20 मार्च 2010

महामन्त्र क्या है ?


महामंत्र क्या है ?
महामंत्र क्या है . इस सम्बन्ध मैं बहुत से लोग मुझसे पूछते रहते है . मेरे मोब ..०९८३७३६४१२९ पर कई बार लोगों के इस तरह के जिज्ञासा भरे काल आये के आखिर ये महामंत्र कोन सा है . त्तुलसी रामायण मैं त्तीसरे चोथे पेज पर ही इस महामंत्र का वर्णन है .
नाम परम लघु जासु वश विध हरि हर सुर सर्व
मदमत्त गजराज को अंकुश कर ले खर्व
अर्थात वो नाम केवल ढाई अक्षर का है जिसके वश मैं ब्रह्मा विष्णु शंकर और सभी देवता हैं जैसे मतवाले हाथी को छोटा सा अंकुश वश मैं रखता है वैसे ही छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी शक्तियां उसी नाम के अधीन हैं .
कबीर साहेब ने कहा है .
पोथी पड़ पड़ जग मुआ पंडित भया न कोय .
ढाई अक्षर प्रेम के पड़े सो पंडित होय
संसार के ज्यादातर ज्ञानी लोग भी यही समझते है के कबीर साहेब ने प्रेम को ढाई अक्षर का बताया है क्योंकि प्रेम शब्द मैं ढाई अक्षर ही होते है लेकिन ये सत्य नहीं है क्योंकि प्रेम करने से कोई पंडित (ज्ञानी )नहीं हो सकता वास्तव मैं परमात्मा से प्रेम कराने का माध्यम ये ढाई अक्षर का महामंत्र है जिसका कबीर साहेब ने इशारा किया है
इशारा इसलिए क्योंकि परमात्मा के नियम के अनुसार मुक्ति ज्ञान को गुप्त रखा गया है श्रीकृष्ण भी कहते है के मुक्ति देने वाला ये ज्ञान गुड रहस्य ही है इसके लिए हे अर्जुन तू समय के तत्ववेत्ता किसी महापुरुष के पास जा वो तुझे इसका ज्ञान कराएँगे
बहुत लोग जानते हैं के राम कृष्ण परमहंस काली देवी से साक्षात कर लेते थे और घंटों उनसे बात करते रहते थे एक बार रामकृष्ण ने काली देवी से पूछा के माँ मेरी मुक्ति कैसे होगी .देवी ने विल्कुल श्रीकृष्ण वाला उत्तर ही दिया के इसके लिए तू इस समय के किसी आत्मज्ञानी संत के पास जा वही तुझे मुक्ति का मार्ग दिखा सकते है किसी देवी या देवता मैं ये शक्ति नहीं होती .
तुलसी रामायण मैं लिखा है .
कलयुग केवल नाम अधारा ..सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा
बहुत लोग ये समझते हैं के कलियुग मैं जीव किसी भी वाणी से लिए जाने वाले नाम जैसे राम कृष्ण शंकर देवी आदि का नाम ले ले और उसकी मुक्ति हो जायेगी ये कितने आश्चर्य की बात है के जिस मुक्ति के लिए इतने ढेरों ग्रन्थ है और ऋषि मुनि हिमालय आदि पर्वतों मैं अपने को कष्टदायक साधना से शरीर तक को गला देते है वो मात्र राम का नाम लेने से हो जायेगी . वास्तव मैं तुलसी ने ये संकेत किया है के सतयुग त्रेता आदि मैं यज्ञ मंत्र कुण्डलिनी जागरण के अनेकों ज्ञाता होते थे यानी मुक्ति का मार्ग दिखने वाले कई महापुरुष उपलव्ध होते थे पर प्रत्येक कलयुग मैं इनका अभाव हो जाता है और लोग कठिन साधनाएँ नहीं कर पाते है तब केवल ये महामंत्र ही उनका तारणहार होगा .वास्तव मैं ये महामंत्र बताने की चीज नहीं है इसको गुप्त रखने का ही विधान है परन्तु जब जिज्ञासु सत्संग सुन सुनकर परमात्मा के विषय मैं जानने को उतावला हो जाता है तब उसके अन्दर इस ज्ञान को लेने की पात्रता पैदा हो जाती है और गुरु मे श्रद्धा उत्पन्न होने पर वह इस ज्ञान को लेने का अधिकारी हो जाता है तब समय के सतगुरु उसको विधिवत दीक्षा देकर उसको नाम का ज्ञान का बोध करते है और उसकी आत्मा मे प्रकाश पैदा करते है अगर आपके मन मैं कुछ और प्रश्न हों तो आप ०९८३७३६४१२९ पर संपर्क कर सकते है .

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