17 अगस्त 2012

उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है


दोस्तो ! भारत में बहुत बड़े बड़े ऋषि हुये । चरक ऋषि । पतंजलि ऋषि । सुश्रुत ऋषि । ऐसे ही एक ऋषि हुए है । 3000 साल पहले - बाग्भट ऋषि । उन्होंने 135 साल के जीवन में एक पुस्तक लिखी । जिसका नाम था - अष्टांग हरद्यम । उसमें उन्होंने मानव शरीर के लिए सैंकड़ों सूत्र लिखे थे । उनमें से एक सूत्र के बारे में आप नीचे पढें
बाग्भट जी एक जगह लिख रहे हैं कि - जब भी आप आराम करें । मतलब । सुबह या शाम । या रात को सोयें । तो हमेशा दिशाओं का ध्यान रख कर सोयें । अब यहाँ पर वास्तु घुस गया - वास्तु शास्त्र । वास्तु भी विज्ञान ही है । तो वो कहते हैं कि - इसका जरूर ध्यान रखें ।
क्या ध्यान रखें ? तो वो कहते हैं - हमेशा आराम करते समय । सोते समय । आपका सिर सूर्य की दिशा में रहे । सूर्य की दिशा मतलब - पूर्व । और पैर हमेशा पश्चिम की तरफ रहें । और वो कहते हैं । कोई मजबूरी आ जाए । कोई भी मजबूरी के कारण आप सिर पूर्व की और नहीं कर सकते । तो दक्षिण south में जरूर कर लें । तो या तो east या south  जब भी आराम करें । तो सिर हमेशा पूर्व मे ही रहे । पैर हमेशा पश्चिम में रहे । और कोई मजबूरी हो । तो दूसरी दिशा है - दक्षिण । दक्षिण में सिर रखें । उत्तर दिशा में पैर ।
आगे के सूत्र में बाग्भट जी कहते हैं - उत्तर में सिर करके कभी न सोयें  । फिर आगे के सूत्र में लिखते हैं । उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है । सोने के लिए । उत्तर की दिशा दूसरे और कामों के लिए बहुत अच्छी है । पढ़ना है । लिखना है । अभ्यास करना है । उत्तर दिशा में करें । लेकिन सोने के लिए उत्तर दिशा बिलकुल निषेध है ।

अब बागभट जी ने तो लिख दिया । पर राजीव भाई इस पर कुछ रिसर्च किया । तो राजीव भाई लिखते हैं कि गाँव गाँव जब मैं घूमता था । तो किसी की मृत्यु हो जाती । तो मुझे अगर किसी के संस्कार पर जाना पड़ता । तो वहाँ मैं देखता कि पंडित जी खड़े हो गए । संस्कार के लिए । और संस्कार के सूत्र बोलना वो शुरू करते हैं ।
तो पहला ही सूत्र वो बोलते हैं । मृतक का शरीर उत्तर में करो । मतलब सिर उत्तर में करो । पहला ही मंत्र बोलेंगे । मृत व्यक्ति का सिर उत्तर में करो । और हमारे देश में आर्य समाज के संस्थापक रहे दयानंद सरस्वती जी ! भारत में जो संस्कार होते हैं । जन्म का संस्कार है । गर्भधारण का एक संस्कार है । ऐसे ही मृत्यु भी एक संस्कार है । तो उन्होने एक पुस्तक लिखी है - संस्कार विधि । तो उसमें मृतक संस्कार की विधि में पहला ही सूत्र है । मृतक का शरीर उत्तर में करो । फिर विधि शुरू करो ।
अब ये तो हुआ बागवट जी दयानंद जी आदि लोगों का । अब इसमे विज्ञान क्या है ? वो समझे । ये राजीव भाई का अपना explaination है । क्यों ? आज का जो हमारा दिमाग है न । वो क्यों ? के बिना मानता ही नहीं । क्यों क्यों ऐसा करें ?
कारण उसका बिलकुल स्पष्ट है । आधुनिक विज्ञान ये कहता है । आपका जो शरीर है । और आपकी पृथ्वी है । इन दोनों के बीच एक बल काम करता है । इसको हम कहते हैं - गुरुत्वाकर्षण बल GRAVITATION force
इसको आप ऐसे समझें । जैसे आपने कभी दो चुम्बक अपने हाथ में लिए होंगे । और आपने देखा होगा कि वो हमेशा एक तरफ से तो चिपक जाते हैं । पर दूसरी तरफ से नहीं चिपकते । दूसरे तरफ से वे एक दूसरे को

