22 अक्तूबर 2013

पंजाबियों की 5 पसन्द

लूट की खूली छूट ! काले लोगों को गोरा करने के नाम पर लूटने वाली कम्पनी हिंदुस्तान लीवर ने न्यायालय से फटकार खाने के बाद अपने विज्ञापनों में गोरापन शब्द का इस्तेमाल तो बंद कर दिया है । पर उसकी जगह निखार शब्द का प्रयोग शुरू किया है । यानी शब्द बदल दिए नियत नहीं बदली । गाय और सूअर की चर्बी मिलाकर क्रीम बनाने में कौन से फार्मूला की जरुरत पड़ सकती है भला । पर लोगों को बरगलाने के लिए पैक पर विज्ञान के प्रतीक DNA का चित्र लगाया गया है । जिसे दिखाकर भोले भाले लोगों के मन में यह झूठ बिठाया जा सके कि फेयर एंड लवली को बनाने में बहुत ऊँची टेक्नॉलोजी लगती है । झूठ फैलाने की हद देखिये कि विज्ञापन में दावा किया गया है कि फेयर एंड लवली लगाने पर फेयरनेस " ट्रीटमेंट जैसा निखार " मिलेगा । पर नीचे बहुत ही छोटे शब्दों ( जो सूक्ष्मदर्शी की मदद के बिना नहीं पढ़े जा सकते ) में लिखा है कि - हमारा आशय कास्मेटिक क्षेत्र में प्रयुक्त ट्रीटमेंट से है । परिणाम चिकित्सालय/क्लिनिक में प्रयुक्त ट्रीटमेंट के समान नहीं होंगे । सर्वश्रेष्ठ परिणाम 

के लिए रोजाना प्रयोग करें । आप समझ सकते हैं कि ट्रीटमेंट यानी उपचार तो क्लिनिक/चिकित्सालय में ही होता है । कास्मेटिक से कौन सा ट्रीटमेंट होता है भला ? फिर रोजाना क्यों प्रयोग करें भला । और इन विज्ञापनों में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी लिपि में प्रयोग किया जाता है । ताकि अंग्रेजी शब्द पढ़ाकर लोगों के मन में क्वालिटी का झूठ बिठाया जा सके । पैक पर लिखा है - एडवान्सड मल्टी विटामिन । एक्सपर्ट फेयरनेस सोल्यूशन । विटामिन कब से लोगों को गोरा बनाने लग गए ? पर मूर्ख लोग इनकी बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं । 1 नमूना देखिये - अब पहले से बेहतर नयी बेस्ट एवर फेयर एंड लवली । बेस्ट एवर फेयर एंड लवली का नॉन ऑयली एडवांस्ड फार्मूला दाग - धब्बे घटाये । और पहले से भी बेहतर निखार । ट्रीटमेंट जैसा निखार । बेस्ट एवर फेयर एंड लवली आज ही ट्राई

