04 अप्रैल 2010

एक आध्यात्मिक मंच

जय जय श्री गुरुदेव । प्रातः स्मरणीय सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज । परमहँस ।
परमानन्द शोध संस्थान आगरा ( उप्र. ) भारत । Parmanand Research Institute Agra (u.p ) India । मुख्यालय- सतगुरु आश्रम । आगरा । Head office-satguru aashram । agra । 
blog- satguru-satykikhoj.blogspot.com । shrishivanandjimaharaj.blogspot.com ।
निवेदन- समस्त विश्व समुदाय के भाई बहनों से निवेदन है कि हम विश्वस्तर पर एक । आध्यात्मिक मंच । का गठन करना चाहते हैं । जिसमें विश्व का कोई भी नागरिक अपनी भागीदारी कर सकता है । यह पूर्णतया निशुल्क और गैर लाभ उद्देश्य की । आपस में भाईचारा और आध्यात्मिक विचारों का आदान प्रदान । करने हेतु प्रारम्भ की गयी एक सीधी और सरल योजना है ।
उद्देश्य- आज के समय में विश्व में अनेकों मत और धर्म प्रचलित है । लेकिन अधिकतर लोग असन्तुष्ट हैं । प्रत्येक को अपने धर्म में अच्छाई और बुराई दोनों ही नजर आती है । लेकिन हमें इससे कोई लेना देना नहीं हैं । एक मनुष्य होने के नाते हमारे कर्तव्य । हमारे अपने विचार क्या हैं ? ये उससे अधिक महत्वपूर्ण हैं । वास्तव में मनुष्य के रूप में हम एक ही है । और सबकी आत्मा का एक ही धर्म है । सनातन धर्म । आज अगर समाज के अंदर से बुराईयों का समूल नाश करना है । तो इस विचार से ही । इस भावना से ही हो सकता है कि हम एक ही मालिक की संतान है । क्या आप मुझसे सहमत हैं ? यदि हाँ । तो हम अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिये क्या कर रहें हैं ?? हमारे ग्यान का अन्य को क्या लाभ है ? और क्या लाभ हो सकता है ? इस पर एक । साझामंच । बनाने में हमारी यथासंभव मदद करें । यदि आप सहमत हैं ।तो कृपया निम्न जानकारी भरकर भेंजे । और इसके अतिरिक्त आप कोई अन्य उत्तम विचार रखते हों । तो कृपया अवश्य बतायें  ।
आपका नाम.................................माता । पिता का नाम..........................................
लिंग- स्त्री । पुरुष....................आयु................धर्म- यदि बताना चाहें.........................................
विवाहित । अविवाहित । विधवा । विधुर ..............................................................................
शहर । ग्राम...........................जिला.......................राज्य......................देश.......................
स्थायी पता .....................................................................................................................
वर्तमान पता..................................................................................................................
कार्य । नौकरी । व्यवसाय....................................फ़ोन नम्बर,std कोड सहित.............................
मोबायल नम्बर...............................................
क्या आपने गुरुदीक्षा ली हैं......................यदि हाँ । तो किससे....................................................
( अधिक गुरुओं से दीक्षा ली होने पर पाँच गुरुओं तक के नाम बताएं । जो आपको श्रेष्ठ लगे हों । )
1-.........................................................2-....................................................................
3-..........................................................4-...................................................................
5-...........................................................6-..................................................................
( क्षमा करें । पर हमें और आपको भी ऐसे कई लोगों से वास्ता पङा होगा । जो कई गुरुओं की शरण में जा चुके हैं । और ये सच है कि जब तक सच्चे संत । सच्चे गुरु न मिल जायं । हमें अपनी तलाश जारी रखनी चाहिये । कार्तिकेय जी ने कई गुरु किये थे । जब हम ग्यान को अक्सर थोङा ही समझते हैं । तो अक्सर साधारण बाबा पुजारी आदि को गुरु बना लेते हैं । और फ़िर अधिक समझ आने पर ऊँचा या पहुँचा हुआ गुरु बनाते हैं । ये उसी तरह से है । जब तक बीमारी कट न जाय । हम डाक्टर बदलते रहते हैं । इस सम्बन्ध में अधिक जाननें के लिये ब्लाग देखें । फ़ोन करें । व्यक्तिगत मिलें ।
आपके गुरु ने जो मन्त्र दिया । उसमें अक्षरों की संख्या (गिनती ) कितनी थी । (मन्त्र न बताएं )..............
.......................यदि इस प्रश्न का उत्तर न देना चाहें । तो कोई बात नहीं ।
विशेष- इस प्रश्न का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि आप उस महामन्त्र को जानते हैं । जो सिर्फ़ ढाई अक्षर का है । और मुक्ति और आत्मकल्याण का इकलौता मन्त्र है । और सतगुरु द्वारा दिये जाने पर बहुत जल्द प्रभाव दिखाता है । कबीर । मीरा । दादू । पलटू । हनुमान जी । बुद्ध । शंकरजी । रामकृष्ण परमहँस । तुलसीदास । नानक । वाल्मीक आदि ने जिसको जपा है । और वर्तमान में भी कई संत जिसका उपदेश कर रहें है । आप को उस मन्त्र का ग्यान है । या नहीं ???
निम्न प्रश्नों का उत्तर हाँ या ना में ही दें । यदि नही देना चाहते । तो भी कोई बात नहीं । हमारा उद्देश्य आपको वास्तविक ग्यान से परिचय कराना ही है ।
1- दीक्षा के बाद आपको कोई अलौकिक अनुभव हुआ । हाँ । नहीं .............................
2-कितने दिन में हुआ..हाँ । नहीं.....................................................................
3-आपने सूक्ष्मलोकों या लोक लोकांतरों के भ्रमण का अनुभव किया या नहीं..हाँ । नहीं................
4-आपको प्रकाश दिखता है । या नहीं...हाँ । नहीं...................................
5-आप मानते हैं । मुक्ति जीते जी ही होती है । मरने के बाद नही..हाँ । नही..................
6-आपको चेतन समाधि का अनुभव हुआ ..हाँ । नहीं ...................................
7-आपका ध्यान कितनी देर तक लग जाता है.. 1 घन्टे 2 घन्टे 3 घन्टे........................................
8- अन्य कोई अनुभव, यदि हो-......................................................................................
9-आपका कोई सुझाव-...................................................................................................
10-जो बात इस संदेश में आपको पसंद न आयी हो-...............................................................
विनीत-समस्त परमानन्द शोध संस्थान साधक संघ ।
विशेष- हमारा उद्देश्य न तो किसी प्रकार का विवाद फ़ैलाना है । और न ही किसी व्यक्ति या धर्म को ठेस पहुचाँना है । बल्कि हमारा उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों और साधकों से परिचय तथा संवाद करना है । जो हमारी जैसी सोच रखते है । तथा आत्मकल्याण हेतु । सुरती शब्द साधना । सहज योग या राजयोग साधना कर रहें हैं । और अन्य जीवों को चेताने में विश्वास रखते हैं । फ़िर भी यदि किसी को कोई बात आपत्तिजनक लगती हो । तो कृपया हमें Email - GOLU224@yahoo.com पर करें । हम आपकी भावनाओं का सम्मान करते हुये अपनी कमीं अवश्य दूर करेंगे ।
बुरा जो देखन में चलया । बुरा न मिलया कोय । जो दिल खोजा आपना । मुझसे बुरा न कोय ।
कबीर सब ते हम बुरे । हम ते भले सब कोय । जिन ऐसा कर बूझिया । मित्र हमारा सोय । धन्यवाद ।

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