धक्का मारते हैं । तो ये इसलिए होता है कि चुम्बक की दो side होती हैं । एक south एक north  जब भी आप south और south को । या north और north को जोड़ोगे । तो वो एक दूसरे को धक्का मारेंगे । चिपकेंगे नहीं । लेकिन चुंबक के south और north एक दूसरे से चिपक जाते हैं ।
अब इस बात को दिमाग में रख कर आगे पढें ।
अब ये शरीर पर कैसे काम करता है ? तो आप जानते हैं कि - पृथ्वी का उत्तर । और पृथ्वी का दक्षिण । ये सबसे ज्यादा तीवृ है । गुरुत्वाकर्षण के लिये । पृथ्वी का उत्तर । पृथ्वी का दक्षिण । एक चुम्बक की तरह काम करता है । गुरुत्वाकर्षण के लिये ! अब ध्यान से पढ़ें । आपका जो शरीर है । उसका जो सिर वाला भाग है । वो है उत्तर । और पैर । वो है दक्षिण । अब मान लो । आप उत्तर की तरफ सिर करके सो गए । अब पृथ्वी का उत्तर । और सिर का उत्तर । दोनों साथ में आयें । तो force of repulsion काम करता है । ये विज्ञान ये कहता है ।
force of repulsion मतलब प्रतिकर्षण बल लगेगा । तो आप समझो । उत्तर में जैसे ही आप सिर रखोगे । 

प्रतिकर्षण बल काम करेगा । धक्का देने वाला बल । तो आपके शरीर में संकुचन आएगा contraction  शरीर में अगर संकुचन आया । तो रक्त का प्रवाह blood pressure पूरी तरह से control के बाहर जायेगा । क्योंकि शरीर को pressure आया । तो blood को भी pressure आएगा । तो अगर खून को pressure है । तो नींद आयेगी ही नहीं । मन में हमेशा धङपङ धङपङ चलती रहेगी । दिल की गति हमेशा तेज रहेगी । तो उत्तर की दिशा पृथ्वी की है । जो north poll कहलाती है । और हमारे शरीर का उत्तर ये है - सिर । अगर दोनों एक तरफ हैं । तो force of repulsion ( प्रतिकर्षण बल ) काम करेगा । नींद आएगी ही नहीं ।
अब इसका उल्टा कर दो । आपका सिर दक्षिण में कर दो । तो आपका सिर north है । उत्तर है । और पृथ्वी की दक्षिण दिशा में रखा हुआ है । तो force of attraction काम करेगा । एक बल आपको खींचेगा । और आपके शरीर में अगर खिंचाव पड़ेगा । मान लीजिये । अगर आप लेटे हैं । और ये पृथ्वी का दक्षिण है । और इधर आपका सिर है । तो आपको खींचेगा ।