करे । अंग्रेजी में लिखे इन शब्दों को पढ़ते ही मूर्ख लोगों को लगता है कि यह बहुत अच्छी व उच्च क्वालिटी की चीज है । भले ही वे इनका अर्थ ना समझ सकें हों । - पेप्सी और कोकाकोला का बाजा बजाने के बाद स्वदेशी प्रचारकों से हमारा अनुरोध है कि हमारा अगला शिकार फेयर एंड लवली समेत तमाम वो उत्पाद होने चाहिए । जो हमारी माताओं बहनों को गोरा होने का सपना दिखाकर हीन भावना से भर देते हैं । और आर्थिक रूप से भी लूट लेते हैं । अगर हम सब मिलकर इनके विरुद्ध आवाज उठाएंगें । तो वो दिन दूर नहीं । जब हम पेप्सी और कोकाकोला की तरह हिन्दुस्तान यूनीलीवर का भी बंटाधार करके स्वदेशी की आवाज बुलंद कर देंगे । Rajiv Dixit.
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उन सबके लिए जो पंजाबियों के बारे में कुछ नहीं जानते ।
स्‍यापा - किसी भी तरह की आपदा । यानी डिजास्‍टर को 1 शब्‍द में बयान करना ।
- इस धरती पर सबसे स्‍वादिस्‍ट खाना - लंगर ।
- वह चीज जो किसी भी पंजाबी के चेहरे पर मुस्‍कान लाने के लिए काफी है – राजमां चावल ।
- पंजाबी का फिटनेस मंत्र – ए बाटल ए डे । कीप्‍स द डाक्‍टर अवे ।
- लाउड होना । पंजाबियों का जन्‍मसिद्ध अधिकार है । और उसे हर पंजाबी को हासिल करना ही चाहिये ।
- पंजाबी कभी हाँ नहीं बोलते । हमेशा हंजी ही बोलते हैं ।
- आपको तभी पता चलता है कि आप पंजाबी हैं । जब आपके दादा जी आपको ओवरवेट होने के बावजूद कहते हैं – मुंडा बहुत कमजोर हो गया है ।
- अगर 2 पंजाबी 15 मिनट से ज्‍यादा किसी टापिक पर बात कर रहे हैं । तो तय है । वे व्‍हिस्‍की के ब्रांडों के बारे में ही बात कर रहे हैं ।

- हर जगह 1 ऐसा अंकल जरूर मिल जायेगा । जो किसी भी पार्टी में कुछेक पैग पी लेने के बाद अपने सिर पर गिलास रख कर डांस करेगा ।
- आप किसी पंजाबी को पंजाब से बाहर निकाल सकते हैं । लेकिन किसी पंजाबी में से पंजाब को बाहर नहीं निकाल सकते ।
- पंजाबी जब खुश होकर आपस में बात करते हैं । तो लोगों को अक्‍सर गलतफहमी हो जाती है कि वे आपस में लड़ रहे हैं ।
- पंजाबियों की 5 पसन्द -
परांठा । पैसा । पैग । परसाद । पिन्‍नी - 1 तरह की घरेलू स्‍वीट डिश ।
- केवल पंजाबी ही 1 रुपया कमा कर डेढ़ रुपया खर्च करने का हुनर जानते हैं ।
- पंजाबी की सबसे बड़ी चिंता - क्‍या खायें । कब खायें । किसके साथ खायें ।
- पंजाबी के रोज के संकल्‍प - कल से दारू बंद । और डाइटिंग शुरू ।
- 6 पैग के बाद पंजाबी - दूसरा है यार ।
- दुनिया में पंजाबी ही ऐसे बंदे हैं । जो किसी भी काम को छोटा नहीं समझते । Mukesh Pandey Chandan 
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श्रीकृष्ण ररंकार ( राम ) से ऊपर की कर्षण शक्ति है । इससे बङा मन्त्र तो " क्लीं कृष्ण क्लीं " ही है । न कि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
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यूँ तो कदम कदम पर जिंदगी कुछ सिखाती है । 
मगर पता नहीं कैसे गलती हो ही जाती है ।
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ये क्या बला है मेरे साथ ओ या रब ।
तू जब याद आता है । हम खुद को भूल जाते है ।
Rajeev Thepra
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देश के युवाओं को 1 सलाह - अगर तुम देश बदलना चाहते हो । तो अभी बदल दो । क्योंकि अगर 1 बार शादी हो गई । तो देश तो छोड़ो । तुम टीवी चैनल तक नहीं बदल पाओगे । Sanjay Shah 
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दैनिक " सहाफत " ने मुसलमान और सेक्युलरिज़्म के शीर्षक से लिखा है कि मुसलमानों का ये रवैया बहुत अजीब है कि जिन देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं । और जिन्हें मुस्लिम देश कहा जाता है । वहाँ कभी सेक्युलरिज़्म का नाम नहीं लिया जाता । लेकिन जिन देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं । वहाँ मुसलमानों की तरफ़ से बराबर सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था पर जोर दिया जाता है । अख़बार कहता है कि मिसाल के तौर पर भारत में मुस्लिम नेता धर्म निरपेक्ष व्यवस्था को बहुत ज़रूरी बताते हैं । लेकिन कभी किसी मुस्लिम नेता से यह नहीं कहा गया है कि सऊदी अरब और दूसरे मुस्लिम देशों में भी धर्म निरपेक्ष व्यवस्था होनी चाहिए । अशोक कुमार । बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
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आज से 10-15000 वर्षों पूर्व से विद्यमान सनातन वैदिक धर्म ? अपने समय में शीर्ष स्थान पर बिराजमान था । लेकिन आज जब देखते हैं । तो सनातन वैदिक धर्म अपनी मूल स्थिति खो चूका है । भक्ति सिर्फ मंदिरों में ही स्थित हो चुकी है । मूर्ति पूजा के नाम पर पाखण्ड चल रहा है । सनातन ज्ञान वेद ? और दर्शनों का समाज में से लोप हुआ है । धर्म की पकड़ हिन्दू समाज में से कम हो रही है । धर्म का स्थान अधर्म और विपरीत धर्म ने लिया 

