साल होने को आया । मैं समझ गयी साधना के वक्त शरीर में हलचल तो महसूस होती है । पर आँखों के सामने अँधेरा होता है । और कुछ खास प्रोग्रेस मैंने महसूस नहीं किया । मेरे जीवन में या मेरी तन और मन की बीमारियों में । मुझे अनीमिया और पाचन की बीमारी है । और बस जन्म से दुःख भुगते आ रहे हैं । तो जाहिर है । मन भी बीमार रहता है । जैसे डिप्रेशन । ये तो हमारे पूरे घर पर छाया हुआ है । मेरे जिन्दगी के सारे अनुभवों को देख मेरे भाई ने कहा था कि फेसबुक यूज़ कर रही हो । और ये तेरा नसीब है । तो अपना रियल नाम वहाँ यूज़ मत करना । बस जो लोग सही है । उन्हें ही अपना रियल नाम बताना । इसीलिए मेरा ......नाम है वहाँ । कोशिश की है । कम से कम शब्दों में मेरी प्राब्लम्स मैं आप से शेयर करूँ । आशा है । मुझे कोई हल आप जरुर बताएँगे । फिर से एक बार क्षमस्व । अगर मेरा कोई शब्द गलत लगता हो तो ।
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लगभग 15% जीवन सामान्य जीवन की श्रेणी में नहीं आता । जैसे प्रसिद्ध उदाहरण में श्रीकृष्ण के द्वारपाल जय विजय फ़िर वहाँ से शापित होकर सबसे प्रसिद्ध जन्म में हिरणाकश्यप हिरण्याक्ष इसके बाद एक लम्बे समय बाद रावण कुम्भकरण इसके बाद फ़िर लम्बे समय बाद कंस और शिशुपाल बने । इनके इन प्रमुख जन्मों में बहुत लम्बा अन्तर था । 
गीता में श्रीकृष्ण का कथन याद करो - मनुष्यों में मैं राजा हूँ । सामान्य राजाओं को छोङकर तपस्वी शक्तियां ही अक्सर राज पदों पर शोभित होती हैं । तप कर राज  राज कर नरक । यह निश्चय सूत्र है । दरअसल ये बेहद गूढ और सूक्ष्म है  जो आमने सामने ही सम्भव है । ऐसे ही ये निकोलस किसी ऋषि कुल आदि से तपस्वी रहा हो सकता है । जो बाद में अपनी महत्वाकांक्षा नष्ट होते देख असुरत्व को प्राप्त हुआ । राजीव कुलश्रेष्ठ
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सोहंग शब्द - संसार का कोई भी मनुष्य हो । उसकी सांस में सो-हंग ध्वनि ही निकल रही है । इसका कोई भी परीक्षण कर सकता है । सांस से अधिक आधार और प्रमाण हमारे शरीर में अन्य नहीं  अतः इसी को आदिकाल से निर्वाणी और अजपा नाम कहा है । क्योंकि सांस मनुष्य जपता नहीं है  वह स्वयं ही है । जपु आदि सचु जुगादि सचु  है भी सचु नानक होसी भी सचु ।  
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आज्ञाचक्र पर ध्यान - जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर होता है । शरीर या मन या चेतना की सभी क्रियाओं का

नियन्त्रक केन्द्र । आप कोई भी साधना न करते हों  तो भी आप शरीर को क्रियान्वित करने या नियन्त्रित करने हेतु यहीं से आदेश देते हैं । इस बात को वर्तमान विज्ञान भी मानता है । विक्षिप्त या मन्दबुद्धि व्यक्तियों का आज्ञाचक्र ही विकारी होकर सिकुङ जाता है । बुद्धिमान विवेकी व्यक्तियों का आज्ञाचक्र खिला और विकसित होता है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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बाजे बजते हुये सुनाई देँगे - शिव पुराण आदि तमाम ग्रन्थों में जहाँ सुरति शब्द योग का जिक्र आया है । दस तुरंगी आवाजों का वर्णन किया है । घण्टा शंख घङियाल बांसुरी मृदंग नफ़ीरी बादल की गङगङाहट आदि आवाजें सुनायी देती हैं । और मन मन्दिर में जलते दीप आदि जलते दिखायी देते हैं । इसी हेतु कहा है - तेरे पूजन को भगवान । बना मन मन्दिर आलीशान । लेकिन इसके लिये " विचार शून्यता " या शून्य समाधि का ज्ञान या अभ्यास कम से कम आवश्यक है । राजीव कुलश्रेष्ठ
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पप्पू ने 1 लड़की को कमल का फूल दिया ।
लड़की ने पप्पू को 1 जोर का थप्पड़ मारा ।
पप्पू बोला - मैं तो बीजेपी ( BJP ) का प्रचार कर रहा हूँ ।
लड़की बोली - मैं भी कांग्रेस का प्रचार कर रही हूँ । कापी पेस्ट
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ओशो ने 1965 से 1990 तक पुकारा है । जो लोग उनके साथ हो लिए । वो बहुत ही भाग्यशाली हैं । और उसके बाद जो आए हैं । वो भी कम भाग्यशाली नहीं हैं । क्योंकि सदगुरु हमेशा मौजूद होता है । सदगुरु जब तुम्हें पुकारेगा । तो मंदिर रोकेंगे । मस्जिद रोकेगी । दुकान रोकेगी । बाज़ार रोकेगा । घर रोकेगा । परिवार रोकेगा । सब रोकेंगे । सारा संसार तुम्हें घेरा बांधकर खड़ा हो जाएगा । तुम बड़े चकित होओगे । इस संसार ने कभी तुम्हारी चिंता न की थी । लेकिन जिस दिन तुम गुरु की आवाज़ सुनोगे । सारा संसार तुम्हे रोकेगा । लेकिन फिर रुकना असंभव है । OSHO
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बच्चों की बुखार की आम दवा पैरासिटामोल घर घर में मौजूद 1 आम दवा है । इसके कई नाम हैं । जैसे -