और शरीर थोड़ा सा बड़ा होगा । जैसे रबड़ खीचती हैं न ? elasticity  थोड़ा सा बढ़ाव आएगा । जैसे ही शरीर थोड़ा सा बड़ा । तो body में relaxation आ गया ।
उदाहरण के लिए जैसे आप अंगड़ाई लेते हैं न । एकदम शरीर को तान देते हैं । फिर आपको क्या लगता है ? बहुत अच्छा लगता है । क्योंकि शरीर को ताना । शरीर में थोड़ा बढ़ाव आया । और आप बहुत relax feel करते हैं ।
इसलिए बाग्भट जी ने कहा कि - दक्षिण में सिर करेंगे । तो force of attraction है । उत्तर में सिर करेंगे । तो force of repulsion है । force of repulsion से शरीर पर दबाव पड़ता है । force of attraction से शरीर पर खिंचाव पड़ता है । खिंचाव और दबाव एक दूसरे के विपरीत है । दबाव से शरीर में संकुचन आएगा । दबाव से शरीर में थोड़ा सा फैलाव आएगा । फैलाव है । तो आप सुखी नींद लेंगे । और अगर दबाव है । तो नींद नहीं आयेगी ।
इसलिए बागभट जी ने सबसे बढ़िया विश्लेषण दिया है । ये विश्लेषण जिंदगी में सारे मानसिक रोगों को खत्म करने का उतम उपाय है । नींद अच्छी ले रहे हैं । तो सबसे ज्यादा शांति है । इसलिए नींद आप अच्छी लें । दक्षिण में सिर करके सोयें । नहीं तो पूर्व में ।
अब पूर्व क्या है ? पूर्व के बारे में पृथ्वी पर रिसर्च करने वाले सब वैज्ञानिकों का कहना है कि - पूर्व न्यूटल है । मतलब । न तो वहाँ force of attraction है ज्यादा । न force of repulsion और अगर है भी । तो दोनों एक दूसरे को balance किए हुए हैं । इसलिए पूर्व में सिर करके सोयेंगे । तो आप भी न्यूटल रहेंगे । आसानी से नींद आएगी ।
पश्चिम का पुछेंगे जी ? तो पश्चिम पर रिसर्च होना अभी बाकी है । बागभट जी मौन है । उस पर कोई explanation देकर नहीं गए हैं । और आज का विज्ञान भी लगा हुआ है । इसके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है ।
तो इन तीन दिशाओं का ध्यान रखें - उत्तर में कभी सिर मत करें । पूर्व या दक्षिण में करें ।
बस एक अंतिम बात का ध्यान रखें - कोई साधू संत है । या सन्यासी है । जिहोंने विवाह आदि नहीं किया । वो हमेशा पूर्व में सिर करके सोयें । और जो गृहस्थ आश्रम में जी रहे हैं । विवाह के बंधन में बंधे हैं । परिवार चला रहे हैं । वो हमेशा दक्षिण में सिर करके सोयें । आपने पूरी पोस्ट पढ़ी । इसके लिए धन्यवाद ।
यहाँ जरूर click करें ।
http:// www.youtube.com/ watch?v=Gs3LtmXc -VE 
इससे खूबसूरत नज़ारा क्या हो सकता है कि - एक टोपी वाला मुसलमान अपने हिन्दू भाई का अंतिम संस्कार करे । शायद ये अपने कभी न देखा हो । लेकिन ये फैजाबाद में होता है । और लोग इसे धर्म निरपेक्षता इंसानियत और प्यार का प्रतीक मानते हैं ।
और अगर मरने वाला मुस्लिम है । तो मोहम्मद शरीफ उसके लिए खुद कब्र खोदते हैं । क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो किसी मजदूर से ये करवा सकें ।
ये सब तब शुरू हुआ । जब 1992 में उनका बेटा मोहम्मद रईस मार दिया गया । और उसकी लाश एक बैग में बंद सुल्तानपुर में मिली । उस दिन मोहम्मद शरीफ ने अपने आपसे कहा कि - जब तक मैं जिंदा हूँ । कोई भी लावारिश लाश किसी हॉस्पिटल में या कहीं और बिना अंतिम संस्कार के नहीं पड़ी रहेगी । 
उस दिन से आज तक शरीफ चाह ने सैकड़ों लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है । और आज भी कर रहे हैं । जब भी उन्हें किसी ऐसी घटना का पता लगता है । वो वहाँ पहुँच जाते हैं । और अपने काम में लग जाते हैं ।
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