है । क्या कारण हो सकता है उसका ? इस अधःपतन की बौद्धिक मीमांसा होनी ही चाहिए । और उसको सुधारना अनिवार्य हो चला है । अगर उसकी मीमांसा की जाए । तो 5 प्रमुख कारण सामने आते हैं ।
1 मिथ्या ब्राह्मणवाद । 2 वंश परंपरा में मिल रही गुरुगद्दी/धार्मिक अधिकार । 3 पुराणों का प्राबल्य । और वेदों और दर्शनों का अज्ञान ।
4 स्त्री शिक्षण का अभाव । 5 सन्यासियो की अकर्मण्यता ।
1 मिथ्या ब्राह्मणवाद - ब्राह्मण कैसा भी हो । वह पूज्य ही होना चाहिए । दुर्गुण से लिप्त ब्राह्मण की भी पूजा होनी चाहिए । चाहे महा मूर्ख हो । या महा पंडित हो । ब्राह्मण पूज्य है । यह मान्यता जैसे ही वैदिक समाज में स्थिर हुई । तब से मिथ्या ब्राह्मणवाद का प्रचलन हुआ । और अधःपतन का प्रारम्भ हुआ । ब्राह्मणों को विशेष अधिकार थे । यह बात समझ में आती है । लेकिन कैसा भी ब्राह्मण पूज्य है ? यह बात मिथ्या ब्राह्मणवाद की और हमें ले जाती है । यह वैदिक कल्पना नहीं है । यहाँ तक कि अत्री स्मृति में ब्राह्मणों के अनेक भेद बताये है । जहाँ देव ब्राह्मण भी है । और पतित एवं पशु ब्राह्मण भी है । कहने का तात्पर्य यह है कि ब्राह्मण को उसकी योग्यता और ज्ञान के अनुसार ही स्थान दिया जाना चाहिए था । भगवान बादरायण वेद व्यास तो कहते हैं कि - जो ब्राह्मण ब्राह्मणत्व छोड़कर बैठा है । उसे मजदूरी के काम में लगाओ ( महा. शांति पर्व ) अतः यह मान्यता निराधार थी । और उसी ने मिथ्या जातिवाद का पोषण किया । और इसने आर्य संस्कृति, सनातन धर्म के अधःपतन का कारण बनने का कार्य किया । 
2 वंश परंपरा में मिल रही गुरुगद्दी/धार्मिक अधिकार - गुरुगद्दी या धार्मिक अधिकार का आधार ज्ञान और योग्यता की जगह वंश और संबंध होने लगे । पिता धार्मिक गुरु है । तो संतान भी धार्मिक गुरु ही बनेगा । चाहे वह उस योग्य हो । या न हो । गुरु परंपरा इससे दूषित हुई । और सन्यास परंपरा में जिससे संबंध अच्छे होते । उसको उस अनुसार " पोस्ट " दी जाती । जिससे सन्यास परंपरा का लोप हुआ । और सनातन धर्म का अधःपतन हुआ ।
3 पुराणों का प्राबल्य और वेदों और दर्शनों का अज्ञान - सनातन धर्म में इस कारण ने सबसे बड़ा कुठाराघात

किया ? सनातन धर्म का मूल आधार जो स्मृति और दर्शन है । उसका लोप होने लगा । धनोपार्जन के लिए ब्राह्मणों ने पुराण कथा और ज्योतिष का सहारा लिया । और वेदों/दर्शनों के प्रति उपेक्षित द्रष्टि रखी । ब्राह्मणों ने पहले ही वेदों को केवल अपने तक सीमित कर दिया था । और अब उन्होंने भी वेदों का त्याग किया । और पौराणिक कथाओ का विस्तार हुआ । जिससे धर्म के मूल सिद्धांतो का ह्रास हुआ । और पौराणिक काल का प्रारंभ हुआ । ज्योतिष और पुराण कथाओं ने सनातन धर्म का अधःपतन करने का कार्य किया ।
4 स्त्री शिक्षण का अभाव - स्त्रियों को वैदिक काल में शिक्षण का अधिकार था । लेकिन पौराणिक काल में सनातन हिन्दू धर्म में 48% आबादी रखने वाली स्त्रियों की उपेक्षा हुई । उनको वेदों और शास्त्रों के अधिकार से दूर रखा गया । यह कोरी मान्यता का आधार पुराण बने । क्योंकि वेदों में तो स्त्री को पूर्ण अधिकार दिया ही गया था । यहाँ तक कि उन्हें कला से भी दूर रखा जाने लगा । वैदिक संस्कृति के मूल सिद्धांतो के अधःपतन का यह एक बहुत प्रबल और महत्वपूर्ण कारण बना ।
5 सन्यासियों की अकर्मण्यता - मोक्ष के लिए संसार का त्याग । यह सन्यास की मूल कल्पना रही ही नहीं । इसी कारण हमारे हर ऋषि ने संसार किया है । फिर ही संसार त्याग कर हुए सन्यासियों को जो कार्य करना चाहिए था । उसमें वह विफल रहे । वह आदि गुरु शंकराचार्य के महान कर्म योग को भी याद न रख पाए । जो अद्वैत के शीर्ष पर बेठे हैं । फिर भी अविरत कर्मयोगी हैं । ऐसे शंकराचार्य की परंपरा में आगे हुए सन्यासी और अन्य पन्थों से जुड़े और भी सन्यासियों ने कर्मयोग को छोड़ दिया । जिस हेतु से आचार्य ने 4 पीठों का स्थापन किया था । और 4 पीठो को 1-1 वेद देकर उसकी रक्षा की ज़िम्मेदारी दी थी । उसमें सम्बंधित सन्यासी विफल रहे । जो कार्य ईसाई धर्म में मिशनरी कर रहे हैं । वह कार्य सन्यासियों को करना चाहिए था । लेकिन उनकी अकर्मण्यता सनातन धर्म के सिद्धांतों के अधःपतन का कारण बनी ।

