27 अप्रैल 2011

एक हत्यारी देवी का मन्दिर


पूजा करने आये हो या किसी बेबस बेजुबान को काटने मारने आये हो ।   बलि देने का शौक है । तो शेर चीतों की बलि दो ।



 बलि हत्या का तमाशा शौक से देखते लोग । अब क्या कहा जाय इनके बारे में ?


माटी कहे कुम्हार से तू क्या रूँधे मोय ।  एक दिन ऐसा आयेगा मैं रूदूँगी तोय ।
अभी वो बेचारा बेबस से । इसलिये कर ले मन  की बेटा । अगले जन्म में ऐसे ही ये तुझे काटेगा । तब कल्पना कर तुझे कैसा लगेगा ?


वाह रे बहादुरों ! टीका तो ऐसे लगा रहे हो । जैसे एक असहाय जानवर को मारकर कोई युद्ध जीत लिया हो । धिक्कार है । तुम्हारे मनुष्य होने पर ।

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