क्रोसिन कालपोल इत्यादि । पैरासिटामोल के कुछ चौंकाने वाले तथ्य - पैरासिटामोल का ओवर डोज ( अधिक मात्रा ) जहर है । और प्राण घातक है । यह बात कई लोगों को पता नहीं है ) ओवर डोज़ से लीवर फेल होने से मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है ) ज्यादा दिन लगातार लेने से किडनी फेल हो जाती है )लगातार लेने से लीवर पर बुरा असर पढता है । और पीलिया ( ज्योंडिस ) हो जाता है । ओवर डोज क्यों होता है ? डाक्टर की लापरवाही से । बुखार से पीड़ित डाक्टर के पास आने पर पहले से पैरासिटामोल ले रहा होता है । डाक्टर अपनी चतुराई दिखाकर उसे " एसिटामिनोफिन " लेने को कहते हैं । जो कि पैरासिटामोल का दूसरा नाम है । मरीज़ इन दोनों को अलग दवा समझ कर दोनों लेता है । और नतीजा ओवर डोज । Paracetamol toxicity is caused by excessive use or overdose of the analgesic drug paracetamol ( called acetaminophen America ). Mainly causing liver injury, paracetamol toxicity is one of the most common causes of poisoning worldwide. In the United States and the United Kingdom it is the most common cause of acute liver failure. Many individuals with paracetamol toxicity may have no symptoms at all in the first 24 hours following overdose. Others may initially have nonspecific complaints such as vague abdominal pain and nausea. With progressive disease, signs of liver failure may develop; these include low blood sugar, low blood pH, easy bleeding, and hepatic encephalopathy. untreated cases may result in death.
साभार - डाक्टरों और अस्पतालों की लूट ।
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भारत की सभी नदियां आज से 100 से 200 साल पहले बिलकुल अमृत समान थी । उनका जल इतना पवित्र था कि भारत में किसी भी व्यक्ति की किडनी खराब नहीं होती थी । उसका कारण था यही - गौ तीर्थ ।
आप कहेंगे । यह सब बकवास है । लेकिन जब इसका हमने वैज्ञानिक अध्ययन किया । और इसकी जांच भारत की दूसरी सबसे बड़ी लेबोरेट्री में करवाया । तो ज्ञात हुआ कि इस भस्म में नारियल पानी से भी ज्यादा पोषक तत्व मौजूद हैं । इसमें आक्सीज़न की मात्रा 46.6% है । इसमें तांबा 80 ppm है । और ऐसे करीब 50 से ज्यादा प्राकृतिक रूप से इसमें पोषक तत्व मौजूद हैं । इसी को जब पूजन सामग्री में उपयोग के बाद नदियों में डाला जाता था । तो ये नदियां शुद्ध हुआ करती थीं ।
इसी से जब हमारे बर्तन धुला करते थे । तो ये हमारे शरीर में जाती थी । और हमारे शरीर में कम होने वाले पोषक तत्व और आक्सीज़न की कमी को दूर कर देती थी । इसी की वजह से भारत के लोगों की किडनियां हमेशा सुरक्षित रहती थी । आज भी हमारे हजारों किडनी पेशेंट इसकी सहायता और उपयोग की वजह से पूरी तरह ठीक हो गए हैं । आप सभी से विनम्र निवेदन है कि अपने स्वास्थ की रक्षा के लिए और देश की गौ माँ की रक्षा के लिए इस पवित्र " गौ तीर्थ औषधि " का उपयोग कीजिये - आर्य जितेंद्र ।
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अगर आप जोड़ों के दर्द, पसलियों के दर्द या ठंड में किसी अन्य तरह के दर्द से परेशान हैं । तो अजवाइन से बेहतर कोई औषधि नहीं है । अजवाइन को आयुर्वेद में कई बीमारियों की 1 दवा माना गया है । अजवाइन गैस व कफ के रोगों को दूर करने वाली है । दर्द, वायुगोला आदि रोगों का नाश करती है । आचार्य चरक के अनुसार अजवाइन दर्द को मिटाने वाली व भूख बढ़ाने वाली है । आचार्य सुश्रुत ने अजवाइन को दर्द निवारक व पाचक माना है । प्रसूता स्त्री के शरीर पर अजवाइन का चूर्ण मलने से प्रसव के कारण हुई शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है । कैसा भी जोड़ों का दर्द हो । अगर उस पर अजवाइन का तेल बनाकर लगाया जाए । तो दर्द में बहुत जल्दी राहत मिलती है । 10 ग्राम अजवाइन का तेल । 10 ग्राम पिपरमेंट और 20 ग्राम कपूर तीनों को मिलाकर 1 बोतल में भर दें । दर्द या कमर दर्द या पसली दर्द, सिर दर्द आदि में तुरंत लाभ पहुंचाने वाली औषधि है । इसकी कुछ बूंदे मलिए । दर्द छूमंतर हो जाएगा । अजवाइन के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द जकडऩ तथा शरीर के अन्य भागों पर भी मलने से दर्द में राहत मिलती है ।

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