इन सभी कारणों ने सनातन धर्म का अधःपतन करने में बहुत बड़ा कार्य किया । और भी अनेक कारण रहे । जेसे कि क्षत्रियों द्वारा अधर्म धर्म का ज्ञान । जैसे जयराज मिर्ज़ा और जयचंद जैसे लोगों ने अन्नदाता के प्रति वफ़ादारी । इसको धर्म समझकर औरंगजेब जैसे लोगों का साथ दिया । और सनातन धर्म का नुकसान किया । साथ ही बड़ी संख्या में शूद्रों को उपेक्षित किये जाने पर उन्होंने बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई धर्म का अंगीकार किया । साथ ही मंदिरों में मिल रहे दान का उपयोग पाठशालाओं और यज्ञों एवं सनातन धर्म के लिए किया जाना चाहिए था । उसकी जगह उसका व्यय हुआ ।
मित्रो ! हमारी वैदिक संस्कृति सनातन है । और सनातन रहेगी । वह अमृत है । उसका नाश संभव नहीं है । लेकिन हम अमृत के पुत्र हैं । तो जिम्मेदारी भी बनती है कि उसकी रक्षा का हर संभव प्रयास करें । भगवान आयेंगे । और सब ठीक कर देंगे । ऐसा कहने वाले लोग " परित्राणाय साधुनां..." भूल जाते हैं । पहले ऐसे साधुओं का सज्जनों का निर्माण तो हो । जो सनातन धर्म के लिए कर्म रत हैं । बाद में उसकी रक्षा होगी । और याद रखिये । जिस धर्म में तत्व ज्ञान और कर्म का लोप हुआ । उसका हनन होने में ज्यादा देर नहीं लगती । आईये ऊपर के कारणों को उखाड़ फेंके । और वेदों का डिंडिम घोष करें । कापी पेस्ट
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वेद में " एकं स़द वीप्राः बहुधा वदन्ति " यानी ईश्वर 1 है । और विद्वान लोग अपनी अपनी सोच के अनुसार उसको बहुत मानते हैं ।  इसके द्वारा उस अनादि, अनंत, अचिन्त्य के किसी भी प्रकार से पूजा को गलत तो नही माना गया है । परन्तु अपनी पूजा को सही कहना । और दूसरे का गलत । इस बात को गलत माना गया है । साथ ही जहाँ तक मूर्ति पूजा की बात है । तो क्या हम खुद को मूर्ति समझते हैं ? यदि हाँ ! तो हम मूर्ति पूजक हैं । मूर्ति 1 शरीर है । जिसकी पूजा गुणों के कारण होती है । और हमें गुण की पूजा की प्रधानता देनी चाहिए । परन्तु ऐसा होता नही है । जब हम मूर्ति की पूजा करते हैं । तो गुणों को भूल जाते हैं । और वहाँ आस्था की बात करते हैं 

। परन्तु आस्था भी ज्ञान से युक्त होने चाहिए । यदि हमें पायलट बनना हो । और 1 ऐसे गुरु में हमारी आस्था हो । जो सायकिल चलाना भी न जानता हो । तो ऐसी आस्था से भला क्या लाभ ? अतः श्रीकृष्ण जी की बात को सर्वोपरि रखते हुए जीवन जीयें - नहि ज्ञानेन सद्रिशम पवित्रमिह विद्यते । यानी ज्ञान से महान पवित्र इस संसार में और कुछ नहीं । वेद में भी गायत्री को महामंत्र इसीलिए कहा गया है कि उसमें भी ज्ञान को ही सब कुछ माना गया है Amod Shastri
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ओम ॐ OM ! GOD ALONE EXISTS . There is no Self . GOD ALONE EXISTS . There is no Soul . GOD ALONE EXISTS . There is no Atman . ( 1 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Sage . GOD ALONE EXISTS . There is no Guru . GOD ALONE EXISTS . There is no Teacher . ( 2 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Avatar . GOD ALONE EXISTS . There is no Savior . GOD ALONE EXISTS . There is no Prophet . ( 3 ) GOD ALONE EXISTS . There is no Human . GOD ALONE EXISTS . There is no World . GOD ALONE EXISTS . There is no Universe . ( 4 ) GOD ALONE EXISTS . ETERNALLY . GOD ALONE IS IMMUTABLE TRUTH . GOD ALONE IS ABSOLUTE REALITY . ( 5 ) SATYA सत्य http://bit.ly/SATYATRUTH https://www.facebook.com/SATYAVEDISM
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पति के जन्म दिन पर पत्नी ने पूछा - क्या गिफ्ट दूँ जी ?
पति - तुम मुझे प्यार करो । इज्ज़त करो । और मेरा कहना मानो । बस यही काफी है । पत्नी ( कुछ देर सोच के ) नहीं ! मैं तो गिफ्ट ही दूँगी ।
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गैरों को कब फुर्सत है दुःख देने की ।
जब होता है कोई हमदम होता है